पांचवा हिस्सा ( भाग ) वक्त मे पिछे - 2
अब यहा से स्टोरी मे थोड़ा - थोड़ा मैजिक का मिश्रण भी शुरू होगा .
फ्लेशबेक जारी है .............
नूर घर के अन्दर आयी तो उसके अब्बा कोई दवा बना रहे थे वो सीधा उनके पास जा कर बैठ जाती है .
नूर के अब्बा : आ गई मेरी बच्ची बड़ी देर लगा दी आने मे लगता है जरीना के घर ज्यादा ही दिल लग गया था तुम्हारा जो इतनी देर लगा दी आने मे
नूर : अब्बा आप तो जानते ही हो हिना इकलोती दोस्त है मेरी जिससे मै बात कर लेती हूँ तो वही बातो बातो मे रात हो गई ,मुझे माफ करना अब आगे से देर नही होगी .
नूर की अम्मी : तू आगे से अकेले घर से बाहर नही जायेगी और आप क्यू भेजते है इस बच्ची को अकेले बाहर कभी किसी दिन कुछ हो गया तो क्या मुंह दिखाऊंगी मे खुदा को .
नूर के अब्बा : अरे क्यू परेशान होती हो बेगम आप तो जानती है कि नूर कोई आम लड़की तो है नही वो अपना ख्याल रख सकती है और कोई क्या ही बिगाड़ लेगा इसका भला क्यू बेटी नूर सही कहा ना .
नूर : जी अब्बा सही कही आपने जाने कितने लफंगो को सही कर चूकिं हूं अब तो मेरे पास आने से भी डरते है ही ही ही .
नूर की अम्मी : तू चूप कर बड़ी आयी लफंगो को सबक सिखाने वाली तू कितनी भी अलग हो तेरे पास कितनी भी जादूई ताकत हो तू रहेगी मेरी बेटी ही और मै अपनी बेटी की साथ कभी बुरा होते नही देख सकती समझी , और ये बता वो लड़का कौन था तेरे साथ ?
नूर : ( अन्जान बनते हुए ) लड़का कौन सा लड़का अम्मी ?
नूर की अम्मी : वही जो तुझे घर तक छोड़ने आया था सफेद कमीज और नीली पेंट वाला वो गोरा सा लड़का .
नूर : अच्छा वो पता नही कौन था वो पहले उसने मुझे उन कुत्तो से बचाया जो मेरे पिछे लग रहे थे आप तो जानते ही है कि मुझे कुत्तो से डर लगता है फिर मुझे यू अकेला नही छोड़ना चाहता था इतनी रात को सड़क पर, तो आ गया मुझे घर तक छोड़ने मेने तो मना किया था मगर वो नही माना कहता है आज कल का माहोल ठीक नही अकेली औरत का इतनी रात को घर से बाहर हो ना सही नही है ,कहता है लफंगे फिरते है रात को औरतो को परेशान करते हुए फिर मुझे मानना पड़ा तो हा कर दिया .
नूर के अब्बा : बड़ा शरीफ बच्चा होगा जिसे औरतो की इज्जत का इतना ध्याल है .
नूर : (मन मे ) शरीफ मेरी जूती मुझे पटाने की कोशिश कर रहा था जैसे मुझे मालूम ही नही है बहुत मजनू देखे है मैंने और सबक भी सिखाया है घर तो उसने देख ही लिया है और आयेगा भी जरूर इसको भी सबक सिखाऊंगी .
नूर की अम्मी : बेटी नूर कहा खो गई जा जाकर कुछ खा ले पता नही कब से भूखी होगी .
नूर : नही अम्मी मै तो हिना के यहा खाना खा कर आयी थी अब मै सोने जा रही हूँ .
