Dastane - ishq - 4 in Hindi Love Stories by Tanya Gauniyal books and stories PDF | Dastane - ishq - 4

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Dastane - ishq - 4

उन सबको देखकर लड़के ने पूछा की क्या वो सब अब तैयार है तो उन सबने हा कहा ।

सबकी हा सुनकर लड़के ने अपने पीछे खडे़ आदमी को इशारा दिया । लड़के का इशारा पाकर एक आदमी दो तीन आदमियों के साथ गया और बहुत सारे हथियार लेकर आया । वहा जितने भी लड़के थे, उस आदमी ने सबको एक एक हथियार पकडा़ दिए ।

लड़के ने पूछा : "क्या तुम सब तैयार  हो ? " 

सबने अपने हथियार पकड़कर : " हा तैयार है " कहा ।

लड़का उठा और अपनी कार मे बैठ गया । बाकी सब भी एक बस मे बैठकर निकल गए ।

घंने जंगल मे , एक बंजर सा बंगला , जिसके अंदर कई सारे कमरे है , कुछ हथियारो के , कुछ बम , या नशीले प्रदार्थ के, उन सबसे लगता एक बडा़ सा होल , जिसके सामने एक बडी़ सी जैसे किसी राजा की, जो काफी उंची और किनारे से सोने से लढी़ , लाल रंग की कुर्सी थी , जिसके नीचे बहुत सारे लोग खडे़ होकर आपस मे बात कर रहे थे । उन लोगो के पास बंदूके थी । कोई  सोने की चेन पहने तो कोई सूट मे  था । सब इस कुर्सी के लिए झगड़ रहे थे ।

" अब वो मर गया है , अब मै बैठूंगा इस कुर्सी मे " एक काला मोटा आदमी बोला ।

दुसरे आदमी ने उसकी बात काटकर  कहा : " पर उसका बेटा भी तो है, उसका क्या ?" 

आदमी ने बेखौफ होकर कहा : " वो बच्चा किसी काम का नही है, वो खुद अपनी रक्षा नही कर पाता तो वो क्या ही करेगा ? " । 

एक आदमी उन दोनों की बाते सुनकर उन दोनों को  देखकर बोला : " वैसे भी, शायद वो भी अब तक मर गया होगा " 

एक आदमी उन तीनो को देखकर बोला : " हम्म तो इसमे बैठने का हक मेरा है मै बेठूंगा , कोई नही बैठेंगा मेरे अलावा  " 

उसकी बात सुन तीनो ने उसे देखा, और उनमे से एक बोला : " तूने ऐसा क्या काम किया है जो तू बैठेंगा ?" 

आदमी उसे घूरकर बोला : " बहुत कुछ किया है ? अब क्या क्या किया है  उसका हिसाब देना पडे़गा ?" 

उन दोनों की बहस देखकर एक आदमी उन दोनों के बीच मे  बोला : " तुम दोनों बकवास मत करो यहा सबही ने बहुत कुछ किया है पर डर सिर्फ राजेन्द्र ने फैलाया है, इस कुर्सी मे वही बैठेगा जिसके मन मे उसका खौफ होंगा जो इस माफिया राज को संभाल सके ना की किसी से डर जाए " 

उन सबकी बात सुनकर चौथा आदमी बोला : " हा ये सही कह रहा है और ये फैसला सबको मिलकर लेना चाहिए , हमे अपने लिए ऐसा कोई चुनना है जो हम सब से कई गुना चालाक शातिर और बेखौफ हो " 

तीसरा आदमी चौथे आदमी को देखकर बोला : " बिलकुल राजेन्द्र जैसा जिसके राज मे हम सब थे " 

चौथा आदमी तीसरे को देखकर बोला : " पर राजेन्द्र ने कहा था की उसका बेटा बैठेंगा "  

उसकी बात काटकर तीसरा  आदमी बोला : "  हा पर अब तक तो वो भी मर गया होंगा ? तो अब क्या करना है ? " 

दुसरा आदमी गुस्से से बोला : " हम राजेन्द्र के राज मे नही गुलामी मे थे समझे और ये कोई सरकार नही है, जो  इस कुर्सी मे बैठकर चलाएगे , ये पावर है और जिसे ये चाहिए उसे अपने हक के लिए लड़ना नही बल्कि छीनकर बैठना होंगा फिर उसकी हुकूमत होंगी " । 

