Dastane - ishq - 7 in Hindi Fiction Stories by Tanya Gauniyal books and stories PDF | Dastane - ishq - 7

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Dastane - ishq - 7

So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name same hai but poster yaha update nhi hora tou same nhi hai but dark hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on pratilipi 

Id name - Tanya gauniyal 
Story name - same - Dastane - ishq ( mafia romance) see the picture you will get to know 

https://pratilipi.page.link/oyLuU1nTigc37YNU6

And there I have reached more ahead so go and read their and do comment and follow me on my pratilipi I'd.

Jismai meri first kahani ke sath sath second kahani bhi hai. 

So guys go and read their and follow me too for new updates in Instagram. 

If you want spoiler of this story follow me on Instagram 

Instagram I'd - Tanya gauniyal 
Instagram id link - https://www.instagram.com/tanya_gauniyal?

I am waiting for your response readers do and comment 💬 and share your lovely thoughts. 

आयुषी और राधिका एक जगह रूके । उन्होंने ड्राइवर को पैसे दिए और अपना सामान लेकर उतर गए ।

ड्राइवर ने आयुषी को देखकर प्यार से कहा : " बेटा संभलके जाना " 

आयुषी ने भी बदले मे मुस्कराकर कहा : " जी अंकल कितने पैसे हुए ? " 

ड्राइवर ने पैसे बताए आयुषी ने उसे पैसे दिए । ड्राइवर ने गाड़ी शुरू की और  निकल गया । आयुषी ने बचे हुए पैसे पर्स मे रखे और अपना सामान उठाया । राधिका ने भी अपना सामान उठाया । आयुषी ने वो पेपर देखा और फिर सामने बिल्डिंग को ।
फिर  राधिका को देखकर  बोली : " राधी यही बिल्डिंग  है इसी मे हमारा फ्लैट है, चल अंदर " ।

राधिका " हा दीदी " कहकर आयुषी के पीछे चल दी । वो अंदर जा रहे थे तबतक वहा के वाचमेन ने उन्हें देख लिया ।

वोचमेन अपने मन मे सोचने लगा : " इन दोनों  को तो मैने कभी देखा ही नही है ? ( उसकी नजर उन दोनों के सामान पर पडी़ ) कही ये यहा रहने तो नही आई है ? " 

वो उन दोनों के पीछे आया और उन्हें रोकते हुए पूछा : " जी आप  दोनों ?" 

आयुषी और राधिका दोनों  ने उसे देखा ।

आयुषी उसके पास जाकर बोली : " यहा एक फ्लैट खाली था, मेरी उस फ्लैट के लिए बात हुई थी " 

वाचमेन ने उसे रूकने को कहा और दोनों  साइड मे खडे़ हो गए ।
उसने secretary को फोन कर पूछा : " जी दो लड़कियाँ आई है , कह रही है की यहा फ्लैट लिया था " 

सामने से आवाज आई : " उनसे नाम पूछो ?" 

वाचमेन ने " जी " कहा  और आयुषी से उसका नाम पूछा ।

उन दोनों  ने उसे अपना नाम बताया वोचमैन ने secretary को नाम बताया ।

secretary ने " ठीक है मै अभी आया कहकर " फोन काट दिया । कुछ देर बाद एक आदमी लिफ्ट से उतरकर आयुषी के सामने आया और उससे पूछा  : " क्या आप आयुषी है ?" 

आयुषी ने उसे देखकर " जी हा मै ही हूँ " कहा । आदमी ने उसे चाबी दी ।

" ये  उस फ्लेट की चाबी है  " वो बोला ।

आयुषी ने चाबी ली और " थैंक्स " कहा ।  दोनों लिफ्ट से होकर  फ्लेट के सामने आए । आयुषी ने फ्लेट खोला और दोनों अंदर गए । वो काफी बडा़ फ्लेट था । दो से तीन बडे़ कमरे , बडा़ होल , किचन सब काफी बडा़ जरूर  था पर खाली था । राधिका ने  अपना सामान रखा । 

