👣 एपिसोड 14 – जब नन्हीं लातों ने दस्तक दी
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1. एक दोपहर – जब सबकुछ रुका, और कुछ पहली बार हिला
दोपहर की चाय अब नैना के लिए एक आदत नहीं,
बल्कि एक समय बन चुकी थी —
जब वो खुद से बात करती थी,
अपने भीतर की दुनिया से जुड़ती थी।
वो अपने पेट पर हाथ रखे बैठी थी।
आराम से, चुपचाप।
और तभी…
एक हल्की सी कंपन,
जैसे किसी ने भीतर से धीरे से कहा हो –
“माँ…”
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2. नैना की चीख – पर डर से नहीं, चौंक से
"आरव!!"
आरव जो बालकनी में पेड़ की डालियों पर कुछ स्केच कर रहा था,
भागते हुए आया।
"क्या हुआ?"
"उसने… मुझे मारा…"
नैना की आँखों में आँसू थे — पर मुस्कराते हुए।
"किसने?"
"हमारे बच्चे ने…"
आरव रुक गया।
उसने नैना की हथेली पकड़कर धीरे से पेट पर रखा।
“फिर से करोगे न?” उसने फुसफुसा कर कहा।
और फिर…
एक और हल्का सा स्पंदन।
जैसे कोई छोटा मेहमान कह रहा हो —
"हाँ पापा, मैं यहीं हूँ।"
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3. आरव की आँखों में त्योहार
"ये तो जश्न का मौका है!"
आरव फौरन उठा, स्पीकर ऑन किया, और लोरी जैसा मधुर गीत बजा दिया।
नैना हँस पड़ी:
"अभी से नाचोगे? तो पैदा होने पर क्या करोगे?"
"उस दिन मैं पूरे मोहल्ले में मिठाई बाँटूँगा —
और हर गली में यही गाना बजेगा!"
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4. बेबी के लिए पहला तोहफ़ा – चाँदनी सी सॉफ्ट टोपी
आरव बाहर गया।
कुछ देर में वो एक छोटा-सा पैकेट लेकर आया।
नैना ने खोला —
सफ़ेद ऊन की एक नन्हीं टोपी
जिस पर चाँद के आकार की कढ़ाई थी।
"ये क्या?"
"पहली लात की पहली सलामी…"
आरव ने झुककर टोपी नैना के पेट पर रख दी।
"अब से तू हमारे बीच है,
तुझे अब हर चीज़ पहले मिलेगी…"
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5. नाम की बहस – प्यार भरी तू-तू मैं-मैं
रात को खाना खाते हुए आरव ने कहा:
"नाम सोचा है?"
"लड़का हो या लड़की?"
नैना ने आँखें तरेरी।
"चलो दोनों सोचते हैं। मैं लड़की का नाम चुनता हूँ।"
"ठीक है। तो लड़का मैं।"
आरव: "अगर लड़की हुई तो – ‘आरुषि’।
मतलब — पहली किरण।"
नैना: "और अगर लड़का हुआ तो — ‘नमन’।
मतलब — आभार।"
आरव: "हम्म… नमन अच्छा है… लेकिन थोड़ा शांत सा।"
नैना: "और आरुषि बहुत तेज़ है।"
दोनों हँसने लगे।
"तो फिर हमारे बच्चे का नाम होगा —
आरमन।"
दोनों ने साथ में कहा।
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6. नैना की कविता – जब शब्द नहीं, एहसास लिखे गए
> "आज तेरी पहली दस्तक ने
मेरी साँसों की लय बदल दी।
तू बोल नहीं सकता,
फिर भी मैंने तुझे सुन लिया…
अब तू मेरा वो हिस्सा है,
जिसे मैं जन्म से पहले ही
पहचान चुकी हूँ।"
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7. आरव की डायरी – जब पिता पहली बार डरने लगा
> "आज तेरी माँ ने कहा —
तू अंदर से हिला।
और मैं बाहर से हिल गया।
कैसे सम्भालूँगा तुझे?
क्या मैं सही पिता बन पाऊँगा?
लेकिन आज तूने मुझे थामा,
और मैं तुझे… हर जन्म में पकड़ना चाहूँगा।"
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8. चाँदनी रात – और तिनका-तिनका बनता रिश्ता
उस रात नैना खिड़की पर बैठी थी।
आरव उसके पास आया —
उसने नैना की गोद में सिर रख दिया।
"कभी सोचा है?" आरव ने पूछा।
"क्या?"
"अगर हम तुम्हें खो देते…
अगर कोई और दुनिया होती, जहाँ तुम मेरी ना होतीं…"
नैना ने उसका माथा चूमा।
"तो मैं उस दुनिया से लौटकर भी
तेरे पास आ जाती,
इस एक लात को महसूस करने के लिए…"
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9. बच्चे के नाम पर एक खत
नैना ने लिखा:
> "आरमन,
तू चाहे जो भी बने —
तू मेरा पहला परिचय है खुद से।
तू मेरी हर अधूरी कविता का जवाब है।
मैं तुझे जनम देने के लिए नहीं…
तुझमें खुद को दुबारा जीने के लिए उत्साहित हूँ।"
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🔚 एपिसोड 14 समाप्त – जब नन्हीं लातों ने दस्तक दी