यह बात तब की है जब हम लोग नए सरकारी क्वार्टर में शिफ्ट हुए। यह घर अंग्रेजों के दौर के बने हुए थे। यानी कि माइग्रेशन से भी पहले के। जब हम लोग नए-नए घर में शिफ्ट हुए। मैं बड़ी हैप्पी थी। मेरे दो बच्चे हैं तो अपने दोनों बच्चों और शौहर के साथ मैं उस घर में शिफ्ट हुई। यह घर कुछ ऐसी जगह पर थे जहां पर आसपास झाड़ियां, जंगल, कीचड़, छप्पड़ और रात में वहां पर बहुत खौफ आता था। सर्दियों का मौसम था। हम लोग नए जब हम उस घर में शिफ्ट हुए। मुझे उस घर से अजीब सी वाइब्स आ रही थी क्योंकि उसका स्ट्रक्चर बहुत पुराना था। उनके कमरों से बहुत पुरानी वाइब्स आती थी। हमें नहीं पता था वहां हमारे साथ ऐसे मामलात हो जाएंगे जो मैंने जिंदगी में कभी एक्सपीरियंस नहीं किए थे। घर में शिफ्ट होने के तकरीबन एक हफ्ता तो हमारा अच्छा गुजरा लेकिन एक हफ्ते बाद हमारे साथ कुछ पैरानॉर्मल एक्टिविटीज होना शुरू हो गई। यहां पर बताती चलूं मेरे शौहर बहुत ज्यादा हैंडसम है। स्पेशल बताने का मकसद है कुछ एक्स्ट्रा ही। मैंने शादी के बाद में बहुत फील किया है कि मेरे शौहर जब मेरे साथ चल रहे होते हैं तो बहुत लोगों की नजरें इन पर होती है क्योंकि हम लोग यूनिवर्सिटी में भी साथ थे तो मैंने देखा कि कुछ लड़कियां भी इनके पीछे थी खैर मेरे शौहर मेरे साथ बहुत लॉयल है तो मुझे इन चीजों की परवाह नहीं है लेकिन कोई ऐसी मखलूक मेरे शौहर के पीछे लग जाएगी इसका मुझे अंदाजा भी नहीं था घर शिफ्ट होने के एक हफ्ते बाद कुछ ऐसी एक्टिविटी हमारे साथ हुई। हम लोग घर के अंदर सो रहे होते थे अपने कमरे में। हमारे सहन में हमें फील होता था जैसे कोई जल रहा है क्योंकि सर्दियों की रातें थी। पंखे बंद होते थे और इतना सन्नाटा होता था कि अगर कोई हल्की आवाज में भी कदम ले रहा हो तो हमें उसकी आवाज साफ सुनाई दे। हमारे रूम में विंडो थी। उससे झांक कर बाहर देखते थे तो हमें कोई दिखाई नहीं देता था। शुरू में हमने अपना वहम समझकर इन बातों को इग्नोर कर दिया। अक्सर ऐसा भी होता था कि हमें छत से किसी के चलने की आवाज सुनाई देती थी। जैसे कोई हमारी छत पर भारी पांव से चल रहा है। घर के सहन से सीढ़ियां ऊपर जाती थी जो मजबूत सीढ़ियां थी। जो ऊपर जाकर देखा जाता तो ऊपर कोई दिखाई ना देता। बात यहां खत्म नहीं हुई। एक रात मैं और मेरे हस्बैंड अपने बेड में सो रहे थे। रात के एक पहर मुझे अपने कमरे में कुछ आहट सुनाई देती है जिससे मेरी आंख खुल जाती है। कमरे में चारों तरफ का मंसर देखती हूं। अंधेरा होता है। बच्चे दूसरे कमरे में सो रहे थे। मेरे बेड के बिल्कुल पांव की तरफ सामने ड्रेसिंग टेबल थी। जिसमें बड़ा सा शीशा लगा हुआ था। मुझे उसके शीशे में एक औरत दिखाई देती है जो मेरे हस्बैंड के सिराहाने खड़ी होती है और मेरे हस्बैंड को बड़े गौर से देख रही होती है। मेरे हस्बैंड सो रहे होते हैं और मैं क्या बताऊं अदनान भाई कि वो कितनी हसीन थी जिसका कोई जवाब नहीं है। ये एक्टिविटीज हमारे साथ दिन में नहीं होती थी। रात में ही होती थी और एक मखसूस टाइम था। वो हमें तंग भी करना शुरू हो गई। अक्सर रात को हमारे घर की बेल बजती थी और जब जाकर देखते थे तो गली सुनसान पड़ी होती थी। कोई भी दिखाई नहीं देता था। एक बार ऐसे ही मेरे हस्बैंड घर पर नहीं थे। मेरी उस दिन तबीयत बहुत खराब थी। मेरे हस्बैंड से कहा कि आते हुए होटल से कुछ सालन और रोटियां लेते आना। आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए खाना बनाने की हिम्मत नहीं है। वो भी घर पर नहीं आए थे। शाम होने वाली थी। वहां कुछ ही घर थे जो हमारी बैरेक्स में थे और उन घरों के बच्चे जो वो खेलने के लिए करीबी एक ग्राउंड में गए हुए थे। तो इसीलिए गली की बिल्कुल रौनक खत्म हुई हुई थी। गली सुनसान थी। मैं घर में अकेली थी और मेरे बच्चे भी खेलने गए हुए थे कि फिर से बेल बजती है। मैं उस बेल से डर जाती हूं क्योंकि वह बेल एक नॉर्मल बेल नहीं थी। वो बिल्कुल वैसी ही बेल थी। जो अक्सर पुरसरार बेल बजा करती थी। मैं बताती चलूं जो बेल वो देती थी उसका खास अंदाज होता था बेल बजाने का। वही अंदाज में बेल बजती है। मैं थोड़ा दिल ही दिल में घबरा जाती हूं। फिर मैं इंतजार करती हूं कि दोबारा बेल बजेगी