Conscience: The choice of truth in Hindi Motivational Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | अंतरात्मा की आवाज़: चुनाव सत्य का

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अंतरात्मा की आवाज़: चुनाव सत्य का

कहते हैं जो सच की राह पर चलता है उसकी राह मुश्किलों से भरी होती है। अक्सर लोग उसे ना पसंद करने लगते हैं फिर चाहे वह उसका अपना घर हो, बाहर हो, पड़ोसी हों, रिश्तेदार हों या उसका दफ्तर हो। सच बोलने वाले लोग अक्सर लोगों को दुश्मन नजर आते हैं। इसका कारण सिर्फ एक ही है और वो है "सच कड़वा होता है।" 

रीना और सुधा दो सहेलियां थी। एक बार वह एक दुकान से सामान खरीदने गईं। दुकान वाले ने भूल से उन्हें अधिक पैसे वापस कर दिए। वह दोनों हौले से मुस्कुराई और दुकान से चली आई। उन्होंने उन बचे हुए पैसों से बाजार से कुछ खाया और घर आ गई। आज दोनों बहुत खुश थी क्योंकि उनकी तो लॉटरी लग गई थी छोटी ही सही।

वहीं जब दुकानदार ने अपना दिन भर का हिसाब जोड़ा तब उसे याद आया उसने भीड़ की अधिकता की वजह से उन दोनों लड़कियों को पैसे अधिक दे दिए थे। वह मायूस हुआ लेकिन उसने अपने दिल में संतोष कर लिया। 

कुछ दिनों बाद वह उसी दुकान पर फिर से समान लेने आई। दुकानदार ने उन्हें इस बार उन्हें कम पैसे लौटाए। वह दोनों उससे इस बात पर लड़ने लगी कि उसने उन्हें कम पैसे दिए हैं। तब दुकानदार ने उनसे कहा कि उसने पिछले बार उन्हें अधिक पैसे दिए थे जिसका उसने अब भुगतान कर लिया है। वह दोनों जिद पर अड़ गई कि यह गलत है हमें कभी कोई अधिक पैसे नहीं दिए गए थे। वहां भीड़ इकट्ठा हो गई।

मुद्दा बढ़ने पर दुकान वाले ने कैमरा दिखाते हुए उस दिन की वीडियो सबको दिखाते हुए कहा...भाइयों मैं इनकी ईमानदारी परख रहा था। कुछ छोटे पैसों के चले जाने से मैं गरीब नहीं बन जाऊंगा मैंने काफी देर तक इंतजार किया कि यह दोनों स्वयं ही बता दे लेकिन जब इन्होंने नहीं बोला तब मैंने इन्हें सबक सिखाने के लिए कम पैसे चुकता किए ताकि यह ईमानदारी और सत्य का पाठ सीख सके। 

वह दोनों उस दिन बहुत शर्मिंदा हुई साथ ही सबकी नजरों में चोर साबित हो गई। वह सोचने लगी काश कि उस दिन उन्होंने लालच किए बिना अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन ली होती और सच बोल दिया होता तब उनके सात आज यह नहीं होता, ना ही उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता।

कई बार हम सच बोलने से भी डर जाते हैं और झूठ का सहारा ले लेते हैं, जो कि हमारी सबसे बड़ी हार होती है। सच निडरता को जन्म देता है। सच कड़वी दवाई की तरह होता है इंसान जितना पीता है उतना ही निखरता है।

कई बार हम यह लालच वश भी करते हैं। झूठ का साथ अपने स्वार्थ और लालच को पूरा करने के लिए देते हैं जो कि पूरी तरह से गलत है। जिसका खामियाजा अपमान और तिरिस्कार स्वरूप भुगतना पड़ता है। 

सत्य एक आंतरिक खोज है जो जीवन के एक नई दिशा की तरफ ले जाती है। मनुष्य निडरता से जीवन व्यतीत करता है। हमेशा गर्व से सर ऊंचा उठा कर चलता है। हिम्मत नहीं होती किसी की की कोई उसे झूठा साबित कर पाए।

"सत्य वह अडिग पथ है जिस पर चलकर मनुष्य स्वयं को गर्व के साथ आईने में देख पाता है।"