"वो नाग कुछ नहीं बोला, बस उसकी कोख को देखकर फन हिलाता रहा..."
अमावस्या की रात में घने जंगल में...
अमावस्या की रात में घने जंगल में तेजी से लाल रंग की कार दोड़ रही थी। उन सन्नाटे को चीरते हुए कार में लाइट म्यूजिक चल रहा था। अचानक ही निशा ने कुछ अनुभव किया, उसने बैचैन होकर इधर-उधर देखा और कार चलाते हुए अपने पति से कहा-" सनी! शायद कोई तेज तेज भाग रहा है। " सनी ने हंसते हुए निशा के ठोढ़ी को छूकर कहा - " जानू! ऐसा कुछ नहीं है। बहुत हाॅरर शो देखती हो तुम। थोड़ा कम देखा करो। वैसे भी मां बनने वाली हो।" निशा ने हंसते हुए कहा - "इस हालत को पत्नी को बाहर घूमा रहे हो। उसका क्या?" सनी ने निशा के जोर से ठोढ़ी खींचे और बोला - "हमारी बेटी तुम्हारी तरह डरपोक नहीं, पापा की तरह बहादुर बनेगी।" निशा ने मूंह बनाया और चिढ़कर बोली-"पापा की तरह बनेगी। पैदा मैं करूं और बनेगी आप जैसी। एक काम करना, अगली बार बच्चा तुम पैदा करना जो तुम्हारे तरह बनेंगे। और जरूरी नहीं कि बेटी ही हो।" सनी ने हंसते हुए कहा - बच्चे से भी जलती हो, अब गुस्सा मत करो। बेटी ही होगी। तुम जैसी प्यारी और गुस्सैल। फोरेस्ट ओफिसर की पत्नी हो तुम, यही हमारी दुनिया है। वैसे भी यह कार मेरी पत्नी की कमाई से आई है, चैक तो कर लूं।" निशा ने हल्की मुस्कान के साथ सनी को देखकर कहा - "इ एम आई में ली है।" यह कहते ही दोनों हंसने लगे। तभी निशा की नज़र सामने पड़ी और निशा जोर से चिल्लाई- "आगे देखो।" एक परछाई कार की तरफ ही बढ़ रही थी। पलक झपकते ही कदमों की आहट तेज हो रही थी। सनी ने कार की स्पीड बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। कार हवा में लटकी हुई थी।सनी ने बाहर की तरफ झांका तो हेडलाइन की रोशनी से देखा कि एक विशालकाय नाग ने उसके कार को हवा में लटका रखा था। निशा जैसे भी यह मंजर देखा, उसकी चीख निकली - आ..... और वह बेहोश हो गई। सनी की भी हालत खराब थी। वह डर के मारे कभी नाग को देख रहा था तो कभी निशा को जगाने की कोशिश कर रहा था। तभी वह फन फैलाकर आगे बढ़ता जा रहा था। सनी के चेहरा पसीने से लथपथ हो चुका था। उसने गन निकालने की कोशिश की , लेकिन इतना बड़ा नाग देखकर उसके दिमाग ने काम करना बंद दिया, उसने गन तान ली , पर नाग ने पूंछ से सनी का हाथ झटक दिया। अब वह क्या करता, उसने निशा को सीने को लगाकर आंखें बंद कर ली और कहने लगा -"साॅरी जानू! मैं तुम दोनों की रक्षा नहीं कर पाया।" नाग ने पास जाकर निशा की कोख की तरफ एकटक देखा। उसे देखकर वह जोर से फन को हिलाने लगा। तभी उस नाग के ऊपर कुछ गिरा। देखते ही देखते वह नाग आधे इंसान में बदल गया। ऊपर का हिस्सा इंसान का और निचला नाग का था। सामने से एक साधु का वेश धारण किए हुए इंसान ने उस पर मंत्र पढ़ना शुरू किया और कुछ भस्म उस पर डालना शुरू कर दिया । साधु ने चीखते हुए कहा - "अगर तूने इंसानों को नुक्सान पहुंचाया तो मेरी कहर से नहीं बच सकता ।" उस नाग ने बड़े ही ध्यान से उस कार को नीचे रखा और वहां से जाने को हुआ। जाते हुए वह फिर मुड़ा और निशा के कोख देखते हुए कही धुंध में गुम हो गया।