दुसरी तरफ सोफे मे बैठे हुए इंसान ने बंदूक पकडी़ और उस लड़के पर तान दी ।
हाथ मे गन पकडा़ आदमी टेडा़ हसँकर बोला : " क्या हुआ डर लग रहा है ? अपनी मौत को देखकर ?"
वो आदमी उस लड़के को डराते हुए बोला ।
लड़के की आँखें अंगारो सी लाल थी । वो रोना चाहता था पर उसे बीती बाते याद आई ।
" अगर ऐसे ही रोएगा , तो मजबूत कैसे बनेगा ? , काटो से ही चलकर मंजिल मिलती है , जितना दर्द तू सहेगा , उतना मजबूत तू बनेगा , इसलिए ये बच्चों की तरहा रोना बंद कर " ये बात उसकी कानो मे गुंज रही थी । उसे ये भी एहसास नही था की उसके सामने एक आदमी गन लिए खड़ा है । लड़के के दिमाग मे बीती बाते याद आ रही थी और मौत का खौफ तो जैसे मिट ही गया था तबतक गोली चलने की आवाज आई ।
दुसरी तरफ गाडी़ मे -
है मेरे मौला , मेरे परवदिगार , हमारे छोटे बाबा को जिंदा , सही सलामत रखना , वरना मै साहब को क्या मू दिखाऊंगा ? कैसे अपना किया हुआ वादा निभाऊंगा " अनवर ये सब दुआं किए जा रहा था ।
बगल मे बैठा अरमान अनवर को फिक्र ना करने लिए कह रहा था, वो उसे समझाते हुए बोला : " चच्चा छोटे साहब को कुछ नही होगा ? क्यों चिंता करते हो ? "
कहकर अरमान ने गाडी़ तेज भगा दी । वो जितना जल्दी हो सके लड़के के पास पहुंचना चाहते थे । काफी देर बाद वो सब बंगले मे पहुंचे और सब हथियार लेकर अंदर गए ।
वो दहलीज मे पहुंचे ही थे तबतक वहा का हाल देखकर अनवर के मू से " या अल्लाह , ये क्या हो गया ?" निकला और सब छोटे साहब आप ठीक है न " कहकर अंदर भागे ।
सबके चेहरे पर लड़के को खोने का डर साफ झलक रहा था । वहा चारो तरफ खून की धारा थी । फर्श पूरा खून से सना था । चारो तरफ बेहिसाब लाशे । एक पल के लिए सब हैरानी रह गए । सबकी नजर सामने सोफे मे गई । जहा जलती आँखें लेकर लड़का बैठा था,उसका चेहरा खून से सना था । कपडो़ मे खून लगा था और एक पैर सोफे मे रखकर उसके ऊपर हाथ रखकर हिलाए जा रहा था । दोनों आदमी उसके पैरो के हिलने से ज्यादा थर्र थर्र कांप रहे थे । वहा जितने लोग खडे़ थे , सब हैरान थे । अनवर ने इशारा किया और उसके आदमी लाशो को उठाकर बाहर लेकर जाने लगे ।
अनवर ने उस लड़के को देखा और चिंता से पूछा :" छोटे साहब , आप ठीक है न ? "
लड़के ने अनवर को देखकर डरावनी आवाज मे कहा : " मुझे क्या होगा चच्चा , मेरी ऊमर लम्बी है , बहुत लम्बी "
उसके कहने से उसकी आवाजे गुंज उठी । अनवर ने अरमान को इशारा किया ,और वो लड़के के पास पडी़ लाशो को लेकर चले गए ।
अनवर उस लड़के के पास आया और बोला : " चलिए छोटे साहब , आप कपडे़ बदल लिजिए "
अनवर की नजर सामने पडी़ । उसने जामींन मे पडे़ आदमियों को देखा । जो डर से कंपा कंपाकर एक जगह से हिल नही रहे थे ।
अनवर ने गुस्से और नफरत से कहा : " तुम दोनों "
उन दोनों की हालत खसता थी , बाल बिखरे हुए, चेहरे पर खून लगा था और दोनों डर से कांप रहे थे ।
अनवर उनकी ये हालत देखकर हैरान था । अरमान जो अनवर के पीछे था ।
उसने उन दोनों को घूरकर पूछा :" तुम दोनों की ये हालत किसने की ?"
