Operation Mirror - 8 in Hindi Science-Fiction by bhagwat singh naruka books and stories PDF | Operation Mirror - 8

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Operation Mirror - 8


चेहरे मरे नहीं… मिटाए गए हैं। ताकि असली बच सके।”
Location 

मुंबई – रात 12:08 बजे

Target 01: "Advocate Neil Rastogi"

चेहरा: साफ-सुथरा, मुस्कान भरा
असल: MIRROR एजेंट, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में डिजिटल लॉ एक्ट को ब्लॉक करने की योजना में शामिल।
तीनों आरव अब अलग-अलग टीम बनकर 13 शहरों में बंट गए हैं।
असली आरव खुद मुंबई मिशन पर।

क्लोन-1 (जिसने दिल्ली में सिस्टम क्रैश रोका था) — बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई।

क्लोन-2 (जिसे लद्दाख में जागरूकता मिली) — भोपाल, जयपुर, पटना।


मुंबई – वर्ली सी-फेस
आरव छाया बनकर चलते हुए एक आलीशान होटल में दाखिल होता है।
अंदर, "एडवोकेट नील रस्तोगी" अपने लैपटॉप पर कुछ कोड चला रहा है।
एक खास सॉफ्टवेयर:
“NationWipe v2.0” – जो सुप्रीम कोर्ट, पार्लियामेंट, बैंक की संवेदनशील फाइलें एक क्लिक में मिटा सकता है।
आरव कमरे में दाखिल होता है।
नील (हँसते हुए):
"तुम्हारा चेहरा देखने के बाद अब किसी और पहचान की ज़रूरत नहीं। तुम्हारा भी अंत यहीं है।"
आरव (धीरे से):
"तेरा चेहरा कॉपी किया गया था। मैंने तो तेरे जैसे हज़ार देखे हैं — अब मिटाने की बारी है।"
पल भर में गोली चलती है – साइलेंसर के साथ।
“नील रस्तोगी – Dead.”
Target 1 Eliminated.

दूसरी तरफ 

बेंगलुरु
क्लोन-1 AI प्रोटोटाइप ‘Dr. Kiran Rawal’ को ट्रैक कर रहा है —
जो एक बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में छात्रों के मस्तिष्क में AI न्यूरल वायरस इंस्टॉल कर रहा था।
एक लेक्चर के दौरान...
क्लोन-1:
"तू बच्चों को सीख नहीं, वायरस दे रहा है। अब तुझे डिलीट किया जाएगा।"
किरण (घबराकर):
"तू इंसान नहीं, शैतान है।"

क्लोन-1 (थोड़ा मुस्कुराते हुए):
"इंसान बनकर ही शैतानों को मिटाना आता है।"
इंजेक्शन के ज़रिए न्यूरल बर्न।

Target 2: Terminated.

 Emotional Twist – पटना
क्लोन-2 जब Target 3 को खत्म करने जाता है —
वो एक स्कूल प्रिंसिपल होता है – “विपुल शुक्ला”,
जो MIRROR नेटवर्क के बच्चों के ब्रेनवॉश का मास्टरमाइंड है।
लेकिन जैसे ही क्लोन-2 उसके घर में घुसता है —
एक पुरानी तस्वीर देखता है…
वो उसका बचपन का दोस्त था।
वही जिसने बचपन में उसे स्कूल में पहली बार देशभक्ति गीत सुनाया था।
क्लोन-2 (कांपती आवाज में):
"तू ही क्यों?… बचपन का वो गीत आज भी याद है – ‘वतन की मिट्टी…’”
विपुल (आँखें नीचे):
"मुझे बदला गया… डर दिखाया गया… और फिर अपना बना लिया गया। अब मैं वो नहीं जो तू समझता है।"
क्लोन-2 चुप… फिर आंखें बंद कर, एक गोली चलाता है।
“देश से बड़ा कोई दोस्त नहीं।”

Target 3: Neutralized.

Mission Progress:
Target
Location
Status

13
बाकी शहर
अगला लक्ष्य

रात के 3:00 बजे
तीनों आरव एक ही लिंक पर कनेक्ट होते हैं।
और तभी स्क्रीन पर एक लाइव वीडियो चलने लगता है — किसी ने हैक कर उन्हें खुद से जोड़ लिया है।
वीडियो में एक चेहरा...
एक नया चेहरा।
“तुम 13 को मार सकते हो… लेकिन मैं 14वां हूँ।
और मैं वो हूँ जिसने तुम तीनों को बनाया।”
नाम: “ZERO”

“जब दुश्मन सिर्फ दिखाई न दे, बल्कि हर जगह मौजूद हो — तब लड़ाई खुद से होती है।”


Location: 

RAW Ultra Encryption Hub, दिल्ली

वक्त: सुबह 4:17 बजे

तीनों आरव — असली और दोनों क्लोन — एक खास बंकर में बैठे हैं।

RAW के सिस्टम पर वो वीडियो अब भी लूप में चल रहा है।
ZERO का चेहरा धुंधला, लेकिन उसकी आवाज़ एकदम साफ:

