..passionate..si..love.. (Sajishi Ishq) - 16 in Hindi Love Stories by Mira Sharma books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 16

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 16

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

अपने रूम में बैठी द्रक्षता अपनी उंगली में पहनी रिंग को देख रही थी.....उसके चेहरे पर मुस्कान थी.....ना जाने क्या सोच कर.....

"आप और मैं कुछ दिनों में एक रिश्ते में बंद जाएंगे.....हम तो आपके साथ खुद को सोच तक नहीं पा रहे है.....कैसे रहेंगे.....एक ही कमरे एक ही बिस्तर पर.....!!"

ये सोच उसने अपनी आँखें बंद कर ली.....और गहरी नींद में सो गई.....
वहीं सात्विक बेसब्री से अपनी शादी के कितने दिन बचे है.....गिन रहा था.....बिस्तर पर शर्टलेस वो बहुत अव्वल दर्जे का खूबसूरत व्यक्ति लग रहा था.....
सात्विक अपने हाथ में अपना फोन लेकर.....लॉकस्क्रीन को ओपन किया.....तो बैकग्राउंड पर द्रक्षता की वही फोटो लगी हुई थी.....जो उसने उसके इनफॉर्मेशन में सबसे पहले देखा था.....वो मुस्कुराती हुई.....ऐसा लग रहा था.....उसे ही देख रही हो.....
सात्विक खुद के चेहरे पर एक जुनूनी मुस्कान लाने से रोक ना पाया.....उसकी नशीली आँखें बेकरार थी.....द्रक्षता को अपने करीब  देखनें के लिए.....उसकी पिक्चर देखते देखते उसे कब नींद आ गई.....उसे खुद पता नहीं चला.....

अगली सुबह.....!!

वेडिंग डेस्टिनेशन.....!!

