Operation Mirror - 7 in Hindi Science-Fiction by bhagwat singh naruka books and stories PDF | Operation Mirror - 7

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Operation Mirror - 7



मुंबई 2099 – साधारण सा आदमी

मुंबई की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में एक ऐसा चेहरा भी था, जिसे लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते।
नाम था अनिरुद्ध तिवारी, उम्र महज 28 साल।

हर सुबह वही रूटीन –
मेट्रो पकड़ना, ऑफिस पहुँचना, बॉस की डाँट सुनना, और सहकर्मियों के ताने झेलना।
लोग उसे हल्के में लेते, हँसी उड़ाते, और अक्सर कहते –
“ये लड़का कभी लाइफ में कुछ नहीं कर सकता।”

लेकिन अनिरुद्ध की एक अजीब सी खूबी थी –
वो हर बात पर हँस देता था, चाहे हालात कितने भी बुरे हों।
उसकी हँसी लोगों को नकली लगती, बेवकूफ़ी लगती।
पर सच ये था कि उसकी वही हँसी कई बार किसी अनजान इंसान का दिन बेहतर बना देती थी। उसका मानना था उसके बेवजह हंसी मुस्कान से लोग खुशी भी रहते थे ,ओर कुछ चिड़चिड़े भी ।
लेकिन दिल का साफ है 

ऑफिस से लौटते वक्त वो अक्सर रास्ते में किसी की मदद कर देता –
कभी बुज़ुर्ग का सामान उठाना, कभी किसी अनजान बच्चे को सुरक्षित घर पहुँचाना, कभी किसी गरीब को खाना खिला देना।
उसे न पहचान चाहिए थी, न बदले में शुक्रिया।
वो बस कह देता –
“खुश रहो, हँसी से बड़ी कोई दवा नहीं।”

लोगों ने उसका नाम ही रख दिया था –
👉 “मुस्कान बाबू”


अकेलापन और मज़ाक उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था । 

उसकी बिल्डिंग में लोग उसे पसंद नहीं करते थे।
कई बार पड़ोसी कहते –
“हर वक़्त हँसता रहता है… ज़रूर पागल है।”
कुछ तो उसे शक की नज़र से भी देखते –
“आजकल जो लूटमार हो रही है, कहीं ये हँसोड़ लड़का भी…”

लड़कियाँ भी उसे गंभीरता से नहीं लेती थीं।
कहतीं –
“ना स्टाइल, ना एटीट्यूड… बिल्कुल जीरो पर्सनालिटी।”

लेकिन अनिरुद्ध को इन सब बातों से फर्क नहीं पड़ता था। सारा दिन फील्ड ओर ऑफिस शाम को लोगो ओर बेजुबान जानवरों की हेल्प, फिर 
वो अपने ही छोटे से कमरे में लौट आता, पुराने गानों की धुन बजाता और खिड़की से बाहर आसमान को देखता।


अनिरुद्ध का राज़ एक अपने आप में राज था , 

पर दुनिया नहीं जानती थी कि अनिरुद्ध इतना साधारण नहीं था।
उसके अंदर एक छुपा हुआ रहस्य था।

रोज़ रात को जब वह अकेला होता, तो अपने पुराने कंप्यूटरों पर घंटों कुछ लिखता, कोड करता।
उसकी उंगलियाँ इतनी तेज़ चलतीं कि कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये वही लड़का है, जो दिनभर मज़ाक का पात्र बनता है। आधी रात को उसके कमरे मानो एक पूरा स्वर्ग उतर आता था । वो मस्त हो कर लगा रहता था ,

उसकी हँसी के पीछे असल में एक गहरी सोच छिपी थी।
वो जानता था कि इस शहर में जो ‘डुप्लीकेट नेटवर्क’ लोगों का रूप लेकर अपराध कर रहा है… उससे कोई साधारण पुलिस या एजेंसी नहीं निपट पाएगी।

और शायद इसी कारण…
वो मुस्कराकर कहता –
“एक दिन हँसता हुआ ये पागल ही मुंबई को बचाएगा।”या फिर ,,,, (कहता कहता रुक जाता है ओर फिर अपने काम पर लग जाता है )


अगली सुबह ____
नेता जी वाला केस

सुबह का समय था। मुंबई पुलिस के कंट्रोल रूम में अचानक अलार्म बजा।
फोन पर घबराई हुई आवाज़ आई –
“साहब! मंत्री राजेश वर्मा के घर करोड़ों की लूट हो गई है।” आप जल्दी पहुंचे 

(आज कल देशमुख साहब घर कम जाने लगे,जब से मुंबई में लूट की घटना तेज हुई है ओर जब से अपने ही डुप्लीकेट से मिले तब से उनका एक ही लक्ष्य बन गया कैसे भी करके उसे पकड़ना,इस लिए रात दिन का नहीं पता )

