(सुरीली अपने बेटे प्रमोद से मिलने जेल गई और उसे नित्या से हुई नाराजगी बताई, लेकिन अपनी शुरूआत की गलती नहीं बताई। जेल में प्रमोद अपनी मंगनी और प्रेम के बीच उलझा हुआ बैठा रहा। नित्या क्लास में लौटकर नोट्स पढ़ने लगी और गौरव से प्रमोद का संबंध जानने की कोशिश की। गौतम ने खुलासा किया कि प्रमोद उसका भाई है और किडनैप उसकी गलतफहमी का परिणाम था। Meanwhile, छाया कॉलेज में हीरोइन बन गई और सबकी तारीफ़ें पा रही थी। विशाल, आग्रह और टीना अपनी दोस्ती और जिम्मेदारी के साथ डिस्को में मस्ती करने गए। घटनाएँ भावनाओं और रिश्तों के उलझाव से भरी थीं। अब आगे)
छाया और पढ़ाई
नित्या और छाया दोनों के लिए रात लंबी और बेचैन थी। नित्या सोच रही थी कि क्या उसे गौतम को माफ कर देना चाहिए या नहीं। गौतम ने सीधे माफी नहीं मांगी थी, लेकिन उसकी आंखों और बातों से यह स्पष्ट हो रहा था कि वह अपने किए पर पछता रहा था। उसने कालेज से नित्या का पीछा करके उसके घर का पता लगाया, जो पूरी तरह सही नहीं था। प्रमोद की वजह से अगर नित्या को परेशानी हुई होती, तो शायद वह उसे माफ कर देती। लेकिन सवाल छाया का था—अपनी बहन के लिए कैसे माफ करें?
इधर छाया का मन पढ़ाई की चिंता में उलझा था। उसका स्टडी सर्किल ऐसा था कि यदि किसी को 100 में से 98 अंक आए, तो उसे टेंशन होती। छाया वह लड़की थी जो 40 प्रतिशत भी लाए, तो खुशी में नाचने लगती। इस बार उसे पहली बार ऐसा लग रहा था कि उसके ग्रुप के सभी कम से कम 90 प्रतिशत लाएंगे। अगर नहीं आए तो? उसकी पूरी जिंदगी खराब हो जाएगी।छाया ने अपने मुंह को हाथों से ढक लिया और सोने का इंतजार करने लगी। नित्या को पता था कि छाया नहीं सो रही थी, लेकिन उसने समझ लिया कि यह एक्जाम एंग्जायटी है। वह दो मिनट अपनी बात भूलकर सिर्फ़ छाया को देखकर खुश हो गई। छाया को देखते ही नित्या ने नींद का नाटक करना शुरू किया। धीरे-धीरे दोनों नींद के घेरे में आ गए।
लेकिन छाया को पता नहीं था कि उसने किसी और की नींद भी उड़ा रखी थी। विशाल अपने बिस्तर पर करवटें बदलते हुए बस छाया को ही याद कर रहा था। वह बहुत कोशिश कर चुका था कि सो जाए, लेकिन सो नहीं पाया। उसने सोचा कि एक्जाम से पहले छाया को अपने दिल की बात नहीं बताएगा, लेकिन छाया और खुद के बीच दूरी वह सह नहीं पा रहा था। उसने मन ही मन सोचा कि आग्रह में कितना सब्र है, जो टीना के बिना भी खुश रहने की कोशिश करता है। विशाल ने फैसला किया कि एक्जाम खत्म होते ही वह छाया को सब कुछ बताएगा। इसी विचार ने उसे थोड़ी सुकून और नींद दी।
सुबह होते ही छाया पढ़ने बैठ गई। कमरे की लाइट जलने से नित्या की भी नींद खुल गई। उसने देखा कि छाया पढ़ रही थी, और सीधे किचन जाकर अपनी बहन के लिए चाय बनाई। जब वह चाय लेकर कमरे में घुसी, तो छाया सो चुकी थी। नित्या को यह देखकर गुस्सा आया और वह चिढ़कर बोली, “छाया! छाया!” छाया ने नींद में कहा, “जल्दी उठ गई आप?” नित्या ने गुस्से में कहा, “तू तो पढ़ने बैठी थी न, नालायक।”