Dastane - ishq - 11 in Hindi Fiction Stories by Tanya Gauniyal books and stories PDF | Dastane - ishq - 11

Featured Books
Categories
Share

Dastane - ishq - 11

So ye kahani continue hongi pratilipi par kahani ka name same hai but poster yaha update nhi hora tou same nhi hai but dark hai. After 10 - 15 episode i will stop this update if, you want do comment and follow me on pratilipi 

Id name - Tanya gauniyal 

Story name - same - Dastane - ishq ( mafia romance) see the picture you will get to know 

https://pratilipi.page.link/oyLuU1nTigc37YNU6

And there I have reached more ahead so go and read their and do comment and follow me on my pratilipi I'd.Jismai meri first kahani ke sath sath second kahani bhi hai. So guys go and read their and follow me too for new updates in Instagram. 

If you want spoiler of this story follow me on Instagram 

Instagram I'd - Tanya gauniyal 

InstagramI'd link - https://www.instagram.com/tanya_gauniyal

I m waiting for your response readers do and comment 💬 and share your lovely thoughts. 

आयुषी और राधिका दोनों  रोहित के फ्लैट के सामने  खडे़  थे । वो घंटी बजाने ही वाले थे तबतक रोहित ने हसँकर दरवाजा खोल दिया ।

" अरे तुम्हें तो पहले ही पता चल गया " आयुषी हसँकर और  हैरानी से बोली ।

रोहित उसे देखकर खुद मुस्करा दिया  ।

" अंदर आओ " वो प्यार से बोला और तीनों अंदर चले गए । अंदर रोहित की दादी और मम्मी दोनों डाइनिंग टेबल मे बैठे उनका इंतजार कर रहे थे । दोनों खडे़ होकर उन दोनों के पास आए ।

आयुषी और राधिका को देखकर रोहित की दादी ने अपनी बहूं को कोहनी मारकर धीरे से उनके कान मे पूछा : " अरे पर उसे कौनसी पंसद आई है यहा तो दो है "

रोहित की मम्मी ने आयुषी की तरफ देखकर  कहा : " इसका नाम आयुषी है ( राधिका को देखकर ) और ये उसकी बहन राधिका "

दादी आयुषी को देखकर बोली : बेटा तुम्हें देखा नही मैने कभी ?"

रोहित अपनी दादी के पास आकर बोला : " दादी वो अभी अभी यहा शिफ्त हुई है तो कहा से दिखती ?"

दादी आयुषी को देखकर  मन मे बुदबुदाई  : " लगती तो बेहद सुंदर है "

राधिका जो कबसे उन सबकी बाते खत्म होने का इंतजार रही थी वो चिड़कर बोली : " दी, मुझे भूख लगी है "

उसकी बात से औरत टेबल के पास जाकर बोली : " आओ आओ बेटा, खाना खा लेते है "

आयुषी उनके साथ चलते हुए  (दादी को देखकर ) बोली  : " क्या ये  रोहित की दादी है "

रोहित की मम्मी ने " हा " मे सर हिलाया । 

" नमस्ते आंटी " आयुषी और राधिका दोनों ने हाथ जोड़ दादी से कहा ।

बदले मे दादी ने भी नमस्ते कहा और सब बैठकर खाने लगे । भले ही वो लोग अभी मिले थे, पर इतनी जल्दी अपने लगने लगे थे । 

रोहित की दादी ने बात शुरू करते हुए पूछा : " तो बेटा कहा से आई हो तुम ?"

एक पल के लिए आयुषी रूकी,और फिर सोचकर बोली  : " मै कोलकत्ता से हू "

" अच्छा और तुम्हारे माता पिता " रोहित की मम्मी ने पूछा ।

" आंटी मम्मी पापा एक एक्सीडेंट मे " आयुषी बोलते बोलते रूक गई ।

रोहित ने उसे उदास देखा तो बात पलटकर पूछा  : " आयुषी तुम्हें खाना कैसा लगा ?"