वो आदमी डरते डरते अरमान और अनवर के पैरो मे गिर गए और अपनी जान की भीख मांगते हुए बोले : " प्लीज , प्लीज हमे माफ कर दो "
उन्होंने लड़के के की तरफ इशारा कर कहा : " इसने , इसने मारा है हमे "
वहा जितने भी लोग थे सबके मन मे सिर्फ इनके लिए नफरत थी ।
उन दोनों ने हाथ जोडे़ और रोते हुए बोले : " हमे माफ कर दो..हमे इस लड़के से बचा दो.. हम गुलाम बनकर रहेगे तुम्हारे पर हमे इससे बचा लो "
अरमान ने उस इंसान को लाथ मार दूर किया और दांत पीसकर कहा : " दूर हो जा मुझसे, तूने जो किया उसकी सजा भुगतने के लिए तैयार हो जा "
वो आदमी दोबारा उसका पैर पकड़कर माफी मांगने लगता पर उससे पहले ही अरमान ने उसे दूर झटक दिया ।
उनमे से एक आदमी बोला : " मेरी क्या गलती है ? मैने क्या किया ?"
राजवीर जो अभी बाकी आदमियों के साथ अंदर आया और वहा का मंजर देखकर हैरान था । राजवीर उस लड़के को देखकर और हैरान रह गया उसने उस आदमी की बात भी सुन ली थी ।अनवर उसे जवाब देता ।
उससे पहले राजवीर घूरता हुआ बोला : " तेरी ये गलती है की तूने उसका साथ दिया "
राजवीर की बात से सबने उसे देखा । वो बाकी लोगो के साथ खडा़ हो गया ।
वो आदमी हाथ जोड़ते हुए बोला : " ठीक है, ठीक है, मै,मै छोड़ दूंगा इसे, प्लीज अब तो जाने दो "
उसकी बात से अरमान गुस्से से चिल्लाया : " चुप बिलकुल चुप अब कुछ नही हो सकता , अब तूझे इसके साथ सजा भुगतनी होंगी "
वो आदमी और जोर से रोने लगा । लड़का जो अब तक चुप था । वो खड़ा होकर उन दोनों के पास आया । वो उन दोनों के सामने घुटने के बल बैठा और उन दोनों के बाल पकड़कर चेहरा ऊपर किया ।
उसने गुस्से से कहा : " क्या तुम सच मे माफिया हो ?"
दोनों आदमियों ने ना मे गर्दन हिलाई ।
लड़के ने पीछे अनवर को देख हैरानी से कहा : " क्या इतने डरपोक होते है माफिया जो एक बच्चे से डर जाए ? "
उसने उन दोनों को देखा और आगे बोला : " माफिया वो नही जो दुसरो से डरकर रहे , माफिया वो है जो अपना डर फैलाकर रखे "
कहकर उसने उन दोनों को छोड़ दिया और चिल्लाकर बोला : " कैद कर लो इन्हें मेरे पास, मेरी जेल मे, ना ये दोनों मरने चाहिए और ना ही जीने ( उस लड़के ने उन दोनों को घूरकर आगे कहा ) अब इन्हें पता चलेगा की इन्होंने मेरा क्या नुकसान किया है ? झंझिरो से बांध कर तड़पआओ, इनकी चोटे और दर्द कभी कम नही होनी चाहिए "
अनवर ने कुछ आदमियों को उन दोनों को उठाने का इशारा दिया । कुछ आदमियों ने उन दोनों को उठा लिया और ले गए । वो छटपटा रहे थे पर वहा किसी को भी उनके रोने की आवाज जैसे आ ही नही रही थी । पूरे घर मे उन दोनों की रोने की आवाजे गुंज रही थी और लड़के ने अपनी आँखें बंद कर दी ।उन लोगो ने उन्हें गाड़ी की डिक्की मे डालकर बंद कर दिया और गाड़ी शुरू कर निकल गए ।
लड़का भावहीन से बोला : " राजवीर ये दोनों नही भागने चाहिए , किसी भी कीमत मे नही "
