लखनऊ की गलियों में, जहाँ शाम की चाय की खुशबू हवा में घुली होती है, वहीं कॉलेज के बाहर एक लड़का, आरव, अपनी किताबों में खोया हुआ बैठा था। वह मेडिकल का छात्र था, अपने माता-पिता की उम्मीदों को पूरा करने की जिम्मेदारी लिए। लेकिन उसका दिल किताबों में नहीं, कहीं और था—एक लड़की, सिया में।
सिया, एक संगीत छात्रा थी। उसका सपना था एक मशहूर गायिका बनने का, लेकिन उसके घरवाले उसे डॉक्टर बनते देखना चाहते थे। यही कारण था कि उसने मेडिकल कॉलेज में दाखिला तो ले लिया, लेकिन उसका मन सुरों की दुनिया में ही बसता था।
एक दिन, कॉलेज की कैंटीन में, सिया अपनी दोस्त अनुष्का के साथ बैठी थी, जब अचानक आरव आया और बोला—
**आरव:** "एक्सक्यूज़ मी, ये सीट खाली है?"
**सिया (मुस्कुराते हुए):** "हाँ, लेकिन अगर तुम मेरे गाने की आलोचना करने वाले हो, तो यहाँ मत बैठो!"
**आरव (हैरान होकर):** "अरे नहीं, मैं तो खुद तुम्हारी आवाज़ का फैन हूँ। तुम बहुत अच्छा गाती हो।"
सिया ने पहली बार किसी को इतने दिल से उसकी तारीफ करते हुए सुना था। यह मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई।
समय बीतता गया, और उनकी दोस्ती गहराने लगी। आरव और सिया घंटों बातें करते, कभी करियर पर, कभी सपनों पर।
एक दिन, जब वे कॉलेज के गार्डन में बैठे थे—
**सिया:** "तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, वो हमारे दिल की नहीं, बल्कि दूसरों की पसंद है?"
**आरव:** "हाँ, लेकिन जिम्मेदारियाँ भी तो होती हैं न। मैं भी कभी-कभी सोचना चाहता हूँ कि क्या मेडिकल ही मेरी मंज़िल है?"
**सिया (आँखों में चमक लाते हुए):** "तो फिर क्या तुम्हारी मंज़िल मैं हो सकती हूँ?"
आरव अवाक रह गया। उसने सिया की आँखों में देखा, और पहली बार उसे एहसास हुआ कि वो सिर्फ दोस्त नहीं थे।
उनका प्यार परवान चढ़ रहा था, लेकिन जिंदगी इतनी आसान कहाँ होती है? जब उनके घरवालों को इस रिश्ते का पता चला, तो सब कुछ बिखरने लगा।
सिया के पापा ने गुस्से में कहा—
**सिया के पापा:** "तुम्हारा ध्यान पढ़ाई में होना चाहिए, न कि इन बेकार की चीज़ों में! और एक मेडिकल स्टूडेंट के लिए संगीत? ये मज़ाक है क्या?"
**सिया:** "पापा, संगीत मेरा सपना है। और आरव सिर्फ मेरा दोस्त ही नहीं, मेरा हमसफ़र भी है!"
**सिया की माँ:** "तुम्हें हमारे सम्मान का ज़रा भी ख्याल नहीं?"
आरव के घर में भी यही हाल था। उसके पापा ने सख्ती से कहा—
**आरव के पापा:** "डॉक्टर बनो, यही हमारा सपना है। इन फालतू की चीज़ों में मत पड़ो।"
दोनों की ज़िन्दगियाँ दोराहे पर आ गई थीं।
लेकिन वे दोनों आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थे। सिया ने एक संगीत प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला किया, और आरव ने उसका पूरा साथ दिया।
जब प्रतियोगिता का दिन आया, तो सिया ने मंच पर खड़े होकर गाया। उसकी आवाज़ में वो दर्द था जो उसने अपने सपनों और प्यार के लिए झेला था। गाने के खत्म होते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।
उस दिन न सिर्फ उसने पहला इनाम जीता, बल्कि अपने घरवालों को भी यह एहसास दिलाया कि संगीत उसका जुनून है।
धीरे-धीरे, उनके माता-पिता ने भी उनकी मेहनत को समझा और उनके प्यार को स्वीकार कर लिया।
**सिया के पापा:** "अगर तुम्हारा दिल इसी में है, तो हम तुम्हारा साथ देंगे।"
**आरव के पापा:** "अगर सिया तुम्हारी ताकत है, तो हमें कोई ऐतराज नहीं।"
कुछ सालों बाद, सिया एक मशहूर गायिका बन गई और आरव ने डॉक्टर बनकर एक नई पहचान बनाई। लेकिन उनकी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा यही था कि उन्होंने एक-दूसरे का हाथ कभी नहीं छोड़ा।
और इस तरह, उनका प्यार मुश्किलों के बीच भी अपनी मंज़िल तक पहुंचा।
**"क्योंकि सच्चा इश्क़ वही होता है, जो हर इम्तिहान में खरा उतरे!"**