Tere ishq mi ho jau fana - 40 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 40

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तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 40

एक नई दिशा

समीरा ने ठंडी साँस ली और अपने नोट्स पर ध्यान लगाने की कोशिश की। तभी, उसे अपने पीछे से किसी की जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी।

"अरे समीरा, यहाँ बैठी हो? क्या कर रही हो?"

समीरा ने सिर उठाया। सामने मिस शाह खड़ी थीं—उनकी पसंदीदा प्रोफेसर।

"जी, मैं पढ़ाई कर रही थी।" समीरा ने किताब बंद करते हुए कहा।

मिस शाह मुस्कुराईं और समीरा के पास वाली कुर्सी पर बैठ गईं।

"अच्छा? लेकिन तुम्हारी आँखें कुछ और कह रही हैं। क्या सब ठीक है?"

समीरा थोड़ी असहज हो गई। क्या वह सच में इतनी साफ़ नज़र आ रही थी?

"हाँ, मैम। सब ठीक है। बस थोड़ा स्ट्रेस है एग्ज़ाम्स का।"

मिस शाह ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया।

"स्ट्रेस? या फिर दिमाग में कुछ और चल रहा है?"

समीरा चौंक गई।

"मैम, मेरा दिमाग पढ़ने में लगा हुआ है!" उसने खुद को सहज दिखाने की कोशिश की।

मिस शाह हँस पड़ीं।

"बिल्कुल! लेकिन पढ़ाई में मन लगाने के लिए मन का हल्का होना भी ज़रूरी है, समीरा। तुम बहुत होशियार लड़की हो, लेकिन अगर दिमाग उलझा रहेगा, तो कोई भी चीज़ पूरी तरह से समझ नहीं आएगी।"

समीरा ने चुपचाप सिर झुका लिया।

"चलो, मुझे बताओ, क्या बात है? कोई परेशानी है?"

समीरा कुछ देर तक चुप रही, फिर धीरे से बोली,

"मैम, अगर किसी के मन में दो रास्ते हों और समझ ना आए कि कौन-सा सही है, तो क्या करना चाहिए?"

मिस शाह ने एक गहरी साँस ली।

"ये तो बहुत आम सवाल है, समीरा। लेकिन सही जवाब हर किसी के लिए अलग होता है। ये बताओ, क्या तुम अपने रास्ते से भटकने से डर रही हो?"

समीरा ने धीरे से सिर हिलाया।

"मैम, कभी-कभी ऐसा लगता है कि जो सपना मैंने देखा है, उसमें किसी और चीज़ को जगह नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन फिर लगता है कि शायद मैं खुद से झूठ बोल रही हूँ।"

मिस शाह थोड़ी देर तक उसे देखती रहीं, फिर बोलीं,

"सपने देखना बहुत अच्छी बात है, समीरा। लेकिन सपने तब पूरे होते हैं जब इंसान खुश रहे। अगर कोई एहसास तुम्हें बेचैन कर रहा है, तो उसे नज़रअंदाज़ मत करो, बल्कि उसे समझने की कोशिश करो।"

समीरा ने धीरे से कहा, "लेकिन क्या यह मेरी पढ़ाई को प्रभावित नहीं करेगा?"

मिस शाह मुस्कुराईं।

"सब कुछ बैलेंस करना सीखो। पढ़ाई ज़रूरी है, लेकिन अपनी भावनाओं को नकारने से भी कुछ हासिल नहीं होगा। कई बार हमें लगता है कि अगर हम कुछ महसूस कर रहे हैं, तो वह हमारी कमजोरी बन जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। सही सोच और सही दिशा के साथ हर चीज़ को सँभाला जा सकता है।"

समीरा सोच में पड़ गई।

"तो मैम, अगर मैं अपनी भावनाओं को स्वीकार कर लूँ, तो क्या यह गलत होगा?"

मिस शाह ने हौले से उसका हाथ थपथपाया।

"समीरा, खुद से भागना कभी हल नहीं होता। अगर तुम्हें सच में कुछ महसूस होता है, तो पहले खुद को समझो। लेकिन यह भी देखो कि यह तुम्हारी ज़िंदगी के बाकी पहलुओं को प्रभावित तो नहीं कर रहा। अगर तुम्हारा मन साफ़ होगा, तो तुम पढ़ाई पर भी बेहतर ध्यान दे पाओगी।"

समीरा ने गहरी साँस ली।

"मतलब, अगर मैं इस एहसास को समझूँ और इसे अपनी ताकत बना लूँ, तो शायद सब ठीक हो सकता है?"