उसने सबको देखकर कहा : "  हम सबमे से  जो ताकतवर चालाक होंगा और दुसरो को झुकाने मे कामयाब होंगा वो बैठेंगा " 

सब आपस मे बहस कर रहे थे और एक दुसरे को मारने के लिए तैयार बैठे थे । उन सबकी आपस मे बहस छिड़ गई थी । 

एक आदमी ने बंदूक से गोली चलाई और सब उस इंसान को देखने लगे ।

" तुममे से कोई नही बैठेगा , नालायक हो तुम सब , डरपोक फट्टू "  आदमी ने ये कहकर  अपने  बगल मे देखा ।

वहा एक लड़का जिसे अनवर ने देखा था वो  खडा़ था । जो कबसे उन सबको लड़ते हुए देख रहा था । 

वो आदमी उस बच्चे से बोला : " अगर  राजेन्द्र की  औलाद बच भी गई तो भी मेरी गुलाम बनकर रहेगी " 

ये सुनकर  उस बच्चे ने मुट्टी भींच ली और हा मे सिर हिलाया  । वो उन्हें ऐसा लड़ता देख कबसे अपने गुस्से को काबू करने की कोशिश कर रहा था ।

वो आदमी ने टेडी़ सी हँसी हँसी और कुर्सी के पास जाने लगा ।
जबतक वो उसके पास भी जाता तबतक , हवा मे उड़ती एक लाश उसके सामने जा गिरी । वहा जितने भी लोग थे दो कदम पीछे हट गए । उसके बगल मे खडा़ बच्चा , जिसका नाम धीरज था । वो हैरानी से उस लाश को देखने लगा । सबके साथ साथ धीरज की नजर भी  दरवाजे पर गई । 

वहा पर वो  लड़का हाथ मे बंदूक लिए एक राजा की तरहा  आ रहा था  । उसके पीछे  उसके सेनापति जैसे अरमान , अनवर , असलम और बाकी लड़के हाथ मे बंदूक लिए आ रहे थे । सब ये देखकर हैरान थे । धीरज उसे हैरानी से देख रहा था । 

लड़के के चेहरे पर  अंगारे , गुस्सा और खून   देखकर धीरज की  आँखें  हैरानी से फैल गई । वो लड़का चलकर उस कुर्सी के पास आया । अभी भी वो लोग उसे ही देख रहे थे । वो उस चेयर मे पैर पसारकर बैठ गया । 

एक आदमी चिल्लाकर बोला : " तू यहा कैसे बैठा ?" 

और बाकी सबभी बोलकर उसका विरोध करने लगे । इस पलटे हुए व्यवहार को देखकर अनवर सोच मे डूब गया की कैसे आज आखिर सबने अपने रंग दिखा ही दिए  । पूरे जंगल मे एक , दो , तीन  नही बल्की कई बार गोली चलने की आवाजे आई और सब बेजान से जमींन मे पडे़ थे  । अरमान, असलम और बाकी सब हसँने लगे । लड़के की बंदूक धीरज के सामने आकर रूक गई ।

उसने ट्रिगर मे हाथ रखा और ना जाने क्यों उसके हाथ मे हल्की सी कपंकपी हुई , उसने ट्रिगर को पीछे  किया पर ना जाने खुद को रोक दिया ।

धीरज उसके सामने जा खडा़ हुआ और चिल्लाकर बोला : " मै नही मानता तूझे कुछ भी, तूझे  इस कुर्सी मे बैठने का हक नही है , आज भले ही तेरा दिन है, पर एक दिन मेरा भी आएगा "

कहकर वो बाहर भाग गया क्योंकि वो जानता था आज उसके साथ कोई नही था और ना उसके पास कुछ करने को था उसके पास सिर्फ इंतजार था सही मौके का । 

धीरज को बाहर भागता देखकर लड़का बोला  : " अरमान इस पर नजर रखना " 

अनवर उस लड़के के पास आया और उसने  पूछा : " ये क्या किया छोटे साहब , यहा सबको मार दिया , अब क्या करेंगे ? "

" चच्चा " उस लड़के ने कहा ।

वो कुर्सी मे बैठा और पैर पे पैर रखकर आगे बोला : " ये लोग बेकार थे , जो मौत से डर जाए वो किसी और को क्या मारेगा ? , ये लोग सत्ता के भूखे थे , ये वफादार कुत्ते नही थे और आज के बाद जिसका भी सर मेरे सामने उठा उसका सर धड़ से अलग कर दूंगा , आज से कोई सपने मे भी मुझसे गद्दारी करने की नही सोचेगा और अगर सोची तो उसे मौत की नींद सुला दूंगा " 

