गामाक्ष को नरभक्षी पिशाच का रूप मिलना...
अब आगे................
गामाक्ष बड़े गौर से उसे देख रहा था, , अपने आप को गौर से देखते हुए देख वो पैशाची कन्या गुस्से में बोल उठती है...." ऐसे क्या घूर घूर के देख रहा है , कभी लड़की नहीं देखी , ..."
गामाक्ष उसकी बात काटते हुए कहता है...." लड़की तो बहुत देखी है जिनकी बलि से मैंने इन्हें खुश किया है लेकिन तू कुछ अजीब लग रही है , कभी किसी लड़की की आंखों का रंग हरा नहीं देखा , , पता नहीं तू कुछ अजीब है...."
वो लड़की दांतों को भींचते हुए कहती हैं...." नहीं देखा तो मुझे क्यूं यहां बांध रखा है , , फिर जाने दे मुझे मेरे मां बाबा के पास...."
गामाक्ष उसका मुंह भींचते हुए कहता है....." मेरे पास आने वाली कोई भी लड़की जिंदा नहीं बच सकती , तेरी बलि भी मैं जरुर दूंगा , क्या पता तेरी बलि से प्रेतराज बहुत खुश हो जाए.... ..."
वो लड़की अपने आप से कहती हैं...." वो तो तुझे वक्त बताएगा , , तांत्रिक ... मैं तेरी बलि नहीं, , तेरा शाप हूं...."
गामाक्ष उसे उस भयानक मूर्ति के सामने बैठता है और उस लड़की को भी उस भयानक मूर्ति के पास लेजाकर बांध देता है , ,
अब गामाक्ष अग्नि कुंड में जल रही आग में मंत्रों के जरिए आहूति देना शुरू करता ,
उधर आदिराज की अंतिम क्रिया हो चुकी थी , आज पूरे गांव में एक मायुस सी माहौल हो चुका था , आज देविका के घर में सहानुभूति देने वाले की भीड़ जमा थी , , , देविका अपने पति के जाने के बाद बिल्कुल बिखर चुकी थी और साथ ही दोनों बच्चों से दूर होने का ग़म रह रह कर सता रहा था , अमोघनाथ उसकी पत्नी और बेटी दोनों देविका के पास ही बैठे हुए थे , ,
धीरे धीरे अंधेरा गहराने लगा था इसलिए अमोघनाथ जल्दी से देविका के घर से बाहर आकर खड़े हो गए , , उनके हाथ में मौली और कुछ भभूत लिए चारो तरफ देखते हुए खड़े हो गए थे.....
इधर गामाक्ष ने अपनी आखिरी आहुति के साथ ही उस पैशाची कन्या के शरीर को खंजर से छल्ली कर दिया जिससे उसकी खून की छिंटे उस भंयकर मूर्ति पर जा गिरी , ,
उसके खून पहुंचने से उस भयानक मूर्ति से काली रोशनी निकलर सीधा गामाक्ष में समा जाती है , जिससे वो उसे एक जोर का झटका लगता है और दर्द से कराह उठता...
" आह ..!...ये क्या हो रहा है मुझे , , प्रेतराज आज से पहले मुझे शक्ति ...आह..! ... मिलने में इतनी तकलीफ़ नहीं हुई... फिर.... क्यूं ऐसा हो रहा है...?..."
देखते ही देखते गामाक्ष एक भयानक गहरी लाल आंखों और नुकीले दांतों वाला नरभक्षी पिशाच का रूप ले लेता है , ,
अपने हाथ और मुंह को छुकर देखते हुए गामक्ष चिल्लाते हुए पूछता है......" ये सब क्या है प्रेतराज...!.... मुझे शक्ति चाहिए थी , पैशाची रूप नहीं , ये अन्याय क्यूं किया मेरे साथ, मैंने तो आपको पूरी सौ बलि चढ़ा दी फिर क्यूं.....?...."
वो भयानक मूर्ति बोल उठती है....." गामाक्ष तुमने आखिरी बलि मैं मेरे साथ छल किया है , , मैंने तुमसे शुद्ध कन्याओ की बलि मांगी थी लेकिन तुमने आखिर में मुझे पैशाची कन्या की बलि क्यूं दी , , उसका ही परिणाम तुम्हें मिला है...."
