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Bs_gadhavi

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@bsgadhavi6013


न जाने कितने लहू बहे होंगे कितनो ने जानें गवायी होंगीं ये दिन देखने के लिए.. साल के दो दिन Status या Dp लगा देने से क्या हम चुका पाएंगे ईनके लहू का कर्ज? पता नहीं ईन दो दिनों के सिवा कहाँ जाती है ये देशभक्ति? हम अपने देश को कहते हैं "विविधता में एकता" पर पता नहीं जब एक गरीब छोटा सा बच्चा आकर खाने की भीख मांगता है तब ऊसे धुत्कारते वक्त कहाँ जाती है ये एकता? हाँ, माना सभी लोग एसे नहीं होते पर नब्बे प्रतिशत लोग एसे ही है। एक लड़की को जब भरी बाज़ार में छेड़ रहे होते हैं कुछ निक्कमें तब हम सब सिर्फ एक तमासे की तरह देखते हैं आवाज़ नहीं उठाते पता नहीं तब कहाँ जाती है ये देशभक्ति? जब कोई जवान सरहद पर सहीद हो जाता है तब कुछ दिनों के लिए Status रखकर हम ऊन्हें वंदन कर देते हैं पर ईन सबके बाद ऊनके परिवार का निर्वाह केसे होता होगा ये जानने की कोशिश की है कभी? "स्वच्छ भारत " के नाम पर कुछ जगह को सिर्फ दिखावे के लिए साफ करके जा़डु के साथ फोटो social media पर डाल देते हैं और कुछ दिनों बाद ऊसी जगह पर हम खुद कचरा जहाँ तहाँ फैंक देते हैं तब पता नहीं कहाँ जाती होगी स्वच्छ भारत की भावना?
खैर अब तुम कहोगे कि ईन सभी का देशभक्ति से क्या ताल्लुक? पर मेरे हिसाब से ताल्लुक ज़रूर है ईन सभी पहलू को जब तक तुम एक तमासे की तरह देखते रहोगे तब तक तुम सच्चे देशभक्त बन ही नहीं सकते.. खैर अगर सभी पहलू में कहने बैठुंगी तो सायद किताबें भी कम पड़ जाएंगी..
आखिर में बस इतना ही कहुंगी की हमे ईस स्वतंत्रता से जीने का अधिकार दिलाने वाले हर वीर के बलिदान को सत् सत् नमन् 💐🙌🇮🇳

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मैं: सूनोना..तुमसे एक सवाल पूछना था,पूछ सकती हुं
क्या?
वो : हाँ, जरूर पूछोना..
मैं: हर कहानी का अन्त सुखद ही क्यों होता है?
वो:क्योंकि कभी ना कभी तो सुख आता ही है जि़न्दगी में।
मैं:मगर जिंदगी का क्या भरोसा हमें कैसे पता चलेगा की अभी अन्त है?
वो : पता न चले तो समझ लो अभी कहाँनी अधुरी है..
मैं: में भी एक कहानी लिखुँगी।
वो: (एक मुस्कान के साथ) सच सच बताना तुम मुझपे कहानी लिखने का सोच रही होना, हाँ या ना?
मैं: हाँ..
(फिर काफी देर तक बहस चलती है ऊसकी मुजसे सच उगलवाने के लिए की मुझे उससे प्यार है लेकिन ना फिर मेंने दिल की बात कही और ना ही ऊसने)
वो: (बहस के बाद थोड़ी खामोशी के बाद मुस्कुराते हुए ) जी! मतलब अभी कहानी अधुरी है..

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સૌનું સુખ સાચવતા સાચવતા,
ક્યાંક તને તારું સુખ હાથતાળી ન દઈ જાય,
તે ધ્યાન રાખજે...
બધાંને મળતાં મળતાં,
ક્યાંક તું પોતાને મળવાનું ન ભુલી જાય,
તે ધ્યાન રાખજે...
દોડધામ ભર્યા જીવનમાં દોડતાં દોડતા,
ક્યાંક તું જીવવાનું જ ન ભુલી જાય,
તે ધ્યાન રાખજે...
સ્વાર્થ થી ભરેલાં સંબંધો સેવતા સેવતા,
ક્યાંક તને તારા પોતાનાં જ દગો ન દઈ જાય,
તે ધ્યાન રાખજે...

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सुनों,
मेरे जाने के बाद तुम बिंदीयां को अपने माथे से जुदा मत करना, क्योंकि दर्द ऊसे भी होगा ना मेरी तरह अपने प्रियतम् से जुदा होने का,
और वह चुड़ियों को अपनी कलाई में ही रहने देना, ईनकी खनखनाहट में मैं हरदम गूंजता रहूँगा,
और हाँ! वह तुम्हारी हरी और लाल सारी मैं तुम्हारे लिए कितने प्यार से लाया था, तो उन्हें किसी कोने में फेंक कर मेरे प्यार को खुदसे जुदा मत करना,
वह सिंदूर जीसे तुम्हारी माँग में लगा देखकर तुम सिर्फ मेरी हो इस अहसास से में मन ही मन मेरी पसंद पे इतराया करता था, ऊसे अपनी माँग में हंमेशा लगाये रखना,
देगा, ज़माना तुम्हें ताने पर तुम ऊन्हें अपने कानो में मत धरना,
और हाँ! जब तुम सजकर देखा करोगी आईने में तब मैं बनकर आईना तुम्हें अहसास दिलाता रहुँगा की तुम सजी हुई कितनी प्यारी लगती हो,
मैं कभी तुमसे जुदा नहीं हो सकता ये बात हंमेशा याद रखना,
हाँ! मेरे जाने के बाद तुम श्रृंगार को कभी खुद से जुदा मत करना...



Feelings_of_heart

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सुबह को खीलकर शाम को मुरझा जाते हैं ये फुल, या फिर तोड़े जाते हैं किसी और को महकाने के लिए, कभी बन जाते हैं दो दिलों को मिलाने का प्रतीक, तो कभी दिल टुटने पर नोचें जाते हैं किसी आशिक के पैरों तले, कभी बनके किसीकी पहले प्यार की निशानी किताबों में पड़े रहते हैं, और कभी किसीकी रेशमी ज़ुल्फो को सवांर देते हैं,
कभी कबर पे चढा़ये जाते हैं तो कभी मंदिर और मस्जिद में... एक ही छोड़ में खीले सभी फुलों का भी नसीब अलग अलग है, किसीको दर्द मिलता है तो किसीको प्रेम... अब आप ही सोचिए फिर हम तो ईंसान हैं...

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