तो जाकर देखूं। मेरी आदत थी। मैं पहले पूछती थी कौन है? फिर ही दरवाजा खोलती थी। यह मेरी शुरू से ही आदत थी। अपने घर में भी चाहे क्यों ना मेरे हस्बैंड घर आए हो। फिर भी एक दफा जरूर पूछती थी कि कौन है? फॉर सिक्योरिटी पर्पस। मैंने पूछा कौन है? दोबारा जब बेल बजती है तो मैं पूछती हूं कौन है? आगे से कोई जवाब नहीं आता। मैं फिर से पूछती हूं। कौन है? कोई जवाब नहीं आता। ऐसे में मैं खड़ी हो जाती हूं। मैं फिर वेट करती हूं बेल बजने का। यह दोबारा बेल बजेगी तो मैं एकदम से दरवाजा खोल के आज देखूं कौन है। और ऐसे में एकदम से दोबारा बेल बजती है। मैं फौरन से भाग कर जाती हूं। दरवाजा खोलती हूं तो देखती हूं कि एक औरत थी जो भागती हुई गली के कोने में हमारे उस दीवार के पीछे जहां पर घर खत्म हो रहा था। वहां फौरन से छुप जाती है। हैरत की बात यह थी कि वहां से उस घर के कोने का जो डिस्टेंस था वो बहुत ज्यादा था। इतना टाइम मैंने नहीं लगाया दरवाजा खोलने में कि जितने टाइम में वो रास्ता तय करके गली के कोने में जाकर छुप गई। यह मेरे लिए हैरानक बात थी। अभी मैंने उस कड़ी को उस शीशे में देखने वाली औरत से नहीं जोड़ा था। इस सीन को मैं अलग ही समझ रही थी। पर दोनों ही सीन बहुत ही अजीब थे। मैं बताती चलूं हमारे पास गाड़ी थी पुरानी मेहरान। हम उसे तब यूज करते थे जब हमने या तो मेरे महके जाना होता था या हमने कहीं घूमने फिरने जाना होता था। अदरवाइज वो गाड़ी खड़ी रहती थी हमारे घर के बाहर। मेरे हस्बैंड का ऑफिस बहुत करीब था। वो पैदल भी चल के जा सकते थे। लेकिन वो बाइक पर जाया करते थे। एक बार मेरे हस्बैंड बाहर अपने किसी दोस्त की दावत में गए हुए थे तो टाइम से वह वापस भी आ गए। उसके दूसरे दिन मुझे मोहल्ले की औरत आगे बोलती है बाजी कल रात कहां गई थी? कहां घूमने गई हुई थी? उसका स्टाइल ऐसा था बहुत नॉर्मल। मैंने कहा मैं तो कहीं नहीं गई। तो कहने लगी रात में भाई के साथ गाड़ी में नहीं बैठी थी। मैंने तो खुद देखा था आपको। गाड़ी आपके दरवाजे पर रुकी और आप घर में एंटर हुई थी। भाई ने गाड़ी पार्क की और उसके बाद वह भी अंदर गए। अच्छा यहां मैंने बात को घुमाया क्योंकि मेरे हस्बैंड पर बात कुछ और ही आ रही थी। अगर मैं इस बात से मुकर जाती तो मोहल्ले के लोग बोलते कि इसका हस्बैंड शायद किसी और लड़की के साथ घर में आया है। हालांकि मुझे यहां पे अंदाजा हो चुका था कि मामलात कुछ और हैं। मैंने अपने हस्बैंड से पूछा मैंने कहा कि क्या तुम्हें कभी कुछ फील हुआ है? मैं कुछ दिनों से इस घर में एक्टिविटीज फील कर रही हूं। मेरे हस्बैंड की आंखें ऐसी थी जैसे वो मुझसे कुछ छुपा रहे हो। कुछ बताना चाह रहे हैं पर बता नहीं पा रहे। मैंने कहा देखो हमारे बच्चे हैं छोटे-छोटे। मुझे कुछ अजीब लग रहा है यहां पे कुछ है। अगर तुम्हें कुछ दिखा है तो मुझे बताओ। मेरे हस्बैंड फिर कहने लगे उन्होंने अपनी शर्ट उठाई और दिखाया। मेरे हस्बैंड के जिस्म पर नेल के निशान थे। उन्होंने कहा मैं नहीं जानता ये कहां से लगे। लेकिन मैं सोकर उठता हूं तो ताजे होते हैं। लेकिन कुछ अरसे से मेरे साथ इस घर में यह मामलात हो रहे हैं। पर मैं तुम्हें इसलिए नहीं बता रहा था कि तुम डर जाओगी। खैर बात मैच हो गई। कुछ था जो हमारे साथ था और हमारे घर में था। सर्दियों की रात थी। एक रात तेज बारिश हो रही थी। बहुत तूफानी बारिश। ऊपर से ठंड भी बहुत शदीद हो गई। अब आपको तो पता ही है कि सर्दियों की बारिश में सर्दी और बढ़ जाती है। हम अपने बिस्तरों में घुसे हुए थे। रात का टाइम था कि हमें ऐसा लगा जैसे कोई एक मेटल की रड हमारे दरवाजे पर थोड़ी-थोड़ी देर से हिट कर रहा है। मैं बताती चलूं के हम पांच वक्त की नमाज और कुरान शरीफ बकायदगी से पढ़ते थे। शायद वो बुरी तरह से मेरे हस्बैंड पर हावी नहीं हो पा रही थी। तो इसीलिए हमें डरा ही रही थी। बैक टू द स्टोरी। रात का टाइम था। हमें मेटल की आवाज दरवाजे पर लगने की आवाज आती है। बार-बार हल्कीहल्की हिट होती। वह आवाज बहुत करीबी थी। डराने वाली आवाज थी। हम नींद से बेदार हुए। मैं मेरे हस्बैंड बच्चे अब हम अपने साथ ही सुलाया करते थे। जब से यह वाक्यात हमारे साथ शुरू हुए थे, हमारे बच्चे सो रहे थे