Chapter 3 - डायरी के राज़
[ एक हफ़्ते बाद - रात के सात बजे ]
रात हो चुकी है, आसमान में बादल मंडरा रहे है, शहर के एक पुराने रेस्टोरेंट के सामने एक पुरानी कार आकर खड़ी हो जाती है, उसमें से सफ़ेद शूट पहने प्रोफेसर *वी. डी. नारायण* (उम्र 52) बाहर आते है, वो ऊपर आसमान की ओर देखते है और फिर रेस्टोरेंट के अंदर जाते है ।
रेस्टोरेंट में ज्यादा भीड़ नहीं है, गरमा गरम खाना मेहमानों को परोसा जा रहा है, टेस्टी खाने की खुशबू पूरे होल में फैली हुई है ।
अंदर जाकर प्रोफेसर नारायण इधर उधर नज़रे करते है तब कोने में सब से आखिर में इंग्लिश सूट पहने हुए एक व्यक्ति उनको हाथ हिला कर इशारा करता है, श्याम रंग, हट्टा कट्टा शरीर, सफ़ेद चश्मे और उसके पीछे तेज़ आंखे, प्रोफेसर नारायण चलते हुए उस व्यक्ति के पास जाते हैं,
प्रोफेसर कहते है :
“ हैलो… Mr. वालिया (उम्र 48) । “
Mr. वालिया :
“ वेलकम… मेरे पुराने दोस्त… आपने आने में काफ़ी देर कर दी । “
प्रोफेसर :
“ लगता है काफी देर से इंतेज़ार कर रहे हो । “
Mr. वालिया :
“ हा… वो तो है… यहां सामने बैठिए । “
( प्रोफेसर वहां बैठ जाते है )
प्रोफेसर :
“ काफी अच्छी जगह टेबल बुक किया है, इस कांच की बड़ी खिड़की से बाहर का नज़ारा साफ़ दिख रहा है । “
Mr. वालिया :
“ हा… 15 साल हो गए ये मेरी फेवरेट टेबल और जगह है ।
“
प्रोफेसर :
“ तो बताओ… तुम्हरा काम कैसा चल रहा है, कोई प्रोमोशन मिला की नहीं ? “
Mr. वालिया :
“ काम से थक कर आराम करने के लिए ही छुट्टी ली थी... पर यहां आकर एक अजीब सी उलझन में फंस गया हु । “
प्रोफेसर :
“ कैसी उलझन ? “
Mr. वालिया :
“ ऐसी उलझन जिसे समझाना मुश्किल है । “
वेटर वहां खाने का ऑर्डर लेने के लिए आता है, mr. वालिया मैन्यु देखता है ।
Mr. वालिया :
“ आप क्या खायेंगे प्रोफेसर ? “
प्रोफेसर :
“ बस सादा सा खाना… दाल, चावल और सब्जी । “
Mr वालिया प्रोफेसर के सादे भोजन के साथ अपनी पसंदगी का खाना ऑर्डर करता है ।
प्रोफेसर :
“ तो बताओ… इतने वक़्त बाद कैसे याद किया ? “
Mr. वालिया धीरे से कहता है :
“ आपके बड़े भाई.. *डॉ. चंद्रकांत* के बारे में जानकर दुख हुआ… काफी अच्छे व्यक्ति और साहित्यकार थे । “
प्रोफेसर :
“ हा… वाकई में वो अच्छे थे, पर असल में वो एक पुरातत्त्वविद थे, साहित्य बस उनका एक शोख था । “
Mr. वालिया गंभीरता से कहता है :
“ वो तो है… पर क्या आपको यकीन है कि उनकी मौत सीढ़ियों से नीचे गिरने की वज़ह से हुई है ? “
प्रोफेसर :
“ अरे… ये तुम कैसी बात कर रहे हो, माना कि तुम इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हो.. पर ये कैसा सवाल है । “
Mr. वालिया :
“ देखिए प्रोफेसर… आप मेरे पुराने दोस्त है, पर ये काफ़ी जरूरी सवाल है, में ये सवाल आपसे पूछ रहा हु… मतलब ये वाकई में काफी जरूरी है । “
प्रोफेसर :
“ वो अकेले रहते थे, पुलिस ने खुद इनवेस्टिगेट किया था, उनकी रिपोर्ट में यही है कि सीढ़ियों से गिरने की वजह से… “
Mr. वालिया :
“ सभी लोग यही सोचते है, पर मुझे ऐसा नहीं लगता । “
प्रोफेसर :
“ और ऐसा क्यों लगता है आप को ? “
Mr. वालिया :
“ इस बड़ी खिड़की से बाहर देखिए प्रोफेसर… आपको क्या दिख रहा है ? “
( प्रोफेसर बाहर देखते है )
प्रोफेसर :
“ कुछ खास नहीं… रोड, स्ट्रीट लाइटे, कुछ गाड़िया, रोड पर पांच- छे लोग घूम रहे है, बंद दुकाने, बिल्डिंग्स… और ? “
Mr. वालिया धीरे से कहता है :
