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लफ़्ज़ों की तल्ख़ियों से कितना कुछ टूट जाता हैं? दिल..संवाद..रिश्ता..और.. आख़िर में... इन्सान भी! _✍️anupama
जीवन की सरलता इसी में है, किसी से कोई उम्मीद ना करें.. जिन्होंने हमें समय दिया हो उनके सदैव ऋणी रहे.. कोई हमें अगर साथ न दे उनको कभी दोष ना दे.. जो लम्हे खो गए उनको पकडने की कोशिश ना करे.. भले जितना वक़्त कमजोर हो.. खुद पर विश्वास करे.. और अपने कर्म करते रहे फल की आशा किये बिना! _✍️anupama
संवाद के धागे तब टूटने लगते हैं जब रिश्तें हाथों से छूटने लगते हैं.. लफ्ज़ कोई शिकायत तो नहीं करते.. बस खुदसे ही हम रूठने लगते हैं..! _✍️anupama
कम्बख़्त यादों में जमा वो फ़ुर्सत के लम्हें हुए सखी!...मुद्दतें हो गई तुम संग चाय पिये हुए _✍️anupama
ख़्यालों के घरौंदे से बाहर आ भी जाओ देखो ना कितनी रौशनी है... ? यही है जो हक़ीक़त है.. यही ज़िन्दगी है..... ! आए हम जहां में आखिर हैं किस लिए? क्या मकसद ए ज़िन्दगी है? पुरा करना उसे, बेशक... यही तो बंदगी है...! तुम जो भी हो उसको रखो ख़ुद में बाकी दिखावे की यहाँ जरूरत नहीं है हाँ, जो सबसे ख़ूबसूरत है .. वही तो सादगी है..! सुन लिया करो अक्सर दिल की आवाज़ को चाहे मचा हुआ वहाँ शोर भी है महसूस करो.....कही तो .. ख़ुदा की मौजूदगी है..! _✍️anupama
दुनिया के रंगमंच का किरदार है हम सब कठपुतली है वक़्त की गौर से देखो अपना क्या है? मानो तो सबकुछ है न मानो तो कुछ भी नहीं...! ये मेरा वो मेरा करते रहते स्वार्थ के धागों में उलझे रहते आख़िर ले जाना क्या हैं? अपना क्या हैं? जगत् की अविरत् कहानी में पनाह मिली हो चाहे कैद हो अंत में अपने हक़ में है एक मुकम्मल आज़ादी..! _✍️anupama
बहुत रंग दिखाएं ज़िन्दगी ने कुछ रंगों से हाँ बेख़बर हूँ.. भाता मुझे है खुद में मशगूल रहना, मेरी मंज़िल की मैं ही डगर हूँ...! _ ✍️anupama
किस्मत चाहे जो भी खेल खेले.. रिश्तों से और खु़द से वफ़ादारी रहे.. माना की ज़िन्दगी ये है बेवफ़ा उसुलों से ना हटे इतनी तैयारी रहे.. ये लम्हें चाहे रहे नाराज़ तुम से दिल में जीने की मगर खु़मारी रहे... हर वक़्त मौसम कहाँ एक सा रहता है? हारना और जीतना भी तो बारी बारी रहे.. तंग करे चाहे ये हालात तुम को दामन से बंधी कभी भी न लाचारी रहे.. नाकामियों से सबक इस तरह से लेना तजुर्बों से भरी दिल की अलमारी रहे... साबित करना इस तरह से खु़द को देखती तुम्हे दुनिया यह सारी रहे.. नादान साथ छोड़े, तू मत छोड़ना तेरे किरदार की ऐसी अदाकारी रहे...! _✍️anupama #Failure
मैं अगर ख़ुद को मिटा दूँ वहम सारे मिट जाऐंगे.. -anupama
समझने - समझाने में हम ने अपनी ही समझ खो दी शायद यूँ ही नहीं देते हैं लोग हम को हिदायत... जवाब हर बात के होते हैं... लेकिन... मन नहीं होता... अब ख़ुद को खर्च करने को... गवाएं हम ने भी कितने ही लफ्ज़, शब्द और एहसास... थक ही गया आखिर दिल... ! _✍️anupama
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