और मैं और मेरे हस्बैंड नींद से बेदार हुए। मेरे हस्बैंड ने और मैंने एक दूसरे का मुंह देखा क्योंकि यह आवाज नॉर्मल नहीं थी। ना ही कोई दरवाजे के साथ कोई दरख्त, पौधा या कोई टहनी जो बार-बार दरवाजे से टकराती और ऐसी आवाज आती। यह कुछ स्पेशल आवाज थी जो कोई स्पेशली हमारे दरवाजे पर कोई लोहे की रड मार रहा हो। अब बारिश की आवाज में और साथ में वो आवाज आना साथ-साथ बादलों की गरज चमक की आवाज। अब यह सब बहुत खौफनाक था। लाइट गई हुई थी। हमने मोमबत्ती जलाई। कमरे में हल्की सी रोशनी हो गई। मेरे हस्बैंड ने कहा कि मैं जाकर देखता हूं। यह कौन है? मैंने मना किया कि नहीं वैसे ही हमारे साथ मामलात ठीक नहीं चल रहे। यहां मैं आपको बताना भूल गई कि शुरू की उन पैनॉर्मल एक्टिविटीज से मेरे हस्बैंड ने अपने ऑफिस में एक रिक्वेस्ट डाली कि मेरा क्वार्टर चेंज कर दिया जाए। अब वो क्वार्टर चेंज होने में टाइम लगता है। उसे प्रोसीड होने में टाइम लगना था। मेरे हस्बैंड ने कहा बस अल्लाह की इबादत करो। नमाज रोजा करो इस घर में। यह चीजें हम पर असर नहीं कर सकती। हां, छोटे बच्चे हैं, डरते हैं और हमें भी डर लगता है। तो इसलिए मैंने रिक्वेस्ट तो डाल दी है। इंशा्लाह जल्दी हमें क्वार्टर अलॉट हो जाएगा। खैर बैक टू द स्टोरी। माज़रत के साथ कुछ तफसीलात मैंने शुरू में नहीं दी। मैं बीच में भी दे रही हूं। वो यह है कि मेरे हस्बैंड ने कहा कि मैं जाकर देखता हूं कि कौन है। मैंने मना कर दिया कि मुझे बहुत डर लग रहा था। हमारे खौफ के मारे बहुत बुरी हालत थी। खैर फिर मेरे हस्बैंड ने कहा अगर आप ऐसी चीजों से डरो तो यह आप पर और हावी हो जाते हैं। मुझे जाके देखना चाहिए। इन चीजों का सामना करना चाहिए। अल्लाह की ताकत से बड़ी ताकत नहीं है। हम नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह का जिक्र करते हैं। तो इंशा्लाह कुछ नहीं होगा। मेरे हस्बैंड ने जिक्रकार शुरू कर दिया और इसके बाद वो कमरे से बाहर निकले। उन्होंने मुझे कहा था कि दरवाजे पर खड़े रहो। जैसे ही मैं वापस आऊंगा फौरन से दरवाजा खोल देना। तुम यहां स्टैंड बाय होना और जब तक मैं बाहर हूं तो तुम दरवाजा पीछे से बंद रखना। तो खिड़की से मुझे देखते रहना। मैंने कहा ठीक है। मेरे हस्बैंड आहिस्ताआहिस्ता सहन दरवाजे की तरफ बढ़ते जा रहे थे। घर का नक्शा ऐसा था कि दो कमरे थे घर के कोने में और सहन क्रॉस करके मेन गेट था। मेरे हस्बैंड मुझे खिड़की से नजर आ रहे थे जो ज़हन में आहिस्ता-आहिस्ता मेन गेट की तरफ बढ़ रहे थे। बारिश तेज थी और बारिश के बास विजिबिलिटी थोड़ी कम थी। इस वजह से मुझे अपने हस्बैंड प्रॉपर दिखाई नहीं दे रहे थे। क्योंकि रात का अंधेरा भी था। खैर मेरे हस्बैंड दरवाजा नहीं खोलते। उन्होंने प्लान यह किया था कि दीवार पर चढ़कर बाहर की तरफ देखेंगे दरवाजे पर कौन है। मेरे हस्बैंड दीवार पर दोनों हाथ रख के ऊपर होते हैं और बाहर देखते हैं। उन्होंने बाहर देखते ही थोड़ी देर में वापस छलांग मारी और कमरे की तरफ आए। जैसे ही वो दरवाजे पर पहुंचे, मैंने दरवाजा खोला। वो अंदर आए सर्दी और बारिश की वजह से उनको शदीद सर्दी लग रही थी। मैंने फौरन से उन पर कंबल डाला और उसके बाद मैंने उनसे पूछा कि आपने क्या देखा? उन्होंने कहा कि एक औरत बिल्कुल यंग और औरत जो कि दरवाजे के पास बैठी है उसके हाथ में एक कटोरा है जो भारी मेटल का बना हुआ था। वो उसे दरवाजे पर ठोक रही थी। पहले तो लगा मुझे कोई फकीर नहीं है। लेकिन इतनी सर्दी में और बारिश में कोई फकीर नहीं हो सकता। मैंने जब ऊपर से झांक के देखा तो उसका आई कांटेक्ट मुझसे हुआ और इसके बाद मेरी जान निकल गई। जब उसकी आंखों से लाल कलर की रोशनी निकल रही थी। वो कुछ अजीब सी थी। बहुत खौफनाक जिसने मुझे बुरी तरह डरा दिया। खैर ये रात भी गुजर गई। मेरे हस्बैंड ने ऑफिस में बाज जरा तेज चला दी ताकि हमारा काम तेजी से चले। प्रोसेसिस हो और हमें दूसरा क्वार्टर अ लॉट हो। इतने पैसे नहीं थे कि हम एक प्राइवेट जगह पर आबादी वाली जगह पर जाकर कोई रेंट पर घर लें क्योंकि उसके लिए भी एडवांस भी देना पड़ता है। हम एक मिडिल फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन वो भी हमारा आखिरी ही हल था। अगर