Ek Ladki ko Dekha to aisa laga - 5 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 5

Featured Books
Categories
Share

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा - 5


Company के बैक Staircase का एक कोना... जहाँ सन्नाटा था, और साया था डर का।

किसी ने रिधान का हाथ पकड़ा — ज़ोर से।
उसका बदन झटका, और अगले ही पल उसे पीछे धक्का दे दिया गया।
रिधान ने पलटकर देखा — वो चेहरा पहचाना सा था।

“कबीर...” उसके मुँह से निकला।

कबीर, उसका सबसे पुराना दोस्त... और कंपनी का छोटा-सा पार्टनर।
कबीर ने हल्के से सिर हिलाया — जैसे कह रहा हो "अभी नहीं... अभी मत बोल..."

प्रकृति उस पल वहीं थी। डर और असमंजस उसके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था।
कबीर की नज़रें उस पर टिकी थीं, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
केवल इशारे में उसे वहाँ से जाने को कहा।
प्रकृति काँपती सी वहाँ से निकल गई... और सीधे वॉशरूम में जाकर खुद से लड़ने लगी।


---

दूसरी ओर...

रिधान (गुस्से में): "तू यहाँ कब आया...? और तूने मुझे क्यों रोका...?
तुझे पता भी है वो कौन है...? तू जानता है न, रिद्धि के साथ क्या हुआ था... फिर भी...??"

कबीर (कड़े शब्दों में): "बस कर भाई! कितनी सजा देगा खुद को?
किस बात की सजा दे रहा है?
जो रिद्धि के साथ हुआ... गलत था, बहुत गलत...
पर तू खुद को खोता जा रहा है रिधान!"

रिधान (आँखें लाल): "कम से कम तू तो मुझे समझ... मेरा जानना ज़रूरी है।"

कबीर ने उसके कंधे पर हाथ रखा, आँखों में फिक्र थी।

"रिधान, तुझे जीने के लिए कोई मक़सद चाहिए...
रिद्धि से पहले भी तू शरमिला आंटी के जाने के बाद भी  ऐसा ही टूट गया था।
हर बार किसी एक इंसान में खुद को समेट लेता है तू।"

रिधान चुप रहा... जैसे अंदर कुछ और भी टूट गया हो।

कबीर ने गहरी साँस ली और फिर कहा —

"तू एक लड़की के पीछे पागलों की तरह पड़ा था,
जिसका नाम भी नहीं जानता था, एक झलक तक ठीक से नहीं देखी...
और फिर रिद्धि के साथ जब वो हादसा हुआ,
तू उसी भंवर में उलझा रह गया।
न उस लड़की की तलाश छोड़ी, न रिद्धि की तकलीफ को जाने दिया..."

रिधान की आँखों में अब गुस्सा भी था और लाचारी भी।

कबीर (धीरे से): "भाई, आगे बढ़... इन दोनों से — उस लड़की से भी और रिद्धि की यादों से भी...
रिद्धि भी तुझे इस हाल में देखती, तो रोती...
तेरी ये हालत दोनों चीजों से और खराब हो रही है।"

अब रिधान का खून खौल रहा था।
उसने कबीर का हाथ झटक दिया —

"तभी तो... तभी तो मेरा दिल और टूट रहा है।
क्योंकि... जिस लड़की को मैं 5 साल से दीवाने की तरह ढूँढ रहा था,
और जो लड़की रिद्धि की इस हालत की ज़िम्मेदार है —
वो दोनों एक ही हैं, कबीर... वो दोनों 'प्रकृति' है!"

कबीर जैसे सन्न रह गया।

"तू पागल हो गया है!" उसने कहा।
"5 साल पहले की एक झलक से तू कैसे इतना यकीन कर सकता है...?
और तू कह रहा है रिद्धि के साथ जो हुआ, वो भी प्रकृति की वजह से?"

रिधान की आँखों से दर्द टपक रहा था।

"हाँ... मेरा दिल जानता है। और मुझे इसी बात का सबसे ज़्यादा दुख है।
मैं भी नहीं मान पा रहा था, लेकिन ये देख..."

उसने अपना फोन निकाला, और कबीर को एक फोटो दिखाई —
एक प्राइवेट डिटेक्टिव द्वारा भेजी गई फोटो, जिसमें प्रकृति एक लड़की के साथ बैठी थी — रिद्धि।

कबीर ने तस्वीर देखी, और उसकी आवाज़ में उलझन थी —

"Seriously? एक फोटो...? तू ऐसे फैसला कर रहा है...?"

रिधान का चेहरा झुक गया, जैसे हारे हुए योद्धा का।

"मुझे भी यकीन करना मुश्किल हुआ, पर मैं क्या करूँ?
जिस लड़की को मैंने हर गली, हर मोड़ पर ढूँढा...
सिर्फ़ एक नज़र पाने की ख्वाहिश में —
वो मिली भी तो इस तरह...?"

कबीर कुछ पल चुप रहा... फिर सीधा बोला —

"अगर तू वाकई उसे भूल नहीं सकता —
तो अब उससे भाग मत... सामना कर।
सच सामने लाने का वक्त आ गया है।
एक तस्वीर किसी की ज़िन्दगी का फैसला नहीं कर सकती..."


---

Scene freezes on Ridhann’s broken expression — torn between मोहब्बत और नफ़रत, सुकून और तूफ़ान...
…To be continued.