Chandrvanshi - 4 - 4.1 in Hindi Adventure Stories by yuvrajsinh Jadav books and stories PDF | चंद्रवंशी - अध्याय 4 - अंक 4.1

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चंद्रवंशी - अध्याय 4 - अंक 4.1

“कैसे हुआ ये सब! हमारी कंपनी में से ही किसी ने जानकारी दी है। क्या तुम बता सकती हो कौन है वो?” श्रेया के सामने कंपनी का मालिक यानी कि जॉर्ज खड़ा होकर प्रश्न कर रहा था।
“मैं! कुछ समझी नहीं। मैं कैसे बता सकती हूँ।” श्रेया घबरा गई थी। उसके हाथ में एक फाइल थी। हाथ काँप रहे थे। श्रेया और जॉर्ज एक होटल के कमरे में खड़े थे। हालांकि, श्रेया को जॉर्ज से कोई खतरा नहीं था लेकिन उसका पार्टनर बहुत ही खतरनाक इंसान था। उसी समय किसी ने होटल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। जॉर्ज को भी पसीना आ गया। दोनों एकदम कांपने लगे थे। श्रेया ने जॉर्ज की ओर देखा और दरवाज़ा खोलने का इशारा किया।  
जॉर्ज धीरे-धीरे कदमों से आगे बढ़ा। दरवाज़े के पास जाकर एक छोटी सी खिड़की जो देखने के लिए ही बनाई गई थी, उसमें से झाँका।  
बाहर वाले की आँख भी वहीं चिपकी हुई थी इसलिए जॉर्ज चौंक गया। उसका दिल धक... धक... धक... जोर से धड़कने लगा। थोड़ी देर बाद खुद को सँभालकर बड़ी हिम्मत से धीरे से दरवाज़ा खोला।  
“सर... श्रेया मैम को अब चलने का वक़्त हो गया है।” बाहर खड़ा रोमियो बोला। जॉर्ज की जान हलक में आ गई थी। इसलिए गुस्से में बोला, “अबे वक़्त वाले... नीचे से इस होटल के मालिक को बता कि मेरे कमरे में पड़े टेलीफोन से कॉल नहीं कर सकता था?” फिर श्रेया की ओर देखकर, वह रोमियो की ओर उँगली करके बोला, “इस बेवकूफ को मैंने कितनी बार बताया है कि नीचे से कॉल करने देना। लेकिन, इसको बुद्धि जैसा कुछ हो तो ना।” फिर वह रोमियो की तरफ देखकर बोला, “अभी तक मीटिंग खत्म नहीं हुई है।”  
जॉर्ज का विचार बदल गया। वह श्रेया को घूरने लगा।  
“लेकिन, सर...” श्रेया घबराकर बोली।  
“हाँ हम सारी बात करते हैं, लेकिन, पहले इसे तो जाने दो।” कमरे के दरवाज़े पर खड़े रोमियो की तरफ देखकर जॉर्ज बोला।  
थोड़ी देर में उसके जाने के बाद जॉर्ज बोला, “तुम जानती हो ना, वो आदमी इंसान नहीं हैवान है... हैवान।”  
“ह... हाँ कैसे भूल सकती हूँ। लेकिन, अभी एक और डर भी है। इस केस का क्या करें?” श्रेया बोली।  
“मैंने एक एल.सी.बी ऑफिसर को कुछ पैसे देकर मना लिया है।” थोड़ी शांति दर्शाते हुए जॉर्ज बोला।  
“अरे... तुम्हारे चेहरे से तो पसीना बह रहा है।” श्रेया बोली।  
“पसीना रोकने का एक ही उपाय है।” जॉर्ज श्रेया के पास जाकर बोला।  
श्रेया थोड़ी मुस्कुराकर बोली, “नीचे वो मेरी राह देख रहा होगा।”  
