सुबह की धूप कमरे के परदों से छनकर भीतर आ रही थी। होटल की हलचल शुरू हो चुकी थी, मगर कियारा का मन आज कुछ ज़्यादा बेचैन था।
रात की वो नज़रें, वो ख़ामोशी — सब अब भी उसकी धड़कनों में गूँज रहे थे। उसने खुद से कहा, “नहीं कियारा, ये सब दिमाग़ से निकालना होगा… ये feelings तेरा ध्यान भटका देंगी।”
लेकिन दिल कब किसी की सुनता है?
उधर, अयान अपने कमरे में files देखकर भी खोए हुए थे। उनके दिमाग़ में काम था, पर दिल उसी एक मुस्कान में अटका था — जो कियारा ने कल terrace से ऊपर देखकर दी थी।
उन्होंने गहरी साँस ली — “कियारा में कुछ तो है… जो हर बार मुझे रोक लेता है, सोचने पर मजबूर कर देता है।”
दोपहर को होटल में एक charity lunch का आयोजन था। कियारा और अयान दोनों को साथ में oversee करना था।
कियारा ने simple white suit पहना था — सादगी में भी कुछ ऐसा था कि अयान की नज़र बार-बार उसी पर ठहर रही थी।
वो उसे देखना नहीं चाहते थे, पर खुद को रोक भी नहीं पा रहे थे।
कियारा ने decoration check करते हुए कहा, “Sir, guests आना शुरू हो गए हैं, आपको stage पर जाना होगा।”
“Hmm,” अयान ने कहा, पर उनकी नज़र अब भी उसी पर थी।
वो बोली, “सब ठीक है न?”
अयान ने मुस्कुराकर कहा, “हाँ… बस कुछ बातें हैं, जो शायद शब्द नहीं ढूंढ पा रही हैं।”
कियारा पलभर के लिए चुप रही। फिर मुस्कुराई — वो मुस्कान जो दिल में उतर जाए।
“कभी-कभी, सर, खामोशियाँ ही सबसे loud होती हैं।”
अयान उसकी बात सुनकर बस उसे देखने लगे — वो जान नहीं पाए कि इस पल में वक्त रुक गया था या बस उनकी सांसें।
Event ख़त्म होने के बाद, दोनों साथ में terrace की ओर चले गए।
समंदर पर सूरज डूबने को था, आसमान में हल्का नारंगी रंग फैला था।
कियारा railing के पास खड़ी थी, बाल हवा में उड़ रहे थे।
अयान कुछ कदम दूर थे, मगर उनके बीच की दूरी अब सिर्फ़ फिज़िकल थी — दिल तो जैसे पहले ही क़रीब आ चुका था।
अयान ने धीरे से कहा, “कभी सोचा नहीं था कि किसी की मौजूदगी इतनी शांति दे सकती है।”
कियारा ने उनकी ओर देखा — “शायद इसलिए क्योंकि कुछ लोग हमें तब मिलते हैं, जब हमें सबसे ज़्यादा उनकी ज़रूरत होती है।”
अयान ने नज़रें झुका लीं, फिर मुस्कुराकर बोले, “तुम्हें पता है, तुमसे बात करना आसान नहीं… क्योंकि हर बात में कुछ ऐसा होता है जो दिल तक पहुँच जाता है।”
कियारा ने हल्के से कहा, “और शायद कुछ बातें दिल तक पहुँचने के लिए कही ही नहीं जातीं… बस महसूस की जाती हैं।”
वो पल दोनों के बीच ठहर गया — जैसे हवा भी उस इज़हार की साक्षी बन गई हो, जो बिना शब्दों के पूरा हो रहा था।
अयान ने उसकी ओर एक गहरी नज़र से देखा — और पहली बार उनकी आँखों में वो softness थी जो अब तक सिर्फ़ कियारा ने महसूस की थी।
रात को कियारा ने अपनी डायरी खोली और लिखा —
“कभी-कभी दिल के इज़हार को आवाज़ की ज़रूरत नहीं होती,
बस एक नज़र, एक खामोशी, और एक एहसास काफी होता है।
आज उसकी नज़रों ने कुछ ऐसा कहा, जो शायद ज़िंदगीभर याद रहेगा…”
To Be Continued…
क्या अब ये खामोश इज़हार किसी सच में बदल पाएगा,
या वक्त इन्हें फिर किसी मोड़ पर अधूरा छोड़ देगा?