Tum wo Shaam ho - 7 in Hindi Love Stories by Rekha Rani books and stories PDF | तुम वो शाम हो - 7

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तुम वो शाम हो - 7

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🌇 भाग 1: एक अनजाना मोड़

मिहिका पेरिस में अपनी प्रदर्शनी के आखिरी दिन एक गैलरी से बाहर निकल रही थी।  
सड़क पर हल्की बारिश थी — और सामने एक कैफ़े के शीशे में उसे एक जाना-पहचाना चेहरा दिखा।

वो पल थम गया।

वो चेहरा… अयान का था।

वो सोचती है — क्या ये सपना है? या फिर वो शाम फिर लौट आई है?

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🕰️ भाग 2: एक साल बाद

एक साल बीत चुका था।  
अयान मुंबई में थिएटर कर रहा था, मिहिका पेरिस में स्केच बना रही थी।  
उनके बीच सिर्फ खत थे — और वो भी अब कम हो गए थे।

लेकिन उस दिन, उस शहर में, उस बारिश में — सबकुछ फिर से सामने था।

मिहिका कैफ़े में जाती है — अयान उसे देखता है, और मुस्कराता है।

> “तुम अब भी बारिश में भीगती हो?”  
> “और तुम अब भी वही सवाल पूछते हो?”

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🎭 भाग 3: बातचीत जो सब कह गई

दोनों बैठते हैं — कोई औपचारिकता नहीं, कोई भूमिका नहीं।

मिहिका कहती है:  
> “मैंने तुम्हें यहाँ देखने की कल्पना की थी… लेकिन कभी उम्मीद नहीं की थी।”

अयान जवाब देता है:  
> “मैं यहाँ एक थिएटर वर्कशॉप के लिए आया हूँ… लेकिन शायद असली मंच यही है।”

वो दोनों चुप हो जाते हैं — लेकिन उस चुप्पी में एक साल की दूरी, एक साल की मोहब्बत और एक अधूरी कहानी समा जाती है।

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📖 भाग 4: डायरी का पन्ना

मिहिका अयान को अपनी डायरी दिखाती है — उसमें एक पन्ना है जो उसने कभी पूरा नहीं किया।

> “ये वो दिन था जब मैंने तुम्हें आखिरी बार खत लिखा था… लेकिन भेजा नहीं।”

अयान पढ़ता है —  
> “अगर तुम कभी पेरिस आओ… तो मुझे देखना नहीं, महसूस करना।”

वो मुस्कराता है —  
> “मैंने तुम्हें देखा नहीं… लेकिन हर शाम तुम्हें महसूस किया।”

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🌌 भाग 5: वो पल

रात को दोनों सीन नदी के किनारे चलते हैं — चाँद पूरा है, और हवा में वही पुरानी खुशबू।

मिहिका कहती है:  
> “क्या हम फिर से शुरू कर सकते हैं?”  
अयान जवाब देता है:  
> “हम कभी रुके ही नहीं थे।”

वो दोनों एक-दूसरे की तरफ देखते हैं — और पहली बार, कोई वादा नहीं… सिर्फ एक सच्चा साथ।

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🎨 भाग 6: स्केच जो सब कह गई

अगले दिन मिहिका एक स्केच बनाती है — एक लड़की और लड़का, दोनों एक पुल पर खड़े हैं।  
नीचे पानी बह रहा है — लेकिन उनके बीच एक धागा है, जो उन्हें जोड़ता है।

वो लिखती है:  
> “Tum vo shaam ho… jo pal ban गई hai।”

अयान तस्वीर लेता है — और कहता है:  
> “अब ये पल हमारा है।”

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🎬 भाग 7: एक प्रस्ताव

अयान को पेरिस में एक थिएटर कंपनी से ऑफर मिलता है — एक साल का कॉन्ट्रैक्ट, एक नई शुरुआत।  
मिहिका को उसी समय न्यूयॉर्क में एक आर्ट रेजिडेंसी के लिए चुना जाता है।

दोनों एक-दूसरे को देखते हैं —  
> “क्या हम फिर से अलग हो रहे हैं?”  
> “या फिर ज़िंदगी हमें साथ रहने का एक नया तरीका दे रही है?”

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🕊️ भाग 8: दिल और ज़िंदगी

मिहिका कहती है:  
> “दिल कहता है तुम्हारे साथ चलूं… लेकिन ज़िंदगी कहती है अपने सपनों के साथ चलूं।”

अयान जवाब देता है:  
> “क्या हम दोनों के सपने एक साथ नहीं चल सकते?”

वो दोनों एक दीवार पर एक स्केच बनाते हैं — दो रास्ते, जो एक ही सूरज की तरफ जा रहे हैं।

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📦 भाग 9: पैकिंग और पल

अयान अपने थिएटर बैग पैक करता है — मिहिका अपनी ब्रश और स्केचबुक।  
दोनों एक-दूसरे को एक छोटा सा गिफ्ट देते हैं:

- मिहिका देती है एक छोटा सा रंगीन पत्थर — “ताकि तुम्हारे मंच पर रंग कभी कम न हो।”  
- अयान देता है एक पुराना टिकट — “पहली बार जब हमने साथ थिएटर देखा था।”

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🌍 भाग 10: एक वादा

एयरपोर्ट पर दोनों खड़े हैं — दो फ्लाइट्स, दो शहर, दो सपने।  
लेकिन एक वादा:

> “हर शाम, जब सूरज ढले… तुम मुझे याद करना।”  
> “और जब मैं तुम्हें याद करूं… तुम मुझे महसूस करना।”

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🖼️ भाग 11: एक साल बाद

एक साल बाद — न्यूयॉर्क में मिहिका की प्रदर्शनी होती है।  
एक दीवार पर एक स्केच है — वही दो रास्ते, वही सूरज।

और उसी शाम, अयान वहाँ आता है — बिना बताए।

वो कहता है:  
> “अब ज़िंदगी ने फिर से साथ माँगा है… क्या तुम तैयार हो?”

मिहिका मुस्कराती है —  
> “अब मैं सिर्फ दिल की नहीं… ज़िंदगी की भी सुनती हूँ।”

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Writer: Rekha Rani