आज हल्दी थी.....सात्विक द्रक्षता की.....दोनों रेडी होकर अपने अपने सीट्स पर बैठे हुए थे.....
सात्विक के रस्म होने के बाद द्रक्षता की हल्दी होती.....सात्विक को सबसे पहले उसकी दादी ने हल्दी लगाया.....
उससे बोली:लल्ला.....आज तो बिल्कुल अपने दादा जी की तरफ लग रहे है.....आप को उनके जवानी के दिन याद आ गए हमे.....हाय कितने हैंडसम लगते थे यह.....!!
सात्विक उन्हें देख:कैसी बाते कर रही है.....आप दादी जी.....आप पास के सभी आप ही को देख रहे है.....!!
विनीता जी:तो क्या हुआ.....हां.....तेरी दादी स्वर्ग की अप्सरा से कम है के.....देखने दे सबको.....!!
सात्विक कुछ न बोला.....
बारी बारी से सभी ने उसको हल्दी लगा दी थी.....सुरुचि ने हल्दी का कटोरा.....आर्या को लेजाकर मान्यता को देने को बोल दिया.....
वहां से कुछ देर बाद वो सभी औरते भी.....द्रक्षता के हल्दी रस्म में आ गई.....द्रक्षता की रस्म भी हो रही थी थी.....
प्रत्यूष और आर्या वहीं कुछ दूर खड़े.....डीजे से गाना बाजवा डांस कर रहे थे.....द्रक्षता मुस्कुराते हुए सबको देख रही थी.....
अगले दिन संगीत थी.....इस लिए सभी डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे.....सब अच्छा डांस कर रहे थे.....कोई किसी से कम नहीं था.....
ऐसे ही पूरा दिन बीत गया.....
आज संगीत थी.....जिसमें सभी बहुत खुश थे.....सात्विक और द्रक्षता एक सोफे पर बैठे.....सभी से बातें कर रहे थे.....
तभी वहां की लाइट्स ऑफ हो गई.....और कुछ दूर बने स्टेज पर लाइट्स फोकस हो गई.....वहां आर्या और प्रत्यूष माइक हाथ में पकड़े खड़े हुए थे.....
प्रत्यूष माइक में बोला:हेलो.....लेडिस एंड जेंटलमैन.....सो कैसे है आप सभी..…सब बढ़िया.....!!
सभी उसकी बात पर शोर कर.....तालियां बजाने लगे.....
प्रत्यूष बोला:आज मेरे बिग ब्रो.....की संगीत है.....तो कुछ बहुत अच्छे नाच गाने तो होने चाहिए.....क्यों ना.....इसकी शुरुआत मैं ही कर दूं.....क्या कहते हो.....!!
सभी बेहद खुशी से उसे चियर अप करने लगे.....प्रत्यूष मुस्कुरा दिया.....उनके रिएक्शन को देख.....
तभी वहां म्यूजिक ऑन हो गया.....और सब ने एक एक कर डांस किया.....सुरुचि और रजत जी को सब ने काफी फोर्स किया.....तब जाकर उन्होंने एक डांस किया.....वो भी कुछ ही समय.....तक.....
उनके बाद राम्या और शरत जी को सबने फोर्स करना शुरू कर दिया.....लेकिन राम्या जी रेडी हो ही नहीं रही थी.....सबने काफी हाथ पैर जोड़े उनके सामने.....तब मानी वो.....लेकिन वो भी ज्यादा समय तक डांस ना कर पाई.....
ऐसे ही हसी खुशी से सारे रस्में हो रही थी.....आज द्रक्षता की शादी थी.....मिरर के सामने बैठी वो अपने आप को निहार रही थी.....वो खुश भी थी.....और दुखी भी.....आज का दिन उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण था.....जो हर एक स्त्री के लिए होता है.....अपने आप को निहार ही थी थी.....
मान्यता आती है.....उसे देख उसकी आँखें बहुत ज्यादा नम हो जाती है.....वो अपने आंसू छुपाने की बहुत कोशिश करती है.....लेकिन उससे नहीं होता.....
द्रक्षता उठ कर उसके पास आकर उसके गले से लग रोने लगती है.....तोह मान्यता भी अपना कंट्रोल खो देती है.....दोनों एक दूसरे के सीने से लगी.....बहुत देर तक ऐसे रोते रहने के बाद.....
दरवाजे पर खड़ी सुरुचि,,राम्या,,विनीता जी.....उन्हें देख खुद भी इमोशनल हो गई थी.....
राम्या बोली:हमारी आर्या भी एक दिन ऐसे ही हमे छोड़ कर चली जाएगी.....!!
विनीता जी उसके कंधे पर हाथ रख:देखो.….बहु.....ये तो एक ना एक दिन हर लड़की के साथ होता है.....तुम चाहो या ना चाहो.....आर्या को भी हमे उसके ससुराल भेजना ही पड़ेगा.....जानती हु.....काफी मुश्किल होता है.....वो बिछड़ने का दर्द.....बहुत दुखी करता हैं.....लेकिन अगर बेटी का परिवार उसे खुश रखे.....तो लगता है कि सही किया.....अगर नहीं है खुश.....तो जानने के बाद ऐसा लगता है.....की हम से यह क्या हो गया.....लेकिन तुम चिंता मत करो.....हम ना तो ऐसा द्रक्षता के साथ होने देंगे.....नाही आर्या के साथ.....और नाही हमारे परिवार में आने वाली कोई भी लड़की के साथ.....!!
राम्या उन्हें देखते हुए:नहीं मां.....मेरी कोई भी बहु.....दुखी नहीं रहेगी.....और नाही मेरी बेटी.....!!