 उसने  पूरे घर को देखकर खुशी से कहा  : " वाओ दी, क्या फ्लैट है, बहुत अच्छा है " 

आयुषी ने बैग साइड मे रखे और फ्लेट बंद कर दिया ।

राधिका ने पहले किचन देखा फिर बाहर आकर आयुषी से बोली : " दी मै पूरा फ्लैट देखती हूँ " 

आयुषी ने मुस्कराकर " हम्म " कहा ।

राधिका फ्लैट के कमरे देखने लगी । आयुषी ने चाबी साइड टेबल मे रखी और बालो का जुडा़ बनाते हुए किचन मे आकर सामान देखने लगी । 

राधिका ने सारे कमरे देखे और एक कमरे को देखकर बोली : " आयु दी " 

 जब उसे जवाब नही मिला तो वो बाहर आई, जब उसने देखा की आयुषी  hall मे नही है तो उसने  इधर उधर देखकर अपनी बात पूरी कर कहा :  आप कहा हो आयु दी "  

आयुषी जिसने सेल्फ खोला था, राधिका की आवाज सुनकर उसने सेल्फ बंद की और किचन से बाहर आई ।

आयुषी ने राधिका को देखकर कहा   : " हा मेरी बहन यही हूँ बता क्या हुआ ?" 

 राधिका एक कमरे के सामने खडी़ होकर बोली :  " दी , मै ये वाला कमरा लूंगी " 

आयुषी मुस्कराकर बोली : " हम्म , ठीक है राधी जो कमरा चाहिए वो लेले "  

राधिका खुश होकर उसके पास आई और  गले लगकर बोली : " थैंक यू दी, थैंक्यू सो मच  " 

आयुषी ने मुस्कराकर कहा : " हा मेरी बहन अब जा कपडे़ बदल ले मै खाना बना लेती हूँ " 

राधिका ने अलग होकर  कहा : " दी मै खाना मंगवा लेती हूँ , आप थक गई होंगी न , हम साथ मे मिलकर खाएगे "

आयुषी ने उसे मना करते हुए कहा : " इसकी जरूरत नही है बहन मै बना लूंगी " 

आयुषी किचन मे जाते हुए बोली  : " तू जा कपडे़ बदलकर फ्रेश हो जा " 

राधिका मुस्कराते  हुए आयुषी के पास आई और उसे बाहर ले जाकर सोफे मे बिठा दिया और खुद उसके पास बैठकर बोली :  " क्या दी, आप भी तो मेरे साथ इतना सफर करके आई हो, आप भी फ्रेश हो जाइए मै खाना ओर्डर कर रही हूँ "  

आयुषी ने उसे समझाने की कोशिश की पर राधिका अपनी बात मे अडी़ थी ।

लास्ट मे  आयुषी ने मुस्कराकर " हम्म ठीक है " कहा ।

राधिका ने  फोन  निकाला और आर्डर करने लगी ।

कुछ देर बाद वो बोली : " दी मैने आर्डर कर दिया है, तबतक फ्रेश हो जाते है " 

आयुषी ने " हम्म " कहा और अपना सामान लेकर उसके बगल वाले कमरे मे चली गई  । राधिका ने भी अपना सामान पकडा़ और चली गई । आयुषी फ्रेश होकर आई और बालकनी मे जाकर ठंडी हवा को अपने चेहरे पर महसूस करने लगी ।

सत्या के अद्दे मे -
सत्या उसी घर के एक कमरे मे आया वहा पर अरमान था जिसे जजिंरो से बांधा गया था । उसके सामने एक चेयर रखी थी  जिसमे सत्या बैठा । उसके पीछे  अनवर , असलम और राजवीर खडे़ थे । उसने सिगरेट निकालकर अपने मू मे रखी ।
असलम सामने आया और सत्या के होंठो मे जो सिगरेट थी उसे जलाया । सत्या ने उसकी एक गश भरी और फिर अरमान को देखा ।उसके सिर्फ देखने से ही अरमान के शरीर मे कपंकपी दौड़ गई । 