खुदा ना खास्ता हमें कोई घर ना मिलता तो हमारा फिर यही आखिरी हल था कि हम बाहर आबादी में सिविलियंस के साथ कोई घर देख लें। मैं यहां एक बात बताना चाहूंगी। हमारे घर में हमारे उस कमरे में जहां हम सोते थे एक बड़ा सा एक होल था। बाहर से उस होल में से हमारे कमरे में देखा जा सकता था। लेकिन उस तरफ झाड़ियां थी, जंगल था, आबादी नहीं थी। ना ही गली का कोई हिस्सा था कि चलते फिरते लोग उस होल से अंदर देख सकें। इसलिए हमें उसे नॉर्मल लिया। उसे फिल करने का भी सोचा हुआ था कि जिस दिन मेरे हस्बैंड की छुट्टी होगी थोड़ा सा सीमेंट लाकर उन होल्स को फिल कर सकें क्योंकि और छोटे-छोटे भी बहुत ज्यादा होल्स थे। लेकिन जब से ये मामलात शुरू हुए मुझे उस वाले होल्स से ज्यादा डर लगने लगा। मैंने हस्बैंड से कहा कि बस इसे जल्दी से जल्द फिल करें। फिलहाल मैंने इसमें कागज के कुछ टुकड़े फसा रखे थे और मैं बेफिक्र थी कि जिस दिन हस्बैंड को टाइम मिलेगा वह लगा के होल्स को फिल कर देंगे। एक रात ऐसी ही हम सो रहे थे। यह उस वाक्य से दूसरी या तीसरी रात की बात है। जब औरत हमारे दरवाजे पर मेटल का कटोरा मार रही थी। एक रात हम सो रहे थे। अब हम सोते वक्त अपने कमरे की लाइट ऑन रखते थे। और यह जब से मामलात शुरू हुए मेरी अक्सर रात में आंख खुल जाया करती थी। उस रात मैं सो रही थी कि मुझे बड़ी स्ट्रांग फीलिंग आने लगी कि जैसे कोई मुझे देख रहा है। सोते में मेरी आंख खुल गई। मैंने अपने कमरे के चारों तरफ देखा कोई नहीं था। फिर मेरी नजर उस होल पर पड़ती है जो कमरे में कोने में था। अच्छा खासा बड़ा होल था। लेकिन मेरा दिमाग चौंक गया। यह देखकर कि उसमें जो कागज मैंने फसाया रखा था वह अब नहीं है। और उस होल के पार से मुझे आंख दिखाई दे रही थी जो हमें कमरे में देख रही थी। कोई ऐसी आंख जो लाल अंगारे की तरह थी। कोई पीछे की तरफ खड़ा था जो हमें देख रहा था। मुझ पर सकता तारी हो गया। मैं जिस्म नहीं हिला पा रही थी। दिमाग जाग रहा था। आंखें खुली थी उसे देख रही थी। पर कुछ कर नहीं पा रही थी ना चीख पा रही थी। मैं अंदर से चीखना चाह रही थी। अपने हस्बैंड को उठाना चाह रही थी। मेरे हस्बैंड साथ ही सो रहे थे। मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उन्हें हाथ लगाकर उठा सकूं। काफी देर तक यह अमल चलता रहा। वो खौफनाक आंख मुझे देखे जा रही थी। फिर एक दम ऐसा होता है कि वो आंख उस होल से पीछे हटती है और गायब हो जाती है। मुझ में हिम्मत आती है। मेरा जिस्म आजाद होता है और मैं उठकर फौरन से अपने हस्बैंड को डालती हूं और बताती हूं कि ऐसे-से उस होल में से वो एक आंख अंदर की तरफ देख रही थी। मेरे हस्बैंड भी घबरा जाते हैं। मैं दोबारा से कुछ कागज, कुछ ज्यादा सी चीजें होल में फंसा देते हैं। दिन में मेरे हस्बैंड ने सीमेंट लगाकर इस होल को फिल किया। यह मामलात हमारे साथ दोबारा होने लगे थे। यानी कि जिसको भी मैं यह किस्सा सुनाती हूं। वो कहती है कि तुम जिंदा कैसे हो? उससे अगली ही रात हमारे साथ एक और वाक्या होता। रात को मेरे हस्बैंड हम बेड पर सो रहे थे। बताती चलूं डबल बेड का बड़ा सा बेड है हमारा फुल मास्टर साइज। चारपाई पे हमने बच्चे सुला रखे थे जो मैंने कमरे में ही बिछा रखी थी। मेरे हस्बैंड बेड के दूसरे कोने में थे। मैं बैठ के इस कोने में रात में हस्ब मामूल मेरी आंख खुलती। मैं क्या देखती हूं? वो जो ड्रेसिंग टेबल का जो शीशा था, ऐसे ही मेरी नजर उसमें जाती है। मैं देखती हूं कि हम दोनों के दरमियान ही कोई लेटा हुआ है। यह बात बताने में शायद नॉर्मल लगे। लेकिन जब मैंने उसकी एकिस्टेंस फील की तो मेरी जान निकल गई। वही सिचुएशन थी। मुझ पर सक्ता तारी हो गया। मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी। मैं हिल नहीं पा रही थी। मेरा दिमाग जाग रहा था। मेरी आंखें खुली थी और ऐसे जैसे कोई हमारे साथ लेटा हुआ है। बीच में उसका मुंह मेरे हस्बैंड की साइड पर था और वो कोई औरत थी। मुझे अपने सिराने की साइड पर तेज सांस लेने की आवाज आ रही थी। जबकि मेरे हस्बैंड को कोई होश नहीं थी। जब मेरी नजर अपने बेड पर पड़ी तो मुझे अपने बेड पर कोई नजर नहीं आया। शीशे में मुझे अपने और हस्बैंड के दरमियान कोई