मिस शाह मुस्कुराईं।

"बिल्कुल! प्यार, दोस्ती, सपने—सब कुछ साथ में चल सकता है, अगर हम सही बैलेंस बनाए रखें। बस खुद को कमजोर मत समझो और सही फैसले लो।"

समीरा को लगा कि उसका मन थोड़ा हल्का हो गया है।

"शायद मैं खुद से बहुत लड़ रही थी, लेकिन अब मुझे समझ आ रहा है कि मुझे डरने की ज़रूरत नहीं है।"

मिस शाह ने सिर हिलाया।

"यही समझदारी होती है, समीरा। और अगर कभी और उलझन हो, तो मुझसे आकर बात कर सकती हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"

समीरा ने हल्की मुस्कान दी।

"धन्यवाद, मैम। आपने मेरी बहुत मदद की।"

मिस शाह ने हँसते हुए कहा,

"हमेशा याद रखना, सबसे मुश्किल लड़ाई हमारी खुद से होती है। जब हम खुद से जीत जाते हैं, तो दुनिया की कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती।"

समीरा ने गहरी सांस ली। उसे महसूस हुआ कि शायद अब वह इस उलझन को बेहतर तरीके से समझ पाएगी। अब उसे अपने एहसासों को नकारने की ज़रूरत नहीं थी—बल्कि उन्हें समझने और सही दिशा में ले जाने की ज़रूरत थी।

लाइब्रेरी के बाहर बारिश अब भी हो रही थी, लेकिन इस बार समीरा के दिल में एक अजीब-सी हल्की शांति थी।

 ऑफिस में, 

 रिटा झुककर उसकी कुर्सी के हैंडल पर बैठ गई, उसकी उंगलियाँ अब दानिश की कॉलर पर थीं।

"तुम्हें पता है, तुम जब इतने सीरियस लगते हो, तब और ज्यादा… इंटरेस्टिंग लगते हो," रिटा ने हल्की आवाज़ में कहा, उसके होंठ उसके कान के पास थे।

दानिश ने एक झटके से उसकी कलाई पकड़ ली और आँखों में सीधे देखते हुए कहा,

"रिटा, मैं तुम्हारे इस ड्रामे में नहीं फँसने वाला।"

रिटा ने होंठों पर हल्की मुस्कान लिए उसकी पकड़ से अपनी कलाई छुड़ाई और कुर्सी के पीछे जाकर उसके कंधों पर हाथ रख दिए।

"क्यों ना मानूं?" उसने फुसफुसाकर कहा, "हम दोनों जानते हैं कि तुम्हें ये सब पसंद है।"

दानिश ने उसकी तरफ एक ठंडी नज़र डाली, फिर बिना कुछ कहे खड़ा हो गया।

"तुम्हें समझ नहीं आता, रिटा?" उसने गहरी आवाज़ में कहा, "मुझे ये सब पसंद नहीं है। मुझे तुम्हारा ये बेवजह का रोमांस पसंद नहीं। और सबसे ज़्यादा, मुझे ये पसंद नहीं कि तुम मेरे ऑफिस में आकर ये सब करने की कोशिश करो।"

रिटा के चेहरे की मुस्कान हल्की पड़ी, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

"ओह, डार्लिंग, तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे तुम्हारा दिल पत्थर का हो!"

दानिश ने बिना कुछ कहे अपने सूट की जेब से कार की चाबियाँ निकालीं और तेजी से बाहर निकल गया।

रिटा पीछे से उसे देखती रह गई, उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन आँखों में एक अलग ही चमक थी।

"दिल तो तुम्हारा अब भी धड़कता है, दानिश," उसने धीमे से कहा, "बस तुम उसे मानना नहीं चाहते।"

वो अपनी उंगलियाँ टेबल पर थपथपाते हुए मुस्कुराई।

"कोई बात नहीं… खेल अभी बाकी है।"

रिटा किसी भी हाल में दानिश को पाना चाहती थी, उसके लिए फिर चाहे उसे कुछ भी करना पडे वो करने को तैयार थी | वही दूसरी तरफ दानिश अपने ऑफिस से निकल गया | उसे रिटा कि हरकतों पर गुस्सा आ रहा था |

इस लड़की ने दिमाग खराब कर दिया, " दानिश ने कहा |

दानिश कि कार रास्ते पर बडी तेजी से दौड रही थी |