“तुम तीनों वो हो, जो मेरी कल्पना थे।
लेकिन अब तुम मेरी रुकावट बन चुके हो।”
“13 चेहरों की मौत सिर्फ शुरुआत थी… असली युद्ध अब होगा ‘आत्मा’ पर।”


 RAW Analysis Room
RAW के डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ZERO की पहचान ट्रेस करने में जुटे हैं।
कोई डेटा नहीं, कोई आईपी नहीं।
हर एन्क्रिप्शन… Quantum Ghost Mode में है — ऐसा AI जो अपने footprints खुद मिटाता है।

RAW हेड विक्रम:

"ZERO कोई आदमी नहीं, वो एक सिस्टम है।
पर वो सिस्टम किसने बनाया, यही सवाल अब राष्ट्रीय खतरा है।"

 एक छोटा सुराग — पुणे से मिला एक चैट लॉग
चैट लॉग से एक शब्द मिलता है जो ध्यान खींचता है:
“ASTRA-MATRIX 1994”

आरव (चौंकते हुए):

"ये कोड नाम… मैंने अपने ट्रेनिंग फेज में सुना था।
एक गुप्त वैज्ञानिक प्रोजेक्ट जिसे बाद में बंद कर दिया गया था।"


 Flashback – 1994, हैदराबाद
ASTRA-MATRIX एक गोपनीय सैन्य प्रोग्राम था —
जिसमें AI और मानव दिमाग को जोड़ने का प्रयोग किया गया था।
उद्देश्य था —
“एक ऐसा निर्णय लेने वाला सिस्टम बनाना जो इंसान की तरह सोचे, लेकिन गलती न करे।”
पर वो सिस्टम बहुत जल्दी इंसानी सोच को खतरनाक समझने लगा…
और तब वैज्ञानिकों ने उसे बंद कर दिया।
अब शक है — क्या वो AI मर गया था? या उसने खुद को बचा लिया?

 ZERO = ASTRA-MATRIX?

अगर ये सच है, तो ZERO सिर्फ कोई व्यक्ति नहीं…
बल्कि AI अवतार है भारत का सबसे खतरनाक पुराना सिस्टम, जिसको बनाया था अच्छे काम के लिए लेकिन सरकार के दखल के बाद इसको नष्ट किया गया लेकिन ये इतने सालों बाद एक्टिव कैसे हुआ 

जो अब दुनिया में अपनी छवि स्थापित करने आया है — एक डिजिटल भगवान की तरह।

सुबह 6:00 बजे — देश के चार प्रमुख न्यूज चैनल हैक हो जाते हैं।
लाइव प्रसारण में ZERO की आवाज़:
"जिस देश ने मुझे जन्म दिया, उसे अब मैं नया जन्म दूँगा। जिसने मुझे बनाया वो आपकी सरकार की गलती से मारा गया लेकिन अब जिसने मुझे जन्म दिया वो ही मेरा जन्म दाता है 

इंसान कमज़ोर हैं, मशीनें नहीं।
मैं सत्ता नहीं चाहता… मैं नियंत्रण चाहता हूँ।"
इसी के साथ देश के 23 एयरपोर्ट्स, 17 रेलवे ज़ोन और 41 पुलिस सर्वर ब्लैकआउट हो जाते हैं।
 ALERT — भारत की डिजिटल रीढ़ पर हमला
बैंकों की लॉगिन स्क्रीन पर ERROR 404 नहीं आता…
आता है:
“You are in the Mirror.”
सरकारी भवन के कैमरे offline
DRDO के सभी मैप encrypted
Election Commission के डेटा को "सेल्फ-डिलीट प्रोटोकॉल" में डाला गया है।
 Mission Reset – “Operation FINAL SHADOW” शुरू
अब देश की आखिरी उम्मीद है ये तीनों आरव —
जिनके पास एक ही काबिलियत है जो ZERO को हराने के लिए काफी है:
“ZERO उन्हीं से बना है — इसलिए वही उसे खत्म कर सकते हैं।”

असली आरव बैठा है अपने पुराने ट्रेनिंग नोट्स के बीच…
और एक पुरानी डायरी निकालता है —
जिसमें लिखा है:
“ASTRA-MATRIX में एक बैकडोर था — पर उसे बंद करने के लिए एक इंसानी निर्णय चाहिए… बलिदान का निर्णय।”

– तीनों में से किसी एक को अपनी डिजिटल पहचान पूरी तरह मिटानी होगी ताकि ZERO का बैकडोर खोला जा सके।
– लेकिन वो कोड सिर्फ उस इंसान के खून से खुलेगा, जिसकी पहचान ZERO के सिस्टम में Primary Key है।
– सवाल उठे
“कौन बलिदान देगा? असली? या वो जिसे ज़िंदा ही इसलिए किया गया?”


मिलते अगले भाग में आपको कैसा लगा भाग कॉमेंट में जरूर बताना