Kohra - A Dark Mystery - 5 in Hindi Horror Stories by MIHIR NISARTA books and stories PDF | कोहरा : A Dark Mystery - 5

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कोहरा : A Dark Mystery - 5

“Chapter- 5+ : बड़े दिनों बाद “ 

   
     
     सुबह का वक़्त है, कनिष्क अपने घर के बाहर रखी अपनी कार को साफ़ कर रहा है, वही बाइक पर सवार उसका दोस्त रिनेश वहां आकर रुकता है, 

रिनेश : 
“ क्या चल रहा है यार ? “

कनिष्क :
“ कुछ नहीं बस अपनी कार साफ़ कर रहा हु। “

रिनेश :
“ ये तो नई ही लग रही है, इसे क्या धोना। “

कनिष्क :
“ काफी जगह धूल जम गई है, मुझ ये पसंद नहीं। “

रिनेश :
“ तुमने आकाश के बारे में सुना ? “

कनिष्क :
“ नहीं… क्या हुआ आकाश को ? “


रिनेश :
“ पता नहीं वो कहीं गायब हो गया, कई दिनों से वो घर पर नहीं आया। “

कनिष्क :
“ ओह… ये तो सही नहीं हुआ। “

रिनेश :
“ एक पुलिस वाला मेरे पास आया था। “

कनिष्क :
“ क्या कहा उसने तुम्हें ? “

रिनेश :
“ वो आकाश के बारे में पूछ रहा था, मैने उसे बताया की हम उस से एक हफ्ते पहले मिले थे। “

कनिष्क :
“ और क्या बताया तुमने उस पुलिस वाले को। “

रिनेश :
“ वो मुझे बोल रहा था कि उसी रात से आकाश गायब है, मैने उसे बताया कि दोस्तों की मीटिंग के बाद हम अपने अपने घर चले गए थे। “

कनिष्क :
“ ये अच्छा किया तुमने, ये पुलिस वाले फालतू में हमे फंसा देंगे। “

रिनेश :
“ तुम उस दिन आकाश को घर तक छोड़ ने गए थे ? “

कनिष्क :
“ नहीं… मैने उसे उसके घर की ओर जाने वाली छोटी सड़क तक छोड़ा था, उसने कहा कि वहां उसे कुछ जरुरी काम हे, इसे खत्म करने के बाद वो खुद चल कर घर चला जाएगा। “

रिनेश : 
“ पता नहीं वो कहा चला गया। “

कनिष्क : 
“ तुम फिकर मत करो, शहर के हालात ही कुछ ऐसे है। “

रिनेश :
“ हेय… मुझे प्राची का नंबर मिल गया। “

कनिष्क : 
“ ये तो बहोत बढ़िया है, मेरे फोन में इसे सेव करो तब तक में कार साफ़ करता हु। “

रिनेश :
“ ये नंबर मुझे दो दिन पहले ही मिल गया था, पर जब में यहां आया तो तुम घर पर नहीं थे और आकाश की न्यूज सुन कर में बेचैन हो गया…“

कनिष्क :
“ ईट्स ओके। “

रिनेश :
“ तुम्हे क्या लगता है, आकाश के साथ क्या हुआ होगा ? “

कनिष्क :
“ मुझे नहीं पता। “

रिनेश :
“ कोई बात नहीं, अब तुम क्या करोगे। “

कनिष्क :
“ कुछ खास नहीं, बहुत सारा काम अधूरा है, इसे खत्म करना है। “

रिनेश :
“ तो चलो बाय, फिर मिलेंगे। “

     कनिष्क रिनेश को जाते हुए अजीब तरह से देखता है, जैसे कि वो कोई खास राज़ छुपा रहा हो, कनिष्क अपनी कार पूरी तरह साफ़ किए बिना ही घर के अंदर चला जाता है। 

     कनिष्क घर के अंदर जा कर अपने फोन में प्राची का नंबर निकालता है और उसे कॉल करता है, पहली बार में कोई जवाबर नहीं मिलता, वो दोबारा कोशिश करता है, पर इस बारे भी कोई जवाब नहीं मिलता।

    कनिष्क तीसरी बार कॉल करता है, इस बार उसे जवाब मिलता है, कोई लड़की फोन रिसीव करती है,

कनिष्क फोन पर कहता है :
“ कौन ? प्राची ? “

प्राची :
“ हा में प्राची और आप कौन हो ? “

कनिष्क : 
“ में… में तुम्हारा पुराना दोस्त, नंबर वन बेस्ट फ्रेंड। “

प्राची थोड़ा सोच कर कहती है :
“ कनिष्क… क्या ये तुम हो ? “

कनिष्क :
“ हा… में कनिष्क। “

प्राची :
“ तुम्हारी आवाज़ काफी बदल गई है। “

कनिष्क :
“ तुम भी काफी बदल गई हो। “

प्राची :
“ चार साल… कहा थे इतने दिनों तक ? “

कनिष्क :
“ यहां से काफी दूर, हम दोनों के लिए कुछ करना चाहता था, लेकिन काफी देर हो गई। “

प्राची :
“ हा… तुमने सच में काफी देर कर दी, अब क्यों फोन किया है। “

कनिष्क :
“ क्या हम कही मिल कर बात कर सकते है ? “

प्राची :
“ अब इसकी कोई जरूरत नहीं, हमारे बीच अब कुछ नहीं बचा, कोई रिश्ता नहीं। “

कनिष्क :
“ क्या सच में तुम इतनी ज्यादा बदल गई ? एक बार मेरी बात तो सुनो…“

प्राची :
“ मुझे अपनी जिंदगी में मुश्किल से खुशी मिली है, तुम इस से दूर रहो, प्लीज… दोबारा कॉल मत करना। “  
( प्राची फ़ोन कट कर देती है )

