खोए हुए हम – एपिसोड 6
सर्दियों की सुबह की हल्की धूप खिड़की से छनकर अंदर आ रही थी। निशा खिड़की के पास बैठी थी, उसकी नजरें कहीं दूर, बहुत दूर खोई हुई थीं। मन में कई सवाल चल रहे थे—क्या अyaan भी उसे याद करता होगा? क्या उसकी यादों में भी वही तड़प होगी, जो वह हर पल महसूस कर रही थी?
पिछली रात आयान का मैसेज आया था—"कैसी हो? बहुत दिन हो गए तुमसे बात किए हुए।" निशा ने कई बार उस मैसेज को देखा लेकिन जवाब देने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
आखिरकार, उसने धीरे-धीरे टाइप किया—"ठीक हूँ। तुम कैसे हो?"
आयान का जवाब तुरंत आया—"जब से तुमसे दूर हुआ हूँ, तब से ठीक कहाँ हूँ?"
ये शब्द निशा के दिल को छू गए। क्या आयान सच में अब भी उसे उतना ही चाहता था? उसकी आँखों में नमी आ गई। उसने फोन को तकिए के नीचे रखा और उठकर बालकनी में आ गई। हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी, लेकिन अंदर की बेचैनी कम नहीं हो रही थी।
उधर, आयान भी अपने कमरे में बेचैनी से इधर-उधर टहल रहा था। निशा का मैसेज उसे राहत तो दे रहा था, लेकिन वो अब और इंतजार नहीं कर सकता था। उसने फोन उठाया और कॉल कर दिया।
"हैलो?" निशा की हल्की, लेकिन घबराई हुई आवाज़ आई।
"निशा... क्या हम मिल सकते हैं?" आयान ने बिना भूमिका के सीधा सवाल किया।
निशा कुछ देर चुप रही, फिर धीमे स्वर में बोली, "कहाँ?"
"वही पुरानी जगह, जहाँ हम पहली बार मिले थे," आयान की आवाज़ में हल्की उम्मीद थी।
निशा ने कुछ नहीं कहा, बस धीमे से "ठीक है" कहकर फोन रख दिया। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। क्या उसे जाना चाहिए? क्या वो तैयार थी आयान का सामना करने के लिए?
शाम होते ही वह उसी जगह पहुँची—एक शांत झील के किनारे। वहाँ का माहौल बिलकुल वैसा ही था, जैसा उस दिन था, जब वे पहली बार मिले थे। आयान पहले से ही वहाँ खड़ा था, उसकी आँखें जैसे सिर्फ निशा को ही ढूँढ रही थीं।
"तुम आई..." आयान ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
निशा बस हल्के से सिर हिला पाई।
"क्यों दूर हो गई थी मुझसे, निशा?" आयान की आवाज़ में दर्द था।
निशा ने गहरी सांस ली, "कभी-कभी हमें खुद को खोकर ही खुद को पाने का मौका मिलता है, आयान। मैं सिर्फ यही कर रही थी।"
"और अब?" आयान ने एक कदम आगे बढ़ाया।
निशा ने उसकी आँखों में देखा। वहाँ वही प्यार, वही अपनापन था, जो उसने पहले दिन महसूस किया था।
"अब शायद... हम खुद को फिर से खोज सकते हैं," उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
आयान ने उसके हाथों को हल्के से थाम लिया। ठंडी हवा के बीच भी उनके बीच एक अजीब-सी गर्माहट थी।
क्या ये उनकी नई शुरुआत थी? या फिर से खो जाने का एक और सिलसिला?
उस शाम के बाद से दोनों के बीच बातचीत बढ़ने लगी। वे फिर से हर छोटी-बड़ी बातें शेयर करने लगे। पुराने दर्द भी थे, लेकिन अब दोनों के पास उन्हें समझने और सुलझाने की हिम्मत थी। निशा और आयान दोनों को ही एहसास हो चुका था कि प्यार सिर्फ पास रहने का नाम नहीं, बल्कि एक-दूसरे को समझने और स्वीकारने का नाम भी है। इस बार वे अपने रिश्ते को पूरी ईमानदारी से जीने वाले थे।
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