सात फेरों के खतम होने के बाद दोनों अपनी जगह बैठ गए।
"बर .. बधु को सिंदूर और मंगल सूत्र पहनाएंगे"। पंडित जी की बात सुन ते ही वहीं मंडप के पास खड़ी हुई एक लडकी... सायद मेहेक की सहेली ही कोई होगी.... मेहेक की घूंगत उठा ते लगी .....
"राठोड़ खानदान की ये परंपरा है के सारे रसम खतम ना होने तक दुल्हा ...दुल्हन का चेहरा नहीं देख सकता... इसलिए में ऐसे ही बीना घूंघट खोले अपनो दुल्हन को मंगलसूत्र और सिंदूर पहनाऊंगा।".....
राजबीर बीना किसी भाव के बिक्रम जी के तरफ देख ते हुए ये नई परम्परा का एलान किया तो बिक्रम जी के साथ साथ राठौड़ खानदान का हर सदस्य राजवीर के तरफ असमंजस में देख ने लगे। पर राजवीर बीना कुछ कहे वैसे ही बिक्रम जी के तरफ देख रहा था।
ये सुन पंडित जी बीना कुछ ज्यादा सवाल जवाब किए सिन्दूर और मंगलसूत्र का महत्व समझा ते हुए मंत्र उच्चारण कर; ने लगे और इशारों में राजवीर को दुलहन को मंगलसूत्र और सिंदुर पहना ने को बोल ते हैं।
राजवीर भी बिना किसी भाव के पंडित जी की बात मान घुंघट में बैठी मेहेक को सिंदुर और मंगलसूत्र पहना ता हे।
वहां मंडप से थोडी दुर....
राजवीर को मंडप में चुप चाप बैठा शादी के हर रसम निभा ता देख पीछे खड़ा शक्ति हाथ में शराब का ग्लास लिए काफी देर से दिख राहा था.... जब राजबीर का ये शांत भाव उसके हजम से ज्यादा हो गया तो वो भी खुद से ही बड़बड़ाने लगा.....
"अरे अरे बेचारा बिग ब्रो... पता नहीं दादा जी ने एसा क्या किया के ये वोल्कानो इतना ठंडा पड़ गया के... इंडिया का मोस्ट एलिजिबल बैचलर होते हुए भी किसी राह चलती लडकी से चुप चाप बैठ शादी कर रहे हैं।"
फिर थोड़ा सोच ते हुए बोला....
"और ये दादा जी भी अपने दिल के टुकड़े को किसी भी ऐरे गिरे राहा चलते के साथ केसे बांध सकतें हैं।"
फिर रुक ते हुए गहरे सांस लिए बोला....
"Mom तो बेकार में इस शादी की टेंशन लिए बैठी हैं.... यहां तो ब्रो अपनी दुलहन की सकल तक देखना नहीं चाहते हैं"।
ये बोल एक मजाकिया अंदाज़ से राजवीर को देख ते हुए.....अपने ड्रिंक पर कंसेंट्रेट कर ने लागा।
"इंडिया का मोस्ट एलिजिबल बैचलर, राजबीर राठौड़ के दिल, जिगर, गुर्दे तक का भी टुकड़ा तू ही हे ...शक्ति।"""
ये सुन शक्ति ने पीछे मुड़ को देखा तो उसके पीछे अमन खड़ा अपना ड्रिंक पीते हुए उसे ही बोल रहा था।
शक्ति के कंधे पर हाथ रखा ते हुए अमन कुछ समझा ते अंदाज़ से बोला...
"बेटा.... तुम्हे बहत क्यूरोसिटी हो रही ही ना जान ने केलिए के ये वोल्कोनो चुप चाप शांत बैठा खुद की बरबादी क्यूं कर रहा हे???...... तो इसका जवाब में देता हूं।"
"अच्छा क्यूं कर रहे हैं..."
अमन ने कहा तो शक्ति ने बेहद एक्साइटेड होते हुए पूछा।
"अमन ने उसकी एक्साइटमेंट देख ते हुए कहा...
"इस वोल्कोनों के जिन्दगी का बस एक ही लक्ष्य है तुझे तिल तिल जलाना "।
ये सुन शक्ति के तो चेहरे के रंग ही बदला गए।
अमन फीर बोला....
