यह कहानी है आदित्य की—एक ऐसे छात्र की जो M.A. English की डिग्री की यात्रा पर तो निकला था, लेकिन उसकी नाव ज़्यादातर समय Wi-Fi की लहरों पर ही हिचकोले खाती रही। किताबों की खुशबू, लाइब्रेरी का सन्नाटा और प्रोफेसरों की व्याख्याएं उसके लिए उतनी ही दूर की चीज़ थीं जितनी Shakespeare की अंग्रेज़ी एक आम BA पास के लिए।
आदित्य का असली रिश्ता किताबों से कम और PDFs से ज़्यादा था। उसका लैपटॉप एक चलता-फिरता साहित्य संग्रहालय था—सिर्फ़ अंतर यह था कि वहां ‘The Waste Land’ का पहला पन्ना भी कभी नहीं खुला था, लेकिन फ़ोल्डर में उस पर 7 अलग-अलग critical essays के thumbnails ज़रूर पड़े थे। वो हर किताब की summary, हर poem का analysis और हर लेखक की biography—बस thumbnails में पहचान लेता था और मानता था कि यही ज्ञान की पराकाष्ठा है।
उसके दोस्तों के बीच वो एक ‘जुगाड़ू स्कॉलर’ के नाम से मशहूर था। कोई पूछे – “कहाँ से पढ़ा भाई Eliot?”
वो बिना पलक झपकाए कहता – “Google Drive के folder में, तीसरी लाइन में जो yellow highlight थी, वहीं से…”
परीक्षा से एक हफ़्ता पहले
आदित्य का चेहरा तनाव और confidence का अनोखा मिश्रण था। तनाव इसलिए कि syllabus का 80% अब भी ‘unexplored terrain’ था, और confidence इसलिए कि One Week Series उसके हाथ लग चुकी थी। वो किताब नहीं, रामबाण इलाज थी। उसमें Eliot, Hardy, Woolf, और Shakespeare सभी condensed form में समाए हुए थे—बिलकुल उस तरह जैसे Maggi मसाले में मसाले।
उसके कमरे की हालत एक battlefield जैसी हो चुकी थी। दीवारों पर quotations चिपकी थीं—
“April is the cruellest month…” (उसके लिए यह लाइन literal थी)
“Life is very long” (जब revision शुरू करता था, तभी याद आती थी)
हर दीवार पर Eliot और Wordsworth एक-दूसरे को देख रहे थे, और आदित्य बीच में बैठा खुद को Stephen Dedalus समझाने की कोशिश कर रहा था।
T.S. Eliot से दोस्ती की शुरुआत
पहले तो उसे लगता था Eliot बस ‘depression का poet’ है। लेकिन जैसे-जैसे exam पास आने लगा, उसने Eliot को समझने की कोशिश की—या कम से कम ऐसा दिखावा करने की।
अब वो दोस्त को कॉल करके कहता – “Eliot का fragmentation तो modernism की आत्मा है भाई!”
दोस्त – “तू Eliot पढ़ रहा है या Wikipedia की headings?”
आदित्य – “सिर्फ headings नहीं, footnotes भी भाई… लेकिन PDF में।
परीक्षा का दिन
परीक्षा वाले दिन आदित्य नए कपड़े नहीं, नया विश्वास पहनकर कॉलेज पहुंचा। गेट पर खड़ा हुआ और गहरी साँस लेकर बोला –
“इतना तो Hamlet ने भी नहीं झेला होगा, जितना मेने syllabus को।”
पास खड़े दोस्त हँस पड़े – “भाई, तैयार है?”
आदित्य मुस्कुराया और बोला –
“बस One Week Series का plot twist याद रखना है। बाकी तो examiner की दया पर दुनिया टिकी है।”
परीक्षा हॉल में प्रवेश
जैसे ही आदित्य ने answer sheet पर रोल नंबर लिखा, उसे लगा जैसे उसने अपने literary career की पहली किताब पर दस्तख़त कर दिए हों। पेपर खोला – पहला सवाल था:
“Discuss the themes of spiritual desolation and cultural decay in 'The Waste Land’.”
उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई – जो कल रात उसने one week series से रटा था आज उसके सामने प्रश्न पत्र में था।
वो लिखने लगा –
“The Waste Land is not just a poem; it is a cultural obituary wrapped in modernist despair...”
हर लाइन में उसने YouTube lectures, Quora answers और PDF snippets को जोड़कर ऐसा जवाब बनाया जैसे कोई chef बचे-कुचे मसालों से dish बना दे।
Paper खत्म होने के बाद
बाहर निकलते ही दोस्तों ने घेर लिया –
“क्या आया?”
आदित्य – “Eliot आया था, लेकिन मैंने उसको आत्मा से लिख दिया।”
एक और दोस्त – “Literary theory भी आया?”
आदित्य – “हाँ भाई, Derrida को मैंने decode कर दिया… वैसे भी deconstruction में कोई fix meaning नहीं होता, तो examiner जो निकाले, वही सही।”
आख़िरी पेपर के बाद की शाम
आदित्य अपने कमरे की खिड़की पर बैठा था, हाथ में चाय, और मन में सुकून। बाहर डुबते सुरज की किरणे भी शायद उसे graduation की शुभकामनाएं दे रही थी। उसने दीवार से Eliot का quote हटाया, और उसके नीचे एक नया पोस्टर चिपकाया—
“I have measured out my life with coffee spoons… but finally, I passed.”
अब उसके लिए Eliot सिर्फ एक syllabus का हिस्सा नहीं था। वो दोस्त बन गया था, संघर्षों का साथी, और परीक्षा हॉल की सफलता का गवाह।
कुछ महीने बाद – रिजल्ट आने के दिन
रिजल्ट वाले दिन सबका दिल धड़क रहा था। आदित्य का भी। लेकिन उसने खुद को calm रखने के लिए वही किया जो वो सबसे अच्छा करता है – memes बनाए, Eliot के quotes पोस्ट किए, और एक status डाला:
“This is the way the degree ends – Not with a bang but with a pass.”
रिजल्ट आया – पास। अच्छे नंबरों से।
घर में जश्न, दोस्तों में बधाई, और आदित्य के लिए एक नया status update:
“From PDF thumbnails to Postgraduate Degree – The journey was surreal, modernist, and a little absurd. Just like literature.”
और इस तरह आदित्य ने M.A. English पास किया। किताबों से नहीं, लेकिन किताबों की thumbnails से। Notes से नहीं, लेकिन notes बनाने वालों के YouTube चैनल से। वो Eliot को जानता नहीं था, लेकिन उसे feel करता था। शायद यही तो असली literature है – meaning ढूंढना, जहां कुछ नहीं लिखा हो।
अगर Eliot आज होता, तो शायद आदित्य को देखकर कहता –
“You are the hyacinth student. Strange and intellectual. But you tried.”
"यह रचना भले ही मज़ाक के रूप में लिखी गई है, लेकिन आज के युवाओं में यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। जब केवल 'वन वीक सीरीज़' पढ़कर पास हो सकते हैं, तो आज की पीढ़ी सिर्फ़ डिग्री पाने के लिए पढ़ाई करती है, न कि कुछ सीखने के लिए। यह वाकई में चिंता का विषय है।"