Mera Rakshak - 5 in Hindi Fiction Stories by ekshayra books and stories PDF | मेरा रक्षक - भाग 5

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मेरा रक्षक - भाग 5

5. अब वो अजनबी नहीं


"धायं"

 

हर जगह अफरा तफरी मच गई, मीरा कुछ समझती उससे पहले ही रणविजय ने मीरा का हाथ पकड़ा और चल दिया। रणविजय की तरफ जैसे ही मीरा ने देखा उसकी चीख निकल पड़ी। रणविजय के कंधे पर गोली लगने की वजह से खून बह रहा था।


"स...सर, आपके क...कंधे से खू... खू...खून....."


ये कहते हुए मीरा बेहोश हो गई। मीरा जैसे ही बेहोश हुई रणविजय ने उसे थाम लिया। उसे अपनी गोद में लेकर गाड़ी की तरफ जाने लगा। वो अपना दर्द भूल चुका था। उसकी बाहों में इस समय मीरा थी उसे सिर्फ मीरा की चिंता हो रही थी, क्या कोई इतना कोमल दिल का हो सकता है जो खून देखकर ही बेहोश हो जाए। रणविजय की ज़िंदगी में सिर्फ खून खराबा ही है। 

गाड़ी में रणविजय, मीरा को देख रहा था, कोई इतना मासूम कैसे हो सकता है। रणविजय के कंधे से खून बह रहा है, लेकिन मीरा को देखने भर से वो अपना दर्द भूल गया।

"बॉस, आपको जल्द ही डॉक्टर के पास...."

"श्श्श्श्श्श......ये जाग जाएंगीं।" (मीरा को देखते हुए रणविजय बोला)

जॉन,(रणविजय का right hand) रणविजय को इस तरह से देकर खुश था। रणविजय पहली बार किसी की care कर रहा था। उसका दिल उसे बिना बताए बदल रहा था।

रणविजय घर आ गया था, मगर मीरा अभी भी होश में नहीं थी। रणविजय के हाथ में गोली लगी होने की वजह से रॉकी ( रणविजय की team का sharp शूटर)  मीरा को घर के अंदर ले जाने जैसे ही आगे बढ़ा

 "गोलियों का असर मुझ पर हो सकता है, लेकिन मीरा को छूने की हिम्मत किसी की नहीं होनी चाहिए।" (रणविजय ने रॉकी को रोकते हुए कहा)

रणविजय मीरा को गोद में उठाकर घर के अंदर ले गया। जहां एक उम्रदराज औरत (रोज़ी, जिनकी रणविजय बहुत इज़्ज़त करता था।)  रणविजय की बाहों में लड़की को देखकर चौंक गईं । रणविजय आजतक कभी किसी लड़की को घर लेकर नहीं आया।
रोज़ी की नज़र  रणविजय के कंधे पर पड़ी। रणविजय रोज़ी को देखते ही बोला

"मैं ठीक हूं एकदम। एक गोली ही तो है, आप परेशान न हों।" ये कहकर रणविजय मीरा को लेकर ऊपर कमरे की तरफ गया। मीरा को देखकर  रणविजय को कोई याद आ रहा था, वो भी ऐसे ही जरा सा खून देखकर डर जाती थी। 

"बाबा, आप जाओ अपना चोट का इलाज कराओ । मैं यहीं हूं इनके पास।"  रोज़ी बचपन से ही रणविजय की देखभाल करती आ रही है। इसलिए रणविजय रोज़ी की बहुत इज्ज़त करता है।

"मीरा......मीरा नाम है इनका।" ये कहकर रणविजय के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। रोज़ी ने उस दिन ( बहुत साल पहले ) के बाद से आज पहली बार रणविजय को हल्का मुस्कुराते हुए देखा। रोज़ी समझ गई थी ये मीरा रणविजय के लिए बहुत जरूरी है। ये मीरा ही है जो पुराने रणविजय को वापस ला सकती है।

कुछ देर बाद मीरा को होश आया। उसने आँखें खोली और उसने देखा उसके पास एक बुज़ुर्ग महिला खड़ी हुई है, जो बड़े प्यार से मुस्कुराते हुए मीरा को देख रही है।

"मीरा, आप उठ गईं? आपको कुछ चाहिए हो तो हमें बता देना।" ये कहकर रोज़ी जाने लगी। मीरा को याद आया वो रणविजय का हाथ थामे भाग रही थी, रणविजय के कंधे से.....

"सर के कंधे से खून बह रहा था। वो ठीक तो है न!"

रोज़ी ये सुनकर थोड़ा मुस्कुराई। अब रणविजय का ख़्याल रखने , रणविजय की ज़िंदगी में कोई आ गया है।

 "बाबा नीचे डॉक्टर के साथ ही हैं। वो ठीक हैं।"

 "आप??"

"मेरा नाम रोज़ी है। मैं यहां की सबसे पुरानी स्टाफ और बाबा की बचपन से caretaker हूं।"

रोज़ी!!!!!!!!!!!!

मीरा को याद आया वो रोज़ी को  club में ही छोड़कर आ गई थी........