VISHAILA ISHQ - in Hindi Mythological Stories by NEELOMA books and stories PDF | विषैला इश्क - 3

The Author
Featured Books
Categories
Share

विषैला इश्क - 3

 (गर्भवती निशा रहस्यमयी रूप से गायब हो जाती है, जिससे सनी व्याकुल होकर जंगल में उसकी खोज शुरू करता है। उसे याद आता है कि रात को एक साधु और आधा मानव-आधा नाग प्राणी से उसका सामना हुआ था। जंगल में नागों की रहस्यमयी उपस्थिति और पुरानी मान्यताओं की बातें उसे उलझा देती हैं। वह नाग पकड़ने वाले दल और सपेरों की बस्ती तक जाता है, जहां फिर से उस साधु की खोज करता है जिसने पहले उनकी जान बचाई थी। उधर, निशा एक सुरंग में नाग स्त्रियों के बीच सुरक्षित है, जहाँ एक विचित्र नाग देवता की पूजा हो रही है और निशा उसी गीत को बेहोशी में गुनगुना रही है। अब आगे)

पूजा की तैयारी चल रही थी। चारों ओर एक गहरी और रहस्यमयी चुप्पी छाई हुई थी। नाग स्त्रियाँ, जिनकी आँखों में रहस्यमय आभा थी, निशा को बीच में लेटाकर गाने लगीं। उनके गाए गए पारंपरिक गीत जंगल की गहराई से उठते और हवा में बसी उन अजीब सी आवाज़ों में घुल जाते। मंत्रोच्चारण भी जारी था, और यह सब मिलकर एक दिव्य माहौल बना रहे थे। आस-पास की हवा भी उस अनोखी शक्ति से झूमती हुई महसूस हो रही थी, जैसे पूरे जंगल में एक नई ऊर्जा प्रवाहित हो रही हो।

कुछ समय बाद, एक साधुवेशधारी आदमी वहां आया। उसकी आँखों में गहरी ताजगी और प्राचीन ज्ञान की झलक थी। वह नाग गुरु था। जैसे ही उसकी नज़र निशा पर पड़ी, उसने बिना किसी हिचकिचाहट के उसे दंडवत् प्रणाम किया। यह संकेत था कि निशा केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक पुरानी शक्ति की वाहक है।

गुरु ने अग्नि के समीप जाकर तिलक की तैयारी शुरू की, लेकिन तिलक निशा का नहीं, बल्कि उसके अजन्मे बच्चे का था। यह तिलक, जो केवल बड़े उद्देश्य से किया जाता है, उस नन्हे जीव को शक्ति देने का प्रतीक था, जो अभी तक इस दुनिया में नहीं आया था। हर तिलक की लकीर जैसे किसी भविष्य की शुरुआत हो, वैसा ही यह तिलक था। यह भविष्यवाणी का संकेत था कि बच्चे का जन्म एक नए युग की शुरुआत करेगा, एक ऐसा युग जिसमें नागों और मानवों के बीच का संतुलन फिर से स्थापित होगा।

साधु ने धीरे-धीरे अपना शरीर प्रस्तुत किया, और वह अपने अंगों को अग्नि में आहुति देने लगा। आश्चर्यजनक रूप से, न तो रक्त बहा और न ही उसे कोई दर्द महसूस हुआ। जैसे ही उसने अपने अंगों को आहुति दी, वे पुनः उसके शरीर में जुड़ गए और पहले से अधिक शक्तिशाली हो गए। यह दृश्य न केवल अद्भुत था, बल्कि यह दिखा रहा था कि शक्ति का यह अद्भुत संतुलन समय की परिधि से परे था। जैसे यह पूरी प्रक्रिया एक संकेत हो, एक ऊर्जा का प्रसार हो, जो अंततः निशा के अजन्मे बच्चे में समाहित होनी थी।

नाग गुरु का उद्देश्य बहुत स्पष्ट था — वह निशा के बच्चे को शक्ति और सुरक्षा देने के लिए तैयार था, ताकि वह इस दुनिया में आने के बाद अपने कार्य में पूरी तरह सक्षम हो।

तभी वहां पर मुकुट पहने एक नाग रानी आई। उसका चेहरा तेज़ और सौंदर्य से दमक रहा था — जैसे चंद्रमा नागलोक के गहनों से सजा हो। उसने निशा को देखकर मुस्कराते हुए कहा,

"बिल्कुल अपनी माँ की तरह दिखती है निशा। उसकी बेटी भी अपनी नानी की तरह शक्तिशाली और बहादुर होनी चाहिए।"

निशा के चेहरे पर तेज़ अब और भी गहरा हो गया था, मानो उसे अनजाने में अपनी नियति की झलक मिल गई हो।

तभी एक नाग प्रहरी वहाँ आई। वह फुसफुसाई —

"नाग रानी की जय हो। इसके पति चप्पे-चप्पे पर इसे ढूँढ रहे हैं। इससे पहले कि..."

