black magic in Hindi Horror Stories by Mohammad Ajim books and stories PDF | काला जादू

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काला जादू

मेरा नाम इकबाल है और कहानी दरअसल यूं है कि मेरे अब्बू के पांच भाई हैं जिनमें से दो बड़े अच्छे और नेक नियत बंदे हैं। बाकी तीन हसद करने वाले हैं जो मेरे बड़े चाचा हैं। वो बचपन से ही मेरे अब्बू के दुश्मन थे। वो इसलिए कि मेरे अब्बू के दादा मेरे अब्बू से दीवाना वार मोहब्बत करते थे। इन्हें अपने सीने पर सुलाते थे। जिस वजह से मेरे चाचा से यह मोहब्बत बर्दाश्त नहीं होती थी। ऐसे ही सब चलता रहा। मेरे चाचा और वो अब्बू बड़े होते गए। जवानी में दाखिल हुए तो हमारी कास बलोच है। तो हम में रिवाज है कि छोटी उम्र में शादी कर देते हैं। मेरे अब्बू की शादी हुई। उनकी जिंदगी मेरी अम्मी के साथ गुजरने लगी। तो चाचा के दिल में यह बात थी कि बस मेरे अब्बू को आंखों से ना देखे। सो इन्होंने साजिश करके मेरे अब्बू को अलग करके घर से जाने के लिए कहा। मेरे अब्बू अम्मी किसी गरीब के देहात में मेहनत मजदूरी करके खेतों में काम करते थे। तो इसी दौरान मेरी बड़ी बहन पैदा हुई। अच्छी कट रही थी। सुकून वाली कुछ अरसा बाद मेरा भाई पैदा हुआ और मेरे अब्बू ने अपना पासपोर्ट तैयार किया और दुबई वीजा के लिए अप्लाई किया। खुशकिस्मती मेरे अब्बू को फैमिली वीजा मिला। मेरे अब्बू फैमिली के साथ दुबई चले गए। खूब मेहनत की, काम किया और तरक्की करते रहे और फिर मैं पैदा हुआ। वक्त गुजरता रहा। फिर साल 2007 शुरू हुआ। मेरे अब्बू ने फैसला किया कि अब वीजा कैंसिल करके मुल्क वापसी करते हैं। फिर मेरी फैमिली वापस आती है। अल्हम्दुलिल्लाह मेरे अब्बू के पास काफी मालो जर था और हम खुश थे। शायद यही खुशी मेरे चाचाओं से बर्दाश्त नहीं हुई। और हमारे खानदान में भट्टा सट्टा करने का रिवाज है। मेरी अम्मी के भट्टे में मेरी फूफो मेरे मामू को दी गई थी और मेरे मामू बहुत गरीब था और हम भी गरीब हुआ करते थे। वो तो किस्मत जागी नसीब बेहतर हुए तो मेरे चाचा और एक फ्फू ने प्लान किया कि किसी भी तरह भाई के घर फसाद फैला जाए। तो इन्हें काले जादू से बेहतर कोई तरीका नहीं मिला। इन्होंने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी। कुछ ही महीनों बाद अब्बू फिर से वापस गए दुबई फैमिली को घर छोड़कर। एक साल काम करने के बाद वापस आए तो अब्बू के मिजाज बदले हुए थे। अचानक झगड़ा शुरू हुआ और एक ही रड लगाए हुए के मैं दूसरी शादी करूंगा। मैं दूसरी शादी करूंगा। अम्मी ने कहा कि अल्लाह ने तुम्हें मुझसे छह बच्चे दिए। अगर मुझ में कोई ऐब है भी तो जाहिर करो। वो बस इतना कहते मैं दूसरी शादी करूंगा। झगड़ा हुआ। अब्बू अम्मी को मारने लगे। दिन का खाने का वक्त था। देहातियों में घरों के अंदर तंदूर होते हैं। अम्मी ने तंदूर जलाया हुआ था। ना पूछे कि फिर कहां तक लड़ाई हुई। हमारे रिश्तेदारों ने बचा लिया। अम्मी वहां से भागी मायके चली गई। हमारा घर उजड़ गया। एक ही साल के अंदर हमारी जायदाद बिक गई। हम फकीरों वाले हाल में आ गए। कुछ महीनों बाद अब्बू फिर दुबई का वीजा लेकर गए। लेकिन कमाई का कुछ फायदा नहीं। उल्टा नुकसानात। हम बहुत कम पैसों में मजदूरी करके अपने घर का गुजारा करते थे। अब्बू की दूसरी शादी हुई। हमारी दूसरी मां वो मेरी मां के खिलाफ थी। उसने भी तावीजात किए, टोटके किए कि वो घर वापस ना आए। लेकिन उसने हम बच्चों को आज तक कोई तकलीफ नहीं दी थी। फिर हम बड़े हुए अपनी जवानी में आए। अल्हम्दुलिल्लाह अपनी मेहनत करके खाने वाले बने। कुछ अरसा पाकिस्तान में मेहनत मजदूरी की। फिर मेरा बड़ा भाई बाहर मुल्क गया काम करने। कुछ अरसे बाद दूसरा बड़ा भाई गया। दुबई एक साल के बाद मैं दुबई गया। लेकिन अदनान भाई हम भाइयों का बड़ा आपस में इखलाक था। एक दूसरे के लिए जान देते थे। तनख्वाह मिलते ही घर भेज देते थे। लेकिन मेरे चाचाओं और फूफों ने जो जादू करा रखा था। तो कुछ पता ना चलता कि हमारी तनख्वाहें कहां गई। घर में बेबरकती सी छाई रहती। मेरे भाइयों की शादियां हुई। इस वक्त हम किराए के मकान में रहते थे। भाई कमा रहे थे। बस घर के हालात और खराब। फिर मैं जवान हुआ। मुझे बाहर भेजा गया। अब थोड़ा सा अपने बचपन में जाता हूं। मेरे खानदान में एक बच्चे की छुट्टी थी। हम छोटे-छोटे से थे। उन फंक्शनंस में खेल रहे थे। अचानक मेरे चाचा उठे। उन्होंने मुझे कस कर थप्पड़ मारे। किसी गलती के बगैर। मुझे गुस्सा आया मैं जो कि बचपन से ही अल्लाह रसूल और अपने पीर बाबा पे बेहद यकीन रखता था। मैंने कहा चाचा से कि तुमने