Kaal Kothri - 10 in Hindi Horror Stories by Neeraj Sharma books and stories PDF | काल कोठरी - 10

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काल कोठरी - 10

काल कोठरी -----10 वा धारावाहिक ------------

                                      जो जानते हो, उसकी रजा मे चुप ही बेहतर उपाय है। कभी कभी हम आप से ही बाते ढेर सारी कर जाते है। जिसको कोई भी सुन नहीं सकता।

तुम जो भी सोचते हो, वो अक्सर एक ढोंग भी हो सकता है। कुछ जिस के बारे मे सोचते हो, वो कभी दिल से घटक होने वाले आसार नहीं भी होते। हम कितना सोचते है, बेहद से जयादा।

                                      मतलब तुम उतना ही रखो जितना कोई रखे। ये सिनसिला आख़र तक यूँ ही पीछा करता रहता है।

                      पीछा करते करते तुम भटक सकते हो। वो लड़कियां आज कल की रिपोटर दीपक को कुछ प्रश्नों की वास्तविका जानना चाहती थी।

                         दीपक ये कह कर " मैडम केस सीबीआई को मिला हुआ है, आप जानकारी के चक्र मे मत पड़े।" ये सोच कर लड़कियां वास्ता देती है, आपनी नौकरी का, हमें इस रिपोर्ट का काम मिला है। " दीपक चुप ही था।

                         ये पानीपत को जाती शायद वो ही सड़क थी। दीपक जानता था। बेहद करीबता से। पीली और सफ़ेद बाडरी पुलिस की अब भी लगी हुई थी। कौन जानता था। शायद कोई नहीं।

                        हनुमान जी के भजन फिर दीपक ने दहशत के मारे ही लगा लिए थे। कितना टूट चूका था दीपक। दो लड़कियो ने गाड़ी रुकवा कर दो हज़ार का ऑफर किया, आप हमें बता दें। " नहीं मैडम ये पैसा मेरे किसे काम नहीं " फिर उसने रुक कर कहा ---" नहीं जो पानीपत पहुंचने पर जो मीटर पैसे कहे गा -- वो ही लुगा। " दोनों चुप हो गयी। "दिल्ली से हम अभी बाहर ही नहीं निकले " मैडम ने कहा। "नहीं मैडम " जा रहे  पानीपत।

"हाँ एक शर्त पर आपकी रोजी की कसम करके हम आपको जो बताये, वो रिकार्ड मत करना। "

दोनों बोली " ऐसा नहीं कर सकती, दीपक जी। " दीपक ने ब्रेक लगायी। "--देखिये  वहम बिलकुल कोई नहीं है भ्र्म कोई नहीं है... बता दू।"

"दिल्ली मे ही मै आपको उतार रहा हूँ। " दीपक तनाव मे था। दोनों लड़कियां उतरी, और आगे बड़ गयी। वो टेक्सी स्टेड पे आया। एक पाकिस्तान का लड़का था हमीर, वो बोला " दीपक कोई तेरे बारे मे पूछ रहा था, कोई महला थी... पर हमने कहा, हमने देखा नहीं। " चलो छोड़ो। ताश की दो बाज़ी हो जाये।

केस को कोई एक महीना तो हो ही गया था।

तभी घंटी वजी।

" दीपक कहा हो " ये स्वर पहचाना सा लगा।

" मैं घोसले बोल रहा हूँ, कहा हो। "

" सर कार मे किसी सवारी को छोड़ने जा रहा हूँ... इशारे से दीपक ने झूठ बोला,हवेली जा रहा हूँ। "

"हाँ, कल मुझको केस के बारे जरूर मिल लेना.... "

"जी, सर "

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सीबीआई के इंस्पेक्टर अजीत अग्रवाल ने हॉस्पिटल का राउंड किया। वो खुद केस को हाथ मे लिए घूम रहे थे । डॉ, राम पाल नीरो सर्जन से, अजीत  की बात हुई।

उन्होंने कहा ---" कोई औरत मेरी नजर मे नहीं, सर।"

अजीत अग्रवाल ने पूछा ----" जनाब आप सीबीआई की और से, हाँ मैं यहाँ नया हूँ, मैंने कोई बात यहाँ नहीं सुनी। "

" यहाँ जो चौकीदार है, शायद उसको कुछ मालम हो, --" डॉ राम पाल ने कुछ बताया।

रात से पहले ही शाम को चौकीदार के घर -----

" तुम चौकीदारी करते हो, कया नाम "

"साहब मेरा नाम गेदा राम है। तकरीबन चार साल से यही हूँ, पर आप कौन है।"

मै सीबीआई से हूँ... एडटी दिखाते कहा "

" ओह तो आप वही लड़की के बारे आये  होगे ---"

" किस लड़की के बारे ----"

"----जनाब  एक खौफनाक केस था, बड़ा.... पूछो मत जी... कया बताऊ।" चुप सा हो गया था चौकीदार गेदा राम।

(चलदा )------------------ " नीरज शर्मा  "