Operation Mirror - 6 in Hindi Science-Fiction by bhagwat singh naruka books and stories PDF | Operation Mirror - 6

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Operation Mirror - 6



मुंबई 2099 – डुप्लीकेट कमिश्नर

रात का समय। मरीन ड्राइव की पुरानी सुरंग वीरान थी। हवा में नमी और अजीब सा सन्नाटा।
कमिश्नर अरुण देशमुख जैसे ही आगे बढ़े, अचानक उनकी नज़र पास पड़े एक पत्थर पर गई।
वहाँ कोई नीली-सी चमकती हुई चिप पड़ी थी।

जैसे ही उन्होंने उसे उठाया, वह अपने आप एक्टिव हो गई।
अचानक हवा में एक होलोग्राफिक स्क्रीन उभरी… और उसमें जो शख़्स दिखा, उसे देखकर देशमुख के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

वो शख़्स हूबहू उन्हीं जैसा था —
अरुण देशमुख की कॉपी!




रहस्यमयी ध्वनि 

स्क्रीन पर ‘डुप्लीकेट देशमुख’ मुस्कुराया और बोला –

“क्यों कमिश्नर, चौक गए? डरिए मत… ये कोई जादू नहीं है।
ये आप ही हो… फर्क बस इतना है कि मैं आपकी परछाई हूँ।
आप समाज की सेवा वर्दी पहनकर करते हो… और मैं, लूट कर अमीर लोगों से उनको गरीब बनाता हु ओर गरीब को अमीर ।

देशमुख हैरान और गुस्से में –
“ये कौन सा घटिया मज़ाक है? तुम कौन हो? किस टेक्नॉलॉजी से मेरा रूप लेकर अपराध कर रहे हो?”
तुम्हे अंदाजा है इसकी सजा कानून तुम्हे क्या दे सकता है 

वो शख़्स हँसा –
“टेक्नॉलॉजी? ओह कमिश्नर… तुम 2099 में भी पुराने ढर्रे पर सोच रहे हो।
ये सिर्फ़ टेक्नॉलॉजी नहीं है, ये नया सोशल कॉन्ट्रैक्ट है।
तुम्हें लगता है मैं चोर हूँ… लेकिन असली चोर तो ये सिस्टम है, जिसे तुम बचाने के लिए रोज़ वर्दी पहनकर निकलते हो।”
ओर कानून के न्याय की सजा की बात आप ना करो तो बेहतर है ,ये वही कानून है जो एक बेकसूर को जेल में डाल कर उसकी जिंदगी के 20 से 25 साल खा जाता है ओर जब रिजल्ट आता है तो पता चलता है वो तो बेकसूर है ।

अमीर लोगों ओर अमीर हो रहे है गरीब आज भी गरीब है वही 2 रुपए 5 रुपए kg राशन पर ।
बहस की जंग

देशमुख गरजकर बोले –
“चुप! कानून से ऊपर कोई नहीं। चाहे इंसान हो या मशीन।”

‘डुप्लीकेट’ बोला –
“कानून? हा हा हा…
कानून ने कभी अमीरों को रोका है?
तुम देखते हो रोज़…
गरीब भूखे मरते हैं, बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं, और अरबपति स्पेस में छुट्टियाँ मना रहे हैं।
मैं क्या करता हूँ?
अमीरों से छीनता हूँ और असली ज़रूरतमंदों तक पहुँचाता हूँ।
यानी मैं भी समाज सेवा कर रहा हूँ, बस मेरे तरीके अलग हैं।”

देशमुख की आँखों में आग भर आई –
“तुम चाहे सौ अच्छे तर्क दे लो, लेकिन अपराध को न्याय नहीं कहा जा सकता।
तुम निर्दोषों को फँसा रहे हो, उनकी ज़िंदगी तबाह कर रहे हो। ये सेवा नहीं… धोखा है।”

‘डुप्लीकेट’ हँस पड़ा –
“धोखा?
धोखा तो इस सिस्टम ने दिया है इंसानियत को।
तुम सोच भी नहीं सकते कि मैं कितनों के रूप में इस शहर में घूम रहा हूँ।
कोई भी अमीर सुरक्षित नहीं है। और हाँ… अगर चाहूँ तो मैं खुद तुम्हारे नाम से भी अपराध कर सकता हूँ।”


---

देशमुख का गुस्सा

देशमुख ने मुट्ठी भींची –
“तुम चाहे जो हो… इंसान, मशीन या शैतान… मैं तुम्हें पकड़कर ही दम लूँगा।
ये मुंबई है… यहाँ कोई कानून से बच नहीं सकता।”

लेकिन तभी स्क्रीन झिलमिलाई।
‘डुप्लीकेट देशमुख’ ने धीरे से कहा –
“पकड़ सको तो पकड़ लेना…
क्योंकि मैं सिर्फ़ एक नहीं हूँ।
मैं हर जगह हूँ।
तुम्हारे हर ऑफिसर के बीच, हर कैमरे के पीछे, हर भीड़ में…”

स्क्रीन ब्लैक हो गई।
देशमुख अकेले अंधेरी सुरंग में खड़े रह गए, माथे पर पसीना और दिल में एक ही सवाल –

👉 “क्या मैं किसी इंसान से लड़ रहा हूँ… या किसी ऐसी मशीन से, जो हर इंसान का रूप ले सकती है?”

