Ishq aur Ashq - 2 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | इश्क और अश्क - 2

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इश्क और अश्क - 2



रात्रि जैसे ही उठती है, Mr. Maan की आवाज़ उसे रोक देती है...

Mr. Maan (धीरे से, पर दृढ़ता से):
"हम ये फिल्म सुपरस्टार ए.वी. सहगल के लिए बनाना चाहते हैं।"

रात्रि के चेहरे का रंग उड़ जाता है... 

रात्रि (हैरानी में):
"आप... शायद मज़ाक के मूड में हैं? एक सुपरस्टार को कहानियों की कमी है क्या? और... वो मेरे साथ ही क्यों काम करेंगे?"

वो घबरा कर उठती है।
रात्रि:
"देखिए, मुझे और भी बहुत काम है। माफ कीजिए..."
(और वो तेज़ी से निकल जाती है)

Mr. Maan अपने चेयर पर गिर पड़ते हैं। तभी उनका फ़ोन बजता है।

मान (थके स्वर में):
"हां, मैंने प्रपोज़ल रखा... लेकिन बात बनी नहीं।"

फोन की दूसरी तरफ एक तीखी, मगर बेहद सटीक आवाज़:
"मैंने पहले ही कहा था, मुझे उस फिल्म में वही दोनों चाहिए। चाहे जैसे भी हो, मुझे रात्रि और सहगल चाहिए।"

मान गुस्से में फोन फेंक देते हैं।
Mr. Maan (अपने आप से):
"ये इंसान मुझे पागल कर देगा... आखिर कैसे मनाऊं उस लड़की को?"


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Scene 2: रात्रि का घर

मेघा (प्यारी सी मां):
"आ गई बेटा, चल खाना लगा देती हूं।"

रात्रि की आंखें कहीं खोई हैं...

अनुज (मुस्कुराकर):
"रात्रि... रात्रि... कहा खोई है?"

रात्रि (हड़बड़ाकर):
"कुछ नहीं भैया... बस ऐसे ही।"

परेश (गंभीर):
"मैं सोच रहा था कि अब रात्रि की शादी के बारे में बात हो जाए..."

(सन्नाटा)

रात्रि (एकाएक बोल पड़ती है):
"आप लोगों ने मान प्रोडक्शन का नाम सुना है...? आज मैं उनके CEO से मिली। वो हमारे साथ collaboration करना चाहते हैं..."

मेघा:
"अरे वाह! ये तो बड़ी बात है..."

रात्रि (थोड़ी घबराई):
"नहीं मां... कुछ अजीब था। वो चाहते हैं कि मैं A.V. सहगल के लिए कहानी लिखूं..."

अनुज (भड़ककर): 
"वो बिगड़ा हुआ स्टार? ना रात्रि, तू उसका नाम भी मत लेना! हर हफ्ते उसका कोई नया स्कैंडल निकलता है। तू कोई काम की कमी से नहीं जूझ रही।"

रात्रि कुछ बोलना चाहती है, पर अनुज आंखों से इशारा कर उसे चुप करा देता है।


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Scene 3: रात का सपना

रात्रि चीखती है...
"नहीं! रुक जाओ... बचाओ!"

उसकी आंख खुलती है, वो पसीने में भीगी हुई है।

रात्रि (सिसकते हुए):
"मैं थक चुकी हूं... अब और नहीं..."

मेघा दौड़ती हुई आती है, रात्रि उसके गले लग कर फूट-फूट कर रोने लगती है।


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Scene 4: रहस्यमयी सफ़र

राबिया और रात्रि कार में।
रात्रि की आंखें बेचैनी से बाहर झांक रही हैं...

रात्रि (धीरे से):
"कहीं तो होगी वो जगह... जहां से मेरे सवालों की शुरुआत हुई थी।"

जब वो जगह पहुंचती हैं, तो रात्रि पागलों की तरह यहां-वहां भागती है।

रात्रि (जोर से):
"नहीं! ये भी नहीं है... क्यों नहीं मिलती मुझे वो जगह!"

वो ज़मीन पर बैठ जाती है, आंखों से सैलाब बह रहा होता है।


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Scene 5: ऑफिस में रहस्य

रात्रि थकी हुई ऑफिस पहुंचती है।

नेहा:
"मैम... कोई आपसे मिलने आया है। चार घंटे से वेट कर रहा है।"

रात्रि धीरे से वेटिंग रूम में दाखिल होती है... वहां एक शख्स चेहरा ढके बैठा है। जैसे ही वो अपना नकाब हटाता है —

रात्रि (सन्न रह जाती है):
"तुम...? यहां...? कैसे...?"

और तभी—

अनुज (चीखते हुए एंट्री करता है):
"तू!! A.V. सहगल... तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के पास आने की!"

वो सहगल का कॉलर पकड़ लेता है।


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(CUT TO BLACK)

Voiceover:
"क्या है रात्रि और ए.वी. सहगल का अतीत?
क्यों अनुज के गुस्से में छुपी है कोई पुरानी आग?
क्या रात्रि के सपने सिर्फ डर हैं... या अधूरी यादें?"

Stay tuned for Part 3... जहां परते खुलेंगी, और जख्म गहराएंगे...


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