(छाया सुरक्षित घर लौट आई और परिवार ने उसकी बहादुरी और साहस की सराहना की। नित्या और छाया की बहनत्व की भावनाएँ उजागर हुईं, और केशव ने मज़ाक में माहौल हल्का किया। सबने छाया के अनुभव सुने और गर्व महसूस किया। अगले दिन काशी के आने पर छाया और नित्या बस स्टैंड के लिए निकल गईं। इसी बीच घर में सुरीली आई, जो अपने बेटे को छुड़ाने की धमकी दे रही थी। गौरी और विपिन ने उसे बाहर किया, और जतिन ने दरवाजा बंद किया। परिवार ने राहत की सांस ली, हँसी-मज़ाक में तनाव दूर हुआ, और सुरीली असहज होकर वहाँ से चली गई। अब आगे)
परीक्षा की तैयारी
सुरीली वहाँ से निकल गई और सीधे जेल में अपने बेटे प्रमोद से मिलने पहुंची। उसने रोते हुए बताया कि उसे कैसे अपमानित किया गया, लेकिन यह नहीं कहा कि शुरुआत उसने ही की थी। वह बार-बार यही दोहरा रही थी, “मैंने नित्या से तुम्हारे किए की माफी मांगी, लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी। मैंने उनके सामने हाथ जोड़े, लेकिन उन्होंने मुझे घर से बाहर धक्के देकर निकाल दिया।”
प्रमोद अपनी मां की बातें सुनकर भीतर ही भीतर तिलमिला गया। “दहेज मांगकर हमने गलत किया, इसलिए हमें जेल भिजवाया गया, यह ठीक है। लेकिन नित्या से मेरा प्यार इतना गहरा है, कि हमने जो कसमें खाई थीं, उनका कोई मतलब नहीं रह गया।” यह कहकर वह कोने में बैठ गया और यादों की धारा में खो गया।
इसी बीच नित्या अपने क्लास में पहुँची। उसकी दोस्त बुसरा ने उसका हाल पूछा तो उसने अपनी तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया। बुसरा ने उसे नोट्स दे दिए, और नित्या पढ़ाई में जुट गई। तभी गौरव क्लास में आया। उसकी नज़र नित्या पर पड़ी और वह हैरान रह गया। वह शांत होकर अपनी सीट पर बैठ गया, लेकिन नित्या ने उसकी चौंकती हुई आंखों को पढ़ लिया।
नित्या उठी और गौरव के पास चली गई। “गौरव! क्या आपसे बात कर सकती हूँ?” गौरव ने बिना किसी झिझक के कहा, “हां, बोलो।” नित्या ने तुरंत पूछा, “प्रमोद को जानते हैं?” यह सुनते ही गौरव के चेहरे पर झटका सा आया। वह अपनी नज़र इधर-उधर घुमाने लगा, किताब खोली और पढ़ने का नाटक करने लगा, लेकिन बार-बार उसकी नज़र नित्या पर ही लौटती।
तभी प्रोफेसर क्लास में आ गए। नित्या अपने सीट पर लौट गई और पढ़ाई में ध्यान लगाकर बस क्लास खत्म होने का इंतजार करने लगी। उसका मानना था कि प्रमोद और गौरव के बीच कोई संबंध जरूर है। उसके अंदर यह भी शक था कि छाया के अचानक किडनैप और इस कनेक्शन के बीच कोई लिंक है।
वहीं, पूरे कालेज में छाया हिरोइन बन चुकी थी। लोग उसकी तारीफों के पुल बांध रहे थे, और वह खुद में इतराती हुई नजर आ रही थी। यह देखकर काशी को गुस्सा आ रहा था, जबकि दूर खड़े विशाल और आग्रह दोनों हंस रहे थे। आग्रह ने विशाल को टेढ़ी नजरों से देखते हुए कहा, “छाया तो छा गई, दो बार गुंडों की चुंगल से बचकर आई, और तूने उसे शाबाशी तक नहीं दी।”
विशाल मुस्कुराया और बोला, “मैं चाहता हूँ कि वह खुश रहे।” यह कहते हुए वह अपोजिट डायरेक्शन में चला गया। आग्रह पीछे-पीछे गया और कहा, “तेरी शाबाशी से खुश नहीं, बहुत खुश होगी। शायद बेहोश हो जाए।” विशाल ने उसकी तरफ सिर्फ़ एक डेविल स्माइल दी और सिर हिलाया।