राजवीर का गुस्सा उन आदमियों के जाने के बाद शांत हो गया था ।
वो नोर्मल टोन मे बोला " ठीक है भाई "
लड़के ने अपनी आँखें खोल सामने खडे़ राजवीर को देखकर कहा : " भाई नही साहब "
अरमान और बाकी सब जने आगे क्या होने वाला है समझ गए थे ।
अरमान ने उस लड़के को देखकर कहा : " आज से आप हमारे साहब "
राजवीर आगे आकर बोला : " और इस घर के मालिक "
अनवर राजवीर और अरमान को देखते हुए बोला : " हमारे साहब , इस माफिया के लीडर , अंडरवर्ड डोन "
उन सबके खुशी से चिल्लाने की आवाजे आने लगी । सब अपनी अपनी बंदूके उठाकर खुशी से शोर करने लगे ।
अनवर उसके बगल मे जाकर बोला : " चलिए छोटे साहब आप कपडे़ बदल लीजिए "
वो लड़का खडा़ होकर बोला : " नही चच्चा , अभी एक काम बाकी है "
अनवर सोचते हुए बोला : "क्या आप .."
" हा चच्चा , वो समय आ गया है " लड़का बीच मे ही बोला ।
उसने ऊपर उन्हें देखा और हाथ आगे किया । अनवर को समझ नही आ रहा था , ये सच है या कोई सपना पर जो भी हो वो अपने मालिक को नही छोड़ सकता था । उसने एक बंदूक उसके हाथ मे पकडा़ दी और लड़का आगे निकल गया । अनवर उसे ही देख रहा था । वहा पर किसी को यकीन नही हो रहा था की ये हालत इस लड़के ने की है । वो उससे पूछना चाहते थे पर डर उन सबपर हावी था । वो बाहर गया । एक गाडी़ उसके सामने खडी़ हुई । बंदूक धारी आदमी ने गाडी़ का दरवाजा खोला । वो बडे़ कट से बैठा और बंदूक खिड़की से बाहर निकाल दी । आज सब उसमे अपने मालिक जिसे सब राजेन्द्र भाई के नाम से जानते थे वो दिखे , उसकी आँखों मे अंगारे , उसके तेवर सब अपने पिता की तरहा दिख रहे थे और शायद अब उसने अपने पिता की जगह ले ली थी । सबने अपनी नजरे झुका दी और वो लड़का बाहर देखकर बोला : " क्यों चच्चा , जानना नही चाहते है आखिर इन कुत्तों की मौत कैसे हुई ?"
" वो छोटे साहब " अनवर सर झुकाकर बोला ।
लड़का टेडा़ हँसा ।
" आखिर हूँ तो उस राजेंद्र की औलाद , दम तो मुझमे है ही " लड़के ने टेडा़ हसँते हुए कहा ।
कुछ देर पहले -
सोफे मे बैठे इंसान ने उस लड़के के चारो तरफ जो इंसान थर्र थ्रा रहे थे उन्हें एक बार मे ही मार दिया और उस लड़के को देखकर बोला : " ऐसे गिढ़डो़ का शिकार , करना भी कौन चाहेगा ?, जो मौत से डर जाए ? ऐसे लोग नही चाहिए मुझे "
वो उस लड़के की तरफ बडी़ गहराई से देखकर बोला : " मै तूझे जिंदा छोड़ रहा हू, तू मेरा कुत्ता बन , मै तूझे हद्दी दूंगा "
उस लड़के ने टेबल पर पैर रखा और उसकी आँखों मे घूरता हुआ बोला : " इन बकरियो को मारकर तू शेर नही बन सकता , शेर का शिकार सिर्फ एक शिकारी कर सकता है , जिसमे दम हो , फौलाद हो । जैसे आग मे तपकर लोहा बनता है , वैसे ही तूझे मारकर इस दुनिया को मै अपनी मुट्ठी मे कर लूंगा । तू खुदको शेर समझता है न , चल तेरे सामने तेरे पालतू कुत्तों को मारकर तूझे बकरी बनाता हूँ । मै वो शिकारी हूँ जो शेर से मुकाबला करके उसे अपनी कैद मे करता है ना की जाल बिछाकर "
