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सुनो तुम.... ये जो नज़रों से बार बार चोट देते हो ना तुम... दर्द वहीं होता है जहां रहते हो तुम... - DINESH KUMAR KEER
चाहे कहने में सदियों की देरी हो तुम जब कहना, कहना मेरी हो... - DINESH KUMAR KEER
उसके शहर के आसमान पर चाँद, सितारे, बादल हैं मेरी आँखों से मुझको बस उसका चेहरा दिखता है। उसके पाँव की पायल मेरी कलम से लेकिन मँहगी है दौलत की जंजीरों में फँसके दोस्त! इश्क़ कहाँ ही टिकता है। - DINESH KUMAR KEER
प्रेम की गली में सब शराब लेकर आए थे हम बहुत खराब थे किताब लेकर आए थे - DINESH KUMAR KEER
कितनी नादान होती हैं न वो स्त्रियां उन्हें लगता है प्रेम के बदले प्रेम मिलेगा - DINESH KUMAR KEER
जहाँ तक मुमकिन था कहानी सुनाई गई, जब गला भर आया तो कलम उठाई गई? - DINESH KUMAR KEER
तुमसे शुरू होती है मेरी हर सुबह तुम पर ही खत्म होती है हर रात तुम हो मेरी जिन्दगी की वजह तुम्हारे बिना अधूरी है मेरी हर बात ! - DINESH KUMAR KEER
तलाश मेरी थी और भटक रही थी वो, दिल मेरा था और धड़क रहा था वो। प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है, आंसू मेरे थे और सिसक रही थी वो। - DINESH KUMAR KEER
नाम और पतंग जितनी ऊंचाई पर होते हैं, काटने वालों की संख्या उतनी ही अधिक हो जाती है। - DINESH KUMAR KEER
"बहनें वो खूबसूरत फूल हैं, जो परिवार रूपी बगीचे को अपने श्रम से जीवनभर महकाती हैं।" - DINESH KUMAR KEER
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