गामाक्ष हैरानी से पूछता है....." पैशाची कन्या , , लेकिन वो तो साधारण सी कन्या थी...."
" नहीं गामाक्ष ....वो नारकीय पैशाची कन्या थी , जिसके प्रभाव से तुम्हें ये पैशाची रूप मिला है , इससे तुम्हारी शक्तियां प्रभावित हुई है इसलिए अब तुम केवल पिशाच राज तो हो लेकिन पहले जैसी शक्तियां तुम्हारे अंदर नहीं है , वो क्षीण हो चुकी है....."
" तो प्रेतराज इससे मैं कैसे मुक्त हो सकता हूं...."
" नीलमावस पर वनदेवी की बलि तुझे हमेशा के लिए मुक्त कर देगी...."
गामक्ष उत्तेजित होकर पूछता है....." लेकिन ये धोखा मेरे साथ हुआ कैसे ...?..मेरे बरसों की मेहनत ऐसे कैसे एक ही पल में बर्बाद हो सकती है...?..."
" गामक्ष , देखो इस अग्नि कुंड में , कैसे तुम्हें ये पैशाची बंदिश मिली है...." उस भयानक मूर्ति के आंखों से एक रोशनी निकलर सीधा अग्नि कुंड में चली जाती हैं जिससे उस अग्नि कुंड में आदिराज के जरिए कि गई पूरी तामसिक क्रिया का पता चल जाता है ,
इसे देखकर गामाक्ष चिल्लाते हुए कहता है....." आदिराज ! तूने ये ठीक नहीं किया , मैं तेरे परिवार और गांव के निवासी को खत्म कर दूंगा....."
गामाक्ष अपने इसी भयंकर रूप में गांव में पहुंचकर आक्रामक तरीके से सबको घरों से निकालते हुए उनको मारकर खाने लगता है , इसमें उसका पूरा साथ वो चमगादड़ दे रहा था.....
इस अचानक हुए हमले से पूरे गांव में भयावह माहौल होने लगा , सब तरफ बस चीखें ही चीखें सुनाई दे रही है....गामाक्ष भयानक हंसी हंसते हुए कहता है....." भागो , जान बचाओ अपनी , लेकिन कबतक मुझसे भागोगे , तुम्हें बचाने कोई नहीं आएगा , , उस आदिराज ने जो मेरे साथ किया है उसका बदला तुम सब चुकाओगे.... तुम्हें बचाने वाला अब तुम्हारा वो देव तुल्य आदिराज मर चुका है...."
गामाक्ष की हंसी से सब सहमे एक दूसरे से चिपके हुए आपस में एक दूसरे को संभाल रहे थे लेकिन गामाक्ष की क्रुरता बढ़ रहीं थीं , जिसमें वो छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ रहा था , , .....
धीरे धीरे सारे लोग मंदिर में जाकर छुपने लगे , तो वही अमोघनाथ लोगों का शौर सुनकर समझ जाते हैं और जल्दी से उठकर चेताक्क्षी और उस मौली को लेकर बाहर आते हैं.....
गामाक्ष का रूप देखकर अमोघनाथ अपने आप से कहते हैं...." आखिर आदिराज जी अपने लक्ष्य में कामयाब हो गए हैं , , इसको पैशाची रूप मिल गया..."
अमोघनाथ गामाक्ष को देखकर चिल्लाते हुए कहते हैं...." गामाक्ष ...! अब तेरा ये लुका छुपी का खेल खत्म हुआ , देख अपने आप को आदिराज जी ने तुझे तेरी सभी औकात दिखा दी....."
गामाक्ष अमोघनाथ की बात से चिढ़ते हुए कहता है...." उसका बदला तो मैं उसके परिवार से ले लूंगा , लेकिन तूझे मैं उसका साथ देने के लिए जिंदा नहीं छोडूंगा....अब मरने के लिए तैयार हो जा , अब तू देख मेरे पास तेरे आदिराज से भी ज्यादा शक्ति है...."
..................to be continued...........