"ठिक है मानता हूं के तू मुझ से ज्यादा क्रिएटिव हे... तेरे वजह से हमारी कंपनी का ज्यादा नाम हे.... तू सब से ज्यादा मेहनत करता हे....और ये भी सच है के तू सब से जायदा अक्कल मंद हे।लेकीन इस का ये मतलब नहीं के.... में किसी लायक नही हू। पार्टनर हु इस कंपनी का ।और तू यहां मुझे अपना सेक्रेटरी बनाकर.... पेन उठाने से लिकर.... काफी मंगवा ने का काम करवा राहा हे।"....... ये अमन था जो क्लाइंट के जानेके बाद राजबीर पर बरस पड़ा था ।और एक ही सांस में बोल ता गया..... बोल ता गया ये आस लिए के... सामने बैठा वो सक्स कम से कम उसकी इमोशन को तो ज़रूर समझेगा।..... आखिर वो दोस्त हे.. और पार्टनर भी।एक सांस में वो दिल के सारे गुबार नीकाल ने के बाद... एक ही घुट में पुरा पानी का ग्लास खतम कर दिया।और राजबीर के तरफ आस भरी नज़रों से देख ने लगा।... के वो अब बोलेगा।
काफी इंतजार के बाद राजवीर वैसे ही लैपटॉप में घुस ते हुए बोला....."सर में बहत दर्द हे अमन.... एक ब्लैक काफी मंगवा दो।"
ये सुन कर अमन तो जेसे कोमा में ही जाने वाला था। उसने वैसे हो राजबीर के तरफ देख ते हुए अपना सर पकड़ लिया ... उसके आंखो मे आंसू आ गए थे।
"तू... तू.. यू..."... बोल ते बोल ते वो रुक जाता हे।दूसरे ही पल उसे ये रियलाइज हों ही जाता हे के...... सामने बैठा इन्सान राजबीर राठौड़ हे और वो गलत इनसान के आगे अपने इम्मोशन की उलटी कर रहा था।... तो वो प्यार से राजबीर के पास जाता हे और मुस्कुराते बोल ता हे....."बहत काम कर ता हे यार...एक स्ट्रॉन्ग काफी मंगवा ता हूं।".... इतना बोल वो इंटर कॉम उठाने लग ता हे... फीर कुछ सोच, रुक ते हुए बोल ता हे....."मंगवाना क्या... में खुद ही बनाकर लाता हूं। बस यहीं एक काम तो बाकी रहे गया है। ....""इतना बोल वो वहां से जाने लग ता हे , तो पीछे से राजवीर की आवाज सुन उसके कदम रुक जाते हे..... और वो वही इधर उधर ढूंढ ने लगता हे ,सर पे मार ने केलिए।अरे... अरे... राजवीर के नहीं .... खुद के।
पीछे से राजवीर बीना किसी भाव के वैसे ही काम कर ते कर ते बोला...."और अगर चबीस घंटे के अन्दर मेरे सामने मेरी असिस्टेंट नहीं खड़ी हुई तो..... ये सब तुम्हारी परमानेंट काम बनजाने वाली हे।"....ये सुन अमन पिछे मुड़ उसपर एक तिरछी नजर डाल ता हे और उसके पास आते हुए बोला....."जितना मुझे गिनती अति ही उस हिसाब से.... पिछले तीन महीनों में....दो दिन पहेली रचना तुम्हारी आठ वी सेक्रेटरी थी।"
फिर थोड़ा समझा ते के अंदाज से बोला..."यार.... अगर तू थोड़ा..... ज्यादा नहीं..... बिल्कुल थोड़ा ही खुद को बदल ने की किसिस करे , तो.... हमारे आस पास माहोल किसी स्वर्ग से कम नहीं होगा। क्यूं के तेरे गूसे के आगे सिर्फ तेरी हो नहीं मेरी और माया की भी असिस्टेंट भाग जाते हैं।"
फिर थोड़ा सोच ते हुए सावलिया अंदाज से पूछा....."माया से याद आया...१२ बजने वाले हैं.... माया हे कहां? कल तेरे घर पर पार्टी के बाद से....
