Chandrvanshi - 6 - 6.1 in Hindi Mythological Stories by yuvrajsinh Jadav books and stories PDF | चंद्रवंशी - अध्याय 6 - अंक 6.1

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चंद्रवंशी - अध्याय 6 - अंक 6.1

"विनय... विनय! (धीरे-धीरे आवाज़ तेज़ हो गया।)" माही विनय के पास आ पहुँची।  
"सॉरी माही मैं अभी तक उसे नहीं ढूँढ पाया।" लगातार दूसरी रात जागने से विनय की आँखें लाल हो गई थीं। पर विनय को उसकी कोई परवाह नहीं थी, उसकी आँखें तो सिर्फ़ जिद को ढूँढ रही थीं। जो माही को साफ़ दिखाई दे रहा था। इसलिए माही ने उसके हाथ में रखा एक पेपर उठाया और विनय को दिखाया।  
"क्या है इसमें?" विनय बोला।  
"आज की न्यूज़ ने मुझे और मेरे पूरे परिवार को हिला दिया है।" माही की आँखों में आँसू थे।  
"क्यों, क्या हुआ?" माही के हाथ से न्यूज़ पेपर लेकर विनय बोला।  
"अंकल जॉर्ज..!" माही रोने लगी।  
"क्या हुआ उन्हें?" पेपर के पन्ने पलटते हुए विनय बोला।  
उसी समय श्रुति मैडम और रोम भी वहाँ आ पहुँचे।  
"अंडरवर्ल्ड डॉन आदम ने कल रात एक मर्डर किया। जिसकी लाश रेलवे की पटरियों पर मिली है।" श्रुति बोली।  
"क्या उस मरे हुए की पहचान हो गई मैम?"  
"अ... हाँ मैं उसका नाम...! लगता है भूल गई।" श्रुति जानबूझकर नहीं बोली।  
"लो... मैम इतना भी याद नहीं। जॉर्ज अब।" रोम एक झटके में बोला।  
विनय ने माही की तरफ़ देखा। वह रो रही थी। ये सब कुछ एक साथ होने लगा, माही समझ नहीं पाई। लेकिन इस सबके पीछे सामान्य हाथ एक ही व्यक्ति का है। वह है आदम।  
कोलकाता ही नहीं बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल की पुलिस को तैनात कर दिया गया। साथ ही आदम के आने की बात लोगों तक पहुँचने लगी। अब, छोटे-छोटे गुंडे भी उग्र टोलियों के साथ निकल पड़े। मतलब आदम को पुलिस कस्टडी में लाना बहुत ही मुश्किल होने वाला था।  
एक तरफ़ जिद। दूसरी तरफ़ स्नेहा केस और अब आया आदम। विनय पहली बार संकट में फँसा। क्या इस सबके पीछे सिर्फ़ आदम ही होगा? या नहीं! ये कहना मुश्किल हो रहा था।  
जैसा सोचा था वैसा ही विनय को झटका लगा और वह इधर-उधर कुछ खोजने लगा।  
विनय को इस तरह पागलों की तरह खोजता देख रोम बोला, "फ...फाइल!"  
विनय एकदम चमका "हाँ कहाँ है फाइल?"  
"तेरे बैग में।" रोम बोला।  
श्रुति और माही की समझ से बाहर था, इसलिए वे दोनों एकटक देख रही थीं।  
विनय ने फाइल खोली और तुरंत सारे डॉक्युमेंट्स देखने लगा। जिसमें कुछ डॉक्युमेंट्स जॉर्ज के मिल गए। उसमें एक कवर मिला जिस पर जॉर्ज का नाम लिखा हुआ था। विनय ने वह कवर नहीं खोला, उसे लगा अंदर उसके ही फोटो होंगे और वह दूसरे डॉक्युमेंट्स पढ़ने लगा।  
वह हर डॉक्युमेंट एक जैसे ही दो-दो थे। इसलिए विनय ने वे सब एक साथ रखकर एक के बाद एक देखे। उसमें अलग बात उसमें लिखी तारीख़ थी। अब विनय ने कवर उठाया और उसके अंदर से एक फोटो खींच निकाला। वह फोटो जॉर्ज का ही था लेकिन वह धुंधला था।  
माही की तरफ़ देखकर विनय बोला, "ये कौन है?"  
"यह तो मेरे अंकल जॉर्ज हैं।" माही बोली।  
"वह कितने समय से यहाँ कोलकाता में हैं?" श्रुति बोली।  
"मेरे जन्म से पहले से, मतलब लगभग तीस साल से।" माही बोली।  
"तेरे अंकल की शादी हुई थी?" विनय बोला।  
"हाँ, लेकिन एक एक्सीडेंट में आँटी गुजर गईं।" माही बोली।  
तब कवर से निकाले दूसरे फोटो को माही को दिखाते हुए विनय बोला, "कौन हैं ये आँटी?"  
फोटो देखकर सब चौंक गए। फोटो में साफ़ दिख रहा है कि, वे दोनों ही हारमाला पहने हुए हैं।  
इसलिए माही बोली, "श्रेया मैम?"  
फिर न्यूज़ पेपर में छपी फोटो और श्रेया के साथ खड़े जॉर्ज को देखकर विनय बोला, "तेरे अंकल अभी ज़िंदा हैं।"  
अब, सब तेज़ी से अस्पताल जाने निकल पड़े।  
आज रोम ड्राइव कर रहा है और विनय पीछे बैठकर फिर वही किताब पढ़ने बैठा। 

***