लेटा हुआ दिखाई दे रहा था। यानी वह मुझे शीशे में दिखाई दे रही थी। यमल दो से ढाई घंटे चलता रहा। अदनान भाई आप मेरा यकीन करें। दो ढाई घंटे मैं ऐसे ही थी कि मैं ना सोई हुई थी ना जाग रही थी। मेरा दिमाग जाग रहा था। मेरी आंखें खुली थी। कोई हरकत नहीं। कोई कुछ नहीं बोल पा रही थी। आज मुझे समझ आया कि मेरे हस्बैंड के जिस्म पर रात में नाखून के निशान क्यों होते थे। उसने हाथ मेरे हस्बैंड के चेस्ट पर रखा था। मेरे हस्बैंड सो रहे थे। उन्हें कुछ समझ नहीं आई। खैर, उसके बाद दिल दहला देने वाला मंजर यह था कि वह औरत बेड पर उठकर बैठ गई। यह सब सिर्फ मुझे शीशे में दिखाई दे रहा था। अपने बेड पर देखने पर मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। यहां मुझे रियलिटी में वह इनविज़िबल लग रही थी और सिर्फ शीशे में दिख रही थी। मेरी नजर शीशे पर टिकी हुई थी। और उठती है मेरे हस्बैंड के मुंह के पास। बहुत करीब जाके मेरे हस्बैंड को देखती है। फिर मुझे आकर देखती है। मेरे मुंह की तरफ देखती है और फिर उठकर बैठ के पंतियों की साइड से दरवाजे की तरफ जाती है और दरवाजे के आरपार बाहर निकल जाती है। मतलब कि दरवाजा खोलती नहीं है। दरवाजे के अंदर से ही गुजर जाती है और वैसे ही मेरे ऊपर से वो सक्ता उतर जाता है और मैं चीखना शुरू हो जाती हूं। वो रात मुझ पर बहुत भारी थी और मैं अबकी बार बहुत ज्यादा डर गई थी। पूरी रात मेरे हस्बैंड मुझ पर कुरान की तिलावत करके फकते रहे। उन्होंने मुझ पर दम करके पानी भी दिया जो मैंने पिया। खैर वो रात भी गुजर गई। मेरे हस्बैंड ने अपने ऑफिस में भी किसी से बात की हुई थी कि मेरे साथ ऐसे मामलात हो रहे हैं। अदान भाई अब सुनने वालों को मैं कहना चाहूंगी जिनको बहुत ज्यादा डर लगता है वो यह स्टोरी आगे ना सुने क्योंकि अब जो होने वाला था उसने मेरी रूह तक को हिला दिया था। एक रात मैं ऐसे ही सो रही थी कि मुझे रात में अपने बेड के नीचे से कुछ हरकत सी महसूस हुई जैसे मेरे बेड के नीचे कोई है। मैं क्या बताऊं कि मुझ पर डर गालिब होने लगा। मैं बहुत ज्यादा डर गई। और मुझे बकायदा फील हो रहा था जैसे मेरे बेड के नीचे कोई मौजूद है। मेरे हस्बैंड भी सो रहे थे और मेरी ही आदत थी कि रात को मेरी आंख खुल जाया करती थी। अब मैं बेड से नीचे उतरूंगी तो मुझे डर है कि कोई मेरा पैर ना पकड़ ले। लेकिन यह बात तो तय थी कि कोई एक बेड के नीचे था। क्योंकि नीचे हलचल थी। जैसे कोई बेड के नीचे लेटा हो और अजीब तरीके से सांस ले रहा हो। वो सांसों की आवाज भी कुछ अजीब थी। एक नॉर्मल इंसान की सांस लेने की आवाज से कुछ डिफरेंट थी और बहुत ज्यादा खौफनाक। खैर काफी देर मैंने इंतजार किया। अब मेरी कैफियत वैसी हो जाया करती थी जब कोई पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती थी। तो मेरी कैफियत यही होती थी कि मैं सक्ते की हालत में चली जाती थी। इस बार मैंने दिल ही दिल में आयतुल कुर्सी पढ़ना शुरू की और मैंने हिम्मत करके जब बेड से नीचे सर करके उस गैप से नीचे देखने की हिम्मत की तो मैं क्या बताऊं कि एक दिल दहला देने वाला मंजर मेरे सामने था। वही औरत मेरे बेड के नीचे लेटी हुई थी। उसका मुंह उस तरफ था और उसने मुझे नहीं देखा। मैं उसे देखकर बुरी तरह घबरा गई और मैंने डर के मारे अपने हस्बैंड को हाथ लगाना शुरू कर दिया। उन्हें हिलाना शुरू कर दिया। जैसे ही मेरे हस्बैंड उठे उन्होंने उठते ही लाइट ऑन कर दी। अब अदनान भाई यहां बताना चाहूंगी कि आपकी कई स्टोरी सुनी है। उसमें ऐसा होता है ना कि कोई एक्टिविटी होती है। उसके बाद जब जाकर देखा जाता है तो वहां कोई नहीं होता। लेकिन यहां मामलात कुछ और ही थे। उसने अपना आप हम पर जाहिर करना शुरू कर दिया था। अब हमें ऐसे लगने लगा जैसे वो खिसक-किसक के बेड्स के नीचे से बाहर निकली है और वो मेरी वाली साइड से निकली है। यानी अब उसे पूरा बेड का राउंड लेके बाहर जाना था और बीच में वही शीशा आना था। बजाहिर वो हमें दिखाई नहीं दे रही थी। लेकिन जब वो शीशे के सामने से गुजरती है वो इतनी खौफनाक कि उसका चेहरा जला हुआ था। पहले जब मैंने उसे बेड के नीचे देखा था वो वही खूबसूरत औरत थी जो बेड के नीचे लेटी थी। लेकिन जब वो उस आईने के