उसने पैर हटाया और दो कदम पीछे हुआ तबतक उसे काफी लोगो ने बंदूक के साथ घेर लिया यहा तक की ऊपर के माले से , हर जगह से उस लड़के पर निशाना बनाया गया । वो इतने थे की गिन्टी कम पड़ जाए पर जैसे वो लड़का पहले से ये सब जानता हो उसे कोई फ्रक नही पडा़ ।
वो आदमी मुस्कराकर बोला : " कैसे मारेगा इन सबको ? कैसे करेंगा एक बेचारा सा लड़का अपने उम्र के दुगने लोगो से सामना "
वो ये सब बोलकर आराम से पैर पसरकर बैठ गया जैसे कोई तमाशा देखने बैठा हो ।
लड़के ने उस आदमी को देखकर कहा : " जानता है हाथी झुंड मे रहते है , उनके खो जाने के डर से पर शेर अकेला रहता है । ( वो दो कदम पीछे हटकर बोला ) अकेले घूमता है , ( दोबारा वो दो कदम पीछे हटा और उन सारे आदमियो को घूरकर बोला ) अकेला शिकार करता है और ... वो आगे बडा़ और एक दम से कांच की टेबल पर लाट मारी और चीखकर बोला : " अकेले जंगल मे राज करता है "
उसकी चीख और कांच की आवाज से सब कांप उठे । वो आदमी जो सोफे मे बैठा था वो थर्राता हुआ जमींन मे जा गिरा ।
लड़का उसे घूरते हुए बोला : " ये मेरा घर है और तुम बिन बुलाए महमान और तुम्हें अपने घर से कैसे निकालना है मै अच्छी तरीके से जानता हूँ "
उसने नीचे पडे़ आदमी को उंगली दिखाकर कहा : " अब अगर तू उस सोफे मे बैठा ,वो सोफा तो होंगा पर तू नही होंगा "
वो जमींन मे पडा़ आदमी हसँकर बोला : " तूझे जानता हूँ मै , तू कुछ नही कर सकता मेरा.. मेरा तो क्या किसी का भी नही कर सकता, तू राजेन्द्र की औलाद जरूर है पर डरपोक "
लड़के ने इधर उधर चलके उस जमींन मे पडे़ आदमी को देखकर कहा : " शेर जंगल का राजा होता है और राजा के सामने बैठने का हक किसी का नही है और तूझ जैसे चुहे को तो मै यूही मसल दूं "
वो उसके पास जमींन मे बैठा और उसका मू पिचकाने लगा ।सब उसे रोकने बडे़ , पर उसने पीछे देखकर अपनी जलती नीली आँखों से उन सबको जो देखा , वैसे ही उनके शरीर मे कपकपी सी दौड़ गई । वो दो कदम पीछे हट गए ।
" मेरी इजाजत के बिना तू यहा से हिलेगा भी नही " वो बोला और खडा़ हो गया , " चल तूझे जहन्नूम की शैर करवाता हूँ "
ये कहकर वो पलटा । वहा से उसे मारने के लिए लोग बडे़ और वो एक एक को बहरहमी से मौत के घाट उतारने लगा । वो किसी की आँखें नोचता , तो किसी के हाथ को ऐसे मरोड़ता जैसे खिलौना हो , हैरत की बात ये थी , की जिसे ये लोग पंद्रह साल का बच्चा समझ रहे थे , वो इनपर भारी हो गया । ताकत के लिए उम्र जरूरी नही होती शायद इसलिए वो पंद्रह साल का बच्चा उनपर हावी था क्योंकि उसके सीने मे आग के साथ साथ नफरत ने भी जन्म ले लिया था । एक आदमी पीछे से हाथ मे चाकू लेकर आया और उस लड़के की पीठ को जख्मी कर दिया ।
हर हर महादेव ।