गहरे सन्नाटे सी अंधेरी रात बस चारों तरफ झिंगुरों की आवाजें ही सुनाई दे रही थी। एक आदमी तेज तेज कदमों चलता हुआ कहीं जा रहा था। शायद बहुत जल्दी में था।
उसके चेहरे से वहशीपन और हैवानियत साफ झलक रही थी।
उस वक्त अगर कोई उसे देख लेता तो वह भी एक बार खौफ से भर जाता। उसके हाथ में एक बड़ा सा चाकू था तेजधार वाला, शायद किसी को मार कर आ रहा था उसके कपड़ों और चेहरे पर पड़े खून के छींटे यही बयां कर रहे थे।
पर आज की रात उस व्यक्ति से भी ज्यादा खौफनाक लग रही थी। चलते चलते उसे ऐसे लगा जैसे किसी ने उसे आवाज़ दी हो। वह पीछे पलट कर देखता है पर यह क्या वहां तो कोई भी नहीं था। वह इधर उधर देखता है पर कोई नहीं दिखता। वह फिर से चलना शुरू कर देता है।
अब कदमों की रफ्तार और तेज होने लगी थी। तभी उसे लगता है जैसे किसी ने उसके कानों के पास आकर उसका नाम पुकारा हो। वह घबरा कर देखता है पर उसे कोई दिखाई नहीं देता। उसे डर के साथ अजीब भी लगता है और सोचता है शायद यह उसका वहम है।
फिर से चलने लगता है चाकू से खून टपक कर नीचे गिरने लगता है। उसे अहसाह होता है जैसे कोई उसके पीछे चल रहा हो। वह फिर से पीछे पलट कर देखता है पर कोई नहीं दिखता। अब वह सोचता है यह मेरा वहम नहीं है जरूर कोई मेरा पीछा कर रहा है। वह चिल्ला कर कहता है कौन है बाहर आओ और हिम्मत है तो मेरा सामना करो।
कोई जवाब नहीं मिलता उसे वह फिर से वही शब्द दोहराता है चिल्लाते हुए। वह लगभग चार से पांच बार वही शब्द दोहराता है। जब उसे कोई जवाब नहीं मिलता वह जाने के लिए पलटने लगता है तभी उसे किसी की हंसी की आवाज़ सुनाई देती है जो बहुत ही भयंकर होती है। वह व्यक्ति थोड़ा डरता है अंदर से पर चेहरे पर नहीं आने देता।
वह आवाज़ फिर से सुनाई देती है उसे वह आवाज़ कहती है हम तुम्हारा सामना करने के लिए तैयार हैं क्या तुम सामना कर पाओगे हमारा।
वह चिल्लाता है कौन हो तुम सामने आओ। मैं तुम्हे इस चाकू से मार दूंगा।
कितनी बार मारोगे हमें इस आवाज़ के साथ एक भयंकर चेहरा उसके सामने आ जाता है।
उस व्यक्ति के हाथो से चाकू छूट जाता है और वह जोर से चिल्लाता है। उसकी आंखे दहशत और खौफ से भर जाती है। किसी से भी नहीं डरने वाला व्यक्ति अब डर से कांप रहा होता है।
हवा में अब हंसी की आवाज़ और तेज हो जाती है। तभी दूसरी आवाज़ गूंजती है जो एक बच्चे की आवाज़ जैसी होती है। बताओ बताओ क्यों मारा तुमने मुझे। उसी के साथ और आवाजे भी आने लगती है हां बताओ हमे भी क्यों मारा तुमने।
वो आवाजे उसके कानों के पास बहुत तेज तेज गूंजने लगती है। वह व्यक्ति अपने हाथो को अपने दोनो कानों पर रख लेता है। एकाएक सारी आवाजे बन्द हो जाती है।
उसे फुसफुसाहट सुनाई देने लगती है ..... हमे इसे कैसे मारना चाहिए गोली से, जला कर, फांसी देकर या इस चाकू से। फुसफुसाहट अब तेज होने लगती है जैसे आपस में बहस हो रही हो ...........................................
नहीं मैं मारूंगा इसे, नहीं मैं मारूंगी इसे, इसने हमें जला कर मारा था, नहीं मैं मारूंगा इसे इसने मुझे जबरदस्ती फांसी पर लटकाया था, नहीं मै मारूंगी इसे इसने मुझे तेजाब से जलाया था, नहीं हम मारेंगे, नहीं हम मारेंगे।
सारी आवाजे उस व्यक्ति के कानो को चीरती हुई जा रही थी, उसे लग रहा था जैसे वह पागल हो जाएगा इन अवाजो से।
वह व्यक्ति जोर से चिल्लाता है चुप हो जाओ सब, तुम नहीं मारोगे मुझे, मैं मारूंगा अपने आप को। एक ही पल में वह व्यक्ति उस तेजधार चाकू से अपनी गर्दन काट लेता है।
पूरा वातावरण उस व्यक्ति की दर्द भरी चीखों से गूंज उठता हैं। वह तड़पते हुए जमीन पर गिर जाता है।
धीरे धीरे सारी आवाजे शांत हो जाती है।
अचानक वह मरा हुआ व्यक्ति उठ बैठता है और फिर से वही चाकू लेकर चलने लगता है। उन सारी आत्माओं ने उसके शरीर पर कब्जा कर लिया होता है। उसकी आंखे अब खून से भरी हुई थी और उस चाकू से लगातार खून टपकता जा रहा था। वह अपनी आधी कटी और झूलती हुई गर्दन के साथ चलता हुआ जंगल में चला जाता है।
इन्सान के गुनाह वापिस जरूर लौटते हैं, किसी ना किसी रूप में।
गुनाह