मुझे बगैर किसी गलती के मारा। अल्लाह और उसके रसूल और अपने पीरों को आवाज देके तुझे यह बद्दुआ देता हूं कि कल की तारीख के अंदर तेरा एक्सीडेंट होगा। यकीन करे अदनान भाई वैसे ही हुआ। मेरे चाचा फट्टे वाला रिक्शा चलाते थे। उनका रिक्शा उल्टा और उनकी शॉल जो सर्दी की वजह से लपेट रखी थी वो इसकी चैन में आ गई। इंच बाय इंच से उनकी गर्दन बच गई। फिर उस दिन के बाद मैंने कभी एक लम्हा सुकून का नहीं देखा। मैं जो कुछ करता था उसके नताइज उल्टे होते थे। मेरी मां मुझे कहा करती थी। उन्होंने तुम्हारे साथ भी काले जादू किए ताकि तुम कभी खुश ना रहो। नूसत रहे तुम्हारे साथ। मेरी मां जो हमारी जिद्दी पुश्ती के पीर हैं, हम उन्हें मानते हैं। और मेरी मां के साथ जब काला जादू कराया गया, बहुत गंदा जादू कराया गया था। जिसमें ऐसे कपड़े पर जादू करवाया गया जिस पर ब्लड लगा हुआ था। और मैं यहां पर खुलकर नहीं बता सकता। तो खैर कई जगह से अम्मी का इलाज करवाया गया। वापस आई तो अम्मी कहती है कि मैंने ख्वाब देखा तो मुझे ख्वाब में उस पीर बाबा के मजार पर जाने की निशानी मिली। तो अम्मी कहती है मैंने वहीं जाना शुरू किया। मेरी मां उनके मजार पर मुसीबत सदा लोगों के साथ आस्ताने पर रहती थी। तो वह पीर बाबा का मजार बचिस्तान में है। तो वहां के कानून है। कतार में कमरे बने हुए हैं। दो कतारें एक कतार के पीछे दूसरी कतार ताकि औरतों का पर्दा रह सके। मर्दों वाली कतार वाले कमरे औरतों को ना दिखाई दे और औरतों वाले कमरों के कतारें मर्दों को दिखाई ना दे। मेरी मां वहां रहने लगी। पक्की मुनीदनी बन गई। तो मेरी अम्मी ठीक होने लगी। अम्मी अक्सर वहां जाके रुक जाती। हम उन्हें छोड़कर वापस आते। फिर मेरा वीजा आया। मैं दुबई गया। दो साल काम किया। मेरे घर वालों ने मेरा रिश्ता तय किया। मेरे बड़े भाई की शादी के साथ और हम एक दूसरे को पसंद करते थे। हमारी पसंद की शादी हुई और सास ऐसे मान गई कि मेरी दो बेटियां एक साथ रहेंगी। जब उसका मेरे साथ रिश्ता तय हुआ तो मेरी मंगेतर ठीक थी। दान भाई मैं बहुत खुश था क्योंकि पहली बार मुझे महसूस हुआ था कि मेरी किस्मत खराब नहीं है। जो मुझे मेरी पसंद की लड़की मिल रही है। वो बहुत हसीन थी। इतनी हसीन के जब उसे देखता तो सूरज की रोशनी कम महसूस उस हुसन के सामने। रिश्ता होने के कुछ दिन बाद उसकी तबीयत खराब होने लगी। वो कहती थी कि मेरे दिल पे ऐसे सुइयां लगती हैं जैसे कपड़े सिलाई करने वाली मशीन चल रही हो। बेहोश पड़ी रहती। इसका इलाज शुरू हो गया। डॉक्टर के पास जाते तो कहते इससे नॉर्मल गैस का मसला है। लेकिन वो बहुत तकलीफ में थी। उसी दौरान मैंने फैसला किया कि मैं शादी करूंगा क्योंकि मेरे सास ससुर बहुत गरीब थे। बिल्कुल देहाती सादे लोग थे। मेरी शादी हुई बारात लेकर आए। उसी बारात में मेरी बीवी के दिल में दर्द शुरू हुआ। वो कहती सुइयां जल रही हैं। मुझे रोना आ जाता था। बारात घर पहुंची। हमने उसे चारपाई पर लिटाया तो मैं बाहर जहां मर्दों का देहाती टाइप कैंप लगा था शादी का वहीं चला गया। जैसे हमारी रस्में थी शादी की वो हुई रात को बलोची झमर ढोल वगैरह मैं वापस आया घर तो बीवी को बेसद पाया दूसरे दिन वलीमा था वलीमा खत्म होते ही दूसरे दिन मैं उसे एक बीवी साहबा के पास ले गया उसने अपने हिसाब से कुछ टोटके आजमाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ आखिरकार वो सब होने लगा जो शायद पहले नहीं हुआ था उसे जिन्नात के दौरे पड़ते थे तो अचानक उसकी आवाज मर्दों में तब्दील हो जाती। बाल बिखर जाते, ड्रौनी हंसी में बात करती। जब पूछा जाता तुम कौन हो या किस लिए आए हो? तो कहती थी हमें यह पसंद आ गई। हम इसे लेकर जाएंगे। मेरी मां देखकर रो दी क्योंकि मैं अपनी मां-बाप का लाडला था और बाकी भाइयों से मैंने थोड़ी तकलीफें ज्यादा देखी थी। इसीलिए अम्मी मुझे तवज्जो ज्यादा देती थी। अम्मी ने कहा कि मैं इसे अपने पीर बाबा के मजार पर ले जाऊंगी। नान भाई उस पीर बाबा का मजार बलचिस्तान में है और उनका नाम सखी बोर बख्श है। बोर उनके घोड़े का नाम था और यह नाम उन्हें शहबाज कलंदर ने दिया था क्योंकि सखी थे तो शहबाज कलंदर ने उनकी सखावत देखने के लिए उन्हें आजमाया तो उन्हें इल्म हो गया कि शहबाज कलंदर आ रहे हैं और उनके घोड़े की मांग करने वाले तो उन्होंने वो घोड़ा तैयार करके खड़ा किया। जब वो आए तो मिले तो कहते हैं शबाज कलंदर ने वो घोड़ा मांगा था। तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे लिए पहले से तैयार है। तो यह देखकर खुश हुए कि जैसे मैंने सुना था कि तू सखी दिल का है तू वैसा ही