 आयुषी ने फीका मुकराकर कहा : " अच्छा  है "

" जानती हो मेरी माँ ने बनाया है " रोहित बोला और बाद मे वो  सब चुपचाप खाने लगे । 

उधर सत्या महाराजा वाली कुर्सी मे बैठा अपने सामने आदमी को घूर रहा था ।

उसने कठोर आवाज मे पूछा  :  " आखिर कैसे भागा वो ? "

" साहब वो..वो " एक आदमी कंप कंपी से बोला ।

" अरमान भाग गया और तुम दोनों सोते रहे " सत्या चिल्लाकर  बोला ।

फिर वो खडा़ हुआ और तेज आवाज मे बोला   : " कान, आँख सब खोलकर सुन लो ये लास्ट वार्निंग है, अगर दोबारा एक भी गलती हुई तो उसका अंजाम मौत से भी बत्तर होगा तुम सब के लिए  ( फिर उसने उन दोनों को देखकर कहा ) जो सजा अरमान को दी जानी थी वो इन्हें मिलेगी "

उन दोनों आदमियों  को पकड़कर ले गए और सत्या चुपचाप गाडी़ मे बैठकर निकल गया । बारिश अभी भी हो रही थी । आयुषी रोहित की मम्मी के साथ बैठी थी । 

उसने इधर उधर देखकर पूछा : " आंटी अंकल कही नही दिख रहे ?"

" बेटा वो कई साल पहले ही हमे छोड़ गए " रोहित की मम्मी  रूआसी से बोली ।

आयुषी  उनकी बात पर अपने सवाल का अफसोस जताकर बोली :  " सौरी आंटी, मैने  "

 रोहित की मम्मी हसँते हुए बोली : " अरे नही बेटा इत्स ओकए "

कुछ देर तक उन्होंने बाते की । उधर रोहित की दादी रोहित से बोली : " बेटा, ये तो बहुत अच्छी है " 

" हम्म दादी " रोहित कह ही रहा था तबतक आयुषी उसकी माँ के साथ बाहर निकल गई ।

आयुषी रोहित की मम्मी से मुस्कराकर बोली : " अच्छा चलती हूँ आंटी "

" हम्म आती रहना " रोहित की मम्मी ने भी बदले मे मुस्कराकर कहा ।

दादी रोहित से बोली : " जाओ उसे छोड़कर आओ " 

रोहित " हा" बोलकर दोनों के साथ बाहर निकला ।

" दी मुझे नींद आ रही है मै सोने जा रही हूँ " राधिका कहकर  चली गई ।

" आयुषी क्या हम रेलिंग के पास चले " रोहित ने रेलिंग की तरफ इशारा कर पूछा ।

"क्यों नही चलो " आयुषी बोली और दोनों रेलिंग के पास जाकर  खडे़ हो गए  । आयुषी बाहर बारिश को देख रही थी ।उसने अपना हाथ आगे किया और उन बूंदो को अपने हाथो मे लेने लगी और रोहित मुस्कराकर उसे देख रहा था ।

रोहित ने आयुषी को  देखकर पूछा : " क्या तुम्हें बारिश पंसद है ?" 

" हा " आयुषी खुशी से बोली ।

फिर उसने रोहित को देखकर पूछा : " वैसे तुम करते क्या हो ? "

" जोब करता हूं , ( रोहित ने कह आयुषी को देखकर पूछा )  तुम बताओ यहा किस सिलसिले मे आई हो ?"

आयुषी ने उसे देखकर  सिरियश टोन मे कहा : " रोहित मै यहा जोब ढूंढ़ने ही आई हूँ , यही रहूंगी और तुम्हारी तरहा जोब करूंगी "

रोहित मुस्कराकर बोला : " कभी भी अगर किसी चीज की जरूरत हो बुला लेना "

आयुषी ने सामने देखकर  "ठीक है " कहा और हाथ आगे कर बोली : "आज से हम दोनों दोस्त "

