..passionate..si..love.. (Sajishi Ishq) - 15 in Hindi Love Stories by Mira Sharma books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 15

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 15

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

अगले दिन.....!!

रितिशा का घर.....!!

रितिशा एक सोफे पर बैठी हुई थी.....उसके सामने कुछ लोग उसे देख रहे थे.....उसमें जो 46 वर्ष की महिला थी.....वो मुस्कुराते हुए.....
रितिशा की मां से बोली:ऋचा जी.....आपकी बेटी सुंदर तो बहुत है.....बात भी बहुत अच्छे करती है.....इसलिए हम शादी के लिए तैयार है.....!!
रितिशा की मां ऋचा जी उनको देख मुस्कुरा कर बोली:अरे हमें ये जानकर बहुत खुशी हुई.....कि आपको मेरी बेटी पसंद आई.....आयेगी भी क्यों मेरी बेटी है.....अच्छा रिश्ता पक्का करते है.....अब से हमारी बेटी आपकी अमानत हुई.....(उनके सामने हाथ जोड़ते हुए)प्लीज़ इसे कोई दुख मत दीजिए.....मीणा जी.....!!
रितिशा अपनी मां को हैरान नजरों से देखती है.....वो उसके लिए किसी से सामने हाथ जोड़ रही है.....पर क्यों.....
मीणा जी:अरे समधन जी हाथ क्यों जोड़ रही है.....आप हमारे सामने.....आपकी बेटी हमारे घर में बहुत खुश रहेगी.....!!
रिश्ता पक्का होने से रितिशा के पेरेंट्स बहुत खुश थे.....ना जाने क्यों लेकिन ऋचा जी उसकी शादी जल्दी करना चाहती थी.....
वो लोग चले गए.....रितिशा वहां से उठ अपने कमरे में चली आई.....वो अपने पेट पर तकिया रखे लेती हुई थी.....तभी ऋचा खाना लेकर उसके रूम में आती है.....
उसे देखते ही रितिशा उठ कर बैठ जाती है.....ऋचा उसके पास आकर उसके पास.....बैठ उसके गालों को अपने हाथों में भरते हुए.....उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे.....रितिशा शौक से उसे देखती रही.....उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.....
ऋचा उससे बोली:तुम्हे लगता है.....मैं अच्छी मां नहीं हु.....मैं तुमसे भेद भाव रखती हु.....तृषा को इतनी छूट देती हु.....और तुम्हे नहीं.....सच में मैं तुम्हारे लिए एक अच्छी मां नहीं बन पाई.....जानती हो क्यों.....क्या बात इसके पीछे.....मैं जब भी तुम्हे देखती हु.....मुझे अपने साथ हुए उस रात की वारदात याद आ जाती है.....उस दिन मैं सिर्फ अपने पति के साथ.....एक पार्टी एंजॉय करने गई थी.....और वहां मेरे साथ वो हुआ.....जो तुम अब तक समझ गई होगी.....मैं कंट्रोल नहीं कर पाती.....जब तुम सामने होती हो.....मुझे वोह सब याद आने लगता है.....जिस कारण मैं पूरे एक महीने ट्रॉमा से गुजरी.....या अभी भी गुजर रही हु.....मैं तुमसे बहुत प्यार करती हु.....रितिशा.....लेकिन ये जताना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा है.....एक मां के रूप में बहुत हारी हुई महसूस करती हु.....जब तुम दिखती हो.....और मैं तुम्हे जाने अनजाने में हर्ट कर देती हू.....रितिशा.....मैने जो किया उसकी माफी तो नहीं.....लेकिन कर दो मुझे माफ..…!!(वो फफक कर रो पड़ी)
रितिशा भी रो रही थी.....की वोह किसी के द्वारा उसके मां पर किए गए जुल्म का.....परिणाम थी.....उसे समझ नहीं आ रहा था.....की वोह क्या बोले.....जिससे उसकी मां शांत हो जाए.....उसे किसी को मनाना नहीं आता था.....
वोह उनके कंधे पर हाथ रख उन्हें देखती है.....ऋचा उसे देख उसे गले लगा लेती है.....

राजपूत मैंशन.....!!