है। जा आज के बाद लोग तुम्हें सखी बोझ बख्श कहेंगे। यानी अपना घोड़ा सखावत में देने वाला। मैं उनके मजार पर गया तो एक रात वहीं रहे। जब घर आए तो मेरी बीवी ठीक हुई और मेरी अम्मी ने कहा कि चार जुमेरात को जियारत करानी है तो मैं उसे वहां ले जाता रहा। वो ठीक होती गई। एक जियारत रह गई थी तब तक मेरी छुट्टी खत्म हुई। मैं वापसी दुबई चला गया और मेरे घर में किसी ने मेरे बीवी को वहां ले जा के जियारत नहीं कराई। मेरी तबीयत बिगड़ गई। अब्बू थे तो वो यह सब नहीं मानते थे। मुझे पता चला मैं मजबूर था कि एक तरफ गुर्बत थी दूसरी तरफ बीवी। छ महीने दुबई रह के मैं वापस आया तो बिल्कुल अजीब तरह की हो गई थी। वो कहती थी मैं रात को ख्वाब देखती हूं कि एक थाल है मेरे हाथ में और वो खून से भरा हुआ है। कोई भयानक सी चीज आती है। वो जुबान से एक बार चाटता है। वो थाल खाली करके चला जाता है और दिल में दर्द होता है। डॉक्टरी मर्ज भी नहीं। एक दिन उसे दौरा पड़ा जिन्नात का। यकीन करें अतान भाई उसने खुद को मेंढक के पोज में किया और मेंढक की तरह कूदने लगी। जब कूदती तो यकीन करेंब कोई 5 छ फीट ऊपर तक खुद को उछालती और नीचे कंक्रीट का फर्श होता था। तो ऐसा लगता था कि टूट गई। लेकिन जब होश में आती तो कहती मुझे क्या हुआ और उठकर चल पड़ती। कुछ दिन बाद फिर से उसे दौरा पड़ा और इस बार बड़ी भयानक तरह का था। उसकी आवाज बदली हुई थी। मर्दों के लहजे में थी और कहती थी यह हमें पसंद आ गई है। हम ले जाएंगे इसे। मेरे घर के करीब मेरी फो की बेटी का घर था। तो वो बहुत अजीज थी। तो मेरी फुफू की बेटी ने अपने घर में भिंडी का सालन बनाया हुआ था। तो हम में रिवाज है कि अगर किसी घर में कोई चीज बनी हुई है और हमारे किसी रिश्तेदार को वह चीज पसंद हो तो उसके लिए भेज देते हैं। जिसके घर वो चीज जाती है वो लेने वाला कभी उसे देने वाले का बर्तन कभी खाली वापस नहीं करते। अजीब समझते हैं। तो उन्होंने भिंडी का सालन चम्मच से निकालकर एक बड़ी सी रोटी में डालकर रोल बनाया और बलोचों की रोटियां बहुत बड़ी होती है। शायद आपको भी पता हो। तो किसी बच्चे के हाथ भिजवाया कि यह मेरी मामी को दे आओ। जब बच्चा रोटी और सालन लेकर आया तो मेरी बीवी को दोरा पड़ा हुआ था। उस बच्चे से रोटी छीनकर उसने जैसे मुंह रखा एक ही झटके में निकल गई। और वो रोटी इतनी बड़ी थी कि अगर किसी गाय के मुंह में भी दी जाती तो उसे खाने में करीबन 10 से 15 सेकंड लगते। लेकिन उसने एक सेकंड से भी कम वक्त में खाया। मेरे भतीजे के हाथ में हाफ लीटर मैंगो की बोतल थी। वो छीन के ढक्कन खोलकर उसे मुंह पर रखा। एक हाथ बोतल की गर्दन पर था। दूसरा नीचे वाले हिस्से पर एक सेकंड में बोतल पीने के साथ उस बोतल को इकट्ठा करके छोटी सी शेप में बना के फेंक दिया। मेरे चाचा का 10 साल का बेटा सुबह एक फालूदा वाली दुकान से फालूदा लेकर घर जा रहा था। उसे किसी ने बताया वह आ गया। उसके हाथ मेंफ किलो का शॉपर था जिसमें फालूदा था। वो शॉपर छीनकर एक ही सेकंड में खत्म कर दिया। मैंने पहली बार इतनी भयानक मंजर देखा था। डर गया था। मेरी उम्र 18 साल थी। वो मुझसे उम्र में छोटी थी। करीब कोई 15 साल की थी लेकिन मुझसे बड़ी दिखती थी। भाई मैं डर गया था। सास ने उसे देखा तो कहा मैं लेके जा रही हूं। वहीं अपने घर इलाज करवाऊंगी। वो ले गई मैं गरीब घर से था तो निकम्मा नहीं बैठ सकता था। तो मैं कराची नूरियाबाद चला गया। मैं 600 दहाड़ी पर मिस्त्री के साथ काम करता था। कुछ दिन गुजरे सास मेरी बीवी को घर छोड़कर चली गई कि यह अब ठीक है। एक महीने के बाद छोटी ईद के करीब शबे बरात कहते हैं। मैंने फैसला किया कि ईद घर मनाऊंगा। मैं काम करता रहा। अचानक मेरे दांत में दर्द शुरू हुआ। ऐसा दर्द के मैं अपना सर दीवार में मारता था और वहां कोई हॉस्पिटल नहीं था। वो जंगल का इलाका था। सात दिन तक मैं रात को सो नहीं पाया। चार-चार गोलियां में ऐसे निकल लेता था कि दर्द खत्म हो। लेकिन नहीं एक कूलर भर के ठंडे पानी का रखा हुआ था। उसका पानी मुंह में डालकर रोक के रखता था और दर्द सुन्न हो जाता था। ऐसे करते-करते मैंने अपना वक्त गुजारा। छोटी ईद से एक दिन पहले अम्मी को बताया कि मैं घर आ रहा हूं। मैं एक दिन पहले घर पहुंचा। अचानक दर्द हुआ दांत का। मेरा दिमाग सुन हो चुका था। दर्द की वजह से मैंने अम्मी को दांत के बारे में बताया। अम्मी ने कहा कि खबरदार दांत मत निकलवाना। मैंने ख्वाब देखा है कि मंगल के दिन तक हमारे घर में बहुत बड़ी मुसीबत मंडला रही है। शायद तुम्हारे दांत के दर्द ने उसे रोका हो। मैं खुद दर्द से परेशान था। इतनी गोलियां