फिर वह अपने कमरे मे सोने चली जाती है वो बेड़ पर काफी देर तक पड़ी रहती मगर उसे निन्द नही आती उसके जहन मे बस उस शक्स का चेहरा चल रहा जिसे वो कुछ वक्त पहले मिली थी फिर वह अपने आप को उसके ख्याल से निकाल कर खड़ी होती है और अपने सामने की दिवार की ओर अपनी दोनो हथेलिया करती है उसके हाथो से नीले रंग की रोशनी निकलने लगती है जो उस दिवार पर जा रही थी और फिर उस दिवार पर एक एक दरवाजा बन जाता है
फिर वह उस दरवाजे की ओर जाती है और उसे खोलती है तो यह एक बड़ा सा कमरा था उसके अन्दर पहला कदम रखते ही वह कमरा रोशनी से जगमगा उठा यह कमरा एक दम शाही कमरा था ( यह वो ही कमरा था जो शाहिद अपने ख्वाब मे देखा था ) पर इस वक्त उस कमरे का वातावरण बहुत अलग था उस कमरे मे इस अलग ही ऊर्जा थी उस कमरे मे एक सुकुन भरा माहोल था ये कमरा एक तरह से जीनो की दुनिया का हिस्सा था जहा नूर अकसर आया करती थी ,उस कमरे मे दाखिल होते ही नूर का लिबास बदल चुका था उसका लिबास अब सफेद और सुनहरे रंग मे तबदील हो गया था वह उस लिबास मे और भी ज्यादा खुबसुरत लग रही थी, मानो वो कोई जीन नही कोई परिस्थान की परी हो
फिर वह उस बड़े से पर्दे को हटा अपने उस बेड़ पर आकर बैठ जाती है उसे एक शुकुन भरा अहसास होता है वहा आकर वह वहा कुछ वक्त ऐसी ही बैठी रहती है फिर उसके मन मे आता है कि यहा इस जगह को थोड़ा बदला जाये और अपनी जादुई शक्ति से वाहा की चीजो को बदलने लगती है .
नूर : (मन मे ) आज क्या किया जाये यहा इस जगह को और खुबसुरत बनाने के लिए हम्मम चलो कुछ फूल वगेरा लगाते है और यहा का कालिन भी बदलना पड़ेगा ,काफी चीजे पुरानी सी लग रही है तो सब ही बदल देती हूँ चलो कुछ नया बनाती हूँ .
फिर अपनी जादू से वहा की मोजूद चीजो को बदल देती है और वह जगाह नयी और खुबसुरत लगने लगती है ,फिर वह बेड़ पर आकर लेट जाती है और अपनी आंखे बंद कर लेती है ,फिर उसे कुछ याद आता है तो उठ कर बैठ जाती है
उस कमरे की दीवार पर फिर से अपने जादू का इस्तेमाल करती है तो उसके सामने फिर एक दरवाजा बन जाता है वह उस दरवाजे को खोलकर उसमे कदम रखती है तो वहा चारो तरफ जंगल ही दिखाई पड़ता है उस जंगल के दरख्त सूखे और बेजान नजर आ रहे थे, उस जंगल मे एक घोर सन्नाटा पसरा हुआ था लग रहा था वाहा पर हर मौजूद हर चीज का वजूद खत्म हो गया , फिर नूर आगे बढ़ने लगी मगर उसके कदम आगे वही रूक गये कुछ सोचकर तो वही खड़ी हो जाती है , और फिर अपनी आंखे बंद कर अपनी हथैलियो को आसमान की और करती तो उसके शरीर से सात अलग अलग रंग की रोशनी निकलन लगती है जो जिसमे सात अलग अलग जिनो के अक्स दिखाई पड़ते है .
वो अपने शरीर से निकलने वाली उस जादूई ताकत को अपने काबू मे करना शुरू करती है मगर तब ही उन जिन के अक्स मे हल चल होती है और उनमे से कई सफेद रंग के साये बाहर निकल आते है और उस पर हमला कर देते है
वो एक से बचती है तो दूसरा साया आ कर उस पर हमला कर देता है मगर वो लगातार उस जादूई ताकत को अपने काबू करने की कोशिश करती लेकिन कर नही पाती वो साये एक साथ उस पर सफेद रंग की रोशनी से हमला कर देते है जिससे उसके शरीर मे बहुत चोट पहुंच रही थी और साथ ही जादूई ताकत भी उस पर हावी होने लगी थी उसका शरीर जख्मी हो गया था जिसके कारण वह अपनी कोशिश रोक लेती है .