साधु ने भागकर कार का दरवाजा खोलकर कहा -"आप लोग ठीक है?" सनी ने उसका हाथ पकड़ कर माथे पर लगाकर धन्यवाद कहा। उसने झट से पानी की बोतल से कुछ बूंदें निशा के चेहरे पर मारी और वह बेसुध ही थी ,थोड़े ही आंखें खोलकर बोली- " वह क्या था?" सनी ने नहीं में सिर हिलाया और कहा - "नहीं जानता, इतना बड़ा सांप पहली बार देखा है जंगल में। " साधु की तरफ देखकर बोला ही था -"इतना बड़ा...." देखा तो वह साधु भी वहां नहीं था। सनी ने जल्दी से निशा को सही से बिठाया और कार विपरीत दिशा में मोड़ ली। कार ने तेजी पकड़ ली।निशा को कार से अपनी गोद में उठाकर अपने क्वार्टर के बेड में लिटा दिया और निशा ने कहा कि वह चल सकती है। पर वह नहीं माना और बोला " चुप रहो।" निशा गहरी नींद में सो रही थी, लेकिन सनी की आंखों में नींद कहां? उसने निशा के कंबल को सेट किया और हाॅल में आकर टहलने लगा। बार बार उसकी आंखों में वहीं मंजर सामने आ रहा था। वह खुद से ही बोल रहा था -"5 साल हो गए यहां रहते हुए। लेकिन मैंने आज तक न तो इतना बड़ा नाग देखा और नाग को वश को करने वाले उस साधु को। हां, नाग को पकड़ने वाले कुछ दल है, जिससे आए दिन मेरी झड़प होती है पर उनका हुलिया और बर्ताव भी उस साधु जैसा नहीं है।" वह पानी पीने के लिए जैसे गिलास उठाया, वैसे ही उसे लगा कि उसे कोई देख रहा है। उसने खिड़की की बढ़कर बाहर की तरफ झांका, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। वह वापिस गया और पानी पीने लगा। अचानक ही एक आहट हुई । उसने इस बार गन निकाली और ठान लिया कि चाहे नाग कितना ही बड़ा हो, वह उसे छोड़ेगा नहीं। उसने कहा-" पता नहीं, इससे वह बेहोश होगा या नहीं।" उसने बड़ी सावधानी से दरवाजा खोला और बाहर आते ही दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। उसने इशारे से में गेट पर खड़े गार्ड को बुलाया और कहा-"कोई है यहां पर, ध्यान से देखो।" उसने इधर उधर सब जगह देखा, लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। उसे लगा कि उसका वहम है यह। वह नींद में जम्हाई लेते हुए गार्ड से बोला -"बी अलर्ट।" वह वापिस अपने कमरें में जाकर निशा के बगल में लेट गया। जल्दी ही वह नींद के आगोश में था। सुबह की किरणों में जंगल जितना मनमोहक लग रहा था, लग ही नहीं रहा था कि यह वही खतरनाक जंगल है जिसने रात में सनी और निशा की हालत खराब की थी। जंगल के हरे-भरे वातावरण में छोटा सा एक मंजिला मकान, जिसे निशा ने बड़ी खूबसूरती से सजाया था। सनी ने उठकर देखा तो बगल में निशा नहीं थी। उसने झट से उठकर इधर-उधर देखा, निशा कहीं नहीं थी । बाहर देखा तो गार्ड बेहोश था। वह भागकर अपने बेडरूम में गया और अलमारी से इस बार उसने गन निकाल ली और बाहर की तरफ भागा। वह पूरी शक्ति से जोर से चिल्लाया-"निशा..."। लेकिन कोई जवाब नहीं आया और उसकी आवाज़ जंगल में गूंज गई।
सनी की आवाज़ जंगल में गूंज गई—"निशा!"
लेकिन कोई उत्तर नहीं आया।
क्या वाकई निशा गायब हो चुकी थी?
या फिर वो नाग... फिर से लौट आया था?
और सबसे बड़ा सवाल—क्या उसकी कोख वाकई कोई साधारण गर्भ थी?