वो अरमान की तरफ झुका और अपने मू से धुंआ उसपर उडा़कर बोला : " तूझे धीरज पर नजर रखने को कहा था पर तूने तो मुझसे गद्दारी कर दी " 

अरमान हकलाकर बोला : " वो ..वो " 

सत्या ने सिगरेट अपने मू से निकाली और जले हुए हिस्से को अरमान के चेहरे पर फेरने लगा जिससे वो दर्द मे तड़पने लगा ।

सत्या डरावनी आवाज मे बोला : " जानता है मै पहले से जानता था की तू उस धीरज का वफादार है , इसलिए मैने तूझे उसपर नजर रखने को कहा और तूझपर असलम को , सोचा था तू मेरे डर से मेरी वफादारी करेंगा पर तू तो सुधरा ही नही " 

अरमान हकलाया :   " वो मै..मै..  "

सत्या आराम से चेयर पीछे कर और आँखें बंद कर बोला : "असलम " 

उसने  सिगरेट को नीचे फेंका और नई सिगरेट जलाकर  पीने लगा । असलम एक कंटर मे अंगारे  भरकर  लाया । अरमान जलती हुई आँखो से  सत्या को घूरने लगा । 

सत्या को ये देखकर  हद से ज्यादा गुस्सा आया वो उसके पास आया और  बोला : " मुझे  घूरने की हिम्मत किसी की नही है और तू मुझे घूर रहा है ( उसने चिल्लाकर कहा ) आँखें नीची कर " 
अरमान ने जब नजरे नीचे नही की तो सत्या ने उसके बाल पकड़कर उसका चेहरा नीचे कर दिया और बाल कसते हुए बोला : " ऐसी ही झुकी नजरे होनी चाहिए है तेरी मेरे सामने समझ गया न " 

सत्या ने उसके बाल छोडे़ और आराम से उस मखमली सी सीट मे सर टीकाकर आँखें बंद कर दी । उधर असलम और बाकी सब  अरमाने के शरीर मे अंगारे डालने लगे । वो उसके मू मे डालते तो कभी उसके चोटो पर जो सत्या के आदमियो ने उसे दिए थे पूरे जंगल मे अरमान की चीखे गुंज रही थी और सत्या आराम से आँखें बंद करके उस चीखो मे सुकून पा रहा था ।

कुछ देर बाद वो उठा और अरमान को घूरकर बोला  : " इसकी तड़प कम नही होनी चाहिए " 

ये  कहकर वो  गाडी़ मे बैठकर निकल गया और गाड़ी सीधा  होटल के सामने रूकी । वहा करन ने उसका दरवाजा खोला और उसे सारी डिटेल देते हुए बोला ।

" सर उसने हिसाब मे गड़बड़ी की है , जितना मिलता है उससे कम हिसाब मे दिखाता है " ये सुनकर सत्या की भोंहे तन गई ।

उसने रूड टोन मे पूछा  : " कहा है वो ?" 

करन ने बिना डरे कहा :  " वो आपके डर से  छुप गया है, खबर मिली है की  वो  एक फ्लेट मे छुपा है " 

" आज सारे गद्दारो को सजा दे ही देते है " सत्या आँखों मे चशमा चढा़कर बोला और गाडी़ मे बैठकर निकल गया । दुसरी तरफ आयुषी सामान निकालकर अलमारी मे रख रही थी और कमरे को ठीक कर रही थी ।

बाहर से उसकी बहन ने आवाज लगाई  : " दी खाना आ गया है " 
राधिका की आवाज से आयुषी ने अलमारी बंद की और बाहर गई ।

दोनों बहनो ने एक साथ खाया और आयुषी ने कपडे़ साफ कर उन्हे बालकनी मे डाल दिए । उधर सत्या की गाडी़ रूकी । ये वही building  थी जहा आयुषी थी  । आचानक से मौसम खराब हो गया । धूप की जगह उन काले बादलो ने ले ली और तेज हवाए चलने लगी , जिससे जबके कपडे़ उड़ने लगे ।

