( नाग धरा से निकल आद्या और अतुल जिंदगी को नए सिरे से शुरू कर चुके हैं। और हंसी खुशी जी रहे हैं। लेकिन विराट आद्या को चार साल बाद भी अपनी पत्नी और नाग धरा की रानी मानता है। अब आगे)
अधूरी चाह
वनधरा
वनधरा अब पहले जैसा समृद्ध नहीं रहा। चार वर्ष पूर्व विराट ने युद्ध की घोषणा की। उसके मन में एक ही लक्ष्य था—आद्या। और उस लक्ष्य तक पहुँचने का एकमात्र मार्ग था—वनधरा। विराट को पूर्ण विश्वास था कि चाहे आज नहीं, पर कल आद्या अवश्य वनधरा लौटेगी। एक दिन आद्या को अतुल्य के साथ वनधरा की सीमाओं की ओर बढ़ते कुछ नागधरा सैनिकों ने देखा था। पर वे दोनों जैसे ही उस प्राचीन गुप्त द्वार से भीतर गए, फिर किसी ने उन्हें नहीं देखा। विराट की अलौकिक दृष्टि हो या नागगुरुओं की दिव्य विद्या—उस कवच के पार झाँकना किसी के लिए संभव न हुआ। चार वर्षों में आद्या का कोई अता-पता नहीं चला। पर एक बात विराट भलीभाँति समझ गया—आद्या उससे कहीं अधिक शक्तिशाली है। दुर्भाग्यवश, यह बात स्वयं आद्या को भी नहीं पता।
वनधरा अपनी भूलों की भारी कीमत चुका रहा था। इसीलिए वहाँ किसी ने विराट को यह नहीं बताया कि आद्या अब कहाँ है। और न ही यह, कि वही वनधरा की नई नाग रक्षिका है।विराट आज भी उसकी खोज में है। और वनधरा... अब भी उसकी प्रतीक्षा में—शायद अपनी नाग रक्षिका की कृपा से क्षमा पा सके।
विराट अब नागराज है — पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली, भयावह और अभिमानी। वह पूरे ऐश्वर्य और दंभ के साथ सिंहासन पर विराजमान है। उसके चरणों में कुछ नाग मानव — लहूलुहान, जंजीरों में जकड़े हुए। चारों ओर नाग सैनिक — जो कभी भाइयों जैसे थे — अब निर्दयता से उन्हें पीट रहे हैं। विराट का स्वर गूंजता है, सिंहासन कक्ष थर्रा उठता है :"वनधरा अब हमारे अधीन है — फिर तुमने उसे स्वतंत्र घोषित करने का साहस कैसे किया?"
"वर्षों पहले हमने अपनी दृष्टि में देख लिया था — नागधरा की रानी, आद्या वनधरा में नहीं है। लेकिन वह कहाँ है — यह तुम सब जानते हो। बता दो, तो तुम्हारा वनधरा फिर से स्वतन्त्र हो सकता है!"
एक घायल नाग मानव खून थूकते हुए उठता है, आँखों में आग: "हमें नहीं पता कि वह कहाँ है। और अगर पता होता — तब भी तुझे कभी न बताते। हम जान देकर उनकी रक्षा करेंगे, क्योंकि वह हमारी..."
दूसरा बंदी तुरंत उसे रोकता है: "नहीं! आगे मत बोलना... कुछ मत बोलना!"
वे जानते हैं — एक शब्द भी अगर निकला, तो विराट को सच का पता चल जाएगा... कि आद्या ही वनधरा की नाग रक्षिका है।
विराट अपनी आँखों में जलती लाल रोशनी लिए, धीरे-धीरे उनके पास आता है: "वह तुम्हारी जो भी हो —पर वह मेरी पत्नी है। बताओ, वह कहाँ है?"
कुछ देर रूककर बोला "अगर बता दो — तो तुम्हारा राज्य स्वतंत्र कर दूँगा..."
तभी एक बंदी की गर्जना गूंजती है, जो उसके बाकी बचे आत्मसम्मान का प्रतीक है: "ख़बरदार! उनका नाम भी लिया तो! पत्नी? तूने छल किया उसके साथ! और जान ले — वह कहाँ है, ये तेरे मृत शरीर से रिसता हुआ रक्त भी नहीं बताएगा!"
