प्रकृति ने दवाई उठाई और ज़मीन पर दे मारी। ट्यूब टूटकर एक कोने में जा गिरी।
रिधान की आँखें खुली की खुली रह गईं।
प्रकृति (आँखों में आग लिए):
"मैं जानती हूँ कि आपको हीरो बनने का कोई शौक नहीं है… और ना ही आप मेरे लिए वहाँ आए थे।
लेकिन जो बात आप नहीं जानते, वो ये है — कि आप एक घटिया इंसान हैं!"
रिधान कुछ बोलने ही वाला था —
"तुम—"
प्रकृति (तेज़ और ज़हर से भरे लहजे में):
"तुम नहीं, आप। और सुनिए — जो दवा थी ना, उसके लिए कोई फ़ॉरेन से इंपोर्ट नहीं करवाया था मैंने…
सिर्फ़ 40 रुपये की ट्यूब थी!
तो इसे मेरी इंसानियत भी मत समझना, मिस्टर रघुवंशी!"
रिधान की आँखें अब हैरानी से और ज़्यादा फैल चुकी थीं।
प्रकृति:
"और हाँ… आपकी इंसानियत की लिस्ट में क्या किसी की पेंटिंग बनाकर घर में लगाना भी आता है? क्या वो भी आप सबके लिए करते हैं?"
रिधान (मन ही मन):
"तुमने… वो पेंटिंग…?"
प्रकृति (और पास आकर, उसकी आँखों में आँखें डालकर):
"हाँ, वही पेंटिंग। मेरी पेंटिंग।
क्या हुआ? कैसे? कब बनाई? और क्यों...?
हम तो अभी मिले हैं ना? तो फिर आप…?"
(रिधान की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं… लेकिन अगले ही पल वो अपनी जगह से पीछे हटता है)
रिधान (ठंडी आवाज़ में):
"जाओ यहाँ से।
I'm the Raghuvanshi Empire. मुझे किसी को जवाब देने की ज़रूरत नहीं है। Out."
प्रकृति की नसों में जैसे आग दौड़ जाती है। वो पलटती है, तेज़ी से बोलती है —
प्रकृति:
"Yes! You are THE रिधान रघुवंशी!
अपने इस टाइटल का मज़ा लीजिए… और अपने जवाब, अपने पास रखिए!
मैं ये नौकरी छोड़ रही हूँ!!"
(वो मुड़ती है, बाहर जाने लगती है… तभी —)
रिधान (पीछे से):
"कौन सी नौकरी?"
(प्रकृति रुकती है, माथे पर सवाल लिए पलटती है)
(रिधान इंटरकॉम पर कॉल करता है, उसका P.A. आता है, एक ब्राउन फोल्डर देकर चला जाता है)
रिधान (उसकी तरफ़ कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाते हुए):
"So, मिस प्रकृति शर्मा… क्या इसी नौकरी की बात कर रही थीं?"
(प्रकृति पेपर लेती है… पढ़ते ही जैसे उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाती है)
पेपर में लिखा होता है:
> “Clause 5A – Employee cannot terminate contract within 12 months. Early resignation will result in ₹10 crore penalty.”
प्रकृति (आँखों में आँसू, पर आवाज़ में आग):
"वाह… कॉन्ट्रैक्ट भी वैसा ही है जैसा आपका दिल —
ठंडा, मतलबी और एकतरफ़ा!"
रिधान (हल्की मुस्कान, लेकिन आँखें कुछ कहती हैं):
"मैं बिज़नेस करता हूँ, प्रकृति। इमोशन्स नहीं."
(अब आता है वो पल… जब प्रकृति का एक डायलॉग रिधान के ईगो में सीधा छुरा घोंप देता है)
प्रकृति (बहुत करीब आकर, आँखें सीधी उसकी आत्मा में घुसती हुई):
"आपका 'इमोशन्स से रिश्ता' कुछ वैसा ही है जैसे रेत पे खड़ा महल —
ऊपर से बहुत बड़ा… लेकिन अंदर से खोखला।
और हाँ, आज आपने फिर एक सौदा कर लिया —
आप अंदर से खोखले हैं mr. Raghuvanshi!
(रिधान का चेहरा सख्त होता है… पर अंदर कोई चीज़ टूटती है)
इतना बोल कर वो जाने लगती है....तभी रिधान एक झटके में उसका हाथ कसकर पकड़ता है, और अपनी ओर खींचता है वो रिधान के सीने से टकरा जाती है, रिधान ने उसका हाथ इतने कस के पकड़ा हो जैसे वो उसे मन ही मन में बता रहा हो कि तुम पर बस मेरा हक है, मैं जो मर्जी वो करूं....
वो अपने दांतों पीसते हुए कहता है: मैं खोखला हूं....
ये आप क्या कर रहे हैं( प्रकृति ने घबराहट में कहा)
प्रकृति अपना हाथ मोड कर छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती है.......
(दोनो के बीच अब सिर्फ़ सांसें हैं… और आंखों में वो सब कुछ जो शब्दों से बाहर है…)
तभी…
कैबिन का दरवाज़ा खुलता है।
वंशिका (हील्स की आवाज़ के साथ):
"रिधान...?"
(वो ठिठक जाती है… दोनों को उस हालत में देखकर)
(प्रकृति तुरंत खुद को अलग करती है… और बिना कुछ कहे बाहर निकल जाती है।
वंशिका की आंखों में जलन और प्लानिंग दोनों झलकती है।)
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[अगले दिन – न्यूज़रूम में]
ब्रेकिंग न्यूज़ –
"उत्तराखंड में भारी बारिश और लैंडस्लाइड्स का कहर...
हमारी रिपोर्टर प्रकृति शर्मा घटनास्थल से लाइव!"
(टीवी स्क्रीन पर प्रकृति की फुटेज चलती है — कीचड़ से सनी, तेज़ बारिश में भी माइक पकड़े हुए)
रिधान (ऑफिस में स्क्रीन पर देखता है, सन्न रह जाता है)
"ये वहाँ कैसे पहुँची…?"
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[Flashback – रात का समय, वंशिका और चैनल हेड के बीच मीटिंग]
वंशिका:
"उस लड़की को एक चैलेंज चाहिए था ना?
तो भेज दो उसे जहां खतरा भी हो और कैमरा भी.
उत्तराखंड का डिजास्टर जोन… पर भेज दो।
कह दो उसे ये उसका प्रमोशन है…"