कनिष्क अजीब तरह से कहता है : 
“ प्राची… मेरी जान में तुम्हे ढूंढ लूंगा। “ 



[ दोपहर का वक़्त, प्रोफेसर का घर ]

       कनिष्क के घर के सामने वाली लाइन में तीसरे नंबर का घर प्रोफेसर वी डी नारायण का है, उस घर के सामने एक कार आकर रुकती है, उसमें से Mr. वालिया बाहर निकलये है और उस घर पर जाते है, वहां प्रोफेसर का नौकर *भवसिंघ* दरवाज़ा खोलता है।

भवसिंघ :
“ जी, आपको क्या काम है। “

Mr. वालिया :
“ मुझे प्रोफेसर से मिलना है, उन्हें बुलाओ। “
( वालिया घर के अंदर जाने की कोशिश करता है )

भवसिंघ उसे रोकते हुए कहता है :
“ रुकिए साहब, प्रोफेसर घर पर नहीं हे, वो बाहर गए हुए है। “

Mr. वालिया :
“ क्या बात कर रहे हो… मेरा उनसे मिलना जरूरी था, कहा गए हे वो ? “

भवसिंघ :
“ अपने किसी रिश्तेदार के यहां गए है, पता नहीं कब लौटेंगे। “

      Mr. वालिया प्रोफेसर को कॉल करता है, प्रोफेसर कहते है कि उन्हें घर आने में देरी हो जाएगी इस लिए वो कल सुबह मिलेंगे, mr. वालिया प्रोफेसर को समझाने की कौशिश करते है कि उनका मिलना जरूरी है पर प्रोफेसर वही जवाब देते है कि सुबह आराम से बात करेंगे।

       इसके बाद Mr. वालिया अपनी कार में बैठ कर वहां से निकल जाते है, वो अभी भी डॉ. चंद्रकांत की उस डायरी के बारे में ही सोच रहे है, वो ये जान ने के लिए उत्सुक है कि उस डायरी में ऐसा क्या है।

      Mr. वालिया कार ड्राइव करते हुए अपने घर की ओर जा रहे है वही उनके फोन पर कॉल आता है, वालिया उसे रिसीव करते हैं,

Mr. वालिया :
“ जी, बोलिए, कौन ? “

फ़ोन पर एक व्यक्ति :
“ सीटी पुलिस स्टेशन से बोल रहा हु, क्या आप Mr. वालिया है ? “

Mr. वालिया :
“ हा… बताईए क्या हुआ ? “

पुलिस वाला :
“ क्या आप रिपोर्टर घनश्याम धींगरा को जानते हो ? “

Mr. वालिया :
“ हा, वो मेरा दोस्त है ? क्या हुआ ? “


पुलिस वाला :
“ उन्होंने कल रात को अपने घर में आत्महत्या कर ली। “

Mr. वालिया :
“ ये तो बुरा हुआ, कैसे हुआ है ? “

पुलिस :
“ अभी तहकीकात चल रही है, हमे जानकारी मिली है कि आप ने दो दिन पहले उनसे मुलाकात की थी, क्या ये सही है ? “

Mr. वालिया :
“ जी हा, उस वक़्त वो बिल्कुल सही थे, अचानक ये कैसे हो गया ? “

पुलिस :
“ आपको पुलिस स्टेशन आना होगा, आप उनके दोस्त है, आपको इन्वेस्टिगेशन में पुलिस की मदद करनी होगी। “

Mr. वालिया :
“ ठीक है में आता हु। “

      Mr. वालिया फ़ोन रखते है, इसके बाद वो फिरसे अपने घर की ओर जाने वाले रॉड बन मौजूद छोटे से ब्रिज के पास पहुंचते है, ये रोड हमेशा की तरह आज भी शांत है, तभी एक ट्रक अचानक पीछे से आता है ओर उनकी कार को टक्कर मारता है, वालिया की कार अपना संतुलन खो देती है, इसके बाद कार रोड से बाहर निकल जाती है और वहां दीवार से टकरा जाती है।

      कार का आगे का हिस्सा तहस नहस हो जाता है, कार के बोनट से धुआं निकलने लगता है, पर Mr. वालिया बच जाते है, वो ट्रक वाला वहां से तेज रफ़्तार से भाग जाता है, लगता है उस ट्रक वाले का इरादा वालिया की कार को टक्कर मार कर नाले में गिरा देने का था पर वो इसमें कामयाब नहीं हो पाया।

      Mr. वालिया लड़खड़ाते हुए अपनी कार से बाहर निकले है, वो थोड़े घायल लग रहे है, उनकी बंदूक उनके पास है, तभी उनके फोन पर एक ओर कॉल आता है,

Mr वालिया कॉल रिसीव करते है :
“ हैलो ? “ 

फोन पर कोई अंजान शख्स भारी आवाज़ में कहता है :
“ वालिया… जरूरत से ज्यादा जान ने की कोशिश करोगे तो मारे जाओगे। “

Mr. वालिया गुस्से में कहता है :
“ कौन बोल रहा है ?? दम है तो सामने आ कर बात कर। “

     फ़ोन कट हो जाता है, आस पास के कुछ लोग घायल Mr. वालिया की मदद के लिए आते है।

Next Chapter…

Note : माफ़ कीजिए... पिछले चैप्टर का रैंक 4 था और चैप्टर no. 5 ये वाला है. एडिट ऑप्शन काम न करने की वजह से इसे ठीक करना मुश्किल है।