वहा जितने लड़के थे वो एक दुसरे के सामने   लम्बी लाइन बनाकर  खडे़ हो गए । सबने उसके आगे सर झुका लिया , अरमान उसके दाय और राजवीर उसके बाय तरफ खडा़ हो गया । लड़का खडा़ हुआ और अनवर  लड़के के बगल मे था  । 

" आज से यहा मेरा राज चलेगा , सत्या का राज " सत्या बोला और सब जश्न मनाने लगे । 

नो साल बाद -

राजवीर अनवर को छेड़ते हुए बोला : " अरे चच्चा बुढा़पे मे कमर लठाया जाएगी " 

उसका साथ देकर असलम बोला : " हा बुढा़ओ तुम अब जल्दी ही बिस्तर मे लेट जाओगे "

अनवर उन दोनों की बात से चिड़कर बोला : " तुम दोनों चुप रहोगे , छोटे साहब आने वाले है , अगर  पहले छोटे साहब आ गए और अरमान  पकडा़ नही गया तो मुश्किल हो जाएगी " 

तबतक एक आदमी आया और अनवर को देखकर बोला  : " वो  पकडा़ गया है " 

असलम को उसकी बातो से बेहद गुस्सा आया वो गुस्से और नफरत से बोला :   "अच्छा हुआ वो ग्द्दार पकडा़ गया " 

राजवीर ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा : " पर,अब  उसे साहब  से कौन बचाएगा ? " 

अनवर अपनी चिंता जताकर बोला : " मै भी यही सोच रहा हूँ , ना जाने अरमान के साथ क्या होगा ? , छोटे साहब क्या सजा देंगे ? ( उन्होंने सामने देखकर कहा ) सब रंगो से होली खेलते है पर साहब खून से , दिपावली मे बच्चों को पटाखे जलाकर खुशी मिलती है पर साहब को लोगो को जलाकर खुशी मिलती है , लोगो की  चीखे उनका सुकून है , , ईदी मे बकरे काटे जाते है पर वो लोगो को काटते है , ना जाने क्या होगा अरमान का ?" ।

लंदन मे -

सूट बूट पहने , आँखें नीली समंदर से भी गहरी , सिक्स पैक एप , पर्फेक्ट बाडी़ , गोरा चित्ता रंग और होंठो पर डेविल सी मुस्कान  लिए एक नौजवान लड़का खड़ा था । शिशे मे खुदको देखता हुआ वो मुस्करा रहा था जैसे खुदपर इतरा रहा हो पर उसकी मुस्कराहट मे अजीब सी चीज थी  जैसे आप कह सकते है " डेविल की मुस्कान " । 

वो कोट के बटन लगा रहा था । तबतक बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई ।

दरवाजे के पीछे उसका assistant करन ने पूछा : " sir may I come in " 

सत्या ने सामने से watch उठाते हुए और हाथ मे पहनते हुए कहा  :  " कम इन "  

करन अंदर आया  और अपने बोस को " गुड मार्निंग " वीश किया पर सत्या ने कुछ खास नही कहा । 

करन ने  सर झुकाकर कहा : " सर आपकी मीटींग स्टार्ट होने वाली है " 

सत्या ने  अपनी गहरी नीली आँखों से शिशे मे देखा और हाथ मे watch पहनकर पीछे पलटकर करन के पास रूका ।

उसने डेविल सी  मुस्कान के साथ  उसे देखकर भारी आवाज मे कहा : " तो चले उन लोगो की bad मोर्निँग बनाने " 

करन अपने बोस के बारे मे सब जानता था पर उसकी हिम्मत नही हुई कुछ कहने की । सत्या के जाने से पहले करन ने उसके लिए दरवाजा खोला और सत्या कोन्फ्रेंस   रूम मे एंटर हुआ सबकी नजरे उसपर थी । वो आराम से बैठा और मीटींग शुरू हुई । कुछ देर बाद मीटींग खत्म हुई और करन अंदर आया । 

सत्या ने चेयर हिलाकर और  सिगरेट का धुआँ  उडा़ते हुए पूछा  : " तैयार है " 

करन ने सर झुकाकर कहा  :  " हा सर , रेडी है " 