दूसरा बंदी चीखता है:"वनधरा आज नहीं, तो कल स्वतंत्र अवश्य होगा — जब वो लौटेगी!"
पहला बंदी हड़बड़ा कर उसे चुप कराता है: "चुप रहो, पागल हो गए हो क्या?"
विराट एक क्षण के लिए जड़ हो जाता है। फिर उसकी आँखों में कोई भयानक विचार कौंधता है —और वह जोर-जोर से पागलों की तरह हँसने लगता है। "वापस आएगी? हाँ... शायद!"
उसकी हँसी दीवारों से टकराती है। नाग सैनिक भी डर कर पीछे हट जाते हैं।
फिर वह उग्र स्वर में आदेश देता है: "वनधरा की हर सीमा, हर वृक्ष, हर जीव — सब पर दृष्टि रखो। अगर वह लौटे — तो इस बार मैं तैयार रहूँगा!"
....
दृश्य: फ्लैट का छोटा सा लिविंग रूम। टीवी बंद है, एक कोना अस्त-व्यस्त है।
आद्या सोफे में ढही पड़ी है, मोबाइल पर गेम खेल रही है। चेहरे पर शिकन नहीं, बस थकान और बोरियत।
तभी सामने से स्नेहा उबासी लेते हुए आई, हाथ में पानी की बोतल: "फिर से रिजेक्ट हो गई?"
आद्या ने कोई उत्तर नहीं दिया। उसकी नजरें मोबाइल पर जमी थीं, मानो यह सवाल कोई मायने नहीं रखता।
स्नेहा उसे घूरती है, फिर झुंझलाकर कहती है: "इंटरव्यू से पहले ऐसा टेंशन जैसे तू दुनिया की प्रधानमंत्री बनने जा रही हो, और रिजेक्ट होते ही यहाँ ऐसे रिलैक्स जैसे कोई बात ही नहीं हुई!" "कभी सोचा है कि घरवालों को क्या जवाब देगी।"
आद्या ने मोबाइल साइड में रखा, मुँह बनाते हुए बोली: "छी! कम से कम गेम में तो जीतने देती..."
फिर चारों ओर नज़र घुमाकर पूछा:"सुरभि कहाँ है?"
स्नेहा किचन की ओर बढ़ते हुए बोली: "हम तीनों में से उसी को तो ढंग की नौकरी मिली है। शाम तक आएगी, मीटिंग है उसकी।"
आद्या ने मुस्कुराकर कहा: "तू तो बिजनेस करेगी न... मुझे भी पार्टनर बना ले।"
्स्नेहा बिना देखे ही बोली:"सोचना भी मत!"
फिर पीछे मुड़कर उसे घूरते हुए कहा: "जिस लड़की को कोई कंपनी नौकरी में नहीं रख रही, उसे मैं बिजनेस में पार्टनर बना लूं? जिसे सुबह उठाने में घंटा लग जाए और काम करवाने में यज्ञ करना पड़े?"
आद्या ने हाथ उठाकर कहा:"ठीक है ठीक है... मत बना!" तभी स्नेहा ने मेज़ से अख़बार उठाया, पन्ने पलटते हुए रुक गई। कुछ सोचते हुए कहा: "तू तो कहती थी तू अंकल की तरह फॉरेस्ट ऑफिसर बनना चाहती है न? तो ये इधर-उधर की नौकरियाँ क्यों देख रही है? तुझे तो IFS की तैयारी करनी चाहिए।" ये सुनते ही... आद्या की उँगलियाँ सुन्न हो गईं। नज़र धुंधली होने लगी।
नागधरा... विराट... अतुल्य की वो बात — "हम जंगल में कभी नहीं जाएंगे..." सब याद आ गया। उसकी आँखों से चुपचाप आँसू बहने लगे। स्नेहा घबरा गई, पास आकर बोली: "सॉरी यार... कुछ गलत कह दिया क्या?"
आद्या ने कुछ नहीं कहा। बस आँसू पोंछे और धीमे कदमों से कमरे के अंदर चली गई।
1. क्या विराट आद्या तक पहुंच पाएगा?
2. आद्या नाग रक्षिका बनकर वनधरा की रक्षा करेगी ?
3. IFS की तैयारी कर पापा की तरह आद्या वन अधिकारी बन पाएगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क"।