सामने से गुजरती है तो उसका चेहरा जला हुआ था। बहुत खौफनाक किस्म की वो औरत थी। यह मंजर मैंने और मेरे हस्बैंड ने हम दोनों ने देखा और हमारी चीखें निकल गई। हमने अपने बच्चों को उठाया और घर से बाहर भाग गए। हमने तकरीबन एक दो घंटे बाहर गुजारे। उसके बाद मेरे हस्बैंड घर में आते हैं। घर का जायजा लेते हैं और बच्चों को लाकर लुटा देते हैं। हमारे साथ यह मामला कुछ ज्यादा ही हो गया था। दूसरा दिन होता है मेरे पड़ोस वाली मेरे घर पर आती है। मुझे कहती है कि पाजी आप रात में छत पर बहुत घूमती है। इतनी रात में छत पर ना जाया करें। मैंने अक्सर देखा है आपको। आप छत पर रात में वॉक कर रही होती है। उफ अल्लाह उसकी बात सुनकर मैं फिर से डर गई। लेकिन यह कोई नई बात नहीं थी। हमारे साथ बहुत से मामलात हो रहे थे। यह भी उसकी एक कड़ी थी। मैं उसकी बात तो समझ गई। लेकिन मैंने उसे आगे की बात नहीं बताई। मैंने कहा कि यह बच्चों वाली है। बिला वजह डर जाएगी क्योंकि मामलात सिर्फ हमारे ही घर में हो रहे थे और किसी को इसके बारे में कुछ पता नहीं था। एक रात मैंने आलू गोश्त बनाया। मैंने अपने हस्बैंड के साथ रात को खाना खाया और फिर हम लोग खाना खाकर अपने बिस्तर पर लेट गए। सर्दियों का मौसम था इसलिए मैं फ्रिज नहीं चलाती थी। मैं किचन में ही सालन को ढक कर रख देती थी। टेंपरेचर की वजह से सालन खराब नहीं होता था। जो बचा कुचा सालन होता था। हम सुबह नाश्ते में इस्तेमाल कर लेते थे। रात अब उसी टाइम पर जब हम लोग सो रहे थे। मुझे ऐसा लगता है जैसे फिर से सहन में चहलकदमी होना शुरू हुई है। इस बार मेरे हस्बैंड भी मेरे साथ जाग गए। उन्होंने मुझे कहा कि वो फिर से आ गई है। तुम दिल छोटा मत करो डरो नहीं और आयतुल कुर्सी पढ़ो और सोने की कोशिश करो। जितना हम इससे खौफ खाते हैं हम पर अपना डर गालिब कर रही है। तो बेहतर यह है कि इसे इग्नोर करने की कोशिश करो। मैं जल्दी किसी से बात करता हूं और किसी आमिल वगैरह को घर पर लेकर आता हूं। बहाल अदनान भाई यह कोई छोटी बात नहीं थी। आप खुद सोचें एक गैर मरी मखलूक जो हमारे घर में हमारे साथ एकिस्ट कर रही है और उसके बारे में मुझे पता भी है कि वो इस टाइम हमारे घर में भी है। वे सोचे कैसे नींद आएगी और आप कैसे उसे इग्नोर कर सकते हैं। कुछ देर बाद हमें वॉक करते-करते फील हुआ जैसे वो हमारे किचन में गई है। यहां मैं बताती चलूं दो कमरों के साथ एक बरामदा था और कोने में एक किचन था और उस किचन के साथ ही कोने में वाशरूम था। उस वाशरूम के ऊपर से सीढ़ियां छत पर जाती थी। तो जब भी हमें ऐसा लगना कि वो हमारे सहन में चल रही है तो बकायदा ऊपर सीढ़ियों से नीचे उतरने की आवाज आती थी और नीचे सहन में वह कुछ देर टहलती थी। उसके बाद ऐसा लगा जैसे वह ब्रामदे में आई है। हमने खिड़की बंद की हुई थी। हमें चलते-चलते वो फील हुआ कि किचन की साइड गई है। किचन में हमें बकायदा बर्तनों की आवाज आई। मुझे उसी देचकी की आवाज आई जिसमें मैंने सालन रखा हुआ था। मुझे ऐसा लगा जैसे वो किचन में गई है और सालन के साथ छेड़छाड़ कर रही है। मेरे हस्बैंड से भी बात बर्दाश्त नहीं हुई कि यह कुछ ज्यादा ही हो रहा है। मेरे हस्बैंड उठे उन्होंने कहा कि मैं जाकर देखता हूं। वो दबे पांव अपना दरवाजा खोलते हैं और किचन की तरफ जाने लगते हैं। थोड़ी देर बाद जब वो वहां जाते हैं और फिर जब आकर मुझे बताते हैं उनके रंग उड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि मैं जब किचन में गया तो उसने सालन का पतीला जमीन पर रखा हुआ था और उसमें से एक गोश निकालकर चबा रही थी। वो हड्डियों समेत गोश खा रही थी। लेकिन हैरानगी की बात यह है अदनान भाई वो मेरे हस्बैंड को एक बहुत ही प्यार भरी नजरों से देखती थी। ऐसा मेरे हस्बैंड का कहना था। उस रात मेरे हस्बैंड ने सूर बकरा चला दी। पूरी रात सूर बकरा चलती रही और ऐसा लगा कि बहुत गुस्से में है साथ वाले कमरे में जिसमें हमने सिर्फ अपना कुछ सामान रखा हुआ था जो हम इस्तेमाल नहीं करते थे। बकायदा तोड़फोड़ की आवाज आ रही थी। जैसे वो चीजें उठाकर इधर से उधर और उधर से उधर फेंक रही है। अदान भाई वो इतनी अग्रेसिव थी शायद सिर्फ सूर बकरा चलाने की वजह से उस रात सूरह बकरा चलती रही। सुबह