खा चुका था जिनकी गर्मी से मेरे पेट से खून निकलता था। मैंने कुछ देर बर्दाश्त किया लेकिन फिर फैसला किया कि दांत निकलवा लेता हूं। मैं डेंटिस्ट के पास गया यकीन करे पांच इंजेक्शन लगते तब जाके मेरा जबड़ा सुन वो। फिर प्लास लगाकर खींचा। मैं प्लास के साथ चिपक के उठ गया दर्द की शिद्दत से। पैर दांत निकल गया। मैं घर आया। अम्मी को बताया। अम्मी ने सर पकड़ लिया कि तैयार रहना मुसीबत के लिए। अगले दिन सूरज तू हुआ। उस दिन शबे बरात थी। मेरी बीवी ने कपड़े स्त्री किए मेरे और अपने के आज हम दोनों रात को इबादत करेंगे। हम दोनों अपने कमरे में बैठे हुए थे। उसी वक्त जिस वक्त दांत निकलवाया था। सिर्फ एक झटका लगा कि मेरी बीवी को हाथ मुड़ गए। फिर उसका जिस्म ढीला पड़ा वो मर गए। सिर्फ 10 सेकंड में वह चल बसी। मैं पागल सा हो गया, बुखला गया। अम्मी ने मुझे गुस्से में रोते हुए कहा कि मेरी मान लो लेकिन अब देखो। इसकी मौत के बाद मैंने तफ्तीश शुरू की कि यह क्या था। मुझे कई जगह से मालूम हुआ कि मेरी बीवी के साथ एक साल की मुद्दत वाले तावीज हुए थे। पूरे एक साल के बाद वह मरी और जिन्होंने यह किया वह नहीं चाहते थे। यह हसीन लड़की इनके घर रहे और यह खुशी में जिंदगी गुजारे। और इन मुखालफन में से कुछ गए मेरी शादी से पहले कि यह रिश्ता हमें दिया जाए। लेकिन सास को मैं पसंद था, इंकार किया। उनमें से एक ने बजाहिर कहा कि यह जोड़ा आबाद करके दिखाना। मैंने अपना हिसाब कराया और उन्होंने कहा कि तुम्हारे साथ भी बड़े मसाइल हैं। और नूसत की गई है तुम्हारे साथ और मेरा घर कभी आबाद ना हो। बाबा ने कहा कि जब तक उसका हिसाब दुरुस्त ना किया जाए तब तक उसकी शादी ना कराई जाए। इसके लिए भी खतरा और लड़की के लिए भी मैं बीवी की मौत के एक माह बाद कतर आ गया। तीन साल से यहां कमा रहा हूं। लेकिन जितना कमाता हूं पता नहीं चलता कि यह कमाई कहां गई। ऊपर ऊपर से उड़ जाती है। कोई बरकत नहीं। घर में आए दिन झगड़े फसाद बेबरकती रहती है। छोटे-छोटे हादसे होते हैं। बस ऐसे ही चल रही है यह मेरी कहानी। अगर दुरुस्त लगे तो अपनी YouTube फैमिली से लाजमी शेयर करिएगा। तो बहुत शुक्रिया आपने अपनी स्टोरी हमसे शेयर की। मेरा नाम वारिस है और मैं लाहौर से ताल्लुक रखता हूं। मैं अपने वालदैन का इकलौता बेटा हूं। हमारे घर में सिर्फ तीन अफराद रहते थे। मैं मेरी वालिदा, मेरे वालिद, हमारे साथ वाला घर भी हमारा ही था। जिसमें मेरी बड़ी अम्मी रहती थी। यानी मेरे वालिद की पहली बीवी। उनके यहां कोई औलाद नहीं थी। इसलिए वो मेरी वालिदा से हसद करती थी। जब मेरी पैदाइश हुई तो वो बिल्कुल खुश नहीं हुई। यह सब कुछ मैं इसलिए बता रहा हूं क्योंकि जो वाक्या मैं सुनाने जा रहा हूं इसका ताल्लुक उन्हीं से है। मेरी वालिदा ने मुझे बताया कि जब मेरी पैदाइश के तकरीबन एक साल बाद मेरे दादा का इंतकाल हुआ तो हम सब गांव चले गए। क्योंकि वो वहीं रहते थे। मेरे एक चाचा भी थे जो हमसे शदीद हसद करते थे। क्योंकि मेरे वालिद एक कामयाब बिजनेसमैन थे। उनकी एक स्पीकर बनाने की फैक्ट्री थी। जब हम गांव गए हुए थे तो हमारे मोहल्लेदार ने वालिद को फोन करके बताया कि हमारे घर में आग लग गई है और सब कुछ जल चुका है। बाद में पता चला कि आग मेरे चाचा ने लगवाई थी। हमने वो घर दोबारा बनवाया। कुछ साल बाद हमारे घर में अजीबोगरीब वाक्यात होना शुरू हो गए। हमारे घर में तीन कमरे थे, दो नीचे, एक ऊपर। एक दिन मेरी वालदा किचन में रोटियां बना रही थी कि अचानक उन्हें किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। उन्हें लगा शायद मैं हूं लेकिन मैं तो बाहर था। फिर जो रोटी वो बना रही थी उसमें से खून निकलना शुरू हो गया। वालदा बहुत डर गई क्योंकि वो घर में अकेली थी। जब वालिद घर आए तो वह रोटी गायब हो चुकी थी। एक दिन हमारे एसी से अजीब आवाजें आई। जब वालदा ने उसकी तरफ देखा तो उसमें से एक सांप निकल रहा था। उस वक्त मेरी उम्र 10 साल थी। वालदा को यकीन नहीं आया। कुछ दिन बाद ऐसा वाक्या हुआ जो मैं आज तक नहीं भूल सका। मगरी का वक्त था। मैं बाहर से वापस घर आया तो वालदा कमरे में थी। ऊपर वाले फ्लोर पर रोने की आवाजें आ रही थी। मैंने देखा कि वहां एक सफेद रंग की औरत खड़ी है। जिसकी आंखें बहुत बड़ी थी और बाल लंबे। वो बहुत खौफनाक थी। मैं वहीं बेहोश हो गया। जब होश आया तो मैं हॉस्पिटल में था। वालदा बहुत परेशान थी। मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। अगले दिन वालदा ने कारी साहब को बुलाया। उन्होंने घर देखा और कहा कि घर की अच्छी तरह सफाई करो। हमने जब सफाई की तो हमारे