“ कुछ वक़्त पहले तक.. यहां पर इस वक़्त बहुत ज्यादा चहल पहल होती थी, काफ़ी सारे लोग रात में घूमने के लिए निकलते थे, पर जरा देखो… अब सब कितना बदल गया है, इसकी वजह है डर… । “
प्रोफेसर :
“ हा में जानता हु, ये वाकई में काफी अजीब है । “
Mr. वालिया :
“ अब तक शहर में 26 लोग गायब हो चुके है, ओर उस घने कोहरे वाली रात में 19 लॉग, उस रात के घने कोहरे के बारे में आप क्या सोचते है प्रोफेसर ? “
प्रोफेसर :
“ हर साल देस में लाखों लोग गुम हो जाते है, ये कुछ नया नहीं है, सरकार को गुंडे मवाली और ऐसे ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े लोगों के खिलाफ सख़्त कार्यवाही करनी चाहिए… पर इसमें बड़े नेता लोग खुद शामिल होते है इस लिए कुछ नहीं होता । “
Mr. वालिया :
“ ये सही है, पर… यहां सब कुछ काफी अजीब और अलग है । “
प्रोफेसर :
“ क्या अलग है ? “
Mr. वालिया :
“ कुछ न्यूज चैनल बता रहे है कि शहर में कोई गैंग वॉर शुरु हो गई है, कुछ का कहना है कि ये सरकार की साजिश है, पर कुछ जाने माने विद्वान् बता रहे हे कि उस रात के घने कोहरे में कोई सुपर नेचरल पावर थी जिस की वजह से उसमें फसने वाले लोग किसी ओर डायमेंशन में चले गए, कुछ तो इसे देवताओं का श्राप बता रहे है । “
प्रोफेसर :
“ ये सारी मनघड़ंत कहानियां है, न्यूज चैनल वाले तो बिके हुए है, पैसे खा कर या टी आर पी के लिए कुछ भी बोल देंगे । “
Mr. वालिया :
“ एक रात में 19 लॉग गायब हो गए और एक हफ्ते के बाद भी पुलिस को किसी का भी सुराग नहीं मिला, ये कोई मामूली बात नहीं । “
प्रोफेसर :
“ पर इन सब का मेरे भाई की डेथ से साथ क्या लेना देना ? “
Mr. वालिया :
“ कुछ तो है… कोहरे के दो दिन बाद आपके भाई चंद्रकांत ने मेगज़ीन में *कोहरा* नाम से एक अजीब सी कहानी लिखी थी, आपको पता हैं ? “
प्रोफेसर :
“ मुझे नहीं पता इसके बारे में, वो अक्षर ऐसी अजीब कहानियां लिखते रहते है । “
Mr. वालिया :
“ इस कहानी में कोहरे को एक ख़तरनाक साजिश बताया गया है, इस कहानी की आखिरी हिस्से में लिखा है - ' वो लॉग सामने नहीं आते, वो साजिश करते है, कई सो साल पहले उन्होंने यूरोप में और इसके बाद पूरी दुनिया में प्लेग जैसी ख़तरनाक महामारियां फैलाई… काफी इंसानों की जाने ली और पता नहीं अब वो लोग और क्या करेंगे, पता नहीं वो लॉग क्या चाहते है, शायद कुछ बहुत ही ज्यादा बुरा… । ' “
Mr. वालिया गंभीर हो कर प्रोफेसर को देखता है ।
प्रोफेसर :
“ काफ़ी अच्छा लिखा है, पर मुझे इन कहानियों में दिलचस्पी नहीं, में हिस्टरी पढ़ाता हु और ऐसे मनगढ़ंत साहित्य इतिहास को जटिल बना देते है । “
Mr. वालिया :
“ आप अब तक नहीं समझे प्रोफेसर… इसी कहानी के प्रकाशित होने के दूसरे दिन आपके भाई की मौत हो गई, ये एक इत्तेफाक हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कोई गहरा राज़ या साजिश हो तो ? “
प्रोफेसर सोच कर कहते है :
“ हा… ऐसा हो सकता है, पर… “
प्रोफेसर के फोन में एक मिस कॉल आता है, प्रोफेसर फ़ोन चैक करते है, फिर अनदेखा कर देते है ।
Mr वालिया :
“ प्रोफेसर… किसका फोन है ? “
प्रोफेसर :
“ अरे… कॉलेज की एक स्टूडेंट् है, उसे हेल्प चाहिए अपने प्रोजेक्ट के लिए, मैने काफी देर से उसके मैसेज का जवाब नहीं दिया तो मिस कॉल कर दिया होगा । “
Mr. वालिया :
“ काफी आश्चर्य की बात है, कॉलेज की एक जवान लड़की रात को अपने प्रोफेसर को कोल करती है । “
प्रोफेसर :