तक वो पूरी रात ऐसा ही रहा कि पूरी रात हमें उसकी एक्टिविटी फील होती रही। वह बहुत गुस्से में थी उस रात। उसे अगली रात भी हम लोगों ने ऐसा ही किया। हमने सूर्य बकरा टेप में चला दी थी। सूरह बकरा चलती रही। पूरी रात ऐसे ही गुजर गई। दो-तीन दिन हमने ऐसा ही किया। और जबजब हम सूर्य बकरा चलाते थे। कोई एक्टिविटी नहीं होती थी। पर वो यह जरूर फील कराती थी कि उसे हमारी इस बात पर गुस्सा है। बहरहाल एक दिन रात को हमें किसी के रोने की आवाज आई। जैसे घर के बाहर जो झाड़ियां थी जो बैक साइड पर थी वहां से किसी के रोने की आवाज आ रही है। इस बार उसने अपना आप पूरे मोहल्ले को जाहिर किया। यानी कि आसपास के जो लोग थे उन्होंने भी उसकी आवाज सुनी। पूरी रात अदनान भाई इतनी खौफनाक आवाज आती रही जैसे कोई बहुत तकलीफ में कोई औरत रो रही है। पूरा मोहल्ला डर गया। इस पूरे एरिया में खौफ फैल गया। रात में एक औरत उन झाड़ियों में बैठकर रोती है। कुछ लोग गए भी जिसे देखने के लिए लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। यह तब होना शुरू हुआ जब हमने घर में सूर्य बकरा चलाना शुरू की। लेकिन क्योंकि पूरी पूरी रात ऊंची आवाज में सूर बकरा चलती थी तो हमने कहा कि इसका प्रॉपर हल किया जाए। मेरे हस्बैंड ने भी अपने ऑफिस में भी किसी से बात की हुई थी कि मेरे साथ ऐसे मामलात हो रहे हैं। किसी जानने वाले ने मेरे हस्बैंड को बताया कि कोई बाबा है वो घर आएंगे तुम्हारे और वो तुम्हारे घर में ही दम करेंगे। और जो भी ऐसी मखलूक है उसका इलाज करेंगे। मेरे हस्बैंड ने ज्यादा देर नहीं की। दूसरे ही दिन उनसे राब्ता किया। उनको घर ले आए। उन्होंने कहा कि अमल मैं रात में ही करूंगा क्योंकि हमने उन्हें बताया था कि ये एक्टिविटीज रात को एक पहर जो उसका खास टाइम है उसी टाइम होती है। तो उन्होंने कहा कि जब तुम्हारे साथ ये एक्टिविटीज होती हैं तो उसी टाइम पर आऊंगा। रात के 2:00 बजे उन्होंने आना था। शिद्दत से उनका इंतजार था। यहां मैं बताती चलूं अदनान भाई। रात के 2:00 बजते थे और हमारी जान निकलने लगती थी। लोग रात को आराम करते थे और हमें खौफ आने लगता था। रात के 2:00 बजे अपने टाइम पर बाबा हमारे घर आए जिन्हें मेरे हस्बैंड जाकर ले आए। घर पे आए इधर-उधर देखने लगे। उन्होंने पूछा कि जिस कमरे में तुम्हारे साथ ज्यादा मामलात हैं। मुझे उस कमरे का बताओ। खैर जी बाबा जी उस कमरे में गए। उस दिन मैंने अपने बच्चे अपनी एक बहन के पास भेज दिए थे। बाबा जी ने कहा था कि अमल करने के दौरान तुम्हारी बीवी की और तुम्हारी मौजूदगी होनी चाहिए। यानी मेरे हस्बैंड की बच्चों को अपने किसी जानने वाले के पास शिफ्ट कर दो क्योंकि बच्चे डर जाएंगे क्योंकि हो सकता है मैं इसको हाजिर करके इससे बात करूं। खैर ऐसे ही किया। बाबा जी अपने टाइम पर आ गए। बाबा जी ने उस कमरे में कुछ कैंडल चलाई। इत्तेफाक ऐसा था कि लाइट गई हुई थी। हमने बाबा जी से कहा कि लाइट नहीं। उन्होंने कहा कि कोई मसला नहीं। मुझे वैसे भी यह अमल लाइट में नहीं करना। अंधेरा करके ही करना था। बाबा ने मुझे बुलवाया और कहा कि अपनी बीवी को बोलो निकाब करके इस कमरे में आकर बैठ जाए। मैं बहुत सख्त अमल करने वाला हूं। तुम दोनों ने हिम्मत करनी है, डरना नहीं है और कुछ उठकर भागना नहीं है। बजाहिर वो चीज तुम्हें बहुत ज्यादा डराएगी। मेरे हस्बैंड और मैं मजबूत दिल के साथ बैठ गए कि बार-बार डरने से अच्छा है एक ही बार डर लें। हमारे आगे कैंडल चली हुई थी। बाबा जी ने कुछ पढ़ना शुरू किया। जब सारी पढ़ाई कर ली। उसके बाद बाबा जी ने कहा तुम जो भी हो हाजिर हो जाओ। तीन-चार दफा बुलाने पर कोई एक्टिविटी नहीं हुई। बाबा जी ने कहा कि मैं तुम्हें जला दूंगा। तुमसे आखिरी दफा बोल रहा हूं। अगर तुम यहां मौजूद हो तो सामने आ जाओ। बाबा जी की आखिरी दफा बोलने पर हमारे दूसरे कमरे में चीजें इधर से उधर गिरने लगी जैसे वो गुस्से में हो और अपना गुस्सा जाहिर कर रही हो। बाबा ने दोबारा कहा कि मैं आखिरी दफा कह रहा हूं कि अबकी बार मैं तुम्हें जला दूंगा। शराफत से यहां हाजिर हो जाओ। अबकी बार बकायदा हमें फील हुआ जैसे इस कमरे में कोई चलता हुआ हमारे दरवाजे पर आया है। दान भाई दरवाजा बकायदा