सोफे के अंदर से एक तावीज और एक अंडा निकला। जब वो अंडा जमीन पर गिरा तो उसमें से कुछ भी नहीं निकला। यह सब देखकर वालिद को यकीन हो गया कि हम पर कुछ करवाया गया है। उसके बाद तो रोज कोई ना कोई वाक्या होता रहा। एक रात मैं उठा तो वालिदा कमरे में नहीं थी। वालिद सो रहे थे। मैं बाहर गया तो देखा कि वालिदा बाहर खड़ी और एक अजीब तरीके से मुस्कुरा रही है। मैंने पूछा आप यहां क्या कर रही है? तो अचानक एक आवाज आई। सब कुछ खत्म हो जाएगा। फिर वालदा बेहोश हो गई। अगले दिन मेरी नानी आई और वालदा को अपने साथ ले गई। मैं भी उनके घर चला गया। नानी ने एक आलिम को सब कुछ बताया। उन्होंने कहा कि सख्त किस्म का काला जादू है। उन्होंने कुछ तावीज, दम किया हुआ पानी और पढ़ने के लिए कुछ चीजें दी। जब तक हम नानी के घर रहे सब कुछ ठीक रहा। लेकिन जब नानी ने दम करके मेरी वालदा पर पढ़ा तो वो अचानक परेशान हो गई। उनकी आंखें उल्टी हो गई और वो अजीब कैफियत में चली गई। फिर वो बोली जो करना है कर लो। मैं जान नहीं छोडूंगी। यह आवाज मेरी वालिदा की नहीं थी। यह सब देखकर हम बहुत डर गए। उसी दौरान वालिद का फोन आया। नानी ने सारी सुरते हाल बताई तो वालिदा ने कहा इन्हें घर भेज दो। मैं कुछ करता हूं। लेकिन नानी ने मना कर दिया। उसी दौरान हमारी फैक्ट्री से सांप निकले और कुछ तावीज भी मिले। कुछ दिन बाद हम वापस घर आए। वालिद ने फिर एक आलिम को बुलाया। उन्होंने दम किया हुआ पानी दिया और कहा कि रोज कुरान पढ़ो और पानी पूरे घर में छिड़को। फिर उन्होंने कहा जिसने यह सब किया है उस पर उल्टा पड़ेगा। कुछ दिन बाद हमारे साथ वाले घर से खौफनाक चीखें आने लगी। वो आवाज वालिद की पहली बीवी की थी। जब हम वहां पहुंचे तो उनके हाथ और पांव उल्टे हो चुके थे। तब वालिद को यकीन हो गया कि ये सब किसने किया था। फिर हमने वो घर छोड़ दिया और दूसरे घर में शिफ्ट हो गए। पुराना घर किराए पर दे दिया। उस वक्त मेरी उम्र तकरीबन 11-1 साल थी। जितना मुझे याद था, मैंने सब बयान कर दिया। तो, यह थी मेरी स्टोरी। उम्मीद है आपको और आपके सुनने वालों को पसंद आएगी। बहुत शुक्रिया स्टोरी शेयर करने के लिए। बढ़ते हैं एक और स्टोरी की तरफ। मैं लाहौर से बात कर रहा हूं। हमारे घर में भी कुछ असरात और चीजें थी जो हमारे ही किसी रिश्तेदार ने मुझे भेजी थी। मेरी दादी पर। मैं उनका नाम नहीं बताऊंगा। उन्होंने कुछ कराया था। मेरी दादी बहुत बीमार रहने लगी। मेरे वालिद जो घर में सबसे बड़े हैं और मेरे तीन चाचा भी हैं। मैं यहां यह बताता चलूं कि हम जॉइंट फैमिली में रहते हैं। हमने अपनी दादी का अस्पताल में इलाज शुरू करवाया। तो पता चला कि उनका जिगर खराब है। इस दौरान घर से कुछ तावीज भी मिले। जब हमने एक आलिम को बुलाया तो पता चला कि हमारी दादी पर काला जादू किया गया है। इस आलिम ने हमारा पूरा घर घुमाया और जब ड्राइंग रूम में गया तो उसने एक दीवार की तरफ इशारा किया और कहा कि दीवार तोड़े। जब हमने दीवार तोड़ी तो वहां से तावीजों का एक बड़ा गट्ठा निकला जो बहुत ज्यादा था। उस आलिम ने बताया कि जो भी चीजें हैं वह इस कमरे में बैठकर अपना अमल करती हैं। फिर उसने कुछ पढ़कर पानी पर दम किया और कहा कि इस कमरे के चारों तरफ छिड़कते हैं। हमने वैसा ही किया। इस वक्त हमें सबको ऐसा लगता था कि जैसे कोई हमें बुला रहा हो। लेकिन जब हम जाते तो वहां कोई नहीं होता। उसी तरह वक्त गुजरता रहा। हमने अपनी दादी को ऑपरेशन करवाया और वह कुछ देर बाद घर वापस आ गई। फिर कुछ दिन सब ठीक रहा। फिर 2017 की बात है। उस वक्त क्रिकेट का टूर्नामेंट हो रहा था। हम सब मैच देख रहे थे कि अचानक एक आवाज आई। ओए इधर आ। इस वक्त मैं बच्चा था सिर्फ 10 साल का। मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं थी। जब मैं गया तो वहां कोई नहीं था। फिर जब मैच खत्म हुआ तो सब मोबाइल चलाने लगे और फिर सब सोने चले गए। रात को कुछ ऐसा हुआ कि हमारे होश उड़ गए। मैं घर में पहला बच्चा था जो अपनी दादी और दादा के साथ सोता था। पर मेरे सबसे छोटे चाचा की उस वक्त शादी नहीं हुई थी। वो भी हमारे साथ ही सोते थे। मैं चाचा दादा बेड पर सोते और दादी चारपाई पर क्योंकि उन्हें फजर की नमाज के लिए जल्दी उठना होता था। रात के 3:47 का वक्त था। कि हमारी दादी की चीखों की आवाज आई। जब हमने देखा तो उनका सर उनके दोनों टांगों के दरमियान आ चुका था। फिर फौरन मेरे चाचा ने इनका सर निकाला। जब हमारी दादी नॉर्मल हुई तो सब ने उनसे पूछा कि क्या हुआ था? तो उन्होंने जो बताया वो सुनकर हम सब डर गए। उन्होंने कहा कि दो निकाब पहने हुए लोग आए