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🌆 भाग 1: एक आम सुबह, एक अनजाना मेल
मिहिका को एक मेल आता है — एक प्रतिष्ठित आर्ट स्कूल से, न्यूयॉर्क में।
उसे स्कॉलरशिप मिली है, एक साल के लिए।
वो चौंक जाती है —
> “मैंने अप्लाई तो किया था… लेकिन सोचा नहीं था कि सच हो जाएगा।”
अयान मुस्कराता है —
> “तो अब क्या करोगी?”
मिहिका चुप हो जाती है —
> “तुमसे दूर रह पाऊँगी?”
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🎭 भाग 2: अयान का ऑफर
अयान को भी एक ऑफर मिला है — एक थिएटर कंपनी से, मुंबई में।
वो कहता है:
> “शायद ज़िंदगी हमें दो रास्ते दे रही है… लेकिन क्या हम एक ही मंज़िल चाहते हैं?”
मिहिका जवाब देती है:
> “मंज़िल अगर साथ हो… तो रास्ता मायने नहीं रखता।”
लेकिन दोनों जानते हैं — ये सिर्फ कहने की बात है।
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📖 भाग 3: डायरी का पन्ना
मिहिका अपनी डायरी में लिखती है:
> *“अगर मैं चली गई… तो क्या तुम मुझे याद करोगे?
> या फिर वो शाम बस एक कहानी बन जाएगी?”*
वो पन्ना फाड़ती नहीं — लेकिन उसे अयान को नहीं दिखाती।
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🌌 भाग 4: छत पर वो रात
दोनों छत पर मिलते हैं — चाँद पूरा है, लेकिन दिल अधूरा।
अयान कहता है:
> “अगर तुम जाओ… तो क्या मैं तुम्हें रोकूँ?”
मिहिका जवाब देती है:
> “अगर तुम रोकोगे… तो क्या मैं रुक जाऊँगी?”
वो दोनों चुप हो जाते हैं — और उस चुप्पी में एक सवाल गूंजता है।
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💌 भाग 5: चिट्ठी जो जवाब बन गई
अयान मिहिका को एक चिट्ठी देता है —
> *“तुम वो शाम हो… जिसे मैं हर सुबह जीना चाहता हूँ।
> लेकिन अगर तुम्हारी सुबह कहीं और है… तो मैं तुम्हें वहाँ तक पहुँचाना चाहता हूँ।”*
मिहिका रो पड़ती है —
> “तुम मुझे जाने दे रहे हो?”
> “नहीं… मैं तुम्हें उड़ने दे रहा हूँ।”
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🌍 भाग 6: दो शहर, एक दिल
मिहिका न्यूयॉर्क पहुँच चुकी है — आर्ट स्कूल की गलियाँ नई हैं, लेकिन उसकी स्केचबुक में अब भी अयान की तस्वीरें हैं।
वो हर शाम एक स्केच बनाती है — और उसे अयान को भेजती है।
अयान मुंबई में थिएटर की रिहर्सल में व्यस्त है — लेकिन हर रात वो मिहिका की स्केच को देखे बिना सोता नहीं।
> “तुम्हारी तस्वीरें अब मेरी कहानी बन गई हैं,” वो उसे लिखता है।
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💌 भाग 7: खतों की दुनिया
दोनों ने तय किया है — हर हफ्ते एक खत लिखेंगे, हाथ से।
- मिहिका लिखती है:
“तुम्हारी आवाज़ अब मेरी खामोशी में गूंजती है।”
- अयान जवाब देता है:
“तुम्हारी खामोशी अब मेरी संवाद बन गई है।”
उनके खत अब सिर्फ शब्द नहीं — वो रिश्ते की धड़कन हैं।
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🎭 भाग 8: मंच पर उसका नाम
अयान एक नया नाटक करता है — जिसमें नायिका का नाम “मिहिका” है।
हर संवाद में वो उसकी झलक डालता है — और दर्शक महसूस करते हैं कि ये कहानी किसी की सच्ची मोहब्बत है।
मिहिका वीडियो देखती है — और उसकी आँखें भर आती हैं।
> “तुमने मुझे मंच पर अमर कर दिया,” वो लिखती है।
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🎨 भाग 9: दीवार पर उसका चेहरा
मिहिका न्यूयॉर्क की एक दीवार पर एक स्केच बनाती है — एक लड़का जो बारिश में खड़ा है, लेकिन उसकी आँखों में धूप है।
नीचे लिखती है:
> “Tum vo shaam ho… jo हर मौसम में मेरे साथ रहती है।”
लोग रुकते हैं, तस्वीरें लेते हैं — लेकिन मिहिका जानती है, ये दीवार सिर्फ अयान के लिए है।
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🌌 भाग 10: समापन
- दो शहर, दो ज़िंदगियाँ — लेकिन एक कहानी
- खत, स्केच, संवाद — सबने दूरी को मिटा दिया
- और एक दीवार — जहाँ मोहब्बत अब रंग बन चुकी है
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Writer: Rekha Rani