छाया ने बिना आंखें खोले कहा, “मेरे स्टडी सर्किल में सबसे कम तैयारी मेरी ही है।” नित्या हैरान होकर पूछी, “क्या?” छाया ने जवाब दिया, “हां, यहां तक कि काशी की भी तैयारी मुझसे ज्यादा है।” यह सुनकर नित्या ने उसे खींचकर उठाया और कहा, “निकम्मी, तो पढ़ती क्यों नहीं है?”छाया ने बैठकर कहा, “दीदी, मेरी पढ़ाई की हालत आपको पता है। टीचर्स को पहले से पता है। अगर 50% भी आए तो शक हो जाएगा—शायद मैंने चीटिंग की।” नित्या हंस पड़ी। उसने कल रात छाया को पढ़ाई करते देखा था और पूरे परिवार ने नोटिस किया कि वह पहले से ज्यादा मेहनत कर रही थी। छाया ने चाय पी और तैयार होने लगी।
नित्या अपने कालेज के लिए तैयार होकर निकल गई। रास्ते में उसने महसूस किया कि कोई आदमी उसका पीछा कर रहा है। उसका दिल धड़कने लगा। उसने अपनी रफ्तार बढ़ाई, लेकिन वह आदमी भी तेजी से आता रहा। अचानक वह उसके पास आकर कंधे पर हाथ रख दिया। डर के मारे नित्या जोर से चिल्लाई। उसी समय किसी ने उस आदमी का हाथ मोड़कर उसके मुंह पर मुक्का मार दिया। नित्या ने देखा तो उसके सामने इंस्पेक्टर ठाकुर खड़े थे।
इंस्पेक्टर ठाकुर ने उस आदमी का गला पकड़कर पूछा, "लड़की का पीछा करता है?" आदमी डर के मारे गिड़गिड़ाने लगा और बोला, "मैं दुबारा ऐसा नहीं करूंगा। प्लीज़ छोड़ दें।" इंस्पेक्टर ने उसे हवलदार के हवाले किया और कहा, "ऐसे कैसे छोड़ दूँ, 15 दिन से तुझे ढूंढ रहा हूँ।" हवलदार ने ‘जी सर’ कहा और इंस्पेक्टर ने नित्या से कहा, "एक मिनट रूकिए।" नित्या डर के मारे शांत हो गई। इंस्पेक्टर ने सिर खुजलाते हुए कहा, "बुरा न मानें, आपसे एक बात पूछूँ?" नित्या ने मासूमियत से हां में सिर हिलाया।
इंस्पेक्टर का ध्यान अचानक टूट गया और वह हड़बड़ा गया। उसने पूछा, "आप छाया की बहन हैं न?" नित्या ने हां में सिर हिलाया। इंस्पेक्टर ने थोड़ी देर चुप्पी साधी और कहा, "कुछ नहीं, आपकी बहन छाया इतनी बहादुर और आप इतनी..." वह बीच में ही रुक गया।
नित्या ने चिढ़कर कहा, "आप मुझे डरपोक कह सकते हैं?" इंस्पेक्टर ने जवाब देने से इनकार किया। नित्या ने मुस्कुराते हुए बस स्टैंड की ओर बढ़ी। इंस्पेक्टर उसे जाते हुए देखता रहा। उसने आज पहली बार नित्या की केयरिंग नेचर, मासूमियत और शांत स्वभाव को करीब से देखा। देश सेवा के लिए समर्पित इंस्पेक्टर का दिल पहली बार किसी लड़की के लिए हल्का महसूस कर रहा था।
इधर छाया और काशी अपनी पढ़ाई में डूबे हुए थे। विशाल ने आग्रह और टीना की पढ़ाई करवा कर उनकी हालत बिगाड़ रखी थी। विशाल अपनी बेंच का टॉपर था, वहीं आग्रह और टीना एवरेज मार्क्स में खुश हो जाते थे। विनय, छाया के स्टडी ग्रुप का हेड, उन्हें किताबें पढ़ने के लिए निर्देश दे रहा था, लेकिन लाइब्रेरी में वह किताब नहीं मिली।
काशी ने दुखी होकर कहा, "अब क्या करेंगे? विनय की कही हुई किताब यहाँ नहीं है।" छाया ने सोशल वर्क की अलमारी खंगाली, पर किताब नहीं मिली। दोनों मल्होत्रा बुक स्टोर गए। दुकानदार ने ‘सोशल वर्क के सिद्धांत’ बुक दी। छाया पहले खुश हुई, फिर देखा कि किताब महंगी है। काशी बोली, "कोई बात नहीं, मैं खरीद देती हूँ।" छाया ने कहा "पैसे मेरे पास है।" दुकानदार दूसरी टोपी लेने अंदर गया।
काशी ने हैरानी से छाया को देखा और पूछा - तेरे पास पैसे कहां से आए?"