आज द्रक्षता और सात्विक की मेंहदी की रस्म था.....सब वेडिंग डेस्टिनेशन पहुंच गए थे.....कैटरर्स की मेहनत वाकई कबीले तारीफ थी.....इतना सुंदर सजाया गया था.....सब कुछ.....की देखने वाले की नजरें अटकी की अटकी रह जाती.....सब कुछ प्राइवेटली हो रहा था.....इसमें किसी भी तरह का कोई मीडिया शामिल नहीं था.....
एक रूम में.....द्रक्षता बैठी हुई थी.....द्रक्षता ने डार्क ग्रीन कलर का बेहद खूबसूरत सा लहंगा.....पहना हुआ था.....और लाइट मेकअप के साथ वो बहुत सुंदर लग रही थी.....वो थोड़ी नर्वस लग रही थी.....
सब उसकी नजर उतारते है.....
सात्विक भी रेडी हो चुका था.....उसने भी लीफ ग्रीन कलर का स्टाइलिश कुर्ता पहना था.....उसमें वो एकदम कड़क लग रहा था.....सबने उसकी काफी तारीफ की.....लेकिन वो तो जैसे एटीट्यूड से चूर था.....किसी का रिप्लाई नहीं किया.....उसे तो सिर्फ अपने होने वाली पत्नी से अपनी तारीफ सुननी थी.....जो उसने किसी के सामने अपने के जरिए दिखाया नहीं.....
सबके हाथों में मेंहदी लगाई जा रही थी.....प्रत्यूष सब लेडीज के पास जा जाके उनके मेंहदी को स्कैन कर रहा था.....की सबसे अच्छा किसका लग रहा है.....
सात्विक को एक लड़का मेंहदी लगा रहा था.....क्योंकि उसे लड़कियों से एलर्जी थी.....वो तो मेंहदी लगवाना ही नहीं चाहता था.....सबके बार बार बोलने पर.....वो थोड़ा सा लगने को राजी हुआ था.....
उसके मेंहदी आर्टिस्ट ने उससे उसकी ब्राइड का नाम पूछा.....जिसपर सात्विक उसे घूरने लगा.....उसके ऐसे घूरने से आर्टिस्ट डर गया.....
पास बैठे रजत जी बोले:सात्विक जो पूछ रहा है.....बता दो उसे.....!!
सात्विक उसे घूरते हुए:द्रक्षता.....!!
आर्टिस्ट ने उसके हाथ में नाम लिख दिया.....उसकी मेंहदी कंप्लीट हो चुकी थी.....सात्विक ने अपने हाथ को गौर से देखा.....तो उसके हथेलियों के बीच में हार्ट डिजाइन.....में द्रक्षता का नाम बारीकी से लिखा हुआ था.....
सात्विक की आँखें बेहद जुनूनी नजर आने लगी.....नाम को देख कर.....
"आज हथेली पर हो.....कुछ दिन बाद तुम्हारी जिंदगी हमारी होगी.....!!"
प्रत्यूष वहां आ कर.....उसके हाथ को देखने लगा.....तो सात्विक ने हाथ छुपा लिया.....
प्रत्यूष मुंह बनाते हुए बोला:भाई.....मैं सिर्फ आपके मेंहदी को देख रहा था.....दिखाओ ना.....!!
सात्विक:नहीं.....!!
प्रत्यूष वहां से वापस आकर अपनी मां के पैरों के पास बैठ गया.....
शिकायतें करने लगा:मां.....भाई.....मुझे अपनी मेंहदी नहीं दिखा रहे.....!!
राम्या बोली:तुम्हे उसकी मेंहदी देखनी क्यों है.....!!
प्रत्यूष दांत चमकाते हुए:मुझे देखना था.....कि भाई ने भाभी का नाम लिखवाया या नहीं.....!!
राम्या:अगर अभी मेरे हाथों में मेंहदी नहीं होती ना.....बेटा.....तो यह तुम्हारे गाल को अभी तक लाल कर चुके होते.....मुझे समझ नहीं आता.....की इतना बचपना तुममें आया कैसे.....!!
आर्या बीच में घुसते हुए बोली:मां.....आप ना भाई के टाइम पर जरूर बादाम खाना भूल गई होंगी.....इसलिए भाई के दिमाग का सारा स्क्रू ढीला है.....!!
राम्या:सही कह रही हो.....आर्या.....इसलिए इसकी हरकते अभी भी नहीं सुधरी.....जबकि 25 साल का हो गया है.....उस लड़की के ना करम फूटे होंगे.....जो इससे शादी करेगी.....!!