रोहित ने कुछ पल उसका हाथ देखा फिर मुस्कराकर हाथ मिला दिया ।

" ठीक है आयुषी आज से हम दोनों  दोस्त " वो खुशी से बोला ।

आयुषी ने पलके हा मे हिलाकर कहा  :  " रोहित तुम मुझे आयु बुला सकते हो "

आयुषी की बात पर रोहित मुस्करा दिया ।

आयुषी ने बाहर देखा और रोहित को देखकर बोली : " ठीक है रोहित काफी रात हो गई है अब हमे सो जाना चाहिए "

" हा तुम्हें भी नींद आ रही होंगी हना ? " रोहित बोला ।

" हा आ रही है " आयुषी  कहकर  अपने फ्लैट के पास चली गई ।

दोनों ने  एक दुसरे को बाय कहा और अंदर चले गए । सुबह रोहित ने आयुषी की फ्लैट की घंटी बजाई । आयुषी ने दरवाजा खोलकर रोहित को देखा ।

" हैल्लो रोहित " वो  खुशी से बोली ।  

" हाय आयु मै तुम दोनों के लिए खाना लाया हूँ " रोहित खाने का पैकेट आगे कर बोला ।

आयुषी ने पहले उस पैकेट को देखा फिर रोहित को देखकर  बोली : " तुम क्यों लाए रोहित ? मै मैनेज कर लेती "

रोहित ने छोटी आँखें कर और मुस्कराकर कहा  : " आयु... तुम्हें घर भी ठीक करना है , इतने सारे काम है तुम्हें, तुम ये सब अकेली करती बस इसलिए मेरी माँ ने बनाकर भेज दिया "

" उन्होंने इतनी तकलीफ क्यों ली " आयुषी ने मासूम सा चेहरा बनाकर  कहा ।

" अरे वो तुम्हें अपना मानने लगी है तो तकलीफ कैसी ? रोहित बोला और फिर झल्लाते हुए बोला : " अब यही खडे़ रखोगी या अंदर भी आने दोंगी "

आयुषी को जब एहसास हुआ की उसने अभी तक रोहित को अंदर नही आने दिया तो वो अपनी गलती सुधारते हुए बोली : " ओ सौरी सौरी.. आओ "

 रोहित हसँकर अंदर आया  । वो फ्लैट काफी बडा़ था पर हर जगह गंदगी थी । रोहित उस फ्लैट को देख रहा था ।

आयुषी ने उस फ्लैट को देखा फिर मासूमियत से बोली : " सौरी रोहित वो अभी मैने सफाई नही की इसलिए इतना गंदा हो रखा है "

" अरे कल रात ही तुम आई हो तो इतनी जल्दी सफाई कहा से हो जाती, इत्स ओकए हम दोनों मिलकर कर लेंगे " रोहित ने उसे देखकर कहा ।

आयुषी ने डाइनिंग टेबल साफ की और प्लेटस लगाते हुए राधिका को आवाज लगाई  :  " राधी आ जा "

" हा आ गई  दी " राधिका भी  बाहर आई ।

उसने रोहित को देखा तो टेबल मे बैठकर बोली : " हैल्लो भईया " रोहित ने भी " हाय " कहा  । आयुषी ने अपनी बहन को खाना परोसा और रोहित को भी परोसने लगी ।

रोहित ने उसे मना करते हुए कहा : " आयुषी मैने खाना खा लिया है तुम खाओ "

आयुषी ने  अच्छा कहा और  अपने लिए निकालने लगी । निकालने के बाद वो  अपनी बहन के साथ बैठकर खाना खाने लगी ।

खाने के बाद राधिका बाहर  जाते हुए बोली : " अच्छा दी मै जा रही हूँ "

पीछे से आयुषी बोली : " हा ठीक है तूने पैसे किताबें सब रख लिए न ? "

" हा दी सब है " राधिका उसके गले लगकर बोली और चली गई ।

उसके जाने के बाद आयुषी ने रोहित को मना किया पर रोहित नही माना और दोनों एक साथ साफ सफाई करने लगे । उधर सत्या मीटींग मे बैठा था ।सब लोग आपस मे बहस कर रहे थे पर जैसे सत्या को कोई फ्रक ही ना पड़ रहा हो । वो बस अपनी सिगरेट की  गश भर रहा था ।

" हमने कहा न हम इस कोन्ट्रैक्ट के लिए तैयार नही है " सत्या के सामने बैठा आदमी बोला ।

करन जो अपने बोस की खामोशी से डर रहा था ।

वो उस आदमी को समझाते हुए बोला : " देखिए सर इसमे ना आपका नुकसान है ना ही हमारा, ये तो फायदा का  सौदा है तो contract  करने मे क्या दिक्कत है ?"

