Trisha - 17 in Hindi Women Focused by vrinda books and stories PDF | त्रिशा... - 17

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त्रिशा... - 17

"मोनिका!!!!!!!!! त्रिशा को थोड़ी देर में नीचे ले आना कोई साड़ी पहना कर अपनी, वो लोग आज ही रुकाई और गोद भराई  (रिश्ता पक्का करने की रस्म) करके जाएगें।।।।।।" 
" और हां सुनो।।।।।। साड़ी हो सके तो लाल या गुलाबी रंग की ही पहनाना।।।।।। ठीक है।।।।। "
" और हां।।।।।।। जल्दी करना।।।।।। बातों में ना बैठ जाना तीनो।।।।।।।" मोनिका भाभी को एकदम कड़क और रौबदार आवाज में समझा कर मामी फिर एक बार त्रिशा की और मुड़ी। 

त्रिशा को देखते ही उनके चेहरे के सख्त भाव और उनकी आवाज, दोनो ही कोमल हो गए‌। मामी ने त्रिशा को देख उसके माथे को चूमते हुए बोली," भगवान तुझे हमेशा खुश रखे मेरी लाड़ो रानी।।।।।।।।" 

मामी की स्नेह भरी बात सुनकर त्रिशा ने उन्हें एक प्यारी सी मुस्कान दी और फिर मामी भी एक प्यारी मुस्कान देते हुए बोली," अच्छा चलो अब तुम तैयार हो जाओ।।।।। मैं जाती हूं बाहर‌‌ ।।।।। तुम्हारी मां अकेली काम में लगी है, मैं जाकर मदद कर दूं वैसे भी कितने काम बाकी है।।।।।। और मेहमान भी तो बैठे है बाहर।।।।।।।।" 

इतना कहकर मामी बाहर जाने लगी और जाते जाते भी, दरवाजे को बंद करते समय उन्हें देख कर बोली," जल्दी करना।।।।। गप्पे  बाद में मार लेना।।।।।।" 

" जी।।।।। "  मोनिका ने सिर झुका कर दबी आवाज में कहा। 

मामी के जाने के बाद  महक ने भाभी को छेड़ते हुए कहा," भाभी यार।।।।। आपकी सास तो बड़ी डेंजरस हो जाती है कभी कभी। उनकी कड़क आवाज सुनकर तो मैं भी डर गई एक बार को।।।।।।। आपको मेरी तरफ से सलाम इतनी कड़क आवाज सुनकर भी ना डरने के लिए।।।।।।।।" 

उसकी यह बात सुनकर भाभी मुस्काई पर कुछ कह ना पाई। शायद त्रिशा के कारण या फिर बहू के लिहाज के कारण। वह त्रिशा को देखकर बोली, " तुम यहीं रुको मैं तुम्हारे लिए साड़ियां निकाल कर लाती हूं। फिर तुम उनमें से देख लेना।।" 

"जी भाभी।।।।।" त्रिशा ने उनसे कहा और फिर मोनिका रुम से चली गई। उसके जाते ही महक  त्रिशा से बोली," यार तेरी भाभी को देख कर कभी कभी लगता है कि वो डरी डरी सहमी सहमी सी रहती है। खास तौर पर तेरी मामी और भईया के आगे। " 

" शायद हर नई बहू की हालत ऐसी ही होती होगी।।।।।। अभी उन्हें टाईम ही कितना हुआ यहां। अडजस्टमेंट में कुछ साल तो लगेगे ना उन्हें। और सास तो सास ही होती है। तुम मेरी दादी को भूल गई  क्या????? उनके आगे क्या मम्मी, क्या मामी।।।।।। वो तो पापा को ही नहीं छोड़ती थी। उनका रौब भूल गई तुम???????" त्रिशा ने हंसते हुए कहा‌। 

"अरे हां यार।।।।।।।।" 
" तुम्हारी दादी के आगे तो बस ......." इतना कह कर दोनों हंसने लगी।  

हंसते हंसते महक ने त्रिशा को देखकर पूछा," तो?????? तेरी सास कैसी लगी तुझे?????" आई मीन तेरी दादी की तरह या तेरी मामी की तरह या तेरी मां की तरह??????" 

त्रिशा ने महक का सवाल सुना तो हंसते हंसते रुक गई और बोली," तुम बताओ यह तो????? बाहर तो पूरे टाईम तुम थी ना????? मैं तो बस दस- पंद्रह  मिनट को गई थी बाहर।।।।।।। और उसमें भी सब कुछ ना कुछ पूछने में लगे थे।।।।।।।।।।। तो मैं क्या ही बताऊं??????" 

"हां यह तो है!!!!! तुम तो गई और बस इंटरव्यू देकर आ गई।  अच्छा चलो सास को छोड़ो।।।।। यह बताओ, तुम राजन से तो मिली ना।।।।।।।तो वो तुम्हें कैसा लगा????? मतलब तुमने उससे अपने मन की बात कह दी ना????? वो तुम्हें सच मैं ठीक लगा ना??????? या फिर तुमने सिर्फ अंकल के लिए हां बोली है?????? "  महक ने त्रिशा से चिंतित होकर पूछा। 

त्रिशा ने महक की बात सुनी तो वह फिर एक बार उसी उलझन में उलझ गई कि राजन उसे सच में पसंद आया है या नहीं????? वह उसके साथ रह पाएगी या नहीं????? पर त्रिशा जानती थी कि अब हां बोलने के बाद वह पीछे नहीं हट सकती।।। हां वह खुद भी नहीं जानती कि आखिर उसने हां कि तो क्यों कि क्योंकि उसके माता पिता ने तो फैसला उसपर छोड़ा था ना????? 

"खैर जो भी हो अब तो हो गया जो होना था और अब सही होगा कि जो हो रहा है उसे राजी खुशी होने दिया जाए।।।। बिना किसी रुकावट के।" त्रिशा के अंतर्मन ने कहा। 

त्रिशा ने एक गहरी सांस ली और फिर महक की ओर देखकर बोली,
" हम्ममम!!!!!" 
इतना कहकर उसने अपनी मुट्ठी में बंद झुमकियों को देखा और ना जाने क्यों उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। 

जब  महक ने त्रिशा को मुस्कुराते हुए देखा तो वह मन ही मन बहुत खुश हुई यह सोच के कि चलो त्रिशा खुश है इस रिश्ते से। पर महक ने ध्यान दिया कि त्रिशा अपने हाथों में कुछ देखकर यूं हंस रही है। तो महक खुद को त्रिशा को परेशान करने से रोक ना पाई और उसने झट से त्रिशा के हाथ से वो झुमकियां छीन ली और बोली," ओहो मुझे तो लगा कि तुम राजन के बारे में सोच के खुश हो रही है।।।।। पर नहीं तुम तो इन झुमकियों को देखकर खुश हो रही हो।।।।।।।।" 
"मैं भी तो देखूं तो जरा क्या है इन झुमकियों में ऐसा जिसे देख कर तुम यूं खुश हो रहीं हो।।।।"  यह कहकर महक उन झुमकियों को घुमा घुमाकर देखने लगी। 

फिर महक वह झुमकियां त्रिशा को दिखाते हुए बोली," वैसे तो ठीक ठाक है यह। दिखने में अच्छी भी लग रही है।।।।। पर तुम खुश क्यों हो रही थी इसे देखकर???????" 
"अम्मममम!!!! सोचने दो।।।।। तुम खुश क्यों हो सकती हो????" महक ने सोचने का नाटक करते हुए कहा।।।।।