🫶 एपिसोड 15 – जब माँ की धड़कन डरी
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1. हल्का दर्द, भारी मन
सुबह के 11 बजे थे।
नैना हमेशा की तरह खिड़की के पास बैठी अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी।
लेकिन आज कलम कई बार रुक रही थी।
उसका चेहरा थोड़ा मुरझाया हुआ था।
आरव कमरे में दाखिल हुआ तो उसकी नज़र तुरंत नैना के चेहरे पर गई।
"सब ठीक है?"
नैना ने मुस्कराने की कोशिश की, लेकिन उसका हाथ अचानक पेट पर चला गया।
एक हल्का सा दर्द… लेकिन अजनबी।
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2. आरव की घबराहट – शब्दों से ज़्यादा चुप्पी कह गई
"नैना… ये कब से?"
"सुबह से थोड़ा-थोड़ा हो रहा है, पर अब ज़्यादा महसूस हो रहा है। शायद कुछ नहीं…"
आरव कुछ नहीं बोला।
बस मोबाइल उठाया और डॉक्टर को कॉल किया।
"हमें अभी आना होगा। प्लीज़ तैयार रहिए।"
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3. कार की चुप सफ़र – जब रास्ते लंबे लगने लगे
आरव और नैना कार में थे।
आरव की उंगलियाँ स्टीयरिंग पर कांप रही थीं।
नैना ने धीरे से कहा:
"अगर कुछ… गड़बड़ हो गई तो?"
आरव ने उसकी ओर देखा —
"तो भी… हम दोनों मिलकर इसे पार करेंगे।
तेरी हर साँस अब मेरी भी ज़िम्मेदारी है, नैना। और उस नन्ही जान की भी…"
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4. अस्पताल की दीवारें – डर को समेटने में नाकाम
जैसे ही नैना को व्हीलचेयर में अंदर ले जाया गया,
आरव बाहर बैठ गया।
वो घड़ी की सुइयों को देख रहा था,
जैसे वो उनसे लड़ रहा हो।
हर एक मिनट भारी था।
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5. नैना की आँखें – और मशीन की धड़कनें
जैसे ही सोनोग्राफी शुरू हुई, नैना की आँखें डॉक्टर के चेहरे पर टिक गईं।
मशीन की बीप…
धीरे-धीरे, फिर तेज़।
डॉक्टर मुस्कराई:
"डोंट वरी नैना। बेबी बिलकुल ठीक है।
ये हल्की कॉन्ट्रैक्शन है — सामान्य है।
थोड़ा आराम ज़रूरी है अब। और चिंता नहीं करना है।"
नैना की आँखों से आँसू बह निकले —
डर के नहीं, राहत के।
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6. बाहर – आरव की साँस वापस आई
डॉक्टर बाहर आईं:
"माँ और बच्चा दोनों ठीक हैं। लेकिन अब पूरी तरह से रेस्ट चाहिए।
इमोशनल स्ट्रेस भी बिल्कुल नहीं होना चाहिए।"
आरव ने राहत की साँस ली।
वो कमरे में गया और नैना का हाथ पकड़ लिया।
"अब हर दर्द मेरा है, नैना।
तू अब सिर्फ महसूस करेगी…
बाकी सब मैं सहूँगा।"
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7. घर लौटना – अब घर बदला-बदला सा लगा
घर लौटने पर नैना सीधे अपने बेड पर गई।
आरव ने रजाई खींच कर उसे ओढ़ा दी।
फिर वो उसके पास बैठ गया।
"तू बहुत बहादुर है। और हमारा बच्चा… उससे भी ज़्यादा।
आज जब डॉक्टर ने उसकी धड़कन सुनाई —
ऐसा लगा जैसे वो कह रहा हो — ‘मैं यहाँ हूँ मम्मी… हिम्मत रखो।’"
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8. नैना की डायरी – डर के नाम एक पत्र
> "डर,
तू मुझे आज मिला…
और मैंने तुझे स्वीकार किया, क्योंकि
तुझसे गुज़र कर ही मुझे यक़ीन हुआ —
मैं अब सिर्फ ‘मैं’ नहीं रही।
मैं अब दो दिलों की ज़िम्मेदार हूँ।
तू बार-बार आ सकता है,
लेकिन मैं तुझे अब पहचान चुकी हूँ।"
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9. आरव का वादा – झूला अब और गहरा होगा
रात को, जब नैना सो गई,
आरव फिर से अपने झूले के पास गया।
उसने उसकी लकड़ियों को सहलाया और बुदबुदाया:
"अब से इस झूले में सिर्फ आराम नहीं,
तुम्हारी माँ की हिम्मत और मेरा वादा भी होगा।
मैं तुझे दुनिया से लड़ने के लिए नहीं,
उससे प्यार करना सिखाने के लिए पालूंगा।"
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10. रात की चुप्पी – और उस चुप्पी में माँ की मुस्कान
रात को नैना की नींद खुली।
उसने देखा —
आरव उसके पेट पर सिर रखकर सो रहा था।
वो मुस्कुराई।
और पेट पर हल्का स्पंदन फिर हुआ…
तीनों की साँसें एक लय में थीं।
एक माँ, एक पिता, और एक आने वाला जीवन।
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🔚 एपिसोड 15 समाप्त – जब माँ की धड़कन डरी