“अरे... इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान। तुम हर बार कुछ न कुछ बहाना बनाती रहती हो। लेकिन, आज नहीं जाने दूँगा।” जॉर्ज ने उसकी कमर पर हाथ रखा और किस करने के लिए अपने होठ श्रेया की तरफ ले गया। तब उसने बचने के लिए झट से अपने साथ लाई फाइल दोनों के बीच रख दी। जॉर्ज के होठ फाइल से टकराए और वह एकदम चौंक गया।  
“ये फाइल बीच में क्यों लाई?” थोड़े गुस्से से जॉर्ज बोला।  
“ये वो इम्पोर्टेन्ट फाइल है, जो तुम्हें उस खान और श्रीवास्तव पावर कॉम्प्लेक्स का सही मायनों में मालिक बना सकती है और इसके बाद (जॉर्ज के होठों पर उँगली रखते हुए) हम दोनों शादी कर लेंगे।” श्रेया ने जॉर्ज के मन में लालच जगाते हुए कहा।  
जॉर्ज की उत्तेजना को नया रूप देकर, श्रेया ने उसका ध्यान अपने से दूर किया। हालांकि, श्रेया जॉर्ज की बेटी जितनी उम्र की थी। जबकि जॉर्ज काला और वासना में लिप्त एक बूढ़ा आदमी था। जिसने पाँच साल पहले श्रेया को देखा था और उसे पाने के लिए अथक प्रयास करने के बाद उसे अपनी कंपनी में लाकर मजबूर कर दिया था। उसने श्रेया के भाई को, पिता को और होने वाले पति को मरवा दिया था। उस समय की बुरी परिस्थिति में उसे नौकरी पर रखा। इतने समय में पहली बार श्रेया के मुँह से निकले 'शादी' शब्द से जॉर्ज उसकी बात मान गया।  
अभी-अभी जॉर्ज और श्रेया की बात खत्म ही हुई थी कि कमरे में पड़ा टेलीफोन बज उठा “ट्रिन...... ट्रिन.....”  
“ये देख अभी बात खत्म ही हुई है कि, तेरा असिस्टेंट परेशान करने लगा। अच्छा है इस बार वो ये तो समझा कि फोन कर दे। वैसे अभी ऊपर भी आता तो कोई डर नहीं था। आज तमाम डर चले गए।” खुश होता हुआ जॉर्ज फोन की ओर बढ़ा।  
“हेलो!” जॉर्ज फोन उठाकर बोला।  
“हाँ मैं यहाँ आया हूँ, तुमसे कहाँ मिलूँ?” फोन में से एक भारी और घबराहट भरा आवाज़ आया।  
आवाज़ सुनकर जॉर्ज चौंक गया और काँपती आवाज़ में बोला, “अ... आदम?”  
“हाँ मैं।” आदम बोला।  
“तुम वहीं रुको मैं पाँच मिनट में वहाँ आता हूँ।” जॉर्ज ने काँपती आवाज़ में कहकर फोन रख दिया।  
श्रेया की आँखें फटी की फटी रह गईं जैसे, वह जॉर्ज की तरफ देख रही थी। उसके हाथ में पकड़ी फाइल भी काँप रही थी। श्रेया कुछ बोले उससे पहले ही जॉर्ज बोला, “मैं नीचे जाकर होटल के मैनेजर को कहूँगा कि वह आदम को स्पेशल मीटिंग रूम में ले जाने को कहे। जैसे ही वह उसे वहाँ ले जाएगा, मैं तुम्हें नीचे से बुलवा लूँगा और तुम यहाँ से निकल जाना।”  
“ठीक है।”  
जॉर्ज नीचे मैनेजर के पास जाता है। मैनेजर से बात करता है तो वह आदम के पास जाकर उसे मीटिंग रूम में ले जाता है। जॉर्ज काउंटर के पास बैठे आदमी से कहकर ऊपर कमरे में बैठी श्रेया को यहाँ से निकल जाने को कहता है। फिर श्रेया और रोमियो दोनों वहाँ से निकल जाते हैं। 

***