थे। फिर हमने एक बार फिर आलिम को बुलाया। उसने दादी को चारपाई के नीचे से एक तावीज निकाला। उसके बाद हमारी दादी की तबीयत फिर खराब होने लगी। इलाज करवाया तो फिर से जिगर का मसला सामने आया। एक बार फिर ऑपरेशन करवाना पड़ा। लेकिन हमारी दादी ने इंकार कर दिया। वो कहती थी कि मैं अब नहीं बचूंगी। तो ऑपरेशन का कोई फायदा नहीं। कुछ साल गुजर गए और मेरे चाचा की शादी भी हो गई। फिर 2020 में हमारी दादी का इंतकाल हो गया। उन सबके बाद इस आलिम ने बताया कि चीजें आपकी दादी को लेने आई थी। अब भी वो चीजें हमारे घर में लेकिन हमें उनकी आदत हो गई है। अब वो कुछ नहीं करती बस अपनी मौजूदगी का एहसास दिलवाती। यह थी मेरी स्टोरी। उम्मीद है अब अपने चैनल पर लाजमी शेयर करेंगे। बहुत शुक्रिया आपने स्टोरी शेयर की। बढ़ते हैं एक और स्टोरी की तरफ। मेरा नाम मूसा है और मैं आपका पुराना सब्सक्राइबर हूं। आज मैं आपसे अपने मामू की कहानी शेयर करना चाहता हूं। मेरे मामू बचपन से ही मेहनती इंसान है। उन्होंने कई जगहों पर मुलाजमत की और काफी जद्दोजहद के बाद अपने दोस्तों के साथ मिलकर इंपोर्ट एक्सपोर्ट का कारोबार शुरू किया। अल्लाह ताला ने उनके नसीब में खूब कामयाबी लिखी। उनके दोस्तों को भी खूब फायदा हुआ और सबने मोटरसाइकिल से महंगी-महंगी गाड़ियों पर सफर शुरू किया। इन्होंने अपना घर भी शिफ्ट किया और बहुत तरक्की की। मेरे मामू ने सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि कई घरों का खर्चा भी उठा रखा था। मगर फिर हालात ने अचानक पलटा खाया। उनके नए घर में अजीबोगरीब चीजें नजर आने लगी। स्या और लंबी स्यानुमा मखलूक दिखाई देती। रात को अक्सर 4 या 5:00 बजे के करीब किसी बोतल के टूटने की आवाज या फेंकने की आवाज आती। चीखों की आवाजें भी सुनाई देती। घर की मुख्तलिफ हिस्सों से तावीज बरामद होने लगे। यह सब कुछ होना शुरू हुआ तो कारोबार भी मुतासिर होने लगा। लाखों का माल जाता मगर किसी ना किसी वजह से वापस आ जाता। 6 महीने के अंदर-अंदर इतना बड़ा बिजनेस मुकम्मल तौर पर बंद हो गया। किसी ने मामू को मशवरा दिया कि किसी आलिम के पास जाओ और अपना मसला बयान करो। क्योंकि यह आम मसला नहीं लगता। जब मामू एक आलिम के पास गए तो उन्होंने बगैर किसी बात के उनसे मुसाफा किया और कहा तुम मत बताओ कि क्या हुआ है। मुझे सब पता है। तुम बहुत परेशान हो। तुम्हारा कारोबार खत्म हो चुका है। मामू यह सुनकर चौंक गए कि इन्होंने यह बात कैसे जान ली। फिर मामू ने बताया कि उनके घर से तावीज निकले हैं और हालात बहुत खराब हो चुके हैं। आलिम ने घर आकर पढ़ाई की और बताया कि तीन जिन्नात तुम्हें मारने के लिए भेजे गए हैं। जिनमें एक औरत और दो मर्द शामिल है। इन्होंने पढ़ाई के बाद कुछ असरात खत्म कर दिए। लेकिन यही कहानी खत्म नहीं हुई। कुछ दिन बाद मेरी और मेरी वालिदा की किसी छोटी सी बात पर बहस हुई और अचानक मेरी वालिदा की आवाज मुकम्मल तौर पर बदल गई। जैसे कि दो या तीन लोग एक साथ बोल रहे हैं। मेरी वालिदा बहुत नेक खातून है। तहज्जुद नमाज, कुरान की पाबंदी। उन्होंने फौरन मामू को बुलाया। क्योंकि मेरे वालिद का इंतकाल 2011 में हो चुका था। इसलिए मामू ही हमारी रहनुमाई करते थे। जो मामू आए तो मेरी वालिदा ने इन्हें देखकर कहना शुरू किया। आ गया तू? तुझे क्या लगा हम नहीं आएंगे? मामू ने पूछा कौन? मेरी वालिदा मुसलसल उन्हें घूर रही थी और मैं उस वक्त बराबर में बैठा सूरह यासीन की तिलावत कर रहा था। तब मेरी वालदा जिनमें उस वक्त जिन दाखिल था। मामू से कहा इसे बोल खामोश हो जाए। वरना पहले इसी को मारेंगे। मामू ने कहा क्यों खामोश हो जाए? वो तो अल्लाह का कलाम पढ़ रहा है। फिर मामू ने पूछा कि तू कहां से आया है? मगर कोई जवाब ना मिला। मामू ने फोन उठाया और इस आलिम को कॉल करने लगे। यह देखकर जिन्नात बोले कहां जा रहा है? इधर ही आ। मामू ने कहा मैं तेरे बाप को बुलाता हूं। वो तुझे जला देगा। फिर जिन ने बोलना शुरू किया। मुझे भेजा गया है तुम्हें मारने के लिए। तुमने वहां से असरात बंद किए थे। इसीलिए हम यहां आ गए। मामू ने कहा जा इसे बोल कि वो खुद आ जाए। तो जिन्नाद ने कहा मेरे बच्चे हैं बीवी है। मैं वापस नहीं जा सकता। मामू ने कहा जा वरना वो तुझे जला देगा। इसके बाद मामू ने हम सबको कहा कि जगह दो। यह अब यहां से जाएगा। वाकई वो चला गया। अल्लाह का शुक्र है कि अब हमें कोई परेशानी नहीं है। मेरी वालदा की तबीयत भी बेहतर हो गई है। लेकिन मेरे मामू का कारोबार अभी तक नहीं चल पाया। आखिर में सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि लोग हसद में इतने गिर