द्रक्षता मुस्कुराते हुए:चाची.....आप प्रत्यूष को ऐसे नहीं बोल सकती.....क्योंकि जिस दिन ये शांत,,समझदार,,और जिम्मेदार हो गए.....उस दिन आप भी इनके इस बिहेवियर को याद करने लगेंगी.....जिस इंसान में बचपना रहता है.....वही अच्छे से अपनी जिंदगी एन्जॉय कर पाता हैं.....!!
द्रक्षता को अपना पक्ष लेता देख.....रूठ चुका प्रत्यूष.....बहुत खुश हो जाता है.....
और उसके पास आकर.....बोला:भाभी.....आप मुझे सिर्फ कुछ दिनों में समझ गई.....इन लोगों के साथ मेरा 25 सालों का रिश्ता है.....फिर भी यह सब मुझे आज तक नहीं समझ पाए.....आप बहुत अच्छी हो.....!!
द्रक्षता:मैने सिर्फ सबको आपके बारे में बताया है.....आप कभी इनके बातों का बुरा मत मानना.....आप ऐसे नटखट ही अच्छे लगते हो.....!!
प्रत्यूष और द्रक्षता के इतने जल्दी बने बॉन्ड को देख.....सभी मुस्कुरा दिए.....
द्रक्षता साइड में बैठी अपनी मां को देखती है.....जो मेंहदी लगवाने से इनकार कर रही थी.....द्रक्षता उनके इनकार करने की वजह जानती थी.....जब से उसके पापा नहीं रहे.....तब से मान्यता ने यह सब करना बिलकुल ही छोड़ दिया था.....
द्रक्षता उठ कर उनके पास आकर.....बोली:मां.....जानती हु.....आप क्यों मना कर रहे हैं.....लेकिन बस आज लगा लीजिए.....मेरे लिए.....अगर आप नहीं लगाना चाहते.....तो ठीक है.....मत लगाइए.....!!
मान्यता जिसकी आंखे नम हो गई थी.....उसकी बाते सुन.....वो मेंहदी वाली को अपने हाथ में मेंहदी लगाने दे देती है.....
द्रक्षता बस मुस्कुरा दी.....मान्यता भी नम आंखों से उसे देखते हुए मुस्कुरा दी.....
दोनों के इतने अंडरस्टैंडिंग बॉन्ड को देख.....विनीता जी सुरुचि से बोली:सात्विक द्रक्षता की शादी.....का हमारा फैसला कभी गलत साबित नही होगा.....बहु.....!!
सुरुचि जी उनके बात पर मुस्कुराते हुए सर हिला दी.....
मेंहदी फंक्शन खत्म हो चुकी थी.....सभी सोच रहे थे.....की अब वो सब खाना कैसे खाएंगी.....
तब सुरुचि ने विनीता जी से कहा:मां.....क्यों ना आज.....अपने हसबैंड को खाना खिलाने बोलते है.....!!
विनीता जी ना में सर हिला कर बोली:बहु.....हम सब तो अपने अपने पतियों के हाथ से खाना खा लेंगे.....लेकिन मुझे नहीं लगता.....मान्यता और गरिमा जी को बुरा लगेगा.....वो आपत्ति नहीं जताएंगे.....उन्हें कष्ट जरूर होगा.....थोड़े देर रुक जाते है.....बातों में समय गुजार लेंगे.....फिर एक साथ सभी खाना खाएंगे.....!!
सुरुचि को इस पर बेहद शर्मिंदगी फील हुआ.....की वोह कैसे ऐसा कह सकती थी.....
वोह सभी आपस में बाते करने लगी.....बातों में समय इतना जल्दी गुजरा कि.....किसी को ध्यान ही नहीं रहा.....मेंहदी लगाए सबको ऑलमोस्ट ढाई तीन घंटे हो ही गए थे.....
सब अपने हाथ धो कर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए.....जहां पहले से सारे आदमी बैठे हुए थे.....
सुरुचि ने द्रक्षता को उसका हाथ दिखाने को कहा.....उसके मेंहदी का रंग मीडियम डार्क आया था.....
तोह सुरुचि सात्विक को घूरते हुए बोली:तुम मेरी बहु से प्यार नहीं करते.....!!
सात्विक उन्हें देख बोला:आप प्यार का अंदाजा.....मेंहदी के रंग से नहीं लगा सकती.....मां.....!!
फिर बिना किसी पर ध्यान देकर अपना खाना खाने लगा.....
उसके जवाब को सुन सब के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान खिल गई.....

...!!जय महाकाल!!...

क्रमशः...!!