KHOYE HUE HUM - 2 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | खोए हुए हम - 2

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खोए हुए हम - 2

एपिसोड 02: अंधेरे से रोशनी तक


हॉस्पिटल के बाहर हलचल मची हुई थी। कुछ ही पलों पहले जो हादसा हुआ था, उसकी गूँज अब भी लोगों के बीच सुनाई दे रही थी। सड़क पर अब भी कुछ टूटे हुए कांच के टुकड़े और खून के धब्बे पड़े थे। लेकिन लोगों की चर्चा का केंद्र कुछ और था—वो काली बिल्ली, जो ऐन वक्त पर सामने आकर खड़ी हो गई और ना जाने कितने लोगों की जान बचा गई।


मेहुल और रेनी अभी भी इस घटना के सदमे में थे। डीगू—हां, उन्होंने इस बहादुर बिल्ली का नाम डीगू रख दिया था। रेनी ने उसे अपने हाथों में उठाया और प्यार से सहलाने लगी।


नर्स: "अरे अरे! आप लोग इस काली बिल्ली को हॉस्पिटल के अंदर क्यों ला रहे हैं? इसे यहाँ से ले जाइए!"


डॉक्टर, जो अब तक बाहर की हलचल सुन रहे थे, आगे आए और मुस्कुराते हुए बोले, "एक्सक्यूज़ मी, क्या हो रहा है? अरे, ये तो वही बिल्ली है, जिसने अभी-अभी कई लोगों की जान बचाई, और आप दोनों की भी।"


रेनी ने डॉक्टर की तरफ देखा, उसकी आँखों में कुछ अजीब सा भाव था। शायद हैरानी, शायद राहत।


मेहुल: "मिस, अब बताओ, क्या अब भी आपको लगता है कि आप अंधेरे में जी रही हो?"


रेनी ने गहरी सांस ली, फिर हल्के से मुस्कुराई। "आप यही सोच रहे हैं ना कि इस बिल्ली ने हमारी जान क्यों बचाई? कुछ देर पहले आपने ही कहा था कि जहाँ से आए थे, वहाँ जाकर आएंगे, तब तक तो हमारे हालात और दर्द थोड़े कम हो जाएंगे। और फिर अगर मेरी ज़िंदगी में आप रोशनी नहीं ला पाए, तो फिर आप हमें नहीं रोकेंगे, ऐसा कहा था ना? अब तो हमें मानना पड़ेगा कि आप अपनी ज़ुबान पर कायम जा रहे हो।"


मेहुल उसकी बात सुनकर कुछ पल के लिए चुप हो गया। वो जानता था कि रेनी सही कह रही थी। शायद सच में उनकी ज़िंदगी का अंधेरा अब धीरे-धीरे कम होने वाला था।


डॉक्टर: "वैसे, अगर आप लोग चाहें तो इस बिल्ली को अपने पास रख सकते हैं। यह अब आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है।"


रेनी और मेहुल दोनों ने एक-दूसरे को देखा और बिना कुछ कहे सहमति जता दी।


डीगू अब उनके साथ रहने वाली थी। वो काली बिल्ली, जिसे लोग अब तक अशुभ मानते थे, आज वही उनकी नई ज़िंदगी की शुरुआत का कारण बन रही थी।



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बाहर हल्की बारिश शुरू हो चुकी थी। सड़क की बत्तियाँ पानी में झिलमिला रही थीं। मेहुल ने डीगू को गोद में उठाया और रेनी के साथ बाहर आ गया। हवा में एक ताजगी थी, मानो रात की ठंडक उनकी सारी परेशानियाँ बहाकर ले जा रही हो।


रेनी ने धीमे से कहा, "तो, अब हमारा अगला कदम क्या होगा?"


मेहुल ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा, "शायद अब हमें खुद को फिर से खोजना होगा... एक नए सिरे से।"


रेनी ने उसकी आँखों में झाँका, वहाँ कोई पुराना दर्द नहीं था, बस एक उम्मीद थी।


और इसी उम्मीद के

साथ वे दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ गए।

और अब जुड़े रहे हमारे साथ की रेनी और मेहुल के साथ क्या क्या होता है, और क्या ये दोनो आगे तक जा पाएंगे.? पढ़ना जारी रखे. . .