जाते हैं कि भूल जाते हैं कि एक दिन सबने अल्लाह के हजूर जवाब देना है। ऐसी हरकतें करने वाले लोग वाकई काबिल अफसोस हैं। तो यह मेरी स्टोरी थी। उम्मीद है अपने चैनल पर लाजमी शेयर करेंगे। बहुत शुक्रिया। स्टोरी शेयर की। बढ़ते हैं एक और स्टोरी की तरफ। मेरा नाम सना है। हम सात बहन भाई हैं। चार बहनें हैं और तीन भाई। हम लोग लाहौर किला गुर्जर सिंह पुलिस लाइन में रहा करते थे। मेरी अम्मी अब्बू अल्लाह के करम से बहुत अमीर थे। लाकातिया सब कुछ था हमारे पास। फिर 2003 में मेरी और मेरी आप ही की शादी हो गई। मैं उस वक्त सिर्फ 16 साल की थी और आप ही 18 साल की। सब कुछ बेहतर अच्छा चल रहा था। फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिससे हमारी जिंदगी तबाही की तरफ बढ़ने लगी। मेरे अब्बू को फॉलिज का अटैक हो गया। बाद में पता चला कि यह किसी हसद करने वाले ने तावीज किया था। लेकिन हम लोगों ने उस वक्त उसे नजरअंदाज किया। क्योंकि हमें उन चीजों का इल्म ही नहीं था। अब्बू चारपाई पर पड़े रहते थे। मैं अक्सर अम्मी के पास लाहौर आकर रहती थी क्योंकि अब्बू चल नहीं सकते थे और मेरे दूसरे बहन भाई छोटे थे। वो इतना काम नहीं कर सकते थे। फिर 2012 में हमने अपने भाई की शादी की ताकि घर के कामों में आसानी हो जाए। लेकिन वहीं से हमारी बुरे दिनों की शुरुआत हो गई। मेरी अम्मी और अब्बू आपस में कजन थे और इन दोनों के रिश्तेदार भी एक ही थे। मेरी अम्मी अब्बू के चाचा ने अपनी साली के साथ मिलकर हम पर काला जादू करवाया। मकसद यह था कि मेरी अम्मी अब्बू घर छोड़ दें और घर के कागजात साइन करके उन लोगों के हवाले कर दें। अब हालात यह थे कि मेरी अम्मी भी चलने से कासिर हो गई। और दोनों अम्मी अब्बू शदीद बीमार रहने लगे। एक दिन हमारे अब्बू के सिचा आए और मुझे गालियां देकर कहने लगे अपने मां-बाप को उठाओ और गांव वापस ले जाओ। अदनान भाई मैं आपको यह कहानी मुख्तसर करके बता रही हूं क्योंकि पूरी तफसील बहुत तवील है। हमारे भाई भाभी और एक और भाई में जिन्नात की हाजिरी हुआ करती थी। कभी कबभार मुझ में भी हो जाती मगर वो जिन सिर्फ मेरे ही काबू में आते थे। शायद उसकी वजह मेरा अल्लाह पर पक्का ईमान था। वो तीन जिन थे। एक का नाम नबील था, दूसरा गुल और तीसरा कालू। नबील उनका गुरु था और वह बहुत बेरहम था। जबकि दूसरे दो जिन्नात काफी अच्छे थे। उन दोनों की तफसीर बाद में दूंगी। कभी किसी में जिन आते तो वो चीखने चिल्लाने लगता। अब्बू में जब जिन आते तो बिला वजह गुस्सा करते। एक दिन तो उन्होंने हाथ में ईंट उठा ली कि किसी को मार देंगे। अल्लाह का नाम लेकर किसी तरह वो ईंट उनके हाथ से छुड़वाई गई। जब भी हाजिरी होती उसके बाद वह बेहोश हो जाते। अब यह आलम था कि घर में हर कोई खौफजदा था। फिर हमने एक आमिल से राब्ता किया। उसने कहा मैं खुद आऊंगा। जब वो आलिम आया तो उसने कलमात पढ़ना शुरू किए। मेरे भाइयों में हाजिरी हुई तो जिन्नात ने कहा हम कभी नहीं जाएंगे। जब तक ये लोग यह घर नहीं छोड़ेंगे। अगर घर नहीं छोड़ा तो हम इनको मार देंगे। जब जिन्नात की हाजिरी होती तो उनकी आंखें लाल हो जाती और इतनी बड़ी लगती कि देखकर खौफ आता। जो दो अच्छे जिन थे वो अक्सर मेरे बच्चों के साथ खेलते। मैं इन्हें अक्सर कह देती अगर मेरे बच्चों को कुछ हुआ तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी। तो वह जवाब देते हमने इन्हें क्या कहना है? आप लोगों को तकलीफ देना हमारी मजबूरी है। आमिल ने हमें खासतौर पर हिदायत दी थी कि रात के वक्त लोगों को जिन पर जिनात की हाजिरी होती थी। घर के गार्डन वाली तरफ ना ले जाया करें। रात का वक्त था। हम सब सो रहे थे कि अचानक मेरी आंख खुल गई। मैंने देखा मेरा भाई दरवाजा खोल रहा है। मैं फौरन उठी। उसे पकड़ा और पूछा कहां जा रहे हो? कहने लगा हमें वाशरूम जाना है। मेरे भाई में अच्छे जिन्नात की हाजिरी थी। इन जिन्नात ने खुद कहा आप जब हम बाहर जाएंगे तो वहां बहुत सी चीजें होंगी। अदनान भाई जैसे कि मैं पहले ही बता चुकी हूं कि उनकी हमें तकलीफ देने की जो वजह थी वो एक मजबूरी थी। जिसके बारे में बाद में तफसील से बताऊंगी। जब मैंने दरवाजा खोला तो बाहर बहुत ज्यादा बिल्लियां थी जो अजीबोगरीब आवाजें निकाल रही थी। असल में वो बिल्लियां जिन्नात ही थी। वो लोग यानी भाई वाशरूम गए मगर मैं फौरन इन्हें वापस रूम में ले आई। अब हालत यह थी कि घर में खाने के लिए एक भी नहीं था। मेरी बड़ी आपी नमाज पढ़ रही थी कि इतने में वही जिन्नात आए और हमें ₹300 देने लगे। इन्होंने कहा आप लोग खाना बनाएं। आप ही कहने लगी हम यह पैसे नहीं लेंगे। बाद