छाया ने हाथ को हवा में हिलाते हुए कहा - "ये कैसा सवाल है , काशी!"
काशी ने छाया को घूरते हुए कहा - देख। मुझे सब पता है कि तू जतिन अंकल और केशव भैया से बहुत कम पैसे लिए है, जिससे तूने बस पास बनवा लिया। थोड़े बहुत बचे पैसों से पेन-पेंसिल खरीदती है। कभी कभी इससे केंटीन में कुछ कुछ खा लेती है। पर इतने पैसे नहीं बचते कि तू इतनी महंगी किताब खरीद लें।" इस पर छाया ने मुंह बनाकर जवाब दिया - क्या सुनना है? काशी ने एक सैकंड गंवाए बिना सीधा बोली - सच।
छाया ने ठंडी सांस छोड़ते हुए कहा - वो दरअसल कुछ दिनों के बाद विशाल का जन्मदिन आ रहा है और मैंने विशाल के गिफ्ट के लिए पैसे इकट्ठे किए थे। ये वहीं पैसे हैं।" काशी ने हैरानी से छाया को देखा और कुछ कहने को हुई। तभी दुकानदार ने दूसरी किताब भी टेबल पर रख दी। दोनों किताब की पेमेंट कर दी गयी।
बाहर निकलते ही आग्रह ने कहा, "सुना? उसने अपने गिफ्ट के पैसों से किताब खरीद ली।" विशाल ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे मेरा गिफ्ट मिल गया।" फिर उसने पैन और बाकी सामान खरीदा।
छाया और काशी गार्डन में बैठकर बातें कर रही थीं कि अचानक फोन में मैसेज आया—चिराग सर एक्सट्रा क्लास लेंगे। काशी तेजी से दौड़ी और छाया भी। अचानक उसका बैलेंस बिगड़ गया और वह गिरने लगी, लेकिन विशाल ने उसे पकड़ लिया। छाया चौंक गई, और दोनों की नज़रें मिल गईं। विशाल ने उसे अपनी बाहों में खींचा और उसके चेहरे पर उंगलियां फेरने लगा। छाया भी बिना पलकें झपकाए उसे देख रही थी।
तभी छाया का फोन बजा। उसने झट से फोन उठाया और 'आती हूं' कहकर आगे बढ़ गई। फिर भी बार-बार विशाल को देखती रही। विशाल की ओर देखकर आग्रह मुस्कुराया और बोला, "तूने कहा था, एक्जाम खत्म होने के बाद ही तु अपनी दिल की बात बताऐगा। पर क्या वह रुकेगी? कहीं वह तुझे प्रपोज न दे और अगर कर दिया तो क्या तू मना कर पाएगा?" विशाल हंसते हुए शर्मा गया।
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1. क्या नित्या आखिरकार गौतम को माफ कर पाएगी, या उसकी बहन छाया के लिए उसके फैसले में कोई मोड़ आएगा?
2. विशाल छाया को अपनी भावनाएँ कब और कैसे बताएगा—एक्जाम खत्म होने से पहले या बाद में?
3. क्या छाया और काशी आखिरकार ‘सोशल वर्क के सिद्धांत’ किताब की मदद से विनय की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगी, या उन्हें कोई नया संकट सामना करना पड़ेगा?