खुला कमरे का और कोई अंदर कमरे में आया। हमें नजर नहीं आ रहा। बाबा ने कहा कि इधर कैंडल के पास आकर बैठो। और फिर हमें उसके बाद मोमबत्ती की रोशनी में दीवार पे एक साया दिखाई दिया। जैसे कोई मोमबत्ती के आगे बैठा है तो वॉल पर एक साया बनता है। बिल्कुल ऐसे एक साया बना यानी कि वो हमें दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन उसका साया हमें दीवार पर दिखाई दे रहा था और वो अजीब तरीके से हिल रही थी। वो एक औरत का साया था। बाबा ने कहा कि हां अब बताओ क्या मसला है? तुमने इस फैमिली को क्यों तंग किया हुआ है? बाबा ने कहा तुम चाहो तो इस पर कुछ लिख के बता सकती हो। हमसे एक पेंसिल और कॉपी इस अमल से पहले ही मंगवा के सामने रख दी थी। इसके आगे एक कॉपी और पेन रखा। उसने इस पर कुछ लिखना शुरू किया। यह सब मामलात शायद अदनान भाई मैं बता रही हूं आपको एक कहानी लग रहे हो। लेकिन इसे इमेजिन करें कि यह सब आपके सामने हो रहा हो तो आपका क्या हाल हो। यही हाल हमारा भी था। यह सब मामलात फेस करना कोई आम बात नहीं थी। दिल की धड़कनें तेज थी। खौफ का वो आलम था कि मैं आज भी वो स्टोरी आपको सुना रही हूं तो डर लग रहा है। उस पेन ने चलना शुरू किया और उस कॉपी पर उसने कुछ लिखा। इन श यह कि उसने यह बताया मैं इस बंदे पर आशिक हूं। यानी मेरे हस्बैंड पर और मैं उसको ले जाना चाहती हूं। बाबा जी ने कहा कि नहीं यह अपनी बीवी के साथ खुश है। इसके छोटे बच्चे हैं। तुम इसे तंग मत करो। तुम्हें वार्निंग दे रहा हूं। अगर तुमने इसे तंग किया तो मैं तुम्हारा वो मामला करूंगा। मैं तुम्हें जला दूंगा। काफी उनका इसरार चलता रहा। बहुत ज्यादा उस चुड़ैल को बोला गया लेकिन वो नहीं मानी। बाबा ने कहा ठीक है तुम्हारी मर्जी है। बाबा ने उसके बाद पढ़ाई शुरू कर दी। और बाबा ने और वोल बाबा के उसने उस चुड़ैल का ऐसा हिसार कर दिया था कि वो वहां से निकल भी नहीं पा रही थी। बाबा ने ऐसी पढ़ाई शुरू की कि उसकी चीखें निकल गई। कमरे में उसकी चीखों की आवाज आने लगी। बाबा ने हम लोगों को कहा था आप लोगों ने हिलना नहीं है। यह अमल बहुत सख्त है। भागना नहीं है। अगर तुम लोगों ने मेरा साथ दिया तो मैं इस मामले को एंड तक पहुंचाऊंगा। पर हम लोग हिम्मत बांधे बैठे रहे। उसने चीखना शुरू किया। उसके बाद वह लाइन पर आई। बाबा ने कहा क्या चाहती है? उसने फिर से लिख के दिया और फिर बाबा को बताया वो जो लिख रही थी वो बाबा को ही समझ आ रहा था। बाबा ने कहा कि ठीक है मुझे तुम्हारी डिमांड मंजूर है। लेकिन इसके बाद अगर तुमने इनको तंग किया तो मैं तुम्हें चला दूंगा। बाबा ने वो अमल मुकम्मल किया और इतने में लाइट भी आ गई। मामा ने हमें कहा कि तुम्हें एक बकरा लेना है। इसको जिबा करवा के इसका गोश्त तुम्हें छत पर रखना है। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना। उसकी यह डिमांड है और इसके बाद ही तुम्हारी जान छोड़ देगी। हमने ऐसा ही किया। हमने ज्यादा टाइम नहीं लगाया। हमने दूसरे दिन ही यह काम मुकम्मल किया। गोश्त भी रात के उस पहर ही रखना था। मेरे हस्बैंड को बहुत डर लग रहा था। लेकिन फिर भी वह गोश्त वहां पर रखा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इसके बाद उस चुड़ैल ने हमारी हमेशा के लिए जान छोड़ दी। लेकिन यहां बताती चलूं कि इसके बाद हमारे घर में मामलात तो कोई नहीं हुए लेकिन हमें उस घर से बहुत डर लग रहा था। अक्सर मेरे हस्बैंड की आदत थी कि रात को मुझसे चाय की डिमांड करते थे। अकेले रात को किचन में जाते हुए भी डर लगता था। पहले तो मैं धड़ल्ले से जाकर चाय बना लिया करती थी। इन मामलात के बाद मेरा दिल बहुत कमजोर हो गया था। मैं हर टाइम डरने लगती थी। हालांकि उसके बाद से चुड़ैल ने अपना आप कोई जाहिर नहीं किया। ना ही इसने हमें डराया लेकिन उसके जाने के बाद भी हमारे अंदर इतना डर बैठ चुका था कि हमें हर रात डर लगता था। खैर अल्लाह किया के कुछ अरसे बाद हमें दूसरा क्वार्टर अलॉट हो गया। वो भी उधर से थोड़ा दूर ही था। हम उस क्वार्टर में शिफ्ट हो गए। उसके बाद हमारे साथ मामलात नहीं हुए। यह अच्छा था कि हमने उस घर को बिल्कुल क्लियर करवा दिया था ताकि आने वाली फैमिली के साथ भी कोई मामला ना हो सके।