जहां एक तरफ raw के लिए एक समस्या जन्म ले चुकी थी । वहीं दूसरी तरह अलग ही खेल चल रहा था जगह मुंबई जहा पर अजीबो अजीब घटनाएं होने लगी ओर कमिश्नर देशमुख के सर का दर्द बन चुका था ।
मुंबई 2099 – लूट की गुत्थी
मुंबई, जहाँ लोग अपने सपनों का वजन लेकर आते थे, अब 2099 में और भी तेज़, और भी हाई-टेक हो चुका था। आसमान छूती इमारतें, उड़ने वाली टैक्सियाँ, हर इंसान के हाथ में आर्टिफ़िशियल-इंटेलिजेंस डिवाइस। लेकिन इसी चमक-दमक के बीच एक ऐसा साया पैदा हुआ, जिसने पूरी पुलिस फोर्स की नींद उड़ा दी।
सात महीने से लगातार लूट की घटनाएँ हो रही थीं। हर रोज़ शहर के किसी न किसी थाने में लाखों-करोड़ों की डकैती दर्ज हो रही थी। पुलिस कभी एक लुटेरे को पकड़ती, कभी दूसरे को, लेकिन जैसे ही पूछताछ शुरू होती, सामने आने वाला शख़्स कहता –
“मैंने कुछ नहीं किया… मैं तो उस रात घर पर था।”
गवाह कहते –
“नहीं… हमने इसी को देखा था लूट करते हुए।”
सीसीटीवी, आर्टिफ़िशियल स्कैनर, यहां तक कि DNA टेस्ट तक यही साबित करते कि वही शख्स लुटेरा है। लेकिन असली सच्चाई हर बार और भी उलझन भरी हो जाती।
घटना वाली जगह
पहली घटना – हीरा कारोबारी का घर
मुंबई के पेडर रोड पर एक नामी हीरा कारोबारी सुरेश शाह का घर था। आधी रात को अचानक घर का सेफ और लॉकर खाली हो गया। करोड़ों की नकदी और हीरे-जेवर गायब।
परिवार ने पुलिस को बयान दिया –
“लूटने वाला… सुरेशभाई ही थे।”
पुलिस हैरान –
“क्या? अपने ही घर से…?”
बेटा बोला –
“हाँ! हम सबने अपनी आँखों से देखा, पापा लॉकर से सब निकालकर किसी हाई-टेक बैग में भर रहे थे और फिर बाहर निकल गए।”
पुलिस ने सुरेश शाह को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में उन्होंने कहा –
“मैं? मैंने तो कुछ किया ही नहीं… उस रात तो मैं अपने कमरे में सो रहा था। CCTV देख लो।”
जब CCTV निकाला गया… उसमें साफ़ सुरेश शाह ही दिख रहे थे, जो नकदी और हीरे लेकर भाग रहे थे।
पुलिस ने DNA टेस्ट किया – रिजल्ट भी सुरेश शाह का ही आया।
सबूत पक्के।
लेकिन असली सवाल ये था –
अगर वो अपराधी है तो उसी समय अपने कमरे में गहरी नींद में कैसे सो रहा था?
घरवाले, नौकर, सब गवाही दे रहे थे कि सुरेश शाह अपने बेडरूम में मौजूद थे।
कमिश्नर अरुण देशमुख ने अपने ऑफिस में हाथ पटकते हुए कहा –
“ये कोई इंसानी काम नहीं है… कोई नई टेक्नॉलॉजी, कोई नया खेल चल रहा है।”
साइबर सेल ने अनुमान लगाया कि कोई ह्यूमन क्लोनिंग टेक्नॉलॉजी या होलोग्राफिक AI का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन सवाल था – किसके पास इतनी हाई-टेक सुविधा थी? और क्यों?
2099 का मुंबई अब दो हिस्सों में बँट गया था –
1. अमीर और कारोबारी वर्ग – जिन्हें हर पल डर था कि अगली बारी उनकी होगी।
2. गरीब और आम जनता – जिनके लिए ये किसी साइंस-फिक्शन जैसी अफवाहें थीं, लेकिन डर उनके दिलों में भी समा गया था।
हर रोज़ अखबारों में हेडलाइन छपती –
“मुंबई का नया ‘डुप्लीकेट चोर’ फिर सक्रिय, पुलिस के हाथ खाली।”
“क्या इंसान खुद अपनी लूट कर रहे हैं?”
रहस्य की शुरुआत
एक रात, कमिश्नर देशमुख के पास एक गुप्त कॉल आया –
“अगर सच जानना चाहते हो… तो मरीन ड्राइव की उस पुरानी सुरंग में आधी रात को आना… लेकिन अकेले।”
कमिश्नर को पहली बार लगा कि शायद असली मास्टरमाइंड उनके सामने आ सकता है।
उसके कदम आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक उसके सामने वो हुआ जिसकी कल्पना वो कर भी नहीं सकता था ।
सर शहर रात में भी जाग रहा था ,जैसा कि मुंबई के बारे में कहते है मुंबई 24 घंटे जगाती है ।
लेकिन वहाँ जो उन्होंने देखा, वह मानव इतिहास का सबसे बड़ा झटका था…
उसने अपनी आँखें मसल कर फिर से देखा,उसको अभी भी यकीन नहीं हो रहा था ,।
क्योंकि सामने कुछ ऐसा था कि उसका दिमाग उसके पैरों तले आ गया ।
Next episode 6 में मिलते है
सवाल छोड़े जा रहा हु ,, कौन था उसके सामने ? कोई जानवर या शैतान
या कोई उसका अपना ??