"ये विल्कोनो जो चुप चाप मंडप में बेठे अग्नि कुंड के अग्नि को आंखों आंखों में ही पी रहा हे ,..... ये पका तुझे जिन्दगी भर जलाने का कोई सॉलिड डील दादा जी के साथ पक्का कर आया होगा "।
ये बोल अमन वहां से जानें लग ता हे और जाते हुए कुछ रेथिमिक वे में लहराते हुए कहे ता हे...
"बेटा.... वोल्कोनो के नज़रों से थोड़ा दूर रहे इस वक्त.... क्यों के अगर उसे तेरे यहां होने का ऐहसास भी होगया... लावा बनकर ऐसा फटेगा के पूरे होटल को जला देगा।"
ये बोल वो वहां से जानें लागा तो शक्ति थोड़ा सोच झल्ला ते हुए बोला...
"जला ने दो ... ये होटल कौन से मेरे बाप की हे।"... ये बोल ते हुए वो हस ने लगा तो...
अमन जो ऑलमोस्ट वहां से जा चुका था; वापस आते हुए एक अजीब सकल बनाए हुए बोला....
"अबे अकल से पैदल... भले ही ये होटल तेरे बाप की ना हो .. लेकीन इस वक्त इस होटल में तेरे बाप के साथ साथ तू भी हे... ना।"
फिर उसके सर पर हाथ फिरा ते हुए थोड़ा समझते हुए बोला..
"अगर होटल जलेगा तो तेरे बाप के साथ साथ तू भी तो जलेगा...."!!
ये बोल ते हुए अमन तो वहां से चला गया पर शक्ति वही खड़ा उसे तकता रेहेगया।
वहां दुसरे तरफ मंडप में....
यहां राजबीर मेहेक को मगलसूत्र पहना ने के बाद करीब जाते हुए उसके कानों के पास धीमी आवाज में बोला....
"कंग्रेटुलेश Mrs राजवीर राठौड़...... शादी मुबारक हो।."
फिर थोड़ा रुक ते हुए बोला...
"इस शादी के बाद हम दोनो की दिल की ख्वाइश पूरी होने वाली हे.... तुम्हारी राठौड़ खानदान की बहु बन ने की और मेरी........"
इतना बोल वो थोड़ा रुक गय और मेहेक के घुंघट के तरफ एक नजर डाल सावलिया अंदाज से बोला....
"मंगलसूत्र और सिंदुर पहना ने के बाबजुद अगर पति छोड़ दे तो.... उस औरत को क्या कहते हैं .... पता हे ना... Mrs राठोड़??"
फिर मंडप से उठते हुए बोला.....
"मुबारक हो.... आज से तुम वही कहलाओगी।"
ये बोल ते हुए वो मंडप से उठ... जाने लगा । बिक्रम जी के रौबदार आवाज से उसके कदम रुक गए। पर वो बिना मुड़े वैसे ही खड़ा रहा।
"राजबीर".... बिक्रम जी ने पुकारा और उसके करीब जाते हुए बोले....
"ये क्या बात्मीजी हे... बहु को मंडप में ऐसे छोड़... कहां जा रहे हो तुम????"
ये सुन राजबीर बीना किसी भाव के एक सक्त अंदाज़ से बोल ....
"हमारे डील में... तमीज या बातमीजी की बात ही कहां हुई थी...mr बिक्रम राठौड़..."।
फिर पीछे मंडप के तरफ मुड़ एक नजर वहीं बेठे मेहेक के तरफ डाल वो एक तिरछी हसीं के साथ बोला....
"हमारे बीच डील तो बस शादी करनेकी हुई थी.... और.. आई थिंक ... वो मेने पुरा कर दिया।"
फिर अपने घड़ी की तरफ देख बोला....
"मेरी क्लाइंट के साथ एक अर्जेंट मीटिंग हे कल.... अर्ली मॉर्निंग फ्लाइट हे मेरी..... सो.... एक्सक्यूज मि।""
इतना बोल ते हुए वो वहां से जानें लागा।
"अगर तुम राजबीर राठौड़ हो... तो में भी तुम्हरा ही दादा.... बिक्रम राज राठोड़ हूं बेटा। अगर हमारे बीच हुई डील के पॉइंट्स को तुम्हें तोड मरोड़ कर पेस करना आता हे... तो मुझे भी आता है... राजबीर।"
राजबीर को जाता हुआ देख बिक्रम जी ने बोला।
बिक्रम जी को सुन ते हुए भी राजवेर को अनसुना कर जाते देख बिक्रम जी उसके बाजु को पकड़ ते हुए उसके थोड़ा करीब जाते हुए कानों के पास बोले.....