सत्या उतरा और आँखों मे चशमा चढा़कर बोला : " देखा, आज पूरी दुनिया भी मुझसे थर्र थर्रा रही है , ये हवाए उसकी मौत का अगाज दे रही  है " 

वो टेडा़ हसँते हुए अंदर गया आयुषी के फ्लेट के बगल वाले फ्लेट  की घंटी अनवर ने बजाई ।

दरवाजे के अंदर इंसान कांप गया और मन मे सोचने लगा : " कही इसे पता तो नही लग गया, प्लीज मुझे बचा लो इस दानव से " 

अनवर ने दो तीन बार बजाई पर किसी ने दरवाजा नही खोला । सब पीछे  हुए और असलम ने दरवाजा तोड़ दिया और सब अंदर गए । सत्या आराम से सोफे मे जा बैठा और असलम ने दरवाजा बंद कर दिया । दरवाजे के पास सत्या के आदमी खडे़ हो गए और अंदर तेज वोल्यूम मे गाने चला दिए  । राधिका बैठकर टीवी देख रही थी । 

उसने कान मे हाथ रखकर कहा : " है भगवान कैसे लोग है कितनी तेज वोल्यूम मे गाने बजाए है " 

आयुषी जो अपने काम मे बीजी थी गाने की आवाज सुनकर  वो बोली : "राधी , कितनी तेज वोल्यूम मे गाने बजाए है, थोड़ी  आवाज कम कर " 

राधिका ने पहले बाहर से कहा पर आवाज वहा तक नही पहुंची तो वो  आयुषी के  कमरे मे आकर बोली : "आयु दी  ये गाने मैने नही बजाए, बगल वाले फ्लेट मे बज रहे है " 

आयुषी ने उसे देखकर कहा :  " अच्छा ठीक है जा अपने कमरे की खिड़की दरवाजे बंद कर दे, तेज हवाए चल रही है " 

राधिका हा बोलकर चली गई । उधर दो आदमी उस आदमी को बहरमी से पीट रहे थे और उन्होंने शिव तान्डव श्रोत्र लगाया था ।

कुछ देर बाद वो खत्म हुआ और उन दोनों के हाथ भी रूके , सबने बंदूक उस आदमी के तरफ पाइंट की और धर धर करके सारी बंदूक खाली कर दी । किसी को इसलिए सुनाई नही दिया क्योंकि उन्होंने साइलेंसर यूज किया था ।

सत्या ने बडे़ कट से पैर पसारकर कहा  :  " कोई और बचा है, चच्चा ? " 

अनवर ने आदमियों को इशारा दिया और वो उस आदमी की लाश को ले गए ।

अनवर ने सत्या को देखकर कहा :  " नही साहब कोई दुश्मन  नही बचा " 

पीछे  करन खडा़ था जिसे  इन सबकी आदत हो गई थी ।

करन आगे आया और उसने सत्या से पूछा : "  सर वो मल्होत्रा हमारे साथ डील करने के लिए तैयार नही है, तो क्या  उसे भी " 

राजवीर उसे घूरकर बीच मे बोला :  " सबको मार देंगे तो धंधा किसके साथ करेंगे ? आत्माओ के साथ "

सत्या आराम से  बोला : " उसे प्यार से समझाओ , अगर ना समझे तो भी प्यार से समझाओ " 

सब उसका इशारा समझ गए थे । अनवर ने सत्या को चाबी दी ।
सत्या ने   " राजवीर,असलम " दोनों को पुकारा ।

दोनों सत्या के पास जमींन मे बैठे ।

उसने चाबी उन दोनों के हाथ मे रखकर कहा : " जाओ मैने तुम्हें ये गिफ्ट किया " 

दोनों ने चाबी ली और " थैंकयू साहब " कहा । सत्या ने बाहर देखा और  वो उठकर बालकनी मे चला गया । 

हर हर महादेव ।