नाग रानी ने उसकी बात बीच में ही काट दी —

"पूजा संपन्न हो चुकी है। अब इसे वापस छोड़ दो। तुम उसके पति को निद्रा-विष दे सकती थी न?"

नाग प्रहरी थोड़ा सहमकर बोली —

"लेकिन... इसके परिवार पर नाग प्रभाव डालना उचित नहीं है। यह गलत है, है न?"

नाग रानी की मुस्कान में एक शैतानी लहर दौड़ गई। उसने ठंडी आवाज़ में कहा —

"तो सम्मोहन करके अमावस्या की रात उसे घर से बाहर निकलवाना — वह क्या था?"

नाग प्रहरी ने नज़रें झुका लीं। पूजा पूरी हो चुकी थी, लेकिन अब जो होना था, वह नियति नहीं — नाग रानी की योजना तय करने वाली थी।

इधर परेशान सनी उस बुजुर्ग सपेरे के पास पहुँचा। वह चुपचाप ज़मीन पर बैठा था, आँखें आधी बंद, जैसे किसी और ही लोक में हो।

उसके सामने बिखरी हुई साँपों की केंचुलियाँ, धुँधली सी गंध और पुरानी जड़ी-बूटियों का वातावरण सनी को असहज कर रहा था।, पर निशा की चिंता में वह सब कुछ भूल चुका था।

वह हाथ जोड़कर खड़ा हो ही रहा था कि सपेरे की आवाज़ आई —"सुरक्षित है तेरी बीवी... और बेटी। पर ज्यादा दिन तक नहीं रहेंगे।"

सनी के हाथ काँप गए। उसने घबराकर कहा —"मतलब?"

सपेरे ने धीरे से सिर उठाया, उसकी आँखों में भविष्य का कोई अटूट सच चमक रहा था।"अगर अपनी बीवी और बेटी को बचाना चाहता है, तो ये जंगल छोड़ दे। वरना... कुछ नहीं बचेगा।"इसके बाद वह फिर चुप हो गया, जैसे शब्दों की सीमा तय हो चुकी हो।

सनी ने झिझकते हुए पूछा —"आधा मानव शरीर वाला नाग... उसके बारे में कुछ जानते हैं?"

बुजुर्ग ने एक पल को सनी को घूरा, फिर आँखें मूँद लीं और कहा 

"जंगल के रहस्य... आसानी से नहीं खुलते, बाबू। बीवी और बेटी को बचा सके तो बहुत है।" फिर वह ध्यान में लीन हो गया।

सनी बहुत कुछ पूछना चाहता था, पर जानता था — अब कोई उत्तर नहीं मिलेगा।

उसके भीतर अब एक नया सवाल जन्म ले चुका था —

“उसे कैसे पता कि मेरी बेटी होगी? अभी तो मेरी बीवी ने बच्चा जना ही नहीं।”

बहादुर और जांबाज सनी के चेहरे पर डर और शंकाएं की रेखा साफ दिखाई दे रही थी। पर उसने वहां से निकलना ही ठीक समझा। उसके मन यह सुनकर शांत हो चुका था कि निशा और उसकी संतान सुरक्षित है। पुराना वाला सनी होता तो वह यह सब नहीं मानता। लेकिन आधे मानव वाले सर्प ने उसे थोड़ा इस तरफ झुका दिया था। अब आने वाली किसी मुसीबत क्या है, वह समझ न पाया। तभी उसका फोन बजा। उसने फोन उठाया तो  वहां की बात सुनकर उसने राहत की सांस ली और तुरंत कार स्टार्ट की और घर पहुंचा। बिस्तर पर निशा थी। उसने आहट सुनी। तभी एक नाग ने उसे डस लिया। 

थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो सुबह हो चुकी थी। बाहर देखा तो निशा गार्डन में पानी डाल रही थी। वह निशा से बोला -"तुम कहां थी?" निशा ने हैरानी से कहा- " कहां थी मतलब।" सनी कुछ पूछना चाहता था पर क्या, उसे याद ही नहीं।

तभी उसके फोन में मैसेज आया कि आज रेगुलर चैकअप के लिए डाॅक्टर घर आ रही है । सनी को बड़ी हैरानी हुई कि उसके आने में तो एक दिन बाकी था‌।

1. क्या निशा सच में वही थी जो दिख रही थी, या कोई और शक्ति उसके रूप में सामने आई थी?

2. उस अजन्मे बच्चे में ऐसी कौन-सी शक्ति है कि नाग गुरु ने अपने अंग तक आहुति में चढ़ा दिए?

3. नाग रानी की योजना क्या है — पूजा के बहाने कोई गुप्त लक्ष्य तो नहीं?

4. क्या नागों और इंसानों के बीच एक नया युग वाकई आने वाला है, या यह सिर्फ एक भ्रम है? जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क"।