अमन अपनी बात कंप्लीट करता उस से पहले ही राजबीर अपने लैपटॉप पर कुछ डिज़ाइन बनाते हुए बोला....."माया को इस प्रोजेक्ट से आउट कर देना।"
अमन अपने दोनो आइब्रोज उचका ते हुए थोड़ा शॉक्ड अंदाज से बोला...."What???"
राजवीर उसी भाव में बेठे हुए बोला....."डेली सोप के हीरोइन की तरह एक्सप्रेशन देना बंद करो.... क्यूं के... मैने जो कहा तुमने अच्छी तरह सुन लिया है।"
"सुना हे... पर समझा नहीं।"अमन थोड़ा असमंजस में पूछा।....
"इस वैडिंग की डेकोरेशन माया प्लान कर ने वाली थी....अगर वो क्लाइंट के साथ इस मीटिंग में नहीं हे.....तो इस प्रोजेक्ट में भी नहीं हे।".........अमन की बात सुन राजवीर ने कहा।
"पर माया हे कहां।... कितनी बार कॉल लगा चूका हूं... रिसीव ही नहीं कर रहीं हे।"...... माया को कॉल लगाते लगाते अमन ने कहा।
"मेरे बेड रूम में।"सिगरेट दांतों तले दबाए लाइटर लगाते हुए राजवीर बोला।
"वो तुम्हारे बेड रूम में क्या कर रही हे?"बीना कुछ सोचे ये सवाल पुछ ते हुए अमन जेसे ही राजबीर के तरफ देखा... राजवीर उसे खा जाने वाले नज़रों से देख रहा था।ये रियलाइज कर ते हुए ,के उसने क्या पूछा.... फीर से अपने लफ्जों को संभाल ते हुए वो बोला....."आई मीन मुझे पता हे के.... तुम्हारे बेड रूम में तुम दोनों....
इतना बोल वो रुक गया और फीर कुछ सोच ते हुए पूछा....."अगर तुम दोनो एक साथ थे.... तो... उसे अपने साथ लेकर क्यूं नहीं आए???"अमन उलझा हुआ सा पूछा।
"में उसका नाही नौकर हूं.... नहि बॉय फ्रेंड.... नहिं हसबेंड... और नहिं असिस्टेंट। ऑफिस टाइम पे आना उसकी रिस्पांसिबिलिटी हे,..... और रूल सब केलिए एक ही हे।"
"ठीक हे साथ नहीं ला सक ते थे..... उठा तो सक ते थे?"....पीछे से आवाज सुन अमन ने पीछे मुड़ कर देखा..... ये माया थी... जो ड्रीम्स वेडिंग के सारे वैडिंग वेन्यू डेकोरेशन देखती थी और साथ ही साथ कम्पनी की मॉडल भी थी।
थाई तक एक शर्ट ब्लॉक ड्रेस पहने माया दरवाजे के पास खड़ी राजबीर को घूर रही थी।.... बट हमेसा की तरह राजबीर के चहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे।माया कुछ और बोल ही रही थो.... बाहर से प्रिया जो रिसेप्शनिस्ट हे.......". एक्सक्यूज में" बोल ती हुए खड़ी हो गई।
उसे देख अमन के जान में जेसे जान आ गई थी। बरना तो उसे यहां महाभारत युद्ध होने का ही अंदेसा हो रहा था।वो प्रिया को देख खुश होते हुए एक गहरी सांस लिए बोला..."डार्लिग.. आज से तुम्हारी १००० सैलरी इंक्रिमेट हो गईं।"
ये सुन प्रिया उसे सावलिया नज़रों से देख ने लगी तो वो बोला...."वो छोड़ो... तुम नहीं समझ पाओगे... तुम बोलो क्या बात है?""
ये सुन प्रिया बोली ....."राजबीर सर के असिस्टेंट के पोस्ट केलिए ... आज इंटरव्यू थी न... उसी के लिए कैंडिडेट आए है।"फिर थोड़ा राजवीर को तरफ देख ते हुए धिरे से बोली ....."एक एक कर भेज दूं?"