छाया अपनी स्टडी ग्रुप के साथ पढ़ाई कर रही थी। उसने कहा, “अभी नहीं। अभी हमें पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए।” आग्रह घबराया और बोला, “हम सबको मतलब मुझे और तुम्हें भी।” विशाल ने सिर हिलाकर सहमति जताई और दोनों लाइब्रेरी में पढ़ाई में लग गए।
क्लास खत्म होते ही नित्या गौतम के पास गई। गौतम ने आंखें बंद कर ली और सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “चलो, अकेले में बात करते हैं।” दोनों कैंटीन में बैठ गए। नित्या ने हाथ पकड़कर कहा, “अब बोलो।”
गौतम ने गहरी सांस ली और कहा, “प्रमोद मेरा भाई है। उसकी मां सुरीली मेरी बुआ हैं। तुम मुझे इसलिए नहीं जानती क्योंकि मैं तुम्हारी मंगनी में नहीं आया था। उस समय मैं कालेज के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा था।”
नित्या ने बेफिक्र होकर कहा, “शादी में नहीं आने की वजह से मैं रूठी हुई भाभी नहीं हूँ। जो कहना है, वह बताओ।”
गौतम ने जारी रखा, “तुम्हारे बारे में मैंने ही प्रमोद को जानकारी दी थी। तुम्हारे घर का पता भी मैंने ही दिया था। मुझे लगा वह जाकर माफी मांगेगा, लेकिन उसने किडनैप तक की योजना बना ली।” यह कहकर गौतम वहां से चला गया।
शाम 5 बजे विशाल और आग्रह लाइब्रेरी से निकल आए। छाया अपनी पढ़ाई में मशगूल थी और उसका ध्यान विशाल पर नहीं गया। विशाल भी बिना देखे चला गया। आग्रह समझ गया कि हर साल की तरह विशाल उसकी पढ़ाई करवाने वाला है।
बाहर निकलते ही एक कार खड़ी थी। यह टीना की कार थी। उसे देखकर आग्रह हक्का-बक्का रह गया। विशाल मुस्कुराया और बोला, “अरे तुम! कैसी हो?” टीना ने आंख मारकर कहा, “एब्सोल्यूटली फाइन।” आग्रह के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
विशाल ने आग्रह को इशारा किया और दोनों कार में बैठे। तीनों डिस्को पहुंचे। टीना ने ड्रिंक मंगवाई, मगर आग्रह ने मना कर दिया। टीना बोली, “सोफ्ट ड्रिंक तो पीने दो।” विशाल ने सोफ्ट ड्रिंक उठाकर कहा "मैं तो टीना के साथ हूं।" आग्रह ने मुंह बनाकर कहा, “हम कौन सा अलग हैं।”
तीनों ने खूब मस्ती की। विशाल को सब जगह छाया ही दिख रही थी। विशाल को यहां आना ज्यादा पसंद नहीं था, लेकिन उसने टीना और आग्रह की खुशी के लिए खुद को जिम्मेदार माना। सबके चेहरे पर मुस्कान देखकर वह संतुष्ट हुआ।
घर लौटते ही विशाल ने अपनी मां को मुस्कुराकर देखा और अपने कमरे में चला गया। लेकिन उसकी ध्यान बार-बार छाया की ओर जा रहा था। उसने मोबाइल निकाला और बार-बार उसके नंबर को देखा, पर डायल नहीं किया।
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1. गौतम ने नित्या को जो सच बताया, क्या इससे प्रमोद और नित्या के बीच खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा, या नई साज़िश छुपी हुई है?
2. विशाल छाया को लगातार याद कर रहा है—क्या वह अपनी भावनाओं को छिपा पाएगा, या जल्द ही छाया के सामने अपने दिल की बात कह देगा?
3. टीना और आग्रह के बीच की मस्ती और विशाल की निगरानी—क्या यह खुशी स्थायी रहेगी, या कालेज में कोई नया ट्विस्ट आने वाला है?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की"