"छाया – प्रेम और प्रलय का रहस्य"
सन् 1999, हिमाचल की घाटियों में बसा एक रहस्यमय गाँव – "निशानपुर"। इस गाँव में एक कथा प्रसिद्ध थी कि हर 20 वर्ष में एक पूर्णिमा की रात, “छाया” लौटती है — एक अधूरी प्रेम कहानी की आत्मा, जो अब बदले की आग में जल रही है।मुख्य पात्र:आरव मेहरा – एक साहसी पत्रकार, जो प्राचीन रहस्यों पर शोध करता है।सिया राठौर – एक रहस्यमयी, सुंदर और निडर युवती जो अपने अतीत से जूझ रही है।
काली छाया (छाया) – एक अभिशप्त आत्मा, जो एक बार किसी की प्रेमिका थी… अब रक्षक और विनाशक दोनों है।राजवीर – एक शक्तिशाली तांत्रिक, जिसने प्रेम को शक्ति में बदलने की कोशिश की थी।आरव अपने यूट्यूब चैनल के लिए एक नई रिपोर्ट तैयार कर रहा था — “भूतिया प्रेम कथाएँ”। तभी उसे एक पुरानी डायरी मिली, जिसमें निशानपुर के एक मंदिर के नीचे छिपे एक तांत्रिक अनुष्ठान की बात थी।
डायरी में सिया नाम की एक लड़की का ज़िक्र था जो हर जन्म में कुछ खोज रही थी।आरव गाँव पहुँचा। वहाँ उसकी मुलाक़ात सिया से हुई — एक शांत, मगर आँखों में गहराई और दर्द लिए युवती। पहली ही मुलाकात में दोनों के बीच एक अजीब सा आकर्षण पैदा हुआ। आरव को महसूस हुआ कि वह सिया से पहले मिल चुका है, लेकिन कहाँ, यह उसे याद नहीं आया।गाँव के बुज़ुर्गों ने चेतावनी दी — “मंदिर के नीचे मत जाना, वहाँ छाया अब भी जागती है।”एक रात आरव और सिया मंदिर की तहख़ाना गुफा में पहुँचे। वहाँ पत्थर पर उकेरे चित्रों से पता चला कि वर्षों पहले छाया और राजवीर एक-दूसरे से प्रेम करते थे, लेकिन राजवीर ने अमरता के लिए छाया की आत्मा को बलिदान कर दिया।
छाया मरकर "काली छाया" बन गई — एक ऐसी आत्मा जो सिर्फ़ सच्चे प्रेम की ऊर्जा से शांत हो सकती है।गुफा में अचानक कंपकंपी दौड़ गई — काली छाया प्रकट हुई। उसके स्वर में पीड़ा और क्रोध था:"मैंने जिसे चाहा, उसने ही मुझे धोखा दिया। अब कोई प्रेम नहीं करेगा!"छाया ने आरव पर हमला किया, लेकिन जैसे ही सिया बीच में आई — छाया ठिठक गई। वह बोली,“तुम... वही हो... मेरी आत्मा का अंश।”सिया दरअसल छाया का पुनर्जन्म थी, और आरव, उसी तांत्रिक राजवीर का। लेकिन इस जन्म में वह बदल चुका था — अब वह छाया से प्रेम करता था, सच्चे मन से।
अब आरंभ होता है अंतिम युद्ध – प्रेम बनाम पाप।छाया की शक्ति बढ़ रही थी। हवाएँ चीख रही थीं। आरव ने प्राचीन मंत्रों से उसकी शक्ति को रोकने की कोशिश की। लेकिन तभी राजवीर की आत्मा भी प्रकट हुई — एक भयानक तांत्रिक रूप में। वह बोला,“प्रेम कमज़ोरी है, शक्ति ही सच्चाई है!”आरव और सिया ने मिलकर उसका सामना किया। एक ज़बरदस्त एक्शन दृश्य शुरू हुआ — मंत्रों की वर्षा, तलवारों की टकराहट और हवा में उड़ती ऊर्जा। आख़िर में, सिया ने छाया को गले लगाया और कहा,“तुम्हारा प्रेम अधूरा नहीं था… वह अब पूरा हुआ।”छाया की आँखों से आँसू बह निकले।
उसकी आत्मा मुक्त हो गई। राजवीर का अभिमान भी टूट गया और वह चिरशांति में विलीन हो गया।अंतिम दृश्य:आरव और सिया पहाड़ की चोटी पर खड़े थे, जहाँ सूरज की पहली किरणें निशानपुर पर पड़ रही थीं।आरव ने सिया से कहा,“यह सिर्फ़ कहानी नहीं थी… यह हमारा भाग्य था। और अब, यह प्रेम कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई है।”
– समाप्त –---
लेखक:- शैलेश वर्मा
@svstortys _