" है दिक्कत, हम ये सब नही करना चाहते , इस कंपनी के ट्रमस एंड कंडिशन हमे मंजूर नही " आदमी बोला ।

करन ने देखा की सत्या की सिगरेट खत्म हो गई है तो वो डर गया । सत्या जिसने अभी तक उस आदमी को देखा तक नही था । उसने एक नजर उठाकर उसे देखा ।  पहली बार सत्या की नजर से वो आदमी डर गया पर उसने अपनी नजर छुपा ली । सत्या ने हाथ आगे किया । करन ने उसके हाथ मे बंदूक रख दी । सत्या ने वो बडे़ आराम से उस आदमी के सामने रख दी और डेविल सी मुस्कान दी ।

वो आदमी डर छुपाते हुए बोला : " तू.. तूझे क्या लगता है तू ये , ये बंदूक रखेगा और मै ड,डर जाउंगा , नही ..  ऐसा नही है समझा ना ...  मै .... मै  पुलिस कंप्लेन कर दूंगा "

सत्या उसकी बात पर डरावनी सी हँसी हसँने लगा । उसकी हँसी किसी को भी  डरा देने के लिए काफी थी ।

सत्या अपनी नीली आँखों से उसे घूरकर बोला : " क्या तू जानता है मै कौन हूँ ? "  

" क..कौन है तू " वो आदमी थूक गटककर अपना कोर्र ठीक कर बोला ।

" सत्या " वो बोला और जैसे उस आदमी की सांसे अटक गई । सत्या यहा नही रहता था पर उसका नाम यहा के लोग जानते थे ।उसका यहा पर दबदबा था आखिर वो था तो यहा का बादशाह ।वो आदमी डरकर बोला : " ठीक .. है .. ठीक है मुझे मंजूर है "

सत्या उसकी बात पर टेडा़ मुस्कराकर बोला : " मुझे ये डर बहुत पंसद है यही रहना चाहिए "

वो उठ खडा़ हुआ । उसने बंदूक अंदर रखी , उसके उठते ही वो आदमी भी उठ खडा़ हुआ ।

" इससे पहले ही मान जाता तो  इनकी ये डरावनी हँसी सुनने को तो नही मिलती " करन जो खुदको नोर्मल कर रहा था वो मन मे बोला ।

सत्या के बाहर आते ही सब अपने काम मे लग गए और किसी ने भी गर्दन हिलाने की हिम्मत नही की क्योंकि वो डरवानी हँसी बाहर तक पहुंच गई थी । वो लिफ्ट से होकर नीचे आया और गाडी़ मे बैठकर निकल गया । उसके जाते ही जैसे सबको सांस मे सांस आई, क्योंकि भले ही वो इतने सालो मे इस ओफिस मे ना आया हो पर सबको ये जरूर पता था की यहा का बोस खुंखार शेर है, और लोग उसके गुस्से से वाकिफ थे और आज खुश भी  थे , क्योंकि वो आखिरी बार आया था । अब वो वापिस लंदन लौट रहा था । दिन का समय हो चला था  आयुषी  और रोहित सारा सामान लगाते हुए बाते कर रहे थे । रोहित बोक्स उठाकर ले जा रहा था । उसे दरवाजा दिखा नही तो वो दरवाजे से टकरा गया ।

" आउ..च" उसके मू से निकला ।

आयुषी उसके पास आई और बोक्स को नीचे रखकर बोली : " कहा ध्यान है तुम्हारा ? संभलके करना चाहिए ना "