में तुम लोग हमें तंग करोगे। तो वो जिन्नात कहने लगे अभी हमारे पास बहुत पैसे हैं। हमारी अलमारी पैसों से भरी हुई है लेकिन खाने वाला कोई नहीं। फिर एक दिन ऐसा आया जो हमारे उस घर में आखिरी दिन था। हम लोग दिन के वक्त बाहर ग्राउंड में बैठे हुए थे। मैं कुछ सलाई कर रही थी। मैंने अपनी बेटी से कहा कमरे में जाकर नलकी ले आओ। वो गई लेकिन भागती हुई वापस आई और कहने लगी मम्मा मैं नलकी लेने गई थी तो देखा मामू पेट के बल लेटे हैं। फिर मामू ने पीछे देखा तो उनकी आंखें बहुत बड़ी हो गई थी। फिर पूरा चेहरा चींटियों से भरा हुआ था। मैं दौड़ी कमरे की तरफ लेकिन इतने में मेरे भाई ने कमरे को अंदर से लॉक कर लिया। मैंने हमसाया से मदद मांगी और इन्होंने ताला तोड़ना शुरू कर दिया। जब ताला टूटा और हम कमरे में दाखिल हुए तो अदनान भाई एक बात बताऊं अगर किसी में जिन हो तो अगर उसके दाएं हाथ अंगूठे को पकड़ लिया जाए तो वो वक्त तौर पर काबू में आ जाता है जब तक जिन निकल ना जाए। मैंने अपने भाई को पकड़ा और पूछा क्या मसला है? कहने लगा आज उसकी कब्र यहां निकालूंगा। आज इसको मार दूंगा। आज इसका आखिरी दिन है। इतना कहकर वह बेहोश हो गया। मैंने अपने हमसाया से कहा इसे मस्जिद लेकर चलो। उसी वक्त मेरी भाभी में जिन्नात की हाजिरी हुई। हम इसे ग्राउंड में लेकर गए और वहां जाकर बांध दिया। जिन्नात कहने लगे अगर तुम लोग इस घर से ना गए तो हम इस बच्चे को मार डालेंगे। हम सब शॉक्ड रह गए क्योंकि हमें यह बात मालूम ही नहीं थी। मैंने कहा हम आज ही यह घर छोड़ देंगे। उसी दिन हम लोग अपनी खाला के घर बेगम कोर्ट चले गए। हमें पता ही ना चला कि कब हमारा भाई घर से भाग गया। वो तीन दिन तक घर वापस नहीं आया। हमने बहुत ढूंढा मगर वो कहीं नहीं मिला। फिर हमने एक आमिल से राब्ता किया। आमिल ने कहा कि आज महफिल में खुसूसी दुआ की जाएगी। इंशा्लाह अल्लाह के करम से तुम्हारा भाई आज घर वापस आ जाएगा। मेरा भाई बताता है कि अभी मैं लाहौर से भागता भागता शकरगढ़ पहुंचा था। शायद शकरगढ़ इंडिया के करीब है। वो कहता है कि नबी जिन का घर भारत में है। जब मैं बॉर्डर के करीब पहुंचा तो वहां जो लोग मौजूद थे वो मुझे मारने लगे तो मैं फौरन वापस भाग आया। कहता है तीन दिन मैंने कुछ नहीं कहा। सिर्फ भागता रहा। मजीद कहता है कि मैं रोज घर के करीब आता था और कुछ फासले से मुझे खुद ब खुद पता चल जाता था कि घर में क्या हो रहा है। एक दिन मेरी खाला का बेटा जो सिर्फ सात साल का था उसने मेरे भाई का दाया अंगूठा पकड़ लिया। उसी तरह मेरा भाई दोबारा घर वापस आ गया। कुछ अरसा बाद मेरा बड़ा भाई और भाभी एक रात घर से खामोशी से चले गए। पड़ोसियों की कॉल आई कि तुम्हारे भाई भाभी यहां क्यों आए हैं? वो खिड़की से देख रही थी और कहने लगी वो ऊपर आ रहे हैं। मैंने फौरन कहा दरवाजा हरगिज़ ना खोलना। इतने में उन्होंने दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया। नान भाई आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे वक्त में हमारी हालत क्या होगी। वे कहने लगे हमें हथोड़ा चाहिए। हमें दरवाजा तोड़कर अंदर आना है। मैंने कहा कह दो हथोड़ा नहीं है। जब उन्होंने यह सुना तो फौरन नीचे आ गए और घर के मेन गेट के सामने खड़े हो गए। मैंने फौरन अपने चाचा को फोन किया और बताया वो दोनों पुलिस लाइन की तरफ जा रहे थे। मेरे चाचा वहां पहुंचे और उन्हें वापस ले आए। जैसे ही सुबह हुई हम सब वापस गांव चले गए। मेरी अम्मी अब्बू फिर कभी मुकम्मल सेहतियाब ना हो सके। और यूं ही उनकी जिंदगी के आखिरी दिन थे। आज मेरे अब्बू को वफात पाए 2 साल हो चुके हैं और मेरी अम्मी को तकरीबन 3 साल। जिस औरत ने हम पर तावीज करवाया था वो 2 साल तक शदीद बीमार रही। उसे ब्रेस्ट कैंसर हो गया था और अस्तकफिल्लाह उसके जिस्म में कीड़े पड़ गए थे। उसने मेरी अम्मी से माफी मांगी और कहा मुझे खुदा के लिए माफ कर दो। अगले ही दिन वो फौत हो गई। और जहां तक उन दो अच्छे जिन्नात का ताल्लुक है वो बताया करते थे कि हम दोनों अपने बच्चों को लेकर गवर्नर हाई स्कूल आए थे। नबील ने हमें एक बोतल में कैद कर लिया था। तब से हम उसके हर बात मानने पर मजबूर। कहते हैं जब हम नबील की बात ना मानते तो वह हमारी कैद से बच्चों को निकालकर जमीन पर रखता। उनके हाथों पर कील रखकर हथोड़ा मारता था। और कहता था जब तक हम तुम्हें तकलीफ ना दें मैं यही करूंगा। वो कहते हैं जब हम नबील की गुलामी से आजाद हो जाएंगे तो जरूर तुमसे मिलने आएंगे लेकिन वो आज तक नहीं आए। शायद वो अब भी आजाद नहीं हो सके। तो ये थी मेरी स्टोरी जो 100% सच्ची है