अमन ने गहरी सांस भर कर कहा..." ok भेज दो।" बोला तो माया उसे रोक ते हुए बोली...." नहीं... उनके cv मेरे कैबिन में भेजो और एक एक कर उन लडकियों को भी।"....ये सुन अमन सावलिया नज़रों से माया को देखा तो ....माया राजवीर के तरफ एक गुस्से भरी तिरछी नजर डाल ते हुए बोली...."अगर इंटरव्यू यहां करेंगे तो .. सुरु होने से पहले ही खतम हो जाएंगी।"
इतना बोल वो वहां से पैर पटक ते हुए चली गई।अमन जो वहीं पर बैठा हुआ था एक नजर राजबीर के तरफ देख.. एक आह भर ते हुए बोला...."हे भगबम ...... इन्सान रूपी जिस डेविल को आपने हमारे सर पे खड़ा किया हे... उसके अन्दर के जानवर को शांत करने बाली और इसके यातना से हमे बचाने वाली.... कोई इस धरती पे कदम रखी भी हे या नहीं????"
ठीक उसी वक्त ड्रीम्स वेडिंग के बिल्डिंग के सामने एक कैब आकर रुक ती है। और किसी की कदम कैब से निकल आफिस के तरफ़ चल पड़ ती हैं।वहां दुसरी तरफ़ राजबीर के कैबिन में....राजवीर अपने काम खतम कर... लैपटॉप बंद करे वहां से जाने लग ता हे।
"कहां जा रहा हे????"अमन ने पूछा।घड़ी के तरफ़ देख राजबीर बोला...."दो बजे ताज में मीटिंग हे...... राठोड़ ग्रुप से कुछ बोर्ड मेंबर आने वाले हैं।""अभि तो थोड़ा टाइम हे... रुक जा... और अपने लिए असिस्टेंट....."अमन इतना ही बोला था के राजबीर अपना phone उठाए जाते हुए बोला...."माया ने क्या कहा़ सुना नहीं.... अगर में इंटरव्यू लूंगा तो सुरु होनेसे पहले ही खतम हो जाएगी।"बोल ते हुए वो तूफ़ान की तरह वहां से चला गया।और अमन उसे बस देख ता रहा।
राजवीर मोबाइल पर कुछ चैक कर ते हुए तेजी से अपने प्राइवेट लिफ्ट से निकल......बाहर के तरफ चल ने लग ता हे।सामने से अति हुई किसी सक्स के साथ उसको उतनी ही तेजी से टक्कर होती हे..... ओर मोबाइल उसके हाथ से निचे गिर जाता हे।वो एक नजर अपने निचे गिरे , टूटे हुए मोबाइल को देख... अपने दांतों को भींच ते हुए गुस्से से पीछे घूम कर बोला,......"व्हाट द फ्..
इतना बोला ही था के ..... सामने की नजारे को देख जेसे वहीं खो ही गाया।डीप येलो कॉलर की सलवार सूट के साथ, रेड कलर का नेट का दुप्पटा डाले , कानों में रेड कलर के छोटे छोटे झुमके, माथे पर स्टोन की छोटी सी बिंदी, होठों पर हल्का लिपग्लैस , एक हाथ में पुरानी सी घड़ी, और दूसरे हाथ में एक काला धागा...जिस में कान्हा जी के मोर पंख का लॉकेट झूल रहा था।....काले घने कमर तक लंबे बाल सायद ज़ोर दार टक्कर के बजेसे इधर उधर उलझ से गए थे.... उन्हे सुलझाने के चक्कर में उसके हलकी भूरी आंखों में परेशानी और घबराहट झलक रही थी।राजवीर के सामने खडी... अपने सर को सहलाती हुई.. सहमी निगाहों से राजबीर को ही तरफ़ देख रही थी.....वो।
राजवीर तो उसके उन भूरी आंखों में जेसे खो ही चूका था। वो काजल से सनी हुई आंखे जेसे... राजबीर को उनमें खो जानेका खुला नेयेता दे रहे हों।सर पर लगी चोट का दर्द उसके आंखो में साफ दिख रहीं थी। आंखो में नमी और कपकपा ते होठ .... राजबीर को उसके तरफ खींच रही थी।और राजवीर के कदम धिरे धिरे उसके तरफ बढ़ ने लगे।....
To be continued