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Gopal Patel

Gopal Patel

@gopalpatel9498


हम उसके सारे सितम चूपके से सह गये।
जुबां रही खामोश आंसू सबकुछ कह गये।

एक तूफान आया ऐसा नफ़रतो का।
अहले वफा के जिसमे सारे शहर बह गये।

सच्ची मुहब्बत लेकर बाजार -ए- इश्क़ में।
हम जहाँ खड़े थे वही खड़े रह गये।

पत्थर के घरो मे मिला बड़ा सुकून।
शीशे के आशियाने पल भर मे ढह गये।

वो कत्ल करने मे पहले ही माहिर थे।
बता जो आज हमें जीने की वजह गये।

उनसे इश्क़ का सिला ये मिला रहीम।
नही है हम तेरे धीरे से कानो मे कह गये।

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मुझे तैरने दे या फिर बहाना सिखा दे,
अपनी रजा में अब तू रहना सिखा दे,

मुझे शिकवा न हो कभी किसी से, हे ईश्वर,
मुझे सुख और दुःख के पर जीना सिखा दे.....

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बैठा हूँ अकेला आपकी यादों के साथ
खैर खुश हूँ मै मिरे अज़ीजो के साथ

साम भी बित गया अपनों के साथ
गुजारनी है रात अब खुदा के साथ

कौन है यहाँ अब मिरा तुम्हारे सिवा
हुआ हूँ मैं अमीर फकीरो के साथ

इनायत कर रहा हूँ मै खुदा तिरी.
रहगुजर इन अब बच्चो के साथ

रास आएगी आपको हमारी फितरत
यूँ जिन्दगी बीता रहै है गरीबों के साथ.

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લીલેરૂં પાન ડાળેથી તુટતું રહ્યું
હંમેશા કંઈ ને કંઈ છુટતું રહ્યું

જોયા અગણિત સંબંધો દુનિયામાં
દરેક સંબંધમાં કંઈક ખુટતું રહ્યું

શોધતું રહ્યું મન ખુલ્લું આસમાન
પંખી પાંજરામાં આમતેમ ઉડતું રહ્યું .

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हुई अज़ानें मगरिब की आवाजे घर में जाती थी,,
पंडित के घर की भी औरत तभी दिया जलाती थी,,

कल हम पंडित के लौटे से वुज़ू बनाया करते थे,,
मन्दिर में जाकर बच्चे प्रसाद चुराया करते थे,,

सुख दुख हो या शादी मय्यत सब में साथ निभाते थे,,
जाति धर्म का फर्क नही था सब रिश्ते में आते थे,,

अब मन्दिर की दीवारे है क्यूँ मस्जिद के मीनारे,,
खत्म हुआ सब प्यार मोहब्बत हाथ में सबके तलवारे है,,

इन नेताओं के चक्कर मे रिश्ता हमारा छूट गया,,
ईद दिवाली और होली अब साथ मनाना छूट गया,,

मन्दिर मस्जिद के नामों पर अपनो को ही काटा है,,
खून में कोई फर्क नही बस राजनीति ने बाटा है!!!***

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