दूसरी तरफ:

“अगर यादें तुम्हारी हैं, मगर आत्मा किसी और की… तो तुम कौन हो?”

Location: RAW Ultra Black Facility – ‘Project Vault’, लद्दाख

वक्त: सुबह 6:45 बजे

बर्फ के नीचे 700 फ़ीट गहरे एक गुप्त चेंबर में हलचल होती है।

Cryo-Pod #A1 के भीतर पड़ी वो देह — वही चेहरा, वही जटिलता, वही इतिहास — लेकिन आंखें बंद हैं।

RAW साइंटिस्ट्स के चारों ओर अलार्म बजते हैं।
डाटा स्क्रीन पर लाल अक्षरों में एक संदेश चमक रहा है:

SUBJECT A1: VITAL SIGNS NORMALIZING. NEURAL REACTIVATION INITIATED."



RAW हेड विक्रम चौहान, वीडियो लिंक पर:

उसे उठा दो। अब देश को उसकी जरूरत है। असली को जानना ही इस मिशन की अंतिम कुंजी है।"


🧠 ब्रेन स्टेबलाइजेशन चैम्बर

A1 के होश में आते ही इलेक्ट्रिक स्पार्क्स उसके आसपास की मशीनों में फैल जाते हैं।
आंखें खुलती हैं… और सामने आता है असल आरव रंधावा।

वो एक क्षण के लिए सन्न है।
फिर आंखें बंद कर कहता है:

"मुझे कितने दिनों के लिए मिटा दिया गया था?"



डॉक्टर:
"9 महीने, 2 हफ्ते, 3 दिन।"

आरव मुस्कुराता है —

तो अब देश को फिर से पहचान दिलानी है?"

🧩 अब कहानी तीन परतों में बंटी है:

1. आरव-1: जो दिल्ली ब्लास्ट के बाद संदिग्ध बना है।


2. आरव-2: जो लद्दाख में सच की तलाश में था, लेकिन खुद को क्लोन मान चुका है।


3. असल आरव: जो 9 महीने से कोमा में रखा गया था — क्योंकि उसकी यादों को क्लोनिंग के लिए "कॉपी" किया गया था।


🛰 मिशन रीसेट: “BLACK SHADOW”

RAW के पास अब एक ही ऑप्शन है — तीनों को एक साथ लाकर सच्चाई सामने लाना। जिससे पता चल सके बाकी दो को बनाने वाला असली कौन है ओर कहा है ।

Ultra Black Room में तीनों आरव आमने-सामने हैं।

क्लोन 1:
"मुझे बनाया गया था देश को बदलने के लिए। तुमने देश को बचाने की कोशिश की... और देखो, कहाँ आ पहुंचे हम।"

क्लोन 2:
"हम तेरी परछाई हैं। मगर अब परछाई ही असल दिखने लगी है। तुझे खुद को साबित करना होगा, आरव।" जो शायद संभव नहीं होगा ।

असल आरव (धीरे से):
"तुम दोनों मेरी छाया हो। लेकिन मैं अब सूरज बनकर लौटूंगा — जो खुद को भी जला सकता है, देश के लिए।"
तुम को जिसने भी अपने मतलब के लिए बनाया वो देश के किसी भी कोने में हो लेकिन जायदा दिन नहीं । अब चाह कर भी तुम्हे हम छोड़ नहीं सकते है ।

RAW को एक मैसेज intercept होता है —
Mirror X का अंतिम चरण शुरू हो चुका है।
– 13 शहरों में AI इंसानों को एक्टिव किया गया है।
– 13 एक जैसे दिखने वाले चेहरे, 13 अलग-अलग पते।
– ब्लास्ट नहीं, पॉलिटिकल असैसिनेशन, डाटा एक्सटिंक्शन, और डिजिटल हैकिंग प्लान है।

अब असली आरव को दोनों क्लोन को साथ लेकर
13 जगहों पर 72 घंटे में सफाई करनी है। क्योंकि कुछ कोड थे जो असली आरव के कंट्रोल में थे जिससे वो आसानी से उसकी बात मान सकते थे । 
लेकिन देश के अलग अलग कोने में जो एक्टिव थे वो आरव की पहुंच से दूर थे ओर वो किसी का भी रूप आसानी से ले सकते थे जैसा कि मुंबई में देशमुख के साथ हो चुका था ।


तीनों आरव एक कमरे में खड़े हैं। पहली बार – बिना डर, बिना शक, साथ।

असल आरव:
"तुम दोनों मेरी कमज़ोरी थे। लेकिन अब हम मिलकर इस सिस्टम की ग़लती को ठीक करेंगे।"
 "आज से हम न चेहरा हैं, न नाम। आज से हम सिर्फ मिशन हैं।"
हमे उस असली जन्मदाता तक पहुंचना है इसी बीच अगर कोई नया मिशन आता भी है तो भी हमें साथ काम करना है ।