नूर मायूस हो जाती है वो कितने वक्त से इस जादूई ताकत को हासिल करना चाहती है जो उसके शरीर मे तो मोजूद थी मगर उस पर उसका अधिकार नही था कई कोशिश के बाद भी नही कर पायी अब वो जीनो के अक्स और वो सफेद रंग के साये वहा से गायब हो गए थे तो फिर वह अपने जख्मी शरीर साथ अपने उस कमरे मे आकर लेट जाती है,फिर वह थकान से चूर एक गहरी निन्द मे पहुंच जाती है .
इधर जाहिद अपने घर पहुंचता है तो घर पर उसकी अम्मी उसकी छोटी बहन गुलनाज और उसके अब्बा उसका ही इंतेजार कर रहे थे उसने अब्बा की तरफ देखा जो बहुत गुस्से मे थे वो जाहिद को देखकर उसे अपने पास आने को कहते है जाहिद उनके पास चला जाता है .
जाहिद के अब्बा : कहा थे अब तक बरखुद्दार ये वक्त है कोई घर आने का वक्त देखा है क्या हो रहा है रात के साढे दस बज चुके है और आप अब तशरीफ लाए घर पर आपकी अम्मी आपकी परवाह मे कब से परेशान हो रही और आपको तो बस दोस्तो के साथ घुमना फिरना सिनेमा जाना बस यही करना होता है कोई जिम्मेदारी का अहसास है आपको आपकी उर्म देखी है कितनी हो गई है तेइस के हो गए हो पढ़ाई भी छोड़ दी दुकान पर कहा बैठने को तो वहा पर भी नही जाना आपको पूरा दिन बस आवारा की तरह गुजरना होता है आपको .
जाहिद की अम्मी : अजी बस किजिये ना अभी तो थका भला आया है थोड़ा आराम करने दो खाना पीना खाले ने दो सुबह समझा देना इसको .
जाहिद के अब्बा : बेगम आप बीच मे ना पड़ो तुम्हारा लाड आज काम नही आयेगा आज तो मै इसे सबक सिखा कर रहूंगा आप एक तरफ खड़ी हो जाओ चूपचाप .
और आप अब बस अब बहुत हो गया आज से आपकी आवारा गिरी बन्द दोस्तो के साथ यू घूमना फिरना आज से बन्द है आपका कल से आप दुकान जा रहे है और अगर आपने जरा सी आना तानी कि तो अपना सामान उठाओ और यहा से दफा हो जाओ मै मान लूंगा कि मेरी बस एक ही औलाद है आपका और हमारे परिवार ताल्लुक हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा आपसे फिर उसके बाद इस घर का कोई भी सदस्य आपकी शकल नही देखेगा और ये मेरा आखरी फैसला है .
अब्बा की बात सुनकर जाहिद को बहुत बुरा लगा इसलिए नही कि वह उसे घर से निकल रहे थे उसे बुरा इस बात के लिए लगा कि अब्बा उसे अपने और परिवार की जिन्दगी से निकाल रहे थे इसलिए वह बिना कुछ कहे अपने कमरे मे चला गया और दरवाजा बंद कर काफी देर सोचता रहा फिर उसने फैसला किया कि वह कल से अब्बा का कहा मानेगा और अपने आप को बदलेगा और कल से दुकान जायेगा .
सुबह उठकर वह नहा धोकर नमाज से फारीक होकर नास्ता करता है और फिर अब्बा की साथ दुकान पर निकल जाता है
कई रोज उसके इसी तरह गुजरते है दुकान से घर से दुकान उसने अब दोस्तो के साथ वक्त गुजारना छोड़ दिया था बस कभी कभार वो उनसे मिल लेता था उसके अब्बा और सभी घर वाले बहुत खुश थे जाहिद के इस तरह सुधर जाने से .