"बरखुदार... अगर डील बस शादी की हुऐ थी.... तो शादी बस मंगलसूत्र और सिंदुर पहना देने से नहीं होती.... शादी तब पूरी होते हे... जब तुम अपनी दुलहन को अपनी पत्नि बनने का हक दोगे।
इतना कहते हुए ...फिर थोड़ा गुस्से भरे अंदाज़ से बोले...
"तुम्हे ये शादी ज़िंदेगी भर निभानी होगी... राजवीर।"
ये सुन राजबीर उनके तरफ गुस्से से देख ने लगा।
उसकी परवा ना कर ते हुए फिर थोड़ा रुक वो बोले....
"जिस दिन तुम ये शादी तोड़ोगे.... उस दिन में अपना वादा तोड़ दूंगा।..... इसलिए गलती से भी मेहेक को डाइवोर्स देनेका खयाल भी मन में नेहिं लाना।... बरना में तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा।"
बिक्रम ज़ी को मेहेक केलिए इतना प्रोटेक्टिव होता देख ,
राजवीर एक बार मंडप में बैठी मेहेक के तरफ एक नजर डाल ते हुए , बिक्रम ज़ी के तरफ नमी भरी नजर घुमाता हे। लेकीन इस बार बिक्रम जी उसके आंखो मे गुस्सा और नफरत के बदले; .... कुछ बेचैनी, कुछ सवाल और कुछ दर्द देख ते हैं।
ये देख बिक्रम जी बैचेन हुए जैसे ही उसके कंधे पर हाथ रख ने जाते है..... राजबीर के चेहरे के एक्सप्रेशंस एक ही पल में बदल जाते हैं। बिक्रम ज़ी के हाथों को पकड़ ते हुए बेहद दर्द ,गुस्से और कुछ सावलिया भरे अंदाज़ से अपने दांतों को मिंज ते हुए उसने पूछा.....
"वाई दादा जी ....वाई.....???? इस गैर लडकी केलिए आप के दिल में इतना प्यार हे ... इतनी चिंता हे और मेरे लिए....???
फिर थोड़ा रुक ते हुए बोला...
"जितना प्यार और दर्द इस गैर लडकी केलिए दिखा रहे हैं... अगर उतना प्यार और दर्द उस ९ साल के बचे केलिए आप और आपकी फैमिली ने दिखाया होता तो शायद आप के सामने......"
फिर खुद को दिखा ते हुए बोला....
"आप के सामने इस जिंदा लास के बदले एक जीता जाग ता इनसान खड़ा होता।"
इतना बोल वो खामोश हो गया ।और आंखे बंद किए एक गहरे सांस लेते हुए थोड़ा मुस्कुराए हुए ,दबे लफ्जों में बोला.....
"ठीक हे Mr बिक्रम राठौड़..... आप चाहते हैं ना के पत्नि का हक दूं उसे.... मंजूर हे.....।"और हां...वादा कर ता हूं .... कभी डाइवोर्स नहीं दूंगा उसे...... जब तक वो नहीं चहाती।"
इतना बोल एक नफरत भरो निगाह बिक्रम जी पर डाल ते हुए.. वो वहां से जानें लगा और वैसे ही जाते हुए... संध्या जी के तरफ एक नजर डाल ते हुए मुस्कुरा कर बोला ....
"अपने बहु का गृह प्रवेश कीजिए Mrs राठोड़..... में पहँच जाऊंगा रसम और रिश्ता निभाने।"
ये बोल बीना किसी के तरफ दिखे और बीना कोसी से कुछ केहेनेका इंतजार किए वो वहां से चला गया।
और अमन पिछे से बस राज....राज....राज..... ही चिल्लाता रहे गया।
To be continued
क्या मेहेक को पत्नि का हक देगा राजवीर या चल ने वाला हे कोई और चाल????