कमिश्नर देशमुख तुरंत अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचे।
बंगले पर पहुँचकर जो सीन उन्होंने देखा, उससे उनके होश उड़ गए।

देशमुख:
गार्ड से पूछा आपने की रात को कौन आया था ,,?
हवलदार: 
जी साहब,गार्ड यही आप खुद सुन ले ,, 
(गार्ड वही खड़ा था वो डरते हुए बोला )

घटना का सिलसिला

गार्ड ने बयान ____
साहब “कल रात लगभग नौ बजे साहब गाड़ी से आए। हमेशा की तरह उन्होंने मुझे सलाम लिया, मैं भी सलाम कर चुका।
साहब रोज़ जैसे घर के अंदर जाते हैं, वैसे ही गए।
मेडम ने खाना लगाया, साहब ने खाया, बातें भी कीं। फिर रात में वे कमरे में आराम करने चले गए।”ओर उसके बाद में अपने बाहर आ गया अपने दूसरे साथ को फ्री करने,, उसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता ,

मंत्री की पत्नी रोते हुए बोली –
“जी हाँ! मेरे पति बिल्कुल रोज़ की तरह मेरे साथ थे। हमने बातें कीं… मुझे बिल्कुल भी नहीं आभास हुआ कि वो कुछ ऐसा करने वाले है अपने ही घर में ,,,उसके उन्होंने मुझे बाँहों में भरकर सुलाया भी।
लेकिन जब मैं सुबह उठी… तो सब कुछ गायब था – लॉकर खाली, गहने, नकदी सब लुट चुका था।
और मेरे पति भी…!”

देशमुख साहब:
फिर सुबह वो गए तो गेट से ही तो गए होगे ,, तुमने जाते देखा ,,

गार्ड का बयान

गार्ड बोला –
“सुबह करीब चार बजे साहब गाड़ी लेकर बाहर गए। जाते-जाते उन्होंने कहा –
‘मेडम को सात बजे जगा देना और कहना कि मैं किसी काम से बाहर गया हूँ।’
मुझे क्या पता था कि ये… असली साहब नहीं थे।”


पुलिस की उलझन

कमिश्नर देशमुख और उनकी टीम के माथे पर पसीना आ गया।
ये मामला पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक था।
क्योंकि अब लूट सिर्फ पैसों या गहनों तक सीमित नहीं थी, बल्कि एक मंत्री के स्तर तक पहुँच गई थी।
पाटिल तुम सारे सीसीटीवी फुटेज निकलवाओ और देखो यहां कुछ सबूत मिल जाए ,,
(गुस्से से ) बस एक बार हाथ लग बेटे फिर देख कैसी हालत करता हु ,,,


पुलिस ने घर का CCTV फुटेज खंगाला।
जो तस्वीर सामने आई, वह हैरान कर देने वाली थी –
फुटेज में साफ़ दिख रहा था कि वही मंत्री राजेश वर्मा गाड़ी से उतरे, गार्ड को सलाम किया, पत्नी से बातें कीं, खाना खाया… और सुबह घर छोड़कर चले गए।

DNA टेस्ट किया गया, नतीजा वही –
👉 लुटेरा वही था… मंत्री राजेश वर्मा।

लेकिन असली राजेश वर्मा तो रातभर दिल्ली में संसद सत्र में मौजूद थे, और इसका सबूत मीडिया चैनलों पर लाइव प्रसारण से मिल रहा था।

कमिश्नर की बेचैनी

कमिश्नर देशमुख ने टेबल पर मुक्का मारा –
“अब ये सिर्फ़ चोर का केस नहीं है।
ये कोई ऐसी टेक्नॉलॉजी है, जो इंसान की शक्ल, आवाज़, चाल-ढाल, यहाँ तक कि DNA तक कॉपी कर सकती है।
अगर ये सिलसिला नहीं रुका… तो अगली बार कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनकर अपराध कर जाएगा।”

उनकी आवाज़ भारी थी।
पुलिस टीम चुप थी।
हर किसी के दिमाग में बस एक ही सवाल घूम रहा था –

 “अगर असली और नकली में फर्क करना नामुमकिन हो गया है… तो हम किस पर भरोसा करें?”।

हवलदार: पाटिल 

साहब मुझे लगता ये किसी आम आदमी की सोच तो हो नहीं सकती ,जरूर कोई बाहरी व्यक्ति है जो इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है ,। क्योंकि आज हर आदमी टेक्नोलॉजी पर निर्भर है ये जरूर किसी देश की ताकत है जो यहां चोरी लुट कर रहा है ।

देशमुख:
समस्या बड़ी है पाटिल ,,अगर इसको नहीं पकड़ा तो जनता का भरोसा उठा जाएगा हम से ,अब तो ये बात ऊपर तक पहुंच गई होगी ,, ।