कहकर वो उसका सर सहलाने लगी ।

" सौरी आयु वो बोक्स इतना बडा़ था की रास्ता दिखा नही " रोहित उसकी आँखों मे देखकर बोला ।

आयुषी उसे डांटते हुए उसका सर मसल रही थी और रोहित उसकी आँखों और उसके चेहरे के भाव मे खो सा गया था ।उसकी फिक्र से जुड़ती और अलग होती आइब्रो , कभी वो होंठो को दबाती तो कभी अलग करती ।

आयुषी  ने जवाब नही सुना तो वो उसे देखकर बोली : " कहा ध्यान था  तुम्हारा ? "

जब उसने देखा की  रोहित उसे गहरे भाव से उसे ही  देख रही है । वो एक दम से सिहर सी गई और एक तक उसे देखने लगी । बाहर से दरवाजा नोक हुआ । उन  दोनों ने सामने देखा तो रोहित की माँ मुस्कराकर उन्हें देख रही थी ।

" आंटी आइए न " आयुषी  उनके पास जाकर बोली ।

रोहित की माँ  ने मुस्कराकर अंदर आते हुए पूछा : " क्या सारा  घर सेट हो गया ?"

" हा माँ बस कुछ और बचा है  शाम तक हो जाएगा " रोहित ने जवाब दिया । 

रोहित की मम्मी ने डिब्बा दिखाकर कहा : " हम्म, मै तुम दोनों के लिए खाना लेकर आई हूँ "

" आंटी लाइए मै निकाल देती हूँ " आयुषी ने लिया और किचन मे चली गई ।

उसके जाते ही रोहित की मम्मी ने रोहित से मुस्कराकर कहा  :  " अभी क्या हो रहा था ?"

" माँ वो मेरा सर टकरा गया था तो वो .. "  रोहित कहते कहते मुस्करा दिया ।

रोहित की मम्मी उसे देखकर बोली : " हा हा समझ गई ( उन्होंने  उसके गालो पर हाथ रखा और बोली  ) बिलकुल दुल्हन की तरहा शर्मा रहा है "

तबतक आयुषी भी खाना लेकर आ गई और वो तीनो बैठ गए ।आयुषी खा ही रही थी तबतक घंटी बजी । आयुषी उठी और दरवाजा खोला तो सामने राधिका थी ।

" दी " कहकर वो उसके गले लग गई ।

" कैसा रहा पहला दिन ?"  आयुषी ने गले लगकर पूछा  ।

" बहुत अच्छा था दी " राधिका ने अपनी बहन से अलग होकर कहा । दोनों अंदर आए ।

राधिका ने रोहित की मम्मी को देखकर कहा : " नमस्ते आंटी ( और फिर रोहित को देखकर कहा ) हाय भईया " 

" व्टस अप , whats up ? कैसा गया आज का दिन ?" रोहित ने मुस्कराते हुए पूछा ।

" बहुत अच्छा ( राधिका ने मुस्कराकर कह और फिर  आयुषी को देखकर बोली  ) दी मुझे भूख लगी है "

" खाना है,  जा कपडे़ चेंज करके आजा " आयुषी ने कहा ।

राधिका अपने कमरे मे गई और देखकर हैरान रह गई क्योंकि  वो पूरा अच्छे से अरेंज होने के साथ साथ साफ भी हो गया  था । वो कपडे़ बदलकर सबके साथ बैठकर खाने लगी ।

" दी मेरा कमरा आपने ठीक किया ? " उसने खाते हुए पूछा ।

" हा मै और रोहित कबसे साफ सफाई कर रहे है " आयुषी ने जवाब दिया  ।

राधिका ने रोहित को देखकर कहा : " ओ भईया आप मेरी दी की मदद कर रहे थे , थैंक्यू "

रोहित उसे देखकर  मुस्करा दिया । 

राधिका ने अपनी प्लैट मे चमच मारकर कहा : " दी मै भी आपकी मदद करूंगी "

" ठीक है " आयुषी ने कहा ।

हर हर महादेव ।