“ तुम गलत समझ रहे हो, वो मेरी स्टूडेंट है, आज कल के स्टूडेंट्स बात करने से बिल्कुल भी नहीं शरमाते वो ऐसे ही बिंदास होते है । “
Mr. वालिया :
“ फिर भी… आप को सतर्क रहना चाहिए… शहर में काफी कुछ अजीब हो रहा है । ”
प्रोफेसर :
“ हा… ठीक है । “
Mr. वालिया :
“ मुझे और ज़्यादा जानकारी चाहिए आपके भाई के काम के बारे में, वो जरूर ऐसे कुछ ख़ास राज़ जानते थे… शायद ये गुम हुए लोगों से जुड़ा हुआ हो । “
प्रोफेसर :
“ हा… शायद ऐसा हो सकता है पर मुझे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं… बस मुझे उसके घर से कहानियों की एक डायर मिली थी । “
Mr. वालिया :
“ मुझे वो डायरी देखनी है । “
प्रोफेसर :
“ ठीक है, कल में कॉलेज के बाद फ्री हो जाऊंगा तब मिलते है फिरसे । “
Mr. वालिया :
“ ओके… पर अभी वो किताब कहा है ? “
प्रोफेसर :
“ वो उनके घर के सीक्रेट सैफ में रखी हुई थी, मैने उसे देखा, थोड़ा पढ़ा और फिरसे वही रख दी । “
Mr. वालिया उत्सुकता से कहते है :
“ क्या था उस किताब में… ? उन कहानियों में ? “
प्रोफेसर :
“ ऐसी ही अजीब कहानियां, मुझे इन सब में कुछ खास इंट्रस्ट नहीं था तो मैंने रख दिया वापस… लेकिन अब आपकी वजह से उन कहानियों के प्रति मेरा इंट्रस्ट भी बढ़ गया है । “
Mr. वालिया :
“ कोई बात नहीं… तो कल देखते है इसे । “
वेटर लोग वहां खाना लेकर पहुंचते है, प्रोफेसर और Mr. वालिया खाना शुरू करते है । “
[ आधे घंटे बाद ]
लगभग रात के आठ बज रहे है, आसमान में बादल छा रहे है, ऐसा लगता हैं जैसे बारिश होने वाली हो, Mr. वालिया डिनर ख़त्म करके अपनी कार में बैठ कर पुराने गाने सुनते हुए घर लौट रहे, उनका घर थोड़ा दूर है, रास्ते पर ज्यादा गाड़िया नहीं दिख रही ।
Mr. वालिया अपने घर की ओर जाने वाले छोटे रास्ते पर कार को मोड़ते है, वो रास्ता काफी सुमशान लग रहा है, पर Mr. वालिया को इसकी आदत है, अकेले सफर करने की ।
Mr. वालिया की कार एक ब्रिज पर पहुंचती है जिसके नीचे नाला बह रहा है, वहां ब्रिज के ऊपर कोई आदमी रास्ते के बीच में खड़ा है, वालिया कार की रफ़्तार कम करते है और उस आदमी के सामने जा कर रोक देते है ।
इसके बाद वो आदमी चल कर mr. वालिया के पास आता है, वो आदमी पुराने कपड़े पहने हुए, कोई पुराने जमाने का विलन लग रहा है, वो वालिया को कांच खोल ने के लिए कहता है, mr. वालिया भी उसे अपनी तेज़ नजरों से देखते हुए कार का शीशा खोलते है ।
Mr. वालिया गुस्से से कहते है :
“ क्या चाहिए तुझे… ? गाड़ी के सामने मरने के लिए खड़े हो । “
वो आदमी :
“ साहब, मेरी पत्नी बीमार है, में उसके लिए दवाई ले जा रहा हु, मुझे जल्दी घर पहुंचना है, क्या आप मुझे आगे तक छोड़ देंगे ? “
Mr. वालिया :
“ तेरी मनहूस शकल देख कर लगता नहीं कि तेरी कोई बीवी होगी । “
वो आदमी :
“ अरे साहब… तुम ये कैसी बात कर रहे हो ? “
वो अजीब आदमी अपनी जेब में हाथ डाल कर चाकू निकलता है, इस से पहले की वो आदमी कुछ कर पाए mr. वालिया अपनी बंदूक निकालते है और उस अजीब आदमी को 2 गोलियां ठोक देता है ।
वो अजीब आदमी दर्द के साथ चिल्लाते हुए नाले में गिर जाता है, Mr. वालिया कार से निकल कर नाले में देखते है, वो आदमी नाले में बह जाता है ।
Mr. वालिया :
“ साला हरामजादा… मुझसे होशियारी कर रहा था । “
इसके बाद mr. वालिया आस पास देखते हुए जल्दी से अपनी कार में बैठ कर वहां से चला जाता है ।
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