कुछ तो ऐसा नशा था उन भूरी आंखों में....राजबीर के कदम उसके ही तरफ बढ़ ते चले जाते हैं। और उसकी आँखें ... उन भूरी आंखों के नशे में जेसे कैद ही हो जा रहे थे।राजवीर एक टक उसकी आंखों में देख ते हुए बस अपने कदमों को उसके तरफ़ बढ़ाए जा रहा था। और उसकी वो डरी सहमी आंखे कभी राजबीर को देख ते ,...तो कभी उसके बढ़ ते कदमों को।
जेसे जेसे राजबीर की कदम उसके करीब बढ़ते हैं ,वो अपने कदमों को पिछे लेने लगती हे। पीछे कदम लेते लेते वो दीवार से टकरा गई। राजवीर उसके एक दम करीब आते हुए उसके उन आंखों को करीब से देख ने लग ता हे।। उसकी चहरे पर बिखरे हुए कुछ बालों के लटे जेसे उसे परेशान कर रही थीं। राजवीर अपने उंगलियों से उन लटों को सलीके से कानों के पीछे कर देता है।
उन दोनो में अब एक इंच का भी फासला नहीं था। वो इतने करीब थे के दोनों को एक दूसरे को दिल को धड़कन तक सुनाई दे रही थी।उसको सासों की गर्मी राजवीर को मदहोश कर रहीं थी। उसके कांप ते होठ तो राजबीर को जेसे नियोता दे रहे हों... उसे अपने होठों से छू ने का।उसके सहमे हुए उस चहरे को अपने आंखों में भरते हुए राजवीर अपनी आंखें बंद कर लेता हे। और धोरे धीरे अपने होठों को उसके होठों के करीब लेने लग ता हे।
वो बस उसके होठों को अपने होठों से छुने ही लग ता हे की, एक बेहद मासूम डरी सहमी कांप ती हुई आवाज सुनाई पड़ती है। वो रुक गया... उसकी आंखे अब भी बंद थें।"स ..स... स ... सॉरी.. मैं.. ने ... वो..जान बूज के नहीं तोड़ा आपका फोन... गल... ती से.. टक.. रा गई... आप से।"ये सुनते ही राजबीर कुछ होस में आते हुए उस लङकी को देखता हे।... जो राजबीर को ही देख रही थो ... कुछ सहमी हुई नज़रों से ।
राजबीर वैसे ही उसके होठों के करीब होते हुए सावलिया अंदाज से पूछा..."फोन????"
"जी... फिर फोन के तरफ इसारा करते हुए बोली..."Sorry".। में थोड़ा जल्दी मे थी। फीर आपने भी नहीं देखा और मेने भी। टूट गया फोन।.... फिर थोड़ा गहरी सांस लिए बोली..."आप ठीक करवा दिजिए... में पैसे दे दूंगी।"
ये सुन राजबीर एक नज़र अपने फोन के तरफ लेता हे और अजीब नज़रों से उस लड़की को देख ने लग ता हे।अब उसे रियलाइज हुआ के वो क्या कर ने जा रहा था ।.... वो अभी अभी एक अंजाम लडकी को किस्स कर ने जा रहा था।.... और वो भी पब्लिक में!!!ये सोच कर अचानक उसकी आंखे और फेशियल एक्सप्रेशन चेंज हो गए।इंटेंस रोमेंटिक फेस से उसके एक्सप्रेशन एंग्री यंग मैन जैसा हो गया। उसकी आंखे धीरे धीरे उस लड़कि को गुस्से से घूर ने लगे । जो अब तक उसे ही मासूमियत से दिख रही थी।
अपने दांत मिंज ते हुए गुस्से से वो उस लङकी के आंखों में देख ते हुए कहा..."ये जो गहरी भूरी आंखे हैं इसे निचे करो, और दुबारा से मुझे ऐसे घूर के मत देखना। इतना बोल वो उस लङकी से दो कदम दूर हट गया । उससे नजर हटा कर वो अपने फोन के तरफ देख ने लगा। जो टूटे हुए फर्श पर पड़ा हुआ था। अपना फोन उठाते हुए उस लडक़ी को एक नजर घूर ते हुए वो वहां से जाने लगा। फिर अचानक रुक बीना उस लङकी को देख बोला..."अगर फिर कभो मेरे सामने या आस पास भी दिखाई दी.... तो इस फोन की कीमत चुकाते चुकाते तुम्हारी ये पूरी जिदंगी खतम हो जाएगी।"" इतना बोल वो वहां से चला गया।