सुरुचि मुस्कुराते हुए उन्हें देखते हुए.....उन्हें आवाज लगाती है.....मान्यता द्रक्षता उन्हें देखने लगती है.....
सुरुचि उनके पास जाके मान्यता से:चिंता मत करो.....मान्यता.....हम द्रक्षता को कोई भी दिक्कत नहीं होने देंगे.....उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करेंगे.....मुझे पता तो नहीं है.....लेकिन अंदाजा लगा सकती हु.....जब अपनी बेटी दूर होती है.....तोह कितना दुख होता है.....लेकिन तुम चिंता मत करो.....हमसे जितना बन पड़ेगा.....हम द्रक्षता के लिए उतना करेंगे.....!!
मान्यता बस मुस्कुरा दी.....क्योंकि उसे अभी कुछ समझ नहीं आ रहा था.....इस सिचुएशन में क्या कहे.....
सुरुचि ने द्रक्षता की बालाएं ली और बोली:कितनी सुंदर लग रही है.....नजर ना लग जाए.....मेरे बेटे के ऊपर तो बिजलियां गिरने वाली है.....!!
द्रक्षता शर्म के मारे चेहरा छुपा ने लगती है.....द्रक्षता ने वही लहंगा पहना था.....जो सुरुचि ने उसके लिए चुना था.....उसके द्वारा एड किए गए वर्क्स उस लहंगे को.....और खूबसूरत बना चुके थे.....द्रक्षता उसमें आसमान से उतरी अप्सरा नजर आ रही थी.....
द्रक्षता की गुलाबी चेहरा मानो चांद को भी टक्कर.....देने के काबिल था.....और उसके ऊपर से उसके शर्माने का अंदाज.....किसी को भी घायल करने का दम रखता था.....वो एक कातिल हसीना लग रही थी.....लेकिन सादगी भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी.....
राम्या:मान्यता दी.....कुछ ही देर में शादी के रस्में शुरू हो जाएंगी.....गुरुजी भी आ चुके है.....आपको द्रक्षता से कुछ बात करना हो तो.....आप बात कर के नीच आ जाएं.....!!
मान्यता मुस्कुरा कर सर हिला दी.....वो तीनों वहां से चली गई.....
मान्यता द्रक्षता का हाथ थाम उसके आंखों में देख:बेटा.....एक मां की अपने बच्चों के.....शादी से बहुत सारी ख्वाहिशें होती है.....मेरी भी है.....आज मेरी बेटी किसी से एक रिश्ते में बंधने जा रही है.....बेटा मैं तुमसे बस इतना कहूंगी कि रिश्ते अनमोल होते है.....इनका कोई मूल्य नहीं.....जो इन्हें खो देता है.....उन्हें समझ आता है.....वो क्या कर बैठे.....मैं तुमसे कहती हु.....चाहे कितनी भी रुकावटें आ जाए.....तुम्हारे पति को जब तुम्हारी जरूरत हो.....उसके सामने ढाल बन खड़े रहना.....एक पत्नी का कर्तव्य,,जिम्मेदारी होती है.....अगर कभी तुम्हारे पति तुम्हे समझने में भूल करे.....लेकिन तुम अपने आप को समझने देना.....उन्हें.....पूरी खुली किताब की तरह हो जाना.....लेकिन सिर्फ अपने पति के लिए.....एक पति ही होता है.....जो अपनी अर्धांगिनी के सबसे करीब होने की काबिलियत रखता है.....!!
कुछ देर रुक कर गहरी सांस भर कर:कभी अगर तुम्हारा पति भूल करे.....तो बिन मांगे माफी दे देना.....पर अगर गलती ऐसी करे.....जो तुम्हारे स्वाभिमान को ठेस पहुंचाए.....एक पल भी.....एक पल भी मत ठहरना उनके पास.....!!
द्रक्षता उन्हें देख:मां.....शादी के बाद एक औरत का सब कुछ सिर्फ उसके पति है.....लेकिन अगर मेरा पति किसी दूसरी औरत का सहारा ले तब.....मैं क्या करूंगी.....!!
मान्यता:एक स्त्री के लिए उसके स्वाभिमान से अधिक कीमती कुछ नहीं.....जहां तुम्हे इज्जत न मिले.....तुम भी इज्जत के साथ उस जगह को छोड़ने में समय ना लगाना.....!!
द्रक्षता मुस्कुरा:प्यार बहुत बुरी बला है.....मां.....!!
मान्यता:तुम चिंता मत करो.....सात्विक बहुत अच्छा लड़का है.....वो कभी गलती नहीं करेगा.....!!
द्रक्षता सर हिला दी.....
गार्डन में बड़ी खूबसूरती से मंडप बना हुआ था.....जो इतना खूबसूरत था कि नजरे थम ही जाए.....इतनी साज सजावट,,चका चौंध.....देख बाहर के कुछ गेस्ट जो बहुत ही करीबी थे.....बहुत हैरान थे.....मन ही मन जल भी रहे थे.....लेकिन कुछ कर नहीं सकते थे.....
सात्विक भी रेडी हो चुका था.....मंडप पे उसे पंडित जी द्वारा बुलाया गया.....वो उस शेरवानी में बहुत खूबसूरत लग रहा था.....
गेस्ट के रूप में आई लड़कियां.....उसे देख अपने मन में उसकी पत्नी के जगह में अपने आप को इमेजिन करने लगती है.....लेकिन आज सभी का दिल टूट कर चकनाचूर होने वाला था.....
सात्विक अपने शांत बिहेवियर के अनुसार.....सबको इग्नोर कर अपने स्थान पर जाकर बैठ गया.....

...!!जय महाकाल!!...

क्रमशः...!!