एक बार वह घर पर दोपहर का खाना लेने आता है उसकी अम्मी रसोई मे थी और गुलनाज सोफे पर बैठा कर पढ़ाई कर रही थी तो गुलनाज जाहिद को देखकर चिडाने का सोचती है .
गुलनाज : (चिडाते हुए ) भाई लगता है आप सच मे सुधर गये मुझे अपनी इन काली आंखो पर यकिन ही नही हो रहा है कि कभी कुत्ते की दुम भी सीधी हो सकती है हा हा हा
जाहिद गुलनाज की बात से चीढ़ गया तो उसका कान पकड़कर उसे मरोड़कर बोला तो वह चिल्लाने लगी .
जाहिद : क्या कहा तुमने क्या मै तुम्हे कुत्ते की दुम अभी बताता हूं तुम्हे गुलनाज की बच्ची तुम्हारी जुबान बहुत चलने लगी है .
यूही दोनो बहन भाई की नोक झोक चलती रहती थी आज गुलनाज को मोका मिला गया उसने फायदा उठा लिया
इधर गुलनाज की चिल्लाने की आवाज सुन उसकी अम्मी रसोई से आती तो दोनो को यू लड़ता पाती है तो वह दोनो को डांटती है .
जाहिद की अम्मी : क्या लगा रखा है तुम दोनो ने फिर से लड़ना शुरू कर दिया आने दो शाम को तुम्हारे अब्बा को वो दोनो की खबर अच्छे से लेगे फिर सुधरोगे तुम दोनो .
गुलनाज : ( मासूम सा चहारा बनाकर ) अम्मी देखो ना भाई मेरे कान खीच रहे मुझे कितना दर्द हो रहा है .
जाहिद: नही अम्मी इस बन्दरिया ने मुझे कुत्ते की दुम कहा पहले फिर मेने इसके का मरोड़े .
गुलनाज : देखो अम्मी भाई मुझे बन्दरिया बोल रहे है .
जाहिद : नही अम्मी ये मेरी साथ पहले छेड़ छाड़ करती है तो मै तो बोलूंगा ही ना इसे बन्दरिया .
गुलनाज : ( मासूमियत के साथ ) नही अम्मी भाई झूठ बोल रहे भला मे ऐसा कुछ कर सकती हूं क्या आप ही बताइए .
जाहिद की अम्मी : बस करो तुम दोनो ,तुम दोनो ही कम नही हो एक मोका नही छोड़ते एक दूसरे को परेशान करने का हमेशा लड़ते झघडते रहते हो और किसी एक को कुछ कहे दो तो फिर भाई बहन की मोहब्बत जाग जाती है तुम्हारी , बेटा जाहिद ये खाना लो तुम दुकान पर जाओ और तुम अपने पढ़ाई पर ध्यान दो नही तो शाम को अपने अब्बा से डांट सुनने के लिए तैयार रहना समझी .
जाहिद खाना लेकर दुकान पर चला जाता है और इस तरह कई दिन गुजरते है ,
फिर एक दिन जाहिद को अपनी दुकान सामने वाली चूड़ियो की दुकान पर एक लड़की नजर आयी उसने उसे ध्यान से देखा तो वह नूर थी उसने उस वक्त गुलाबी रंग का सलवार सूट पहना हुआ था और आज भी वह बला की खुबसुरत लग रही थी उसको देखकर उसका दिल फिर से धड़कने लगता है दुकान पर अब्बा नही थे मोका देखकर दुकान पर काम कर रहे लडके को मै जरा अभी आता हूं कह कर वह दुकान से बाहर आता है और नूर की तरफ जाता है नूर चूड़िया लेकर चलने लगती है तो वह उसे आवाज देकर पुकारता है .
काहानी जारी है......