जाते जाते वो खुद को समझा ने की पूरी कोशिश कर रहा था के वो ठीक हे । वो अब भी वही राजबीर हे जिसे कोई कमजोर नहीं बना सकता और नहिं पिघला सक ता हे।अपने गाड़ी में बेठे वो एक गहरे सांस लेता हे और अपना सिटबेल्ट बांध ते हुए अमन को कॉल लगा ने लग ता हे।
दुसरी तरफ से अमन " हेलो"
"सुन अमन ,में जब तक आऊं मेरे टेबल पर एक नया फोन हो ना चाहिए" । बस इतना ही बोलते हुए बीना अमन की बात सुने वो फोन काट देता हे ।
वहां दुसरी तरफ माया के कैबिन में...एक के बाद एक इंटरव्यू लेते हुए माया थक चुकी थी । उसका तो खुद इंटरव्यू लेनेका मकसद ही यही था के राजवीर की असिस्टेंट कोई ऐसी लड़की बने जो हो तो राजवीर की असिस्टेंट पर रहे माया के अंडर...लेकीन यहां तो सीन ही कुछ दूसरा था। राजबेर को इंप्रेस कर ने केलिए लडकियों ने अदाओं के जेसे मेला ही लगा दिया था । जैसे के असिस्टेंट की खोज नहीं राजबीर का स्वयंबर हो रहा हो।गुस्से से तिलमिलाते हुए वो वहां से उठ ने ही वाली थी के प्रिया उसके तरफ एक सीवी बढ़ाते हुए बोली...."माया मैडम एक बार इस लङकी से बात कर लिजिए। मानबी नाम हे इसका।"
ये सुन माया थोड़ा झल्ला ते हुए पूछी ...."कोन हे ये.???".. और काफी पीते हुए उस लङकी की सीवी पढ़ ते हुए प्रिया के तरफ देख बोली...."तुम्हारे रिकॉम्डेशन पर आई है क्या???"
"ये मेरे ही हॉस्टल में रहती है। फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही हे। साइड में पार्ट टाइम की नौकरी कर अपने खर्चे चला रही थी।"
फिट थोड़ा अफसोस के साथ बोली..."लेकीन अभि दो महीने पहले ही इसकी पापा का डेथ हो गया। तो मां को देख भाल और खुद की पढ़ाई की जिम्मेदारी अब इस पर हे। इस लिए मैंने ही इसे आइडिया दिया के कॉलेज में बात कर के ऑनलाइन अपनी पढ़ाई कॉम्प्लेट करले और कोई फूल टाइम जॉब कर ले।"
ये सुन माया कुछ सावलिया नज़रों से प्रिया को देख ने लगी..... जेसे वो पुछ रही हो...."तो हम क्या करें????"
उसको लुक देख प्रिया बोली..."मैडम में कोई चैरिटी कर ने केलिए नेहीं बोल रही हु।बल के में तो आप के ही फायदे की ही बात कर रही हूं।"
"अच्छा... वो कैसे?".... प्रिया की बात सुन माया ने पूछा।
"मैडम.... हमारी हॉस्टल की वार्डन इन्सान नहीं डेविल है... बिल कुल राजबीर सर की तरह। "....ये सुन माया ने गुस्से से प्रिया के तरफ देखा तो उसे रीयलाइज हुआ के फ्लो ही फ्लो में उस ने क्या बोल दिया।फॉरेन अपने आप को करेक्ट करते हुए वो बोली...".मतलब मैडम आप मानबी पे चाहे जितना भी गुस्सा करे या उसे कुछ भी कहें ,...नहिं वो पलट के जवाब देती हे और नाही कोई रिएक्ट कर ती हे।बस मुस्कुराए सब बर्दास्त कर लेती हे।"
फिर कुछ सोच ते हुए बोली...."बिल्कुल गाय हे मैडम। बिल्कुल सादगी से भरो हुई। राजबीर सर की टाइप की तो बिलकुल भी नहीं हे।.... और आई एम स्योर के,... सर के बेवजह गुस्से को भी ये पेशेंस के साथ हैंडल कर लेगी।"
"ये मानबी कोई इन्सान तो नहिं हो सक ती ।.... क्यों के कलियुग में ऐसे इन्सान नहीं मिलते... प्रिया डार्लिग।"....ये अमन था जो इंटरव्यू का प्रोग्रेस देख ने आया था।
प्रिया बोली..."एक बार मिल तो लीजिए अमन सर.... शायद आप का व्यू बदल जाए।"
"ठीक हे बुला लो।"... माया ने बोला।
वहां दुसरे तरफ hotel ताज में.......
To be continued..........