Mera Rakshak - 4 in Hindi Fiction Stories by ekshayra books and stories PDF | मेरा रक्षक - भाग 4

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मेरा रक्षक - भाग 4

4.एक एहसान 


मीरा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने जैसे ही लिफाफा खोला उसमें पांच लाख का चेक था, और एक ख़त उसमें लिखा था
"तुम्हारे भाई के इलाज के लिए।"

मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि रणविजय को कैसे पता उसके भाई के बारे में और अगर पता भी है तो ऐसे कैसे वो इतनी बड़ी रकम उसे दे सकता बिना किसी मतलब के। ये सब सोचकर मीरा का दिल बैठा जा रहा था, उसे रुपयों की सख़्त जरूरत थी। पर वो किसी माफिया का एहसान नहीं लेना चाहती थी। उसके दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी, रणविजय ने ये एहसान उसपर किया क्यूं? इसके बदले में उसे क्या चाहिए?

मीरा ने फैसला किया कि वो ये एहसान नहीं ले सकती। किसी माफिया से तो बिल्कुल नहीं।

मीरा ने रोज़ी को फोन लगाया , उसे सारी बात बताई।

"रोज़ी मैं ये रूपए नहीं ले सकती। मुझे ये रूपए रणविजय को वापस करने होंगे। तुम्हें पता है वो कहां रहता है।"

"मीरा, वो माफिया है। उसका पता किसी के पास नहीं मिल सकता। पर हां, हर शनिवार को वो 1AM club में जाता है, और इत्तेफाक़ से आज शनिवार ही है। तू चाहे तो उससे वहां मिल सकती है। पर मेरी मान तो उससे ना ही मिल तो अच्छा है। वैसे भी तुझे शिवा के ऑपरेशन के लिए रुपयों की ज़रूरत थी।"

"नहीं रोज़ी, मैं उसे जानती तक नहीं हूं। मैं ऐसे कैसे किसी अंजान का एहसान ले सकती हूं। मैं club जाकर उसे ये रूपए वापस कर दूंगी।"

"तू अकेली कहीं नहीं जाएगी मीरा। वैसे भी आजतक तू कभी club नहीं गई तो वहां जाते ही वहां का माहौल देखते ही घबरा जाएगी। मैं तुझे ऐसे अकेले नहीं जाने दूंगी, मैं भी चलूंगी तेरे साथ।

मीरा और रोज़ी दोनों क्लब पहुंचते हैं। मीरा ने पहली बार club में पैर रखा है, यहां पर शराब की बदबू, सिगरेट का धुआं, बहुत तेज music, इतने सारे लोगों को देखकर उसे घुटन महसूस होने लगी थी। उसे बस यहां रणविजय को ये रूपए देकर जल्द से जल्द वापस जाना था। मीरा और रोज़ी कोने में एक जगह बैठ गए।

काफी समय बीत जाने के बाद भी रणविजय का कोई आता -पता नहीं था। मीरा की नजरें चारों तरफ सिर्फ रणविजय को ही ढूंढ रही थी। इतने तेज music में रोज़ी अपनी chair पर बैठे बैठे ही नाच रही थी। मीरा को लगा कि उसकी वजह से रोज़ी अपना मन मारकर बैठी है तो उसे रोज़ी से जाकर एंजॉय करने को कहा।

" रोज़ी तू जा enjoy कर, जैसे ही मैं ये रूपए रणविजय को दे दूंगी तुझे फोन कर दूंगी फिर हम घर चलेंगे।"

मीरा के  2-3 बार कहने पर रोज़ी dance floor पर चली गई। मीरा को अब जल्द से जल्द रणविजय को ढूंढकर वापस घर जाना था। मीरा अपनी जगह से उठकर रणविजय को देखने  चली गई। भीड़ को चीरती हुई वो एक थोड़ी कम भीड़ वाली जगह पर आ गई। मीरा रणविजय को ढूंढ रही थी कि अचानक से.....

"अरे ये क्या इतनी सुंदर लड़की के  हाथ खाली है, आपके हाथ में तो एक drink होनी चाहिए। आइए मेरे साथ, मैं आपको drink दिलाता हूं।"   एक अजनबी शख़्स ने मीरा का हाथ पकड़ते हुए कहा।

"छोड़िए मेरा हाथ, मुझे कोई drinks नहीं चाहिए।"

मीरा के बहुत बार कहने के बाद भी वो शख़्स मीरा का हाथ नहीं छोड़ रहा। 

"हाथ नीचे!!!!!"
 रणविजय ने गुस्से में कहा। उसकी आँखें एकदम लाल थी चेहरे पर पसीना था।  रणविजय को देखकर उस आदमी ने मीरा का हाथ तुरंत छोड़ दिया।

"धायं...!”