वो उठा और एक खुले मैदान मे जा खडा़ हुआ  तबतक एक हैलीकाप्टर आया और सत्या उसमे बैठकर निकल गया । 

कुछ ही घंटो मे वो अपनी मंजिल मे पहुंच गया  पर उसे नही पता था उसकी जिंदगी मे एक नई मंजिल आने वाली है । 

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ट्रेन मे धक्का मुक्की के बीच एक लड़की अपना सामान उठाकर उसके पीछे  एक और लड़की उसकी मदद करते हुए , भीड़ को चीरते हुए सीट के पास आई और अपना सामान रखकर आराम से बैठ गई ।

पहनावा साधरण सा सूट , जिसकी चुन्नी पार्दशी होने के साथ बेहद खूबसूरत थी । गहरी काली  आँखें , बडी़ बडी़  पल्के , सुर्क लाल  होंठ , गोरा बदन , बाल  खुले हवा मे लहराते हुए जो उसके होंठो को छू रहे थे ।

" ओहो दी , आप अपने बाल बांध क्यों नही देती , आपके मू मे आ रहे है "  सामने उसकी बहन जींस टाप , गले मे दुप्प्टे को स्कार्फ की तरहा पहने , गोरा बदन अपनी बहन की तरहा सुंदर ही थी वो बोली ।

" हा राधी , बांध रही हूँ "  लड़की ने कहा और अपने मू मे रबर बेंड फसाकर दोनों हाथो से अपने बालो का जुडा़ बनाने लगी ।
हाथो को ऊपर नीचे हिलाने की वजह से उसकी पहनी हुई सिल्वर चुडि़या आवाज कर रही थी । वहा राधिका ट्रेन के बाहर गुजरते हुए नजारो की फोटो खींच   रही थी । 

लड़की ने जुडा़ बनाया, उसके कुछ बाल लटे बनकर बाहर निकल गई । वो खामोशी से खिड़की के बाहर देखने लगी ।

वहा टीसी कलेक्टर आया और उस लड़की से पूछा : " कहा की टिकट है ?" 

ये सवाल सुनकर  वो लड़की कुछ देर के लिए  गहरी सोच मे डूब गई । काफी देर सोचने के बाद ।

उसने गहराई से उस टीसी कलैक्टर को देखकर कहा : " इंदौर की "  

उस टीसी ने पैसे लिए और चला गया ।

सामने बैठी राधिका ने सर्द सी नजरो से देखकर पूछा : " दी हम इंदौर जा रहे है ? " 

लड़की को जैसे पता था की ये सवाल आना ही था । वो बिना उसे देखे खिड़की के बाहर देखकर बोली : " हा राधी वहा बहुत अच्छे  अच्छे कोलेज है, और शायद वो भी जिसे हम ढुंढ़ रहे है " 
राधिका जानती थी उसकी बहन किसे ढूढ़ने की कोशिश कर रही थी । ये कोई इंसान नही था, बल्कि शांति थी ।

दुसरी तरफ इंदौर मे अनवर गाडी़ लेकर निकल गया और रास्ते मे बात करते हुए बोला : " छोटे साहब आज कई सालो के बाद आ रहे है, अगर हम लेट हुए तो गुस्सा करेंगे " 

असलम गाड़ी मोड़ते हुए बोला : " अरे बुढा़ऊं , इतना क्यों डर रहे हो ? अरे मै उनका राइट हेंड हूँ , यहा का सारा काले धंधे का हिसाब रखता हूँ  और मेरा हिसाब पक्का है, कही कुछ गड़बड़ नही है तो क्यों गुस्सा करेंगे ?" 

राजवीर जो असलम की बात सुन रहा था । 

वो भी इतराकर बोला :" तो क्या ?,..  मै भी उनका लेफ्ट हैंड हूँ , सारा पैसा , नया स्टोक सब मै देखता हूँ " 

उन दोनों की ऐसी बहस बाजी देख ।

अनवर ने उन दोनों के सर पर टपली मारी और बोला : " क्या  राइट लेफ्ट लगा रखा है , वो सबके बाप है और वो अकेले सबपर भारी है , अब गाडी़ भगाओ " 

असलम और राजवीर दोनो ने अपना सर सहलाकर कहा  : " अरे बुढा़उ हाथ मत चलाओ ,  हम भगा रहे है " 

